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शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

Madmaheshwar trek- An Incomplete journey मध्यमहेश्वर की अधूरी यात्रा

बारिश का पानी या बर्फ इन खेतों में भरा हो तो असली सीढी दिखाई दे


दोस्तों, इस लेख की यात्रा दिनांक 11-05-2014 को की गयी थी। वैसे तो इस लेख को लिखने का कोई मन नहीं था क्योंकि यह मेरी पहली अधूरी यात्रा थी। अधूरी सूचना के आधार पर ही यह यात्रा करने की कोशिश की गयी थी। अधूरी सूचना वाली बात को ही इस लेख को लिखने का कारण मान कर, मैं यह लेख लिख रहा हूँ। आजकल सोशल मीडिया फेसबुक आदि पर कुछ लोग यात्राओं के बारे में सूचना देते रहते है कि आज इस जगह का मार्ग बन्द हो गया है या खुल गया है। आज इस धाम का कपाट खुल गया है। ऐसी ही एक सूचना को देख मैं घर से निकल पडा था। इस यात्रा में मेरे साथ क्या-क्या बीती वही सब कुछ इस लेख में समाहित करने की कोशिश की गयी है।
ऊखीमठ- मध्यमहेश्वर की अधूरी यात्रा की कहानी UKHIMATH & Madhyamaheswar an Incomplete journey.  

गुरुवार, 9 जून 2016

Madhyamaheshwar kedar trek मध्यमहेश्वर केदार ट्रैक

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-06           लेखक SANDEEP PANWAR
इस यात्रा के सभी लेखों के लिंक नीचे दिये गये है। जिस पर क्लिक करोगे वही लेख खुल जायेगा।
 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
रांसी में जिस जगह मैंने रात बितायी थी। उनके घर के सामने ही बस खडी होती है यहाँ से बस रुद्रप्रयाग, हरिद्वार व ऋषिकेश के लिये चलती है। रांसी से मदमहेश्वर की दूरी करीब 16 किमी है रात में ही मैंने तय कर लिया था कि सुबह उजाला होने से पहले चल दूंगा। ताकि अंधेरा होने तक वापसी आने की उम्मीद बन सके। सुबह उजाला होने से पहले गोंडार के लिये चल दिया। रांसी से गोंडार तक, शुरु के एक किमी कच्ची सडक है। जिस पर जगह-जगह पत्थर पडे हुए थे कही जगह भूस्खलन के कारण मार्ग बन्द जैसा दिखता था लेकिन पैदल यात्री के लिये कोई समस्या नहीं थी। चौडी कच्ची सडक जहाँ समाप्त होती है वहाँ से कुछ आगे तक पहाड काटा हुआ है। करीब दो किमी बाद एक जगह से अचानक पगडन्डी गायब हो जाती है। यहाँ एक झोपडी बनी हुई है। अब पगडन्डी समानतर न होकर अचानक नीचे खाई में जाती हुई दिखायी दी। यहाँ सीढियाँ बनी हुई है जिस पर करीब 50 फुट नीचे उतरना पडा। सीढियों के समाप्त होते ही एक बार फिर समतल सी पगडन्डी आ गयी। सुबह जब से चला था तब से लगातार ढलान पर उतर रहा था। यह ढलान वापसी में रुलायेगी। सीढियों के समाप्त होते ही घनघोर जंगल भी शुरु हो जाता है। घनघोर जंगल में अकेले होने पर मन में डर सा बना रहता है कि कोई भालू-वालू ना टकरा जाये।

शनिवार, 4 जून 2016

Vaan to Madhyamaheshwar kedar trek वाण गाँव से मध्यमहेश्वर केदार यात्रा

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-05           लेखक SANDEEP PANWAR

इस यात्रा के सभी लेखों के लिंक नीचे दिये गये है। जिस पर क्लिक करोगे वही लेख खुल जायेगा।
 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
अपनी बाइक नीली परी के पास चलते है। तीन दिन हो गये। उसके दर्शन नहीं हुए। बेचारी नीली परी नीचे सडक किनारे सुनसान अकेली खडी होगी। बाइक जैसी छोडकर गया था ठीक वैसी ही खडी थी। पहाडों में वैसे भी छेडछाड की घटना कम ही होती है। कुछ खुराफाती बाइकों से पैट्रोल निकाल लेते है। इसलिये पहाड में ध्यान से देखोगे तो आपको पहाड की अधिकतर बाइकों में पैट्रोल टंकी के नीचे ताला मिलेगा। टंकी के नीचे जहाँ से तेल रिजर्व लगता है या बन्द किया जाता है उसी में ताले का प्रबन्ध किया जाता है। जिसके बाद चाबी से ही तेल बन्द या रिजर्व लग पाता है। बाइक से चाबी निकालोगे तो तेल बन्द हो जाता है। इसका लाभ यह होता है बाइक से तेल चोरी होने की सम्भावना समाप्त हो जाती है। आज मेरा इरादा मदमहेश्वर के आधार स्थल रांसी से आगे के गाँव तक बाइक से पहुँचने का था। इसलिये अंदाजा लगाया कि सुबह 9 बजे भी वाण से चलूँगा तो आराम से अंधेरा होने से पहले रांसी पहुँच जाऊँगा।


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