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गुरुवार, 29 अगस्त 2013

Bhedaghat to Amarkantak भेड़ाघाट से अमरकंटक

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धुआँधार से भेड़ाघाट आते समय ऑटो वाले ने जिस चौराहे पर उतारा था वहाँ से धुआँधार की दूरी लगभग 7 किमी रह जाती है जबलपुर वहाँ से सीधे हाथ 17 किमी दूर है। उल्टे हाथ वाला मार्ग पीपरिया/पंचमढ़ी के लिये चला जाता है। अब बचा चौथा मार्ग यह छोटा सा ग्रामीण मार्ग जरुर है लेकिन पक्की काली सड़क सीधे भेड़ाघाट स्टेशन के लिये चली जाती है। मेरे साथ ऑटो में दो लोग और भी थे जो भेड़ाघाट स्टेशन पर जाना चाहते थे लेकिन उन्हे भूख लगी थी इसलिये वे वही तिराहे/चौराहे पर कुछ खाने के लिये रुक गये। मैंने अकेले ही स्टेशन की ओर चलना शुरु कर दिया। यह तो पहले ही पता लग चुका था कि यहाँ से भेड़ाघाट का स्टेशन लगभग दो किमी दूरी पर है अत: मैं अपनी धुन में पैदल चलता चला गया। पैदल चलते हुए मुझे एक साईकिल पर सामान बेचने वाला एक बन्दा दिखायी दिया। उसके पास खाने के लिये मीठे व मूँगफ़ली को मिलाकर बनायी गयी कुछ स्वादिष्ट वस्तु थी। 10 रु की मीठी सामग्री लेकर मैं आगे बढ़ चला। 


बुधवार, 28 अगस्त 2013

Dhuandhaar boating point with Jain Muni भेड़ाघाट के नौका विहार स्नान घाट के दर्शन

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-16                              SANDEEP PANWAR
भेड़ाघाट के तहस-नहस किये गये चौसट योगिनी मूर्तियाँ वाले मन्दिर को देखने के बाद वहाँ के घाट देखने के लिये चल दिया। मुख्य सड़क पर ढ़लान की दिशा में आगे बढ़ते समय सड़क पर ठीक सामने एक मन्दिर जैसा भवन दिखायी दे रहा था। मैंने सोचा कोई मन्दिर-वन्दिर होगा। लेकिन उसके पास जाकर मालूम हुआ कि यह कोई मन्दिर नहीं, बल्कि किसी की याद में बनायी जाने वाली कोई छतरी है। इसके पास ही यहाँ का एकमात्र सरकारी गेस्ट हाऊस भी है। यदि वहाँ गेस्ट हाऊस का बोर्ड़ ना लगा हो तो कोई यह अंदाजा भी नहीं लगा सकता है कि यहाँ कोई गेस्ट हाऊस भी हो सकता है। धुआँधार विश्राम गृह में मुझे कोई काम नहीं था इसलिये मैं सीधा नौका विहार वाले मार्ग पर चलता रहा।

शनिवार, 24 अगस्त 2013

Chaunsath 64 yogini temple चौसट योगिनी मन्दिर

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-15                              SANDEEP PANWAR
भेड़ाघाट के रेस्ट हाऊस की ओर चलते हुए सडक पर 64 योगिनी नामक मन्दिर का बोर्ड दिखायी देता है। सड़क से देखने पर पहली नजर में मन्दिर तो मन्दिर मन्दिर का कोई अंश भी दिखायी नहीं देता। मन्दिर ऊपर कही पहाड़ी पर बना होगा। जहाँ तक पहुँचाने के लिये पत्थर की बनी हुई पक्की सीढियाँ दिखायी दे रही थी। मैंने उन सीढियों से ऊपर पहाड़ी पर चढ़ना शुरु कर दिया। जैसे-जैसे ऊपर की ओर जाता जा रहा था शरीर कहने लगता कि रुक जा जरा साँस तो ले ले, ऐसी क्या जल्दी है जो दे दना-दना भागे जा रहा है। साँस फ़ूलने की समस्या तो चढ़ाई पर आती ही है अब चढ़ाई चाहे श्रीखन्ड़ की हो या मणिमहेश की या 64 योगिनी मन्दिर की ही क्यों ना रही हो। मुझे साँस सामान्य करने के लिये बीच में एक बार रुकना पड़ा।


गुरुवार, 22 अगस्त 2013

Dhuandhaar water fall to 64 Yogini Temple धुआँधार प्रपात से चौसट योगिनी मन्दिर तक

