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सोमवार, 19 अगस्त 2013

Ujjain leaving after meeting with suresh chiplunkar सुरेश चिपचूलनकर जी से मुलाकात व जबलपुर प्रस्थान

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-11                              SANDEEP PANWAR
उज्जैन के सभी दर्शनीय स्थलों को दिखाने के बाद हमारा गाड़ी वाला हमें लेकर उज्जैन रेलवे स्टेशन की ओर चल दिया। संदीपनी आश्रम से वापसी में जिस मार्ग का प्रयोग हमने किया था वहाँ से इन्दौर मात्र 60 किमी व देवास तो केवल 39 किमी दूर था। अपने साथी कल ही तो इन्दौर से उज्जैन आये थे। कुछ देर में ही हमारा चालक हमें लेकर रेलवे स्टेशन पहुँच गया। स्टेशन से पहले ही मैंने अपने गाड़ी चालक से सुरेश चिपलूनकर जी की कालोनी के बारे में पता किया था उसने कहा था कि आप यहाँ से उस कालोनी में जाने वाली दूसरी सवारी पकड़ लेना। यहाँ से स्टेशन कितना दूर है? जब चालक ने कहा कि मुश्किल से 300 मीटर, अरे फ़िर तो पहले स्टेशन छोड़ दो क्योंकि सुबह से कुछ खाया नहीं था। अत: पहले स्टेशन के आसपास मिलने वाले किसी भोजनालय से भोजन करते है उसके बाद आगे देखते है। 


शनिवार, 17 अगस्त 2013

Sandeepnai Aashram, The school of Lord Krishna, Ujjain श्रीकृष्ण-बलराम-सुदामा की शिक्षा स्थली संदीपनी आश्रम, उज्जैन

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-10                              SANDEEP PANWAR
उज्जैन का अन्तिम व महत्वपूर्ण पर्य़टन स्थल संजीवनी आश्रम देखने के लिये हम मंगलनाथ मन्दिर से सीधी सड़क पर चलते हुए कुछ ही देर में संजीवनी आश्रम पहुँच गये। आज से कई हजार लगभग 5000 साल पहले यहां इसी आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण व उनके भाई बलराम और उनके गरीब दोस्त सुदामा ने यहाँ शिक्षा प्राप्त की थी। आज से कुछ सौ वर्ष पहले तक गुरुकुल पद्धति से पढ़ाई होती थी लेकिन अंग्रेजों के भारत आने के बाद कान्वेन्ट ने गुरुकुल की जगह हथिया ली। आजकल गुरुकुल मुश्किल से ही दिखायी देते है जबकि निजी स्कूल हर गली मोहल्ले में दिखाती दे जाता है। गुरुल में रहते समय छात्र को अपने जीवन यापन के लिये भोजन भी गांव से माँग कर लाना होता था। जबकि स्कूलों में जमकर लूट मची हुई है। चलिये स्कूलों के चक्कर में ना पड़ते हुए संदीपनी आश्रम देखने चलते है।



शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

Kal Bhairav Temple शराब पीने वाले काल भैरव मन्दिर- उज्जैन

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-09                              SANDEEP PANWAR
दारु पीने वाली मूर्ति के बारे में सुनते ही मुझे दिल्ली के पुराने किले के साथ लगा हुआ भैरो मन्दिर याद आ गया। दिल्ली के भैरो मन्दिर में शराब चढ़ाई जाती है। उज्जैन की सेन्ट्रल/केन्द्रीय जेल के सामने से होते हुए हम लोग श्रीकाल भैरव मन्दिर जा पहुँचे। इस मन्दिर की विशेष महिमा बतायी गयी है कि इस मन्दिर की मूर्ति को जितना जी करे उतनी शराब पिला दो, मूर्ति भी पक्की पियक्कड़ ठहरी जो बोतल मुँह से लगाते ही बोतल खाली होनी शुरु हो जाती है। पहली बार तो मुझे अपने वाहन चालक की बातों पर विश्वास ही नहीं हुआ था लेकिन मन्दिर के बाहर बिक्री के लिये उपलब्ध शराब देखकर मेरा माथा ठनका कि  कुछ ना कुछ गड़बड़ तो जरुर है।


