गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

Dwarkadheesh temple and Gomti Ghat (Shri Krishna) Gujarat. गुजरात का द्धारकाधीश मन्दिर व गोमती घाट

गुजरात यात्रा-3

बेट/भेट द्वारका/द्धारका के द्धीप पर भगवान श्रीकृष्ण का घर देखकर वापिस वही आ गये जहाँ हमें ट्रेन ने छोड़ा था। ओखा के स्टेशन के पास से ही द्धारकाधीश मन्दिर तक जाने के लिये निजी बसे थोड़े-थोड़े समय के अन्तराल पर चलती रहती है। ऐसी ही एक बस में सवार होकर हम चारों भी द्धारका की ओर रवाना हो गये। इस बस ने मुश्किल से आधा घन्टे में हमें उस स्थान पर उतार दिया था जहाँ से एक सीधा मार्ग मन्दिर की ओर जाता है। चूंकि हमें अंधेरा तो बस में सवार होते समय ही हो गया था इसलिए यहाँ पहुँचते समय रात जवान हो चुकी थी। हमने रात में यहाँ ठहरने का पहले से ही सोचा हुआ था। इसलिये सबसे पहले एक ठीक-ठाक (साधारण) सा कमरा सोने के तलाश करना शुरु कर दिया। पहले दो तीन धर्मशाला देखी गयी, लेकिन किसी में कमरा खाली नहीं मिला। एक जगह गये वहाँ बताया गया कि हम मुस्टंड़ों को कमरा नहीं देते है। लेकिन हमें जल्द ही मन्दिर से पहले भद्रकाली रोड़ पर तीन बत्ती नामक चौराहे के किनारे ही एक उचित दर वाला कमरा मिल गया था। यह भद्रकाली सड़क हाईवे से सीधी मन्दिर की ओर जाती है। कहने को तो सड़क है लेकिन देखने में एक कालोनी की गली जैसी ही है।

यही  मुख्य मन्दिर है।

ठीक सामने से लिया गया चित्र



हम जिस होटल में ठहरे थे उसका नाम यमुना होटल था। कमरा देखने के लिये जब हम इसके अन्दर गये तो वहाँ पर स्वागत हॉल से एक आदमी हमें कमरा दिखाने के लिये ऊपर की मंजिल पर लेकर जाने लगा। वैसे ऊपर की मंजिल पर रात में आराम करने के लिये बहुत अच्छा रहता है, क्योंकि ऊपरी मंजिल पर सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों व जनता का शोर नहीं सुनायी देता है। ऊपर से चारों ओर का नजारा देखने में भी आसानी रहती है। लेकिन ऊपर जाते ही जिस कमरे को हमारे लिये खुलवाया गया था उसमें प्रवेश करते ही मेरी खोपड़ी खराब हो गयी। कमरा देखने में तो ठीक-ठाक था, लेकिन कमरे को कई घन्टे से या हो सकता है कि कई दिन से नहीं खोला गया था जिस कारण उसमें से एक अजीब सी महक/बदबू जैसी आ रही थी जिसमें उस कमरे में खड़ा होना भी बेहद मुश्किल लग रहा था। अत: मैं तेजी से तीसरी मंजिल से नीचे स्वागत हॉल में आ गया। वहाँ आकर ऊपर वाले कमरे का सूरते हाल ब्या कर ड़ाला। उसके बाद हमें नीचे ही एक अन्य कमरा दिखाया गया जिसका किराया 400 सौ रुपये था। उसमें चार ही पलंग थे, हम भी चार ही थे। हाँ बाथरुम एक ही था।
गुगल मैप


गोमती घाट

प्रेम सिंह, गोमती घाट पर

समुन्द्र किनारा


अपना सारा सामान रख कर हमने सबसे पहले वो शुभ काम किया, जिससे आलसी लोग जी चुराते है। जी हाँ आप सही समझे, स्नान, हम चारों ने पहले स्नान कर अपने आप को एक नई स्फूर्ति से भर लिया था। बिना नहाये धोये भी शरीर आलस से भर जाता है। आलसियों/नशेड़ियों को नहाने धोने की जरुरत नहीं होती है। नहा कर तरोताजा होने के बाद हम चारों द्धारकाधीश Dwarakadheesh temple, Dwaraka मन्दिर के दर्शन करने चल दिये। हमें होटल वाले ने पहले ही बता दिया था कि मन्दिर में कैमरा व मोबाईल लेकर अन्दर जाने नहीं दिया जायेगा। इसलिये कैमरा व मोबाइल हमने होटल के कमरे में ही छोड़ दिये थे। मन्दिर में घुसने से पहले हमारी तलाशी ली गयी। हर जगह सुरक्षा कर्मचारी तलाशी तो ऐसे लेते है जैसे कि कभी हादशा होने ही नहीं देंगे, लेकिन हादशे इनके बाप भी नहीं रुकवा सकते है। ट्रेनों में इतनी लापरवाही रहती है कि जिस किसी डिब्बे में बम फ़ोड़ दो। कुछ नहीं बिगडेगा। मरेगी आम निर्दोष जनता, जबकि मरने चाहिए, भ्रष्टाचारी नेता व अफ़सर। रात में मन्दिर में कोई खास गर्दी/भीड़ नहीं थी जिस कारण हम कुछ मिनटों में ही मन्दिर की मुख्य मूर्ति के दर्शन (भगवान के नहीं, भगवान तो हमारे दिलों में बसते है। मूर्तियाँ तो पुजारी के धन्धे के लिये बनायी गयी है। मन्दिर के अन्दर पुजारी व मन्दिर के बाहर भिखारी माँगने में किसी से शर्म नहीं करते है।) कर बाहर आ गये थे।

