दोपहर में दोना/डोना पाउला (दो सच्चे प्रेमी,) बीच देखने के बाद वापिस मुख्य कैम्प में लौट आये थे। अब हमारे पास कई घन्टे आराम करने के नाम पर रिक्त थे, लेकिन हम जैसे ऊँत खोपड़ी वाले प्राणी/जन्तु को आराम करने का विचार भी दिन में नहीं आ पाता था। मन में हमेशा एक सनक रहती थी कि चलो आसपास कुछ और देख आये, इसी चक्कर में हम कैम्प के ठीक पीछे समुन्द्र किनारे जा पहुँचे थे, यहाँ कमल अपने साथ अपना लैप-टॉप वाला छोटा थैला भी ले आया था, टैन्ट में अकेले किसके भरोसे छोड़ते? लेकिन इस बैग में कमल भाई अपने लिये कुछ माल मसाला भी लाये थे। जिसे उदर में ड़कारने से पहले अनिल ने उसके साथ एक फ़ोटो खिचवा लिया था। वहाँ एकदम सुहानी-मस्तानी ठन्डी पुरवायी चल रही थी, जिस कारण हमारे वहाँ दो घन्टे कब बीत गये? हमें पता ही नहीं लग पाया था।
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अनिल का बीयर पीने का स्टाइल |