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-14                              SANDEEP PANWAR
धुआँधार जलप्रपात देखकर व नहाने के उपराँत मैंने नर्मदा के साथ-साथ नदी के जल की धारा के विपरीत दिशा में चलने का फ़ैसला कर लिया। सुबह से यहाँ बैठे हुए कई घन्टे बीत चुके थे। जैसे-जैसे मैं आगे बढ़ता जा रहा था नर्मदा भी उछल कूद मचाती हुई मेरी ओर चली आ रही थी। मैं नर्मदा के पानी से दूरी बनाकर चल रहा था अन्यथा नर्मदा मुझे पकड़ लेती। यहाँ नदी की धारा का बहाव काफ़ी तेज है जिस कारण पानी काफ़ी तेजी से नीचे की ओर भागता चला जाता है। पानी तेजी से लुढ़कने के कारण नदी में पानी काफ़ी धमालचौकड़ी मचाता हुआ उछल-उछल कर आगे चलता रहता है। पानी उछलने का मुख्य कारण तेज ढ़लान व नदी के बीच में बड़े पत्थर का होना है। थोड़ा आगे जाने पर एक मैदान आता है जहाँ पर कुछ लोग नहा धोकर अपने कपड़े सुखाने में लगे पड़े थे। यही नदी की धारा के साथ किनारे पर पड़े हुए पत्थरों में बने डिजाइन को देखकर मुझे कुछ मिनट वही ठहरना पड़ा, क्योंकि नदी किनारे पड़े पत्थरों पर वैसे ही आकृति बनी हुई थी जैसी आकृति समुन्द्र किनारे के खारे पानी की मार के कारण वहाँ की चट्टानों की हो जाती है।


बुधवार, 21 अगस्त 2013

Bhedaghat Dhuandhaar water fall भेड़ाघाट का धुआँधार जलप्रपात

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-13                              SANDEEP PANWAR
जब मैं धुआँधार जल प्रपात के ठीक सामने पहुँचा तो वहाँ का नजारा देख मेरे आश्चर्य का ठिकाना ही नहीं रहा। मेरी आँखों के सामने वह झरना था जिसके बारे में मैं अभी तक सुनता आया था अब मुझे इसे देखने से कोई नहीं रोक सकता था। इस प्रपात का नाम धुआँधार क्यों पड़ा? इसे देख कर यह अंदाजा लगाना आसान है कि पानी जिस भयंकर मात्रा में ऊँचाई से गिरता है उस हालत में यहाँ पर पानी के दवाब का असर ही है जो पानी नीचे गिरने पर धुआँ-धुआँ होने लगता है। पानी की धार ऊँचाई से गिरने पर धुआँ का रुप धारण कर लेती है इसलिये इसे धुआँधार कहते है। दूर से देखने पर ऐसा लगता था जैसे कि नदी किनारे किसी ने आग लगाई हो और उस आग से धुआ उठ रहा हो। जहाँ खड़े होकर मैंने फ़ोटो लिये थे वहाँ ज्यादा देर खड़े रहना मुश्किल हो रहा था क्योंकि धुएँ के रुप में उड़ता पानी मुझे भिगोने के लिये मेरी ओर उड़कर चला आता था।


मंगलवार, 20 अगस्त 2013

Jabalpur to Bhedagath जबलपुर से भेड़ाघाट धुआँधार जलप्रपात तक

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-12                              SANDEEP PANWAR
ट्रेन में रात सोते हुए कब बीती? पता ही नहीं लग पाया! सुबह जब आँख खुली और खिड़की से बाहर झाँक कर देखना चाहा कि कौन सा स्टेशन आने वाला है? घड़ी के हिसाब से तो अपना स्टेशन अभी नही आया था। लेकिन जैसे ही तेज गति से भागती ट्रेन से भेड़ाघाट नामक स्टेशन पीछे छूटता दिखायी दिया तो आँखे चौकन्नी हो गयी। मैंने साथ बैठी सवारियों से पूछा कि क्या भेड़ाघाट स्टेशन से धुआँधार झरने तक पहुँचने में आसानी है या यह भेड़ाघाट कोई और स्टॆशन का नाम है? मेरे पास बैठे एक महोदय ने बताया कि यही भेड़ाघाट का मुख्य स्टेशन है लेकिन यहाँ सिर्फ़ सवारी/लोकल रेल ही रुकती है लम्बी दूरी वाली रेलगाडियाँ यहाँ नहीं रुकती है। लेकिन अगर किसी को भेड़ाघाट जाना हो तो वो क्या करेगा? उसके लिये उसे मदन-महल नामक स्टेशन पर उतरना होगा। मदन महल क्यो? जबलपुर क्यों नहीं? मैंने उनसे सवाल किया। उन्होंने कहा कि जबलपुर से कई किमी पहले मुख्य स्टेशन मदन महल है जहाँ लम्बी दूरी की लगभग सभी रेल गाडियाँ रुकती है। यहाँ से भेड़ाघाट जाना नजदीक पड़ता है जबकि जबलपुर से भेड़ाघाट जाने वाला सड़क मार्ग भी मदन महल से होकर ही गुजरता है।


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