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बुधवार, 20 अगस्त 2014

Trekking to Yamunotri temple यमुनौत्री मन्दिर की ट्रेकिंग

BIKE YATRA WITH WIFE-02

ऋषिकेश से उत्तरकाशी का मार्ग कई बार देखा जा चुका है इसलिये पता रहता है कि अब कौन सी जगह आयेगी? ऋषिकेश से चलते ही चढाई आरम्भ हो जाती है यह चढाई नरेन्द्रनगर होते हुए नागनी, फ़कोट जैसी जगहों से होती हुई आगे बढती है। चम्बा जाकर ही इस लगातार चढाई से छुटकारा मिल पाता है। चम्बा में हर सुविधा उपलब्ध है। चम्बा से आगे का मार्ग ढलान वाला है पहले यह मार्ग टिहरी डैम के निर्माधीन इलाके से होकर जाता था। जहाँ अब टिहरी झील का पानी होने से वह मार्ग पानी के नीचे समा चुका है। मैंने पुराना टिहरी शहर कई बार देखा है। शुरु की कुछ यात्रा बस की थी जिससे मुझे पुरानी टिहरी में गंगा पार बने बस अडडे तक जाने का मौका लगा था।
इस यात्रा के तीनों लेख के लिंक नीचे दिये गये है।
01- दिल्ली से हरिदवार व ऋषिकेश यात्रा।
02- उत्तरकाशी से यमुनौत्री मन्दिर तक
03- कैम्पटी फ़ॉल, मसूरी देहरादून दिल्ली तक

शुक्रवार, 9 मई 2014

Bageshwar to Delhi Via Almora बागेश्वर से अल्मोडा होते हुए दिल्ली तक

KUMAUN CAR YATRA-04                                                      SANDEEP PANWAR
पाताल भुवनेश्वर देखने के लिये जाते समय एक दुकान पर खीरे का रायता बोल कर गये थे। वापसी में उस दुकान से रायता पीकर ही आये। रायते के साथ आलू की चाट भी थी जिससे स्वाद कई गुणा बढ गया। जब तक राजेश जी ने गाडी मोडी। तब तक मैंने सडक किनारे के होटलों पर कमरों के दाम के बारे में पता किया। उन्होंने बताया कि 500 रु तक में कमरा मिल जायेगा। मेरे गाडी में बैठते ही राजेश जी गाडी लेकर चल दिये। वापसी में राई आगर के उसी होटल पर आइसक्रीम की पेट भर दावत खाने की बात तय हुई थी जहाँ रात को ठहरे थे। राई आगर पहुँचते ही आइसक्रीम का 5 लीटर वाला डिब्बा ले लिया। 

मंगलवार, 6 मई 2014

Patal bhuvaneshwar cave detail story पाताल भुवनेश्वर गुफ़ा का विस्तृत विवरण

KUMAUN CAR YATRA-03                                                       SANDEEP PANWAR
इस यात्रा में आपने शुरु के दो लेखों में दिल्ली से भीमताल, नौकुचियाताल व सातताल, नैनीताल, अल्मोडा होकर राई आगर तक की यात्रा पढी है अब उससे आगे चलते है। आज दिनांक 14 अप्रैल 2014 की बात है। रात में राई आगर के जिस होटल में ठहरे थे उसकी मालकिन से रात में ही तय कर लिया था कि सुबह गर्मा-गर्म पानी में स्नान करना है। अत: सुबह 6 बजे गर्मागर्म पानी आ भी गया। नहाने का साबुन लिया नहीं था जिस कारण नहाने में ज्यादा समय नहीं लगा। ठन्ड का मौसम था इसलिये फ़टाफ़ट नहाधोकर अपना सामान अपने बैग में समेट कर गाडी में जा बैठे। इस यात्रा में हम केवल एक जोडी कपडे लेकर ही गये थे। घर से चलते समय हरिदवार के लिये निकले थे। लेकिन उत्तराखण्ड के पिथौरागढ जिले में आ पहुँचे। यहाँ का मौसम काफ़ी ठन्ड वाला है जबकि दिल्ली में काफ़ी गर्मी थी। आज हमारी मंजिल धरती में 100 फ़ीट गहरे बेहद संकरे मार्ग वाली पाताल भुवनेश्वर है। 