गुरुवार, 15 अगस्त 2013

Gadh Kalika Temple-Ujjain गढ़ कालिका मन्दिर-उज्जैन

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-08                              SANDEEP PANWAR
हमारी गाड़ी आगे बढ़ते हुए जिस स्थान पर पहुँची उसे गढ़कालिका मन्दिर कहा जाता है। जिस समय हम यहाँ पहुँचे उस समय दोपहर की आरती चल रही थी। आरती में कई आरती बोली जाती है जिस कारण मैं आरती समाप्त होने के समय ही आरती के पास जाता हूँ। मैंने मन्दिर के चारों ओर घूम-घूम कर मन्दिर को अच्छी तरह देख ड़ाला था। यह मन्दिर भी मराठा शैली का बना हुआ मिला। मराठों के शासन काल में ही इस मन्दिर का निर्माण किया गया होगा। इस मन्दिर को महाशिवरात्रि के कारण फ़ूलों से इतना अच्छी तरह सजाया गया था कि मैं उस सजावट को देखता ही रह गया था।  मन्दिर की आरती समाप्त होने के बाद हमारे साथियों ने वहाँ से आगे चलने का इरादा किया। एक भक्त यहाँ भी मन्दिर में ही कही अटका हुआ था। उसे लेने के लिये फ़िर से एक बन्दा भेजा गया।


बुधवार, 14 अगस्त 2013

Raja Bharat Hari Cave-Ujjain राजा भृतहरि गुफ़ा-उज्जैन

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-07                              SANDEEP PANWAR
उज्जैन में महाकाल, विक्रमादित्य टेकरी, हरसिद्धी शक्तिपीठ व चार धाम मन्दिर देखने के बाद हम एक वैन नुमा वाहन में सवार हो गये। इस वाहन ने हमें रेलवे लाईन पर बने हुए पुल के नीचे से निकालते हुए आगे की यात्रा जारी रखी। रेलवे लाईन का पुल देखकर दिल्ली का लोहे वाला पुराना पुल याद आ गया जो लाल किले के साथ ही बना हुआ है। इस पुल से आगे निकलते ही क्षिप्रा नदी पर बना हुआ सड़क पुल भी आ गया। सड़क पुल भले ही आया हो लेकिन हमें उस पुल के ऊपर नहीं जाना पड़ा। हमारी गाड़ी सड़क जिस कच्ची मार्ग से होकर अल रही थी उसके सामने सिर्फ़ रपटे जैसे बंध से होकर निकलने में ही क्षिप्रा नदी पार हो गयी। जिस प्रकार उत्तर भारत में गंगा को पवित्र नदी माना जाता है उसी प्रकार मध्यप्रदेश में भी क्षिप्रा व नर्मदा को वैसी ही मान्यता प्राप्त है।


मंगलवार, 13 अगस्त 2013

4 Chaar Dhaam mandir-Ujjain उज्जैन का चार धाम झाकियों वाला मन्दिर

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चार धाम मन्दिर देखने के लिये सबसे पहले मन्दिर के बाहर बनी दुकान पर जूते-चप्पल उतार कर आगे बढ़े। हम इस मन्दिर को देखते भी नहीं यदि इस मन्दिर के बाहर लगे बोर्ड़ पर यह लिखा ना होता कि विधुत चलित झाँकियाँ का दर्शन करे। चार धाम मन्दिर के प्रांगण में घुसते ही सीधे हाथ पर हरा-भरा छोटा सा मैदान है। अगर हमें कही और ना जाना होता तो इस पार्क में बैठा जा सकता था। मन्दिर देखने के लिये आगे बढ़ चले। मुख्य मन्दिर तक पहुँचे ही थे कि वहाँ पर लगे एक बोर्ड़ से पता लगा कि यहाँ कि झाकियाँ देखने के लिये थोड़ा सा खर्च करना पडेगा। एक बार तो सोचा, छोड़ो झाकियाँ-वाकियाँ। इन मन्दिरों वालों ने कमाई का जरिया बनाया हुआ है। लेकिन फ़िर सोचा चलो 5 रुपये की ही तो बात है। अगर कुछ अच्छा मिला तो 5 रुपये वसूल भी हो जायेंगे।


सोमवार, 12 अगस्त 2013

Harsiddhi Temple सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी मन्दिर

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-05                              SANDEEP PANWAR
सम्राट वीर विक्रमादित्य के नवरत्न दरबार के एकदम नजदीक ही सीधे हाथ पर हरसिद्धी देवी का मन्दिर है। इस देवी मन्दिर को राजा विक्रम की आराध्य कुल देवी भी कहा जाता है। यह मन्दिर देखने में भी काफ़ी शानदार है लेकिन पहली नजर में यह मन्दिर बहुत पुराना नहीं लगता है हो सकता है कि इस मन्दिर का पुननिर्माण कराया गया हो। मन्दिर के बाहर लगे एक शिला पट से पता चलता है कि यह मन्दिर सन 1447 में मराठों ने बनवाया था। मन्दिर के अन्दर बने दीप स्तम्भ भी मराठा शैली के बारे में ही इंगित कर रहे है। तांत्रिक परम्परा में इस हरसिद्धी मन्दिर का विशेष महत्व बताया गया है। हो सकता है कि इसी मन्दिर के योगी ने राजा विक्रम को अपने तंत्रजाल में फ़ँसाकर भूत बेताल को पकड़ लाने का आदेश दिया हो। खैर इतिहास कुछ भी रहा हो, आप यहाँ की यात्रा फ़ोटो के जरिये करते रहिये।


