प्रयाग काशी पद यात्रा-
इस सफ़र में सारा कुछ जो भी घर से सोच कर आये थे, प्रयाग, शहीद चन्द्रशेखर पार्क, आनन्द भवन, संगम तट, व काशी तक का पैदल मार्ग, काशी के सारे घाट, सारनाथ अब कुछ नहीं बचा था। दोनों खत्म समय भी, व देखने लायक जगह भी, अत: अब बारी थी घर की ओर कूच करने की,
इसके बाद हम यहाँ से एकदम फ़्री हो गये थे। शाम के चार बजने वाले थे। पता चला, कि यहाँ का रेलवे स्टेशन आधा किलोमीटर दूरी पर ही है, तो रेलवे स्टेशन देखने के लिये चल दिये। जब स्टेशन पहुँचे, तो देखा कि एक ट्रेन खडी थी, पता किया तो मालूम हुआ कि कि ये ट्रेन काशी/बनारस/वाराणसी, हण्डिया होते हुए, इलाहाबाद तक जायेगी। बस फ़िर क्या था, ले लिये तीन-तीन रुपये के तीन टिकट और जा बैठे ट्रेन के अंदर डिब्बे में, डिब्बे के अंदर से ही स्टेशन के नाम वाला फ़ोटो भी खींचा था। दस पंद्रह मिनट बाद ही ट्रेन चल पडी। कोई आधा घंटा लिया होगा, हमें वाराणसी सिटी तक लाने में, वाराणसी सिटी पर जब ट्रेन को खडे हुए डेढ घंटा हो गया तो सब्र खत्म होने लगा, बातों बातों में मालूम हुआ कि यह ट्रेन यहाँ पर तीन-चार घंटे तक खडी रहती है, फ़िर भी हम छ: बजे तक इस ट्रेन के चलने का इंतजार किया, इसके बाद हम आटो से अगले स्टेशन जो कि वाराणसी कैण्ट के नाम से है, जा पहुँचे।
ये फ़ोटो ट्रेन के डिब्बे के अन्दर से लिया था