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सोमवार, 3 सितंबर 2012

FIRST GAUMUKH TREKKING पहली गौमुख ट्रेकिंग/यात्रा, भाग 2 (टिहरी-उत्तरकाशी-गंगनानी)


टैम्पो में हल्का सा झटका, सडक पर आये छोटे से गडडे में पहिया आने के कारण महसूस हुआ था। जैसे ही झटका लगा, मैंने पीछॆ मुडकर देखा तो काली सायी रात में ठीक से यह भी दिखाई नहीं दिया था। कि असली में वह गडडा था या कोई छोटा सा पत्थर पडा हुआ था। जब हमारा टैम्पो उस पुलिया से आधे किमी से भी ज्यादा दूरी पार कर गया तो टैम्पो चालक बोला “अब कोई खतरा नहीं है।” यह सुनकर सबकी जान, जो पता नहीं कहाँ अटकी पडी थी? वापस शरीर में आ गयी, जिससे सबके चेहरे चहकने लगे। मैंने व कई सवारियों ने उससे पूछा कि आखिर वहाँ उस पुलिया पर भूत वाली कहानी क्या है? तब चालक ने बताया था कि कुछ दिन पहले एक औरत सडक पार करते हुए किसी गाडी की चपेट में आ गयी थी। जिसके बाद अक्सर यहाँ पर उसी पुलिया के आसपास, जहाँ उसकी मौत हुई थी, वह भूत के रुप में अचानक गाडी के सामने आ जाती है जिस कारण कई वाहन चालक उसको असली औरत समझते हुए उसको बचाने के चक्कर में अपना वाहन दुर्घटनाग्रस्त कर बैठते है। वैसे मैं दिन में कई बार उस पुलिया के पास थोडी देर रुककर गया हूँ, लेकिन मुझे दिन में वहाँ ऐसा-वैसा कुछ दिखाई नहीं दिया। अब भूत की सच्चाई का भी मैं कुछ नहीं कह सकता कि वहाँ सच में भूत था या फ़िर ऐसे ही डराने के लिये अफ़वाह उडायी हुई थी।

पहाड में एक गांव।

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