लहरे

सूर्योदय नम:

पत्थर, जो पानी को रोकते है।

पीछे लाईट हाऊस दिख रहा है।

रात में खाना खाने के लिये हम मन्दिर वालों की ओर से बनाये गये भोजनालय में खाना खाने चले गये थे। लेकिन जब यहाँ का साधा खाना खाया तो मन किया कि खाने को बीच में छोड़कर चल दिया जाये। यहाँ का खाना मुझे तो क्या मेरे किसी साथी को भी पसन्द नहीं आया था। यहाँ भोजन करने का शुल्क बहुत कम था जिस कारण यहाँ लोगों की भारी भीड़ लगी हुई थी। रात को 10 बजे तक यह भोजनालय बन्द भी हो जाता है। अरे हाँ अगले दिन सुबह के समय हम भोजन करने के लिये तीन बत्ती चौराहे के पास में ही एक अन्य भोजनालय में गये थे वहाँ पर उस समय 60-70 रुपये की खाने की थाली थी, वहाँ का खाना इतना स्वादिष्ट था कि हम अपनी क्षमता से भी ज्यादा खा गये थे। गुजराती खाने में एक पंगा है कि ज्यादातर खाना मीठा होता है। दाल, सब्जी से लेकर छाछ तक। इस होटल में सबसे अच्छी बात लगी कि खाने के साथ छाछ पीने की कोई सीमा नहीं थी जितना जो पीना चाहे उसको उतनी छाछ मिल रही थी। सुबह अपनी आदत अनुसार जल्द उठकर एक बार फ़िर मन्दिर के दर्शन किये गये। रात में मन्दिर कुछ खास नहीं दिख रहा था। लेकिन सुबह के समय भी हम कुछ ज्यादा जल्दी ही आ धमके थे। जिस कारण दिन निकलने तक इन्तजार किया ताकि मन्दिर का फ़ोतुवा ले सके। जब मन्दिर के फ़ोटो लेने लायक उजाला प्रकट हुआ तो हमने फ़ोटो ले वहाँ से समुन्द्र किनारे की ओर प्रस्थान कर दिया। चूंकि अभी सूर्योदय होने ही वाला था इसलिये हम गोमती घाट पर आ गये थे। यहाँ घाट पर टहलते रहे और सूर्योदय का मस्त दर्शन करते रहे। इसके बाद हम वहाँ के लाईट हाऊस को देखते हुए, वापस अपने होटल चले आये। यहाँ से हमें रुकमणी मन्दिर देखते हुए नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की ओर जाना था।

लहरे

चिकने पत्थर
यहाँ से हम सीधे राधा मन्दिर की ओर चले गये, उसके बाद नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये। जिसके बारे में अगले लेख में बताया जा रहा है।





गुजरात यात्रा के सभी लेख के लिंक क्रमानुसार नीचे दिये गये है।

भाग-01 आओ गुजरात चले।
भाग-02 ओखा में भेंट/बेट द्धारका मन्दिर, श्री कृष्णा निवास स्थान
भाग-03 द्धारकाधीश का भारत के चार धाम वाला मन्दिर
भाग-04 राधा मन्दिर/ श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी रुक्मिणी देवी का मन्दिर
भाग-05 नागेश्वर मन्दिर भारते के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक
भाग-06 श्रीकृष्ण के दोस्त सुदामा का मन्दिर
भाग-07 पोरबन्दर गाँधी का जन्म स्थान।
भाग-08 जूनागढ़ का गिरनार पर्वत और उसकी 20000 सीढियों की चढ़ाई।
भाग-09 सोमनाथ मन्दिर के सामने खूबसूरत चौपाटी पर मौज मस्ती
भाग-10 सोमनाथ मन्दिर जो अंधविश्वास के चलते कई बार तहस-नहस हुआ।
भाग-11 सोमनाथ से पोरबन्दर, जामनगर, अहमदाबाद होते हुए दिल्ली तक यात्रा वर्णन
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8 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

ये पत्थर कार्बन एटम की याद दिला देते हैं। समुद्र के अन्दर पूरा एक इतिहास बसा है।

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

अच्छे चित्र और जानकारी....

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

अद्भुत रहस्य खुलने वाला है .? क्या सचमुच कभी यहाँ कृष्ण की द्वारका थी ? अब खाना तो अच्छे होटल में खाया करो जी ?

ddddf ने कहा…

For Beautiful Lord Krishna Wallpaper and Images
visit Beautiful Lord Krishna Image

Mahesh Divya ने कहा…

junagarh mein girnar ke alawa kuch or hai dekhane ke liye ?

mahesh gautam ने कहा…

मजेदार यात्रा.......

Unknown ने कहा…

बेहद सटीक वर्णन हेतु लेखक को धन्यवाद।मैं इस समय द्वारका व सोमनाथ के दर्शन कर हमारी स्कूल के बच्चों के साथ जूनागढ़ की तरह जा रहा हूँ।

Unknown ने कहा…

बेहद सटीक वर्णन हेतु लेखक को धन्यवाद।मैं इस समय द्वारका व सोमनाथ के दर्शन कर हमारी स्कूल के बच्चों के साथ जूनागढ़ की तरह जा रहा हूँ।

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