गुरुवार, 26 जनवरी 2012

SANDEEP PANWAR (JAT DEVTA) संदीप पवाँर (जाट देवता) की पसंद के चुटकुले-jocks, गुदगुदी मनोरंजन

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                                  अगर किसी ने सारे पढ लिये तो देखना उसकी आँखे ऐसी तो नहीं हो गयी है।
एक आम सूचना- सभी हंस गुल्ले मैंने किसी न किसी के ब्लॉग के लिये है जिन्हे मैं कई महीनों से एकत्र कर रहा था, मैंने एक भी नहीं लिखा है।पढ़े और जमकर हँसे........... 
                                                  (मैं तो ब्लॉगिंग छोड रहा था अब झेलों) 


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दो औरतें आम के पेड़ के नीचे काफ़ी देर से आपस में बात कर रही थीं, कि तभी एक आम अचानक टूट कर नीचे गिर गया।
पहली औरत बोली- ये आम कैसे गिरा?
दूसरी औरत कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी आम हाथ जोड़कर बोला, "मैं पक गया हूँ तुम दोनों की बातें सुनकर।

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एक बार एक जाट और एक राजपूत में बहस चल पड़ी । राजपूत कहता कि हम बड़े और जाट कहता कि हम। 
राजपूत बोला- हम हैं 'ठाकुर'   जाट बोला- तो क्या, हम हैं 'चौधरी' 
राजपूत बोला- हम हैं 'छत्री' (क्षत्रिय)  जाट बोला- हम हैं 'तंबू' 
राजपूत - 'तंबू' क्या होता है?   जाट - छतरी का फूफा 

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शिव/भोले ने जब जाट बनाया तो उसे सब कुछ दिया - तेज़ दिमाग़, लंबा चौड़ा शरीर, लेकिन ज़ुबान ना दी, तो पार्वती बोली "प्रभु आपने कितना सुथरा आदमी बनाया है ये जाट. इसे भी ज़ुबान दे दो ताकि यह भी बोल सके" शिवजी ने कहा "ना पार्वती यह बिना ज़ुबान के ही ठीक है" लेकिन पार्वती ना मानी शिवजी के पैर पकड़ लिए पार्वती की ज़िद के चलते शिवजी ने जाट को ज़ुबान दे दी। ज़ुबान मिलते ही जाट बोला "अरे भोले, यो सुथरी सी लुगाई कित से मारी"

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एक जाट हो तो वह जाट होता है।
दो जाट एक साथ हो तो मौज हो जाती है।
तीन जाट एक साथ हो तो कंपनी बन जाती है।
चार जाट एक साथ हो तो फौज बन जाती है।

बुधवार, 11 जनवरी 2012

SANDEEP PANWAR (JAT DEVTA) संदीप पवाँर (जाट देवता) की पसंद के लिंक

आज कोई पोस्ट नहीं लिख रहा हूँ आपको कुछ बात बता रहा हूँ जिसे जानने पर आपको लगेगा कि ये मेरी पसंद की बात क्यों है?

पहली बात यह है कि उस वेबसाइट का जो अपने आप में अपने क्षेत्र में एक विशेषज्ञ वेबसाइट की हैसियत रखती है, जिसने मुझे अपनी वेबसाइट में लिखने की छूट प्रदान कर दी है। यानि अब मैं वहाँ का मान्यता प्राप्त लेखक बन गया हूँ। वहाँ पर अभी तक 300 लेखक है जिनमें से Top 10 में सबसे ऊपर मेरा स्थान भी आता है।

दूसरी बात भी उसी वेबसाइट का ही है जिसमें मुझे दो और बन्दों (एक बन्दा+एक बन्दी) के साथ वर्ष 2011 का सबसे रोमांचक घुमक्कड चुना गया है।




मैंने सोचा कि आप सब के साथ यह खुशी बाँटनी चाहिए। 
उपरोक्त दोनों सम्मान मुझे मिले इसमें नीरज जाट जी का मुख्य रोल है जिनकी वजह से मैं इन्टरनेट पर लिखने लगा।

बीते 13 दिन से कोई लेख नहीं लिख पाया क्योंकि मेरे मामा जी (49 वर्ष) का देहांत हो गया था। 



अब मैं सोच रहा हूँ कि मैं ब्लॉग पर लिखने की बजाय सिर्फ़ उस वेबसाइट पर ही लिखा करूँ, ब्लॉग मेरा सफ़र शुरु होने की पहली मंजिल थी। मुझे सलाह दीजिए कि मुझे क्या करना चाहिए, हो सकता है कि आपकी कोई सलाह मेरे बहुत काम आ जाये। 
जो आपके मन में हो कह देना, मैंने कोई माडरेशन नहीं लगाया हुआ है।

मेरा आखिरी फ़ैसला यह हुआ है कि इस साल के आखिरी तक मैं दोनों जगह लिखूँगा, इसके बाद नये साल से मैं सिर्फ़ अपने ब्लॉग पर ही लिखा करूँगा।



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