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रविवार, 15 अक्टूबर 2017

Shikari Devi Mata Temple शिकारी माता देवी मन्दिर यात्रा



बिजली महादेव-पाराशर झील-शिकारी देवी, यात्रा-04   लेखक -SANDEEP PANWAR

इस यात्रा में आप हिमाचल के कुल्लू जिले स्थित बिजली महादेव व मंडी जिले में स्थित सुन्दर बुग्याल जिसे हम पाराशर झील की यात्रा कर चुके हो। अब आपको मन्डी जिले की सबसे ऊँची चोटी शिकारी देवी की ओर चल रहे है। इस यात्रा को आरम्भ से पढने के लिये यहाँ क्लिक करना न भूले। इस लेख की यात्रा दिनांक 30-07-2016 को की गयी थी
Shikari Mata Devi Higest peak of Mandi District शिकारी देवी, (शिकारी माता) मन्डी जिले की सबसे ऊँची चोटी

बुधवार, 11 अक्टूबर 2017

Parashar Rishi Lake on top of beautiful Mountain पाराशर ऋषि झील के सुन्दर पर्वत की यात्रा



बिजली महादेव-पाराशर झील-शिकारी देवी यात्रा-02   लेखक -SANDEEP PANWAR

इस यात्रा में आप हिमाचल के कुल्लू जिले स्थित बिजली महादेव के दर्शन कर चुके हो तो चलो अब हम चल रहे है मंडी जिले में स्थित सुन्दर बुग्याल की ओर, जिसे हम पाराशर झील के नाम से जानते है। पराशर झील के बाद आपको मन्डी जिले की सबसे ऊँची चोटी शिकारी देवी की यात्रा भी मिलेगी। इस यात्रा को आरम्भ से पढने के लिये यहाँ क्लिक करना न भूले। इस लेख की यात्रा दिनांक 28-07-2016 से आरम्भ की गयी थी
PARASHAR RISHI LAKE, beautiful greenery mountain पाराशर ऋषि झील व सुन्दर बुग्याल में भ्रमण।

सोमवार, 9 अक्टूबर 2017

Trek to Bijli Mahadev temple बिजली महादेव की यात्रा


बिजली महादेव, पाराशर झील व शिकारी देवी यात्रा-01 लेखक -SANDEEP PANWAR

इस यात्रा सीरिज में आप हिमाचल के कुल्लू जिले स्थित बिजली महादेव के दर्शन करेंगे तो मंडी जिले में स्थित सुन्दर बुग्याल में पाराशर झीलसबसे ऊँची चोटी शिकारी देवी की यात्रा करने का मौका मिलेगा। इस यात्रा को आरम्भ से पढने के लिये यहाँ क्लिक करना न भूले। इस लेख की यात्रा दिनांक 27-07-2016 से आरम्भ की गयी थी
BIJLI MAHADEV TREKKING बिजली महादेव की ट्रैकिंग व दर्शन
आओ बिजली महादेव के दर्शन करे।

शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2017

Trek complete on the top of Kund village कुन्ड गांव की चोटी पर ट्रैक समाप्त


देहरादून-मालदेवता यात्रा-04                                      लेखक -SANDEEP PANWAR
इस यात्रा में अभी तक देहरादून में गंधक पानी में स्नान सहस्रधाराटपकेश्वर मंदिर के दर्शन उपरांत मालदेवता से आगे ट्रैकिंग मार्ग में गंधक पानी के श्रोत तक यात्रा कर चुके हो। इस लेख में स्नान के बाद कुन्ड गाँव तक की भयंकर चढाई के बारे में पढने के इच्छुक है तो इस यात्रा का यह अंतिम भाग अवश्य पढ लीजिए। इस यात्रा को आरम्भ से पढने के लिये यहाँ क्लिक करना न भूले। इस लेख की यात्रा दिनांक 14 & 15-08-2016 को की गयी थी
DANGER TREK-Maldevta to Kund Village सौंदणा गाँव से कुंड गाँव तक खतरनाक ट्रैकिंग
जौंक का आतंक

बुधवार, 4 अक्टूबर 2017

Trekking to Kund village Via Gandak stream कुन्ड गाँव की ट्रैकिंग वाया गंधक पानी



देहरादून-मालदेवता यात्रा-03                                      लेखक -SANDEEP PANWAR
देहरादून की इस यात्रा में अभी तक गंधक पानी में स्नान सहस्रधाराटपकेश्वर मंदिर के दर्शन उपरांत मालदेवता की यात्रा हो चुकी है। मालदेवता से आगे ट्रैकिंग मार्ग में गंधक पानी के श्रोत में स्नान के बाद कुन्ड गाँव तक की भयंकर चढाई के सुख-दुख, के पलों के बारे में पढने के इच्छुक है तो इस यात्रा पर साथ बने रहिए।
इस लेख की यात्रा दिनांक 14 & 15-08-2016 को की गयी थी
SAUNDNA VILLAGE to Gandak Kund सौंदणा गाँव से गंधक कुंड तक ट्रैकिंग
गंधक पानी में स्वर्ग की अनुभूति

सोमवार, 16 जनवरी 2017

Trekking to Saddle peak, Highest peak of Andaman Islands अंडमान की सबसे ऊंची सैडल पीक की ट्रेकिंग