शनिवार, 3 मई 2014

Nainital to Patal bhuvaneshwar Cave नैनीताल झील से पाताल भुवनेश्वर

KUMAUN CAR YATRA-02                                                       SANDEEP PANWAR

इस यात्रा के पहले लेख में आपने दिल्ली से रात भर चलकर सुबह-सुबह भीमताल, नौकुचियाताल व सातताल तक की यात्रा देखी। अब उससे आगे। हम चारों गाडी में सवार होकर नैनीताल के लिये बढ चले। आज दिनांक 13 अप्रैल 2014 की बात है। सातताल से नैनीताल जाने के लिये पहले भवाली पहुँचना होता है। भवाली कस्बे/बाजार से एक सीधा मार्ग अल्मोडा जाता है। जबकि ऊपर चढाई की तरफ़ उल्टे हाथ जाने वाला मार्ग नैनीताल व दिल्ली/काठगोदाम के लिये अलग होता है। इस मार्ग पर लगभग तीन किमी चलने के बाद एक तिराहा आता है यहाँ से दिल्ली वाला मार्ग नीचे की ओर कट जाता है जबकि नैनीताल वाला मार्ग ऊपर चला जाता है। हमें नैनीताल जाना था जाहिर है हम भी ऊपर वाले मार्ग पर चलते गये। यहाँ इस तिराहे से नैनीताल की दूरी मात्र 7 किमी ही रह जाती है। नैनीताल पहुंचते ही सबसे पहले नैनी झील के दर्शन हुए। नैनीताल में हमारा स्वागत बारिश ने किया।
 

शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

Let's go to Kumaun Region आओ उत्तराखण्ड के कुमायू क्षेत्र में घूमने चले।

KUMAUN CAR YATRA-01                                                       SANDEEP PANWAR
सन 2014 अप्रैल माह के शुरुआत की ही बात है। इस माह राजेश जी कई बार फ़ोन कर कह चुके थे कि संदीप जी चलो, कही भी चलो। मेरा मन हिमालय में कही चलने का हो रहा था। जबकि राजेश जी हरिदवार जाने की कह रहे थे। हरिदवार तो मैंने बीसियों बार देखा है। इसलिये वहाँ जाने का मन नहीं था। अजय भाई भी कई बार कह चुके थे कि संदीप भाई जी आपके साथ किसी यात्रा पर जरुर जाना है? दिनांक 8 को गुड फ़्राडे का अवकाश था। उसके अगले दिन शनिवार था। पहले अपनी भी शनिवार को छुट्टी रहा करती थी। लेकिन अब मात्र 6 घन्टे की नौकरी होने से केवल रविवार का ही अवकाश होता है। गुड फ़्राडे से पहले वाले सोमवार को चुनावी लाभ लेने के उद्देश्य से अम्बेडकर जयंती का अवकाश घोषित हो गया। अजय का फ़ोन आया भाई जी चलो कही भी चलो। मेरी तीन दिन की, व आपकी दो दिन की छुट्टी है।




शनिवार, 19 अप्रैल 2014

Bike Wife and Gangotri temple बाइक पर पत्नी के साथ गंगौत्री यात्रा

NACHIKETA TAAL-GANGOTRI-02                                                     SANDEEP PANWAR

बाइक पर नचिकेता ताल व गंगौत्री यात्रा के लेख के लिंक नीचे दिये गये है। 
01- इस यात्रा का पहला लेख नचिकेता ताल यहाँ है। 
02- उत्तरकाशी से गंगौत्री मन्दिर यात्रा 
उत्तरकाशी से उजाला होने से थोडा पहले ही गंगौत्री के लिये चल दिये। अभी उत्तरकाशी पार भी नहीं हुआ था कि एक होटल वाले ने हमारी बाइक पर दिल्ली का नम्बर देखकर रुकने का ईशारा किया। उसने कहा क्या आप होटल में ठहरना है? नहीं। उसने कहा कि वह केवल एक सौ रुपये चार्ज लेगा। हमें उससे पीछा छुडाने के लिये कह दिया कि ठीक है शाम को वापसी में तुम्हारे यहाँ ही रुकेंगे। उत्तरकाशी से 15 किमी बाद मनेरी बाँध आता है। यहाँ मनेरी में गंगा का पानी रोककर एक छोटा सा बान्ध बना दिया गया है। जिससे आसपास के गाँवों के लिये बिजली बनायी जाती है।

शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014

Bike Wife & Nachiketa Taal बाइक पर पत्नी के साथ नचिकेता ताल की यात्रा

NACHIKETA TAAL-GANGOTRI-01                                                     SANDEEP PANWAR

बाइक पर नचिकेता ताल व गंगौत्री यात्रा के लेख के लिंक नीचे दिये गये है। 
01- इस यात्रा का पहला लेख नचिकेता ताल यहाँ है। 
02- उत्तरकाशी से गंगौत्री मन्दिर यात्रा 

चलो, आज एक पुरानी यात्रा के बारे में बताया जाये। बात उस समय की है कि जब श्रीमति जी मेरे साथ पहली बार किसी बाइक यात्रा पर गयी थी। मेरी सबसे ज्यादा बाइक यात्रा उतराखन्ड में ही हुई है अत: जाहिर है कि श्रीमति जी के साथ पहली बाइक यात्रा भी उतराखण्ड की ही होनी थी। हम दोनों दिल्ली से बाइक पर सवार होकर उतराखण्ड घूमने चल दिये। पहले दिन हरिदवार तक जाना तय किया था। हरिदवार में रिश्ते की बुआ की सबसे छोटी लडकी का घर है। मैं पहली बार इनके घर हरिदवार इनकी शादी के बाद इन्हे लेने के लिये गया था। उसके बाद अब इस यात्रा में दूसरी बार इनके घर आना हुआ था।


मंगलवार, 28 मई 2013

Kotdwar-SidhBali Hanuman temple कोटद्धार का सिद्धबली हनुमान मन्दिर

ROOPKUND-TUNGNATH 16                                                                             SANDEEP PANWAR
कोटद्धार पार करने के बाद सिद्धबली नाम मशहूर मन्दिर सड़क किनारे दिखायी दे गया। अगर मन्दिर सड़क से कुछ किमी हटकर होता तो शायद हम वहाँ जाने की भी नहीं सोचते। लेकिन यहाँ तो मन्दिर सड़क के एकदम किनारे ही था बस एक नदी का छॊटा सा/लम्बा सा पुल पार करना होता है। इस पुल को पार करते हुए हम मन्दिर के ठीक सामने जा पहुँचे। वहाँ भीड़ के नाम पर मुश्किल से ही कोई दिखायी दे रहा था। इसलिए भीड़ ना होना भी हमारे लिये सोने पे सुहागा  वाली बात साबित हो गयी। भीड़ के कारण मैंने बहुत सारे मन्दिर बाहर से ही देखे है। मध्यप्रदेश, व पुरी यात्रा के दौरान मैंने शराब पीने वाले भैरव मन्दिर के दर्शन नहीं किये थे। बारी-बारी से मन्दिर के दर्शन कर आये। पहले मैं गया था इसलिये मनु का कैमरा साथ ले गया था। ज्यादातर फ़ोटो मैंने ही ले लिये थे। मेरे बाद मनु भी फ़टाफ़ट मन्दिर दर्शन कर वापिस आ गया। 




सोमवार, 27 मई 2013

Rudraparyag रुद्रप्रयाग व लैंसडोन LANSDOWNE

ROOPKUND-TUNGNATH 14                                                                             SANDEEP PANWAR
पराठे खाकर पेट को काफ़ी संतुष्टि मिली, अब शाम तक कही कुछ खाने की जरुरत ही नहीं थी। रुद्रप्रयाग की दूरी वहाँ से ज्यादा नहीं थी। रुद्रप्रयाग से कोई 2 किमी पहले एक मार्ग सीधे हाथ पर केदारगंगा नदी पर बनाये गये नये पुल से होकर ऋषिकेश के लिये कई साल बनाया गया है। मैं आज से लगभग 4 साल पहले अपनी इसी नीली परी पर, इस मार्ग से होकर जा चुका हूँ। इस मार्ग से जाने का सबसे बड़ा लाभ यही है कि रुद्रप्रयाग की भीड़-भाड से छुटकारा मिल जाता है। लेकिन हमें तो भीड से होकर ही अपनी यात्रा जारी रखनी थी, कारण रुद्रप्रयाग में दो नदियों अलकनन्दा व केदारगंगा के मिलन के फ़ोटो लेने का सवाल जो था। मैंने सारे प्रयाग कई-कई बार देखे हुए है इसलिये अब इनकी तरह देखने की इच्छा भी नहीं होती है। सबसे बड़ा और असली प्रयाग (इलाहाबाद) सिर्फ़ एक बार ही देखा है। रुपकुन्ड़ से आते समय चोपता जाते समय कर्णप्रयाग के दर्शन आपको कराये गये थे।



