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सोमवार, 27 मई 2013

Rudraparyag रुद्रप्रयाग व लैंसडोन LANSDOWNE

ROOPKUND-TUNGNATH 14                                                                             SANDEEP PANWAR
पराठे खाकर पेट को काफ़ी संतुष्टि मिली, अब शाम तक कही कुछ खाने की जरुरत ही नहीं थी। रुद्रप्रयाग की दूरी वहाँ से ज्यादा नहीं थी। रुद्रप्रयाग से कोई 2 किमी पहले एक मार्ग सीधे हाथ पर केदारगंगा नदी पर बनाये गये नये पुल से होकर ऋषिकेश के लिये कई साल बनाया गया है। मैं आज से लगभग 4 साल पहले अपनी इसी नीली परी पर, इस मार्ग से होकर जा चुका हूँ। इस मार्ग से जाने का सबसे बड़ा लाभ यही है कि रुद्रप्रयाग की भीड़-भाड से छुटकारा मिल जाता है। लेकिन हमें तो भीड से होकर ही अपनी यात्रा जारी रखनी थी, कारण रुद्रप्रयाग में दो नदियों अलकनन्दा व केदारगंगा के मिलन के फ़ोटो लेने का सवाल जो था। मैंने सारे प्रयाग कई-कई बार देखे हुए है इसलिये अब इनकी तरह देखने की इच्छा भी नहीं होती है। सबसे बड़ा और असली प्रयाग (इलाहाबाद) सिर्फ़ एक बार ही देखा है। रुपकुन्ड़ से आते समय चोपता जाते समय कर्णप्रयाग के दर्शन आपको कराये गये थे।



रविवार, 26 मई 2013

Ukhimath temple and Nature attack ऊखीमठ मन्दिर व कुदरत का कहर

ROOPKUND-TUNGNATH 13                                                                             SANDEEP PANWAR
चोपता से सुबह जल्दी निकलने की तैयारी थी, इसलिये रात में भी जल्दी ही सो गये थे। दिन में कही नहाने का मौका नहीं लगने वाला था इसलिये चोपता में नहाने का विचार बनाया भी, लेकिन चोपता की भयंकर ठन्ड़ देखकर इरादा बदल दिया गया। सुबह छ बजे से पहले ही अपनी बाइक पर सवार होकर ऊखीमठ के लिये प्रस्थान कर दिया। चोपता से ऊखीमठ की ओर जाते समय सड़क में लगभग 20 किमी तक जोरदार ढ़लान है। सुबह का समय था जिससे ठन्ड़ ज्यादा थी इसलिये हमें भी कोई ज्यादा जल्दी नहीं थी जिस कारण बाइक का इन्जन बन्द कर बाइक आगे बढ़ती रही। लगभग बीस किमी तक सुनसान, जंगल व ढ़लान भरे मार्ग पर बाइक चलाने के बाद बाइक स्टार्ट करने की नौबत आयी थी। ढ़लान समाप्त होने के बाद एक गांव आया था। बीच में जरुर होटल की तरह के एक-दो ठिकाने दिखायी दिये थे।


बुधवार, 15 मई 2013

Karanparyag-Nandprayag-Chamoli-Gopeshwar कर्णप्रयाग-नन्दप्रयाग-चमोली-गोपेश्वर

ROOPKUND-TUNGNATH 08                                                                             SANDEEP PANWAR

रात के लगभग 8 बजे के आसपास हमने कर्णप्रयाग में प्रवेश किया। यहाँ रात में ठहरने के लिये एक विश्राम स्थल की तलाश में लग गये। पहले हमने ग्वालदम कर्णप्रयाग सड़क पर कमरे तलाशे, लेकिन इस सड़क पर कई मैरिज होम में शादी के कार्यक्रम होने के कारण कमरे खाली नहीं मिले। हमे एक बन्दे ने कहा कि आप बद्रीनाथ मार्ग पर जाओ वहाँ कमरे खाली होंगे। हमने अपनी बाइक कर्णगंगा नदी के पुराने पुल से निकालते हुए बद्रीनाथ ऋषिकेश मार्ग पर पहुँचा दी। यहाँ तिराहे के पास ही कई होटल, गेस्ट हाऊस थे जिनमें दो में बात करने पर ही हमें एक में 400 रुपये में कमरा मिल गया। कमरे की हालत बहुत ही अच्छी थी। हमारी बाइक कमरे के नीचे मुख्य सड़क पर रात भर खड़ी रही। मन में खटका सा रहा कि कोई बाइक उड़ा ना दे, लेकिन पहाड़ में अभी तक मैदान वाले चोर ज्यादा नहीं घुसे है।


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