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बुधवार, 4 दिसंबर 2013

sarahan bhimakali temple सराहन का भीमकाली मन्दिर

किन्नौर व लाहौल-स्पीति की बाइक यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये है।
11- सतलुज व स्पीति के संगम (काजिंग) से नाको गाँव की झील तल
12- नाको गाँव की झील देखकर खतरनाक मलिंग नाला पार कर खरदांगपो तक
13- खरदांगपो से सुमडो (कौरिक बार्ड़र) के पास ममी वाले गियु गाँव तक (चीन की सीमा सिर्फ़ दो किमी) 
14- गियु में लामा की 500 वर्ष पुरानी ममी देखकर टाबो की मोनेस्ट्री तक
15- ताबो मोनेस्ट्री जो 1000 वर्ष पहले बनायी गयी थी।
16- ताबो से धनकर मोनेस्ट्री पहुँचने में कुदरत के एक से एक नजारे
17- धनकर गोम्पा (मठ) से काजा
18- की गोम्पा (मठ) व सड़क से जुड़ा दुनिया का सबसे ऊँचा किब्बर गाँव (अब नहीं रहा)
20- कुन्जुम दर्रे के पास (12 km) स्थित चन्द्रताल की बाइक व ट्रेकिंग यात्रा
21- चन्द्रताल मोड बातल से ग्रामफ़ू होकर रोहतांग दर्रे तक
22- रोहतांग दर्रे पर वेद व्यास कुन्ड़ जहां से व्यास नदी का आरम्भ होता है।
23- मनाली का वशिष्ट मन्दिर व गर्म पानी का स्रोत

KINNAUR, LAHUL SPITI, BIKE TRIP-04                       SANDEEP PANWAR

राम राम ज्यूरी से सराहन की दूरी मात्र 17 किमी ही है। यह 17 किमी की दूरी लगातार जानदार चढ़ाई वाली है। जिस कारण बाइक तेजी से नहीं भगायी जा सकती है हमें यह दूरी तय करने में 1/2 घन्टा लग गया था सराहन पहुँचने से पहले 1 किमी से ज्यादा लम्बाई वाले सेना के कैन्ट जैसे इलाके के बीच से होकर निकलना पड़ता है। सेना के इलाके में कैमरे से फ़ोटो लेने से बचना चाहिए, नहीं तो खतरनाक पंगा कब शुरु हो जाये पता ही नहीं लगता। वो अलग बात है कि आतंकवादी या आतंक फ़ैलाने वाले या स्टिंग करने वाले कब उनकी फ़िल्म उतार ले? उन्हें पता भी नहीं चलता है। इस सड़क पर जाते समय बीच सड़क एक पेड़ कुछ इस तरह लटका हुआ था कि उसकी टहनियाँ दूर से देखने में ऐसी लग रही थी जैसे कोई औरत अपने बाल बिखेर कर बीच सड़क खड़ी हो। 

सोमवार, 12 अगस्त 2013

Harsiddhi Temple सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी मन्दिर

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-05                              SANDEEP PANWAR
सम्राट वीर विक्रमादित्य के नवरत्न दरबार के एकदम नजदीक ही सीधे हाथ पर हरसिद्धी देवी का मन्दिर है। इस देवी मन्दिर को राजा विक्रम की आराध्य कुल देवी भी कहा जाता है। यह मन्दिर देखने में भी काफ़ी शानदार है लेकिन पहली नजर में यह मन्दिर बहुत पुराना नहीं लगता है हो सकता है कि इस मन्दिर का पुननिर्माण कराया गया हो। मन्दिर के बाहर लगे एक शिला पट से पता चलता है कि यह मन्दिर सन 1447 में मराठों ने बनवाया था। मन्दिर के अन्दर बने दीप स्तम्भ भी मराठा शैली के बारे में ही इंगित कर रहे है। तांत्रिक परम्परा में इस हरसिद्धी मन्दिर का विशेष महत्व बताया गया है। हो सकता है कि इसी मन्दिर के योगी ने राजा विक्रम को अपने तंत्रजाल में फ़ँसाकर भूत बेताल को पकड़ लाने का आदेश दिया हो। खैर इतिहास कुछ भी रहा हो, आप यहाँ की यात्रा फ़ोटो के जरिये करते रहिये।


गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

Naina Devi Temple नैना देवी मन्दिर से ज्वाला जी तक

हिमाचल स्कारपियो-बस वाली यात्रा-02                                                                   SANDEEP PANWAR

इस यात्रा के पहले लेख में आपको यहाँ हिमाचल के बिलासपुर जिले में माता नैना देवी मन्दिर तक पहुँचने की कहानी के बारे में विस्तार से बताया गया था। अब उससे आगे.....  हमने नैना मन्दिर पहुँचने के बाद अपने महाराष्ट्र वाले दोस्तों को तलाश करना शुरु किया। चूंकि यह कस्बा कोई बहुत ज्यादा बड़ा नहीं है इसलिये हमें उन्हे तलाश करने में ज्यादा समय नहीं लगा। संतोष तिड़के व उसके दोस्त दो बाइक पर ही महाराष्ट्र से यहाँ नैना देवी तक तीन दिन में ही आ गये थे। पहले दिन वे चारों मेरे साथ मेरे घर पर ही रुके थे। अगले दिन हमारा कार्यक्रम बाइक से साथ ही हिमाचल यात्रा पर जाने का था लेकिन अचानक स्कारपियो से जाने के कारण सिर्फ़ महाराष्ट्र वाली बाइके ही इस यात्रा में आ पायी थी। नैना देवी पहुँचने के बाद हमने उनकी बाइक वहाँ के होटलों में देखनी शुरु की थी, हमने लगभग चार-पाँच होटल ही देखें होंगे कि उनकी बाइक दिखायी दे गयी। होटल वालों ने बताया कि वे घन्टा भर से ऊपर गये है अब तो आते ही होंगे।

जय हो प्रभु

यही मुख्य मन्दिर है।

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