रविवार, 26 मई 2013

Ukhimath temple and Nature attack ऊखीमठ मन्दिर व कुदरत का कहर

ROOPKUND-TUNGNATH 13                                                                             SANDEEP PANWAR
चोपता से सुबह जल्दी निकलने की तैयारी थी, इसलिये रात में भी जल्दी ही सो गये थे। दिन में कही नहाने का मौका नहीं लगने वाला था इसलिये चोपता में नहाने का विचार बनाया भी, लेकिन चोपता की भयंकर ठन्ड़ देखकर इरादा बदल दिया गया। सुबह छ बजे से पहले ही अपनी बाइक पर सवार होकर ऊखीमठ के लिये प्रस्थान कर दिया। चोपता से ऊखीमठ की ओर जाते समय सड़क में लगभग 20 किमी तक जोरदार ढ़लान है। सुबह का समय था जिससे ठन्ड़ ज्यादा थी इसलिये हमें भी कोई ज्यादा जल्दी नहीं थी जिस कारण बाइक का इन्जन बन्द कर बाइक आगे बढ़ती रही। लगभग बीस किमी तक सुनसान, जंगल व ढ़लान भरे मार्ग पर बाइक चलाने के बाद बाइक स्टार्ट करने की नौबत आयी थी। ढ़लान समाप्त होने के बाद एक गांव आया था। बीच में जरुर होटल की तरह के एक-दो ठिकाने दिखायी दिये थे।


शनिवार, 25 मई 2013

Chandrashila चन्द्रशिला व सूर्यास्त

ROOPKUND-TUNGNATH 12                                                                             SANDEEP PANWAR

तुंगनाथ मन्दिर के बराबर से ही एक छोटी सी पगड़न्ड़ी वाला मार्ग ऊपर चन्द्रशिला की ओर जाता है। तुंगनाथ मन्दिर तो हमने देख लिया था लेकिन इस इलाके की सर्वाधिक ऊँची चोटी (4000 मीटर) चन्द्रशिला अभी हमसे 1.5 किमी ऊँचाई वाली दूरी पर थी। यह छोटी सी दूरी तय करने में ही जोरदार चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। तुंगनाथ केदार से 200 मीटर आगे जाने पर मार्ग Y आकार में बदल जाता है। यह तो हमारा अंदाजा था कि यहाँ हमें उल्टे हाथ ऊपर की ओर ही चढ़ना था लेकिन दूसरा मार्ग कहाँ जा रहा है? अगर दूसरे मार्ग के बारे में भी पता लग जाये तो सोने पे सुहागा रहेगा। दूसरे मार्ग पर कुछ मीटर चलते ही हमारे होश गुम होने वाली बात आ गयी। जी हाँ, यह कच्चा मार्ग तेजी से नीचे की ओर जाता हुआ दिखाई दे रहा था। इस पर एक छोटा सा बोर्ड़ लगा हुआ मिला जिस पर लिखा था कि यह मार्ग गोपेश्वर की ओर जाता है। पहाडों में पैदल पगड़ंड़ी कही की कही जा निकलती है, क्या पता, यह किस मार्ग से होकर गोपेश्वर जाती है? लेकिन जहाँ तक हमारा अंदाजा है कि यह मार्ग मंड़ल-चोपता मार्ग पर बीच में कही जाकर मिलता है।


शुक्रवार, 24 मई 2013

Tungnath highest altitude mandir/Temple तुंगनाथ मन्दिर (सबसे ऊँचाई वाला केदार)