Vikram and Betal (ghost)-Vikram Tekri विक्रम और बेताल भूत वाले राजा विक्रम का दरबार स्थल-विक्रम टेकरी

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राजा विक्रम का दरबार स्थल विक्रम टेकरी पहुँचने के बाद कुछ देर आराम किया। इसके बाद वहाँ काफ़ी देर तक अच्छी तरह राजा विक्रम का नवरत्न दरबार स्थल देखते रहे। यहाँ लिखे गये बोर्ड़ से यह जाना कि राजा विक्रम भारत के महान राजा क्यों माने गये है। यह वही राजा जिनके नाम पर भारत का अपना तिथि कैलेन्ड़र चलाया गया था। विक्रम संवत के नाम से जाने जाने वाला कैलेन्ड़र दुनिया का सबसे पहला कैलेन्ड़र है। आज वर्तमान दौर में हम जिस अंग्रेजी कैलेन्ड़र के बारे में जानते है उसका आगमन तो इन राजा के कैलेन्ड़र के बहुत सालों बाद हुआ था। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है आज विक्रम संवत का  2070 वर्ष चल रहा है। जबकि अंग्रेजी कैलेन्ड़र में अभी सन 2013 ही चल रहा है।


शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

Mahakaal Jyotiringa Temple-Ujjain महाकालेश्वर-महाकाल मन्दिर उज्जैन

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मन्दिर के आसपास बहुत ज्यादा भीड़ थी, उसमें उन्हे कहाँ तलाश करता? सोचा उन्हे फ़ोन ही लगा दूँ कि मैं मन्दिर के सामने वाली गली में ही हूँ। प्रेम सिंह ने फ़ोन पर कहा कि हम भी इसी गली में बनी दुकानों से सामान खरीद रहे है। मन्दिर की तरफ़ आते समय उल्टे हाथ वाली लाईन में हम मिल जायेंगे। मैं उन्हे देखता हुआ मन्दिर की ओर बढ़ता गया। मन्दिर से 100 मीटर पहले ही प्रेम सिंह एन्ड़ पार्टी वहाँ दिखायी दी। उनके माथे पर लगे लम्बे तिलक को देखकर मैं समझ गया कि यह सभी मन्दिर होकर आ चुके है। लेकिन फ़िर भी मैंने कहा कि मन्दिर में दर्शन करके आये कि नहीं। उन्होंने कहा कि हमने तो रात को भी आराम से दर्शन किये थे। सुबह भी पहले ही लाइन में लग गये थे जिससे जल्दी दर्शन हो गये। 


गुरुवार, 8 अगस्त 2013

Train Yatra-Delhi To Ujjain दिल्ली से उज्जैन तक ट्रेन यात्रा

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-01                              SANDEEP PANWAR
आज के लेख से जिस रेल यात्रा की शुरुआत की जा रही है पहले इसी के बारे में कुछ बाते हो जाये। जैसा कि आपको पता है कि मैं हर साल फ़ागुन महीने में आने वाली महाशिवरात्रि में किसी एक ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने जाता हूँ। पूरे भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिग स्थित है लेकिन कई पर वाद-विवाद भी है कि नहीं यह नहीं, हमारे वाला असली ज्योतिर्लिंग है। विवाद का भाग बनने वाले कई ज्योतिर्लिंग है जैसे महाराष्ट्र का औंढ़ानाग नाथ=गुजरात का नागेश्वर, बिहार अब झारखन्ड़ का बाबा वैधनाथ धाम=हिमाचल का बैजनाथ धाम=उतराखन्ड़ का बैजनाथ मन्दिर प्रमुख है। इन सभी मन्दिरों के पन्ड़े/पुजारी अपनी कमाई बढ़ाने के चक्कर में अपने वाले मन्दिर को असली ज्योतिर्लिंग बताते रहे है। जबकि भगवान तो हर जगह मौजूद है वो अलग बात है आजकल भगवान लम्बी तान के कहीं सो रहा है। पिछले 800 साल का इतिहास तो यही कहता है कि भगवान शायद कही नहीं है। यह दुनिया जिसकी लाठी उसकी भैस के सिद्धांत पर चल रही है। अरे शुरुआत की थी रेल यात्रा के नाम पर लेकिन बीच में भगवान का प्रवचन कहाँ से टाँग अड़ा कर बैठ गया?


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