ROOPKUND-TUNGNATH 11                                                                             SANDEEP PANWAR
चोपता से तुंगनाथ मन्दिर सिर्फ़ 3-4 किमी की दूरी पर ही है। जहाँ चोपता की समुन्द्रतल से ऊँचाई 2900 मीटर  के आसपास है, वही तुंगनाथ मन्दिर की समुन्द्रतल से ऊँचाई 3680 मीटर है। तुंगनाथ मन्दिर भगवान शंकर का विश्व में सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित मन्दिर है। यह पंच केदार भी आता है। इस मन्दिर तक पहुँचने का मार्ग कुछ वर्ष पहले तक कच्चा हुआ करता था लेकिन अब यहां का मार्ग 5-6  फ़ुट चौड़ाई का होने के साथ-साथ चोपता से लेकर मन्दिर तक पूरी तरह सीमेंटिड़ बना दिया गया है। चोपता में मुख्य सड़क पर तुंगनाथ जाने का मार्ग दिखायी देने लगता है। यहाँ एक प्रवेश द्धार भी बनाया गया है जिससे मार्ग के बारे में कोई शंका भी नहीं रहती है। यदि कोई अपने वाहन से भी आ रहा है तो मन्दिर की पद यात्रा आरम्भ होने वाले बिन्दु के पास अपना वाहन लावारिस हालत में छोड़कर मन्दिर के लिए बेफ़िक्र जाया जा सकता है।


मंगलवार, 21 मई 2013

Gopeshwar harbal garden गोपेश्वर हर्बल गार्ड़न

ROOPKUND-TUNGNATH 09                                                                             SANDEEP PANWAR
अपनी बाइक गोपेश्वर के हर्बल गार्ड़न के ठीक सामने जाकर रुकी। यह हर्बल गार्ड़न सड़क के मुकाबले गहराई में बनाया गया है जिस कारण यह काफ़ी दूर से ही दिखायी देना आरम्भ हो जाता है। हमने अपनी बाइक इसके गेट के ठीक सामने खड़ी कर दी। गेट के भीतर प्रवेश करते ही एक कमरा उल्टे हाथ दिखायी दिया। कमरे में जाकर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं मिला। हम गार्ड़न के पेड़-पौधे वाले भाग में प्रवेश करने चल दिये। अभी हम कुछ ही कदम चले थे कि गार्ड़न में कार्यरत दो औरते दिखायी दी। हमने उन औरतों से इस गार्ड़न में देखने व घूमने की अपनी इच्छा व्यक्त की, उन्होंने कहा आपका जहाँ तक मन करे, वहाँ तक घूम कर आये। हमने पेड़ पौधे के फ़ोटो लेने के बारे में भी कहा तो जवाब सकारात्मक मिला कि कोई बात नही। आप जैसा चाहे वैसे घूमिये, बस पौधों को कोई नुक्सान मत पहुँचाना। 


मंगलवार, 14 मई 2013

Vaan to Aadi Badri वाण गाँव की दुकान का ताला तोड़ने के बाद आदि बद्री तक

ROOPKUND-TUNGNATH 07                                                                             SANDEEP PANWAR
मनु ने अपनी बाइक वाण गाँव के पोस्टमैन की दुकान से बाहर निकाल ली। मेरी बाइक कुछ 200 मीटर आगे वाण गाँव की आखिरी दुकान के सामने लावारिस हालत में खड़ी थी। यहाँ हमारे साथ एक पंगा हो गया कि मेरी बाइक तो बाहर सड़क पर ही खड़ी थी। लेकिन मैंने अपना कपाल सुरक्षा कवच जिस दुकान में रखा था व अब बन्द थी। आसपास पता किया लेकिन दुकान वाले का कही अता-पता नहीं चल पा रहा था कि दोपहर में कहाँ गायब हो गया है? उसकी कोई सूचना ना मिलती देख उसका इन्तजार करने के अलावा और कोई इलाज सम्भव नहीं था। पोस्ट मैन की दुकान के ठीक सामने एक टेलर की दुकान है उन्होंने हमारी परेशानी देखते हुए कहा कि मेरे पास उस दुकान वाले के भाई का मोबाइल नम्बर है। यहाँ हमारे मोबाइल भी काम नहीं कर रहे थे।



सोमवार, 13 मई 2013

Vaan village (Laatu Devta) वाण गाँव की सम्पूर्ण सैर (लाटू देवता मन्दिर सहित)

ROOPKUND-TUNGNATH 07                                                                             SANDEEP PANWAR

अंधेरा होते-होते हम वाण पहुँच चुके थे। मनु भाई का पोर्टर कम गाईड़ कुवर सिंह काफ़ी पहले ही आगे भेज दिया गया था। उसे सामान बचा हुआ सामान वापिस करने के लिये कह दिया था। जैसे ही हम पोस्ट मास्टर गोपाल बिष्ट जी के यहाँ पहुँचे तो देखा कि कुवर सिंह सारे सामान सहित वही जमा हुआ है। मनु भाई गोपाल जी के यहाँ एक रात रुककर रुपकुन्ड़ के लिये गये थे। गोपाल जी यहाँ के ड़ाकिया Postman भी है। इसके साथ वह एक दुकान स्वयं चलाते है जो वाण स्टेशन के कच्चे सड़क मार्ग के एकदम आखिरी में ही आती है। मनु भाई ने तो अपनी बाइक भी इन्ही की दुकान में पार्क की हुई थी। इन्होंने हमसे 50 रुपये प्रति बन्दे ठहरने के व 50 रुपये प्रति थाली भोजन के लिये थे। कमरे पर आते ही गोपाल जी को हाथ मुँह धोने के लिये थोड़ा सा गर्म पानी करने के लिये व एक घन्टे में भोजन बनाने के लिये भी लगे हाथ कह दिया था।


Aali Bugyal to Vaan Village आली बुग्याल से वाण गाँव तक

ROOPKUND-TUNGNATH 06                                                                             SANDEEP PANWAR
वेदनी बुग्याल के ऊपर-ऊपर बनी पगड़न्ड़ी से होते हुए हम अली बुग्याल की ओर बढ़ते रहे। वेदनी और अली आपस में लगभग जुड़े हुए से दिखाये देते है। जब यहाँ बर्फ़ का साम्राज्य चारों ओर होता है तब दोनों में अलगाव रेखा का निर्धारण करना कठिन काम है। एक मोड़ पर जाकर अली बुग्याल का 2 किमी लम्बा मार्ग दिखायी देने लगता है। तेजी से समतल पगड़न्ड़ी पर बढ़ते हम अली बुग्याल के नजदीक पहुँचते जा रहे थे। आखिरकार कुछ देर में हम अली बुग्याल पहुँच ही गये। जिस मौसम में हम गये थे उस समय हरी घास सूख कर सुनहरी रुप धारण कर चुकी थी। आसपास के नजारे देखकर वापिस लौट चले। बताते है कि अली बुग्याल पर सर्दी में आकर स्केटिंग करने का अपना मजा है। यहां आने के कई मार्ग है।



रविवार, 12 मई 2013

Bhagubasa-Roopkund-Aali Bugyal भागूबासा-रुपकुन्ड़-आली बुग्याल तक

ROOPKUND-TUNGNATH 05                                                                             SANDEEP PANWAR
पत्थर नौचनी पहुँचकर मेरी नजर सामने वाले पहाड़ पर गयी पूरा पहाड़ बर्फ़ से ढ़का हुआ था। जैसे जैसे मार्ग आगे बढ़ता जा रहा था यह साफ़ होता जा रहा था कि मुझे इस पहाड़ के शीर्ष पर चढ़कर आगे जाना है। मार्ग में रात की गिरी हुई ताजी बर्फ़ खतरनाक हालात पैदा कर रही थी। कुछ जगह तो चलने लायक पगड़न्ड़ी भी नहीं बची हुई थी। जिस कारण बर्फ़ पर पैर धसा कर ऊपर चढ़ना पड़ रहा था। अरे बाप रे, ओ ताऊ रे, अरी माँ री, जैसे शब्द यहाँ बच्चे लगने लगे। खैर किसी तरह मैंने आज के दिन की सबसे बड़ी बाधा पार कर ही ली। ऊपर चढ़ते समय पसीने आने का ड़र लगातार बना हुआ था। इसलिये मैंने शरीर पर हवा लगने के लिये अपनी विन्ड़ शीटर की चैन खोल दी थी। अन्दर एक बनियान व कमीज मात्र पहनी हुई थी। 


शनिवार, 11 मई 2013

Vedni Bugyal to Kalu Vinayak वेदनी बुग्याल से कालू विनायक तक

ROOPKUND-TUNGNATH 04                                                                             SANDEEP PANWAR
वेदनी पहुँचते-पहुँचते घनघोर अंधेरा हो गया था। रात का समय था ज्यादा कुछ दिखायी भी नहीं दे रहा था। आसमान में अपनी चमक बिखेरने वाला चाँद भी ना जाने कहाँ गायब हो गया था। थोड़ा आगे जाने पर वेदनी कैम्प की लाईट दिखायी देने लगी। जैसे-जैसे कैम्प के पास पहुँचते जा रहे थे। ठन्ड़ बढ़ती ही जा रही थी। ठन्ड़ का प्रकोप तो मार्ग में भी था लेकिन पैदल चलते रहने के कारण शरीर लगातार गर्म बना रहता है इसलिये ठन्ड़ अपना असर नहीं दिखा रही थी। कैम्प के पास पहुँचते ही घोड़े वालों ने अपना सामान उतारना शुरु कर दिया। दो नौजवान कुछ पीछे चल रहे थे, उन्होंने मोबाइल की टॉर्च जलाई हुई थी जिससे वे आते हुए दिख भी रहे थे। अंधेरे में कैम्प के पास मेरा पैर गीली मिटटी में चले जाने से जूते पर मिटटी लग गयी थी। 


बुधवार, 8 मई 2013

Vaan to Vedni Bugyal वाण से वेदनी बुग्याल तक

ROOPKUND-TUNGNATH 03                                                                           SANDEEP PANWAR

वाण गाँव की आखिरी दुकान वाले से अपनी आगामी दो दिन की ट्रेकिंग के लिये जरुरी खाने लायक 5-6 बिस्कुट के पैकेट ले लिये। अपना हैलमेट लोक करने की जगह उस दुकान में ही रखवा दिया। जहाँ से अपने खाने के लिये सामान लिया था। वापसी में बाइक तो यहाँ से लेनी ही थी इसलिए हैलमेट बाइक पर बाँधने से क्या लाभ? अभी दिन छिपने में तीन घन्टे बाकि थे। जिसमें मैं आसानी से 10 किमी की चढ़ाई चढ़ सकता था। मैंने दुकानवाले से पता किया कि यहाँ से अगला ठिकाना कितने किमी बाद है? दुकानवाले ने बताया कि यदि आपके पास स्लीपिंग बैग हो तो यहाँ से आगे गैरोली पाताल नामक जगह पर रात रुकने का प्रबंध हो सकता है लेकिन अपने सामान के बिना वहाँ रुकने की सम्भावना ना के बराबर ही है। यदि आप आज किसी भी तरह वेदनी तक पहुँच जाओ तो वहाँ अकेले बन्दे के लिये रहने की कोई समस्या नहीं आयेगी।


सोमवार, 6 मई 2013

Baijhnath temple & Kot bhramri temple बैजनाथ महादेव मन्दिर व कोट भ्रामरी मन्दिर

ROOPKUND-TUNGNATH 02                                                                             SANDEEP PANWAR

सड़क किनारे एक बोर्ड़ दर्शा रहा था कि यहाँ हजारों साल पुराना मन्दिरों का समूह है। यह मन्दिर भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन होना चाहिए। चलो जब मन्दिर सामने ही है तो इसे भी देख ही आता हूँ। बाइक सड़क किनारे खड़ी कर सामने नीचे की ओर जाती हुई सीढियों पर उतरना शुरु कर दिया। लगभग 100 मीटर चलने के बाद मन्दिर के प्रांगण मॆं प्रवेश हुआ। मन्दिर के परिसर पर पहली नजर जाते ही पलके झपकनी बन्द हो गयी, कुछ पल वही खड़ा होकर मन्दिर परिसर को निहारता रहा। मन्दिर परिसर में बहुत सारे मन्दिर दिखायी दे रहे थे। इन सभी मन्दिरों में सिर्फ़ एक मन्दिर सबसे बड़ा था बाकि सभी मन्दिर बहुत छोटे थे। कुछ मन्दिर तो 3-4 फ़ुट तक के ही बने हुए थे। मन्दिर के ठीक सामने एक गरुड़ गंगा नामक नदी अपने स्वच्छ व साफ़ शीशे जैसे जल को साथ लेकर बह रही थी। इस मन्दिर समूह को बैजनाथ मन्दिर कहते है।


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