ANDAMAN, PORTBLAIR YATRA-09                   SANDEEP PANWAR



उत्तरी अंडमान के अंतिम छोर डिगलीपुर पहुँचकर सबसे पहले कालीपुर तट पर कछुओं का प्रजनन स्थल वाला बीच देखा। इस लेख में आपको अंडमान निकोबार द्वीप समूह की सबसे ऊँची चोटी सैडल पीक की ट्रेकिंग वाली यात्रा करायी जायेगी। यदि आप अंडमान की इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ माऊस से चटका लगाये और पूरे यात्रा वृतांत का आनन्द ले। यह यात्रा दिनांक 23-06-2014 को की गयी थी।
अंडमान निकोबार LAMIA BAY, NATURE TRAIL TO SADDLE PEAK NATIONAL PARK, DIGLIPUR
हमारे होटल TURTLE RESORT, KALIPUR के सामने वाली सडक डिगलीपुर से शुरु होकर होटल से 5 किमी आगे तक जाती है। होटल डिगलीपुर से 25 किमी आगे आता है। जहाँ यह सडक समाप्त होती है। वहाँ से आगे अंडमान की सबसे ऊँची चोटी सैडल पीक तक पहुँचने के लिये 8 किमी की ट्रैंकिंग करनी पडती है। आज हम सैडल पीक की ट्रैकिंग करने जा रहे है। अपना सामान तो हमने होटल में छोड रखा है। हमें आज की रात भी इसी होटल में ही रुकना है।

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

Satopanth Lake trek & Swargarohini trek सतोपंथ ताल व स्वर्गरोहिणी पर्वत



स्वर्गरोहिणी पर्वत व सतोपंथ ताल यात्रा।
दोस्तों, अभी तक आपने पढा व देखा कि हम चक्रतीर्थ से आगे ग्लेशियरों के ऊपर से होकर सतोपंथ तक पहुँचे। सुबह के 10 बजे सतोपंथ पहुँचे। अच्छी खासी धूप खिली हुई थी। धूप का आनन्द लेने के लिये बैग एक तरफ रख घास में लुढक गये। खुले आसमान के नीचे यू निढाल होकर घास में लौटने का सुख, ऐसे ही नसीब नहीं हो जाता है। इसके लिये कठिन पद यात्रा करनी होती है। कई घंटे की थकान के बाद यू पैर फैलाकर आराम करने का सुख, करोडों की दौलत के ऐशों आराम भी नहीं दिला सकते। मैं और सुमित आधा घंटा ऐसे ही बैठे रहे। आज की यात्रा सिर्फ 2-3 किमी की ही रही। हम कल भी यहाँ आराम से पहुँच सकते थे। हमारे ग्रुप में एक-दो ढीले प्राणी भी थे। उन्हे भी साथ लेना होता था। इस यात्रा में अमित व सुमित ही ऐसे बन्दे थे जो मेरी तरह धमा-धम चलने वाले थे। बाकि सभी मस्तखोर थे। आगे बढने के नाम पर तेजी से सरकते ही नहीं थे। हम ठिकाने पर काफी पहले पहुँच जाते थे। कई भाई तो तीन-तीन घंटे लेट आते देखे गये। पता नहीं रास्ते में बैठ कर सो जाते थे या गपशप करने लग जाते थे। अपना पूरा ग्रुप लगभग ठीक था। बस एक दो छुटपुट घटनाये इस पूरी यात्रा में हुई। जिसका मुझे बहुत बुरा लगा। मुझे किसी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन साथी को बिन चेतावनी कोई बुरा कहे तो वह भी गलत लगता है। मान सम्मान सबका होता है। खैर, मैं अभी यहाँ, किसी का नाम उजागर नहीं कर रहा हूँ। हो सकता है लेख के अन्त में कुछ ईशारा आपको मिल जाये।

स्वर्गरोहिणी, स्वर्ग की सीढी, मरने का शौंक है तो चढ जाओ, भाई

गुरुवार, 29 दिसंबर 2016

Trek to Satopanth Lake सतोपंथ झील का ट्रैक



महाभारत काल के 5 पाँडवों अंतिम यात्रा की गवाह, स्वर्गरोहिणी पर्वत व पवित्र झील सतोपंथ की पद यात्रा।

दोस्तों, अभी तक आपने पढा कि सतोपंथ व स्वर्गरोहिणी के लिये हमारी यह यात्रा बन्द्रीनाथ, माणा, आनन्द वन, चमटोली बुग्याल, लक्ष्मी वन, सहस्रधारा होते हुए चक्रतीर्थ के ठीक सामने एक विशाल पहाडी धार तक पहुँच चुकी थी। अब चलते है उससे आगे। पोर्टर से पता लगा कि इसी धार को चढकर ही पार करना होगा तभी उस पार जाया जा सकता है। सामने वाली उस धार को दूर से देखकर वहाँ की ठंडी में ही पसीने आ रहे थे। कल सुबह उस पर चढेंगे तो पता लगेगा कि यह क्या हाल करती है? शाम को एक अन्य ग्रुप के दो-तीन पोर्टर आगे सतोपंथ की ओर जा रहे थे। मैं उन पोर्टर को उस धार पर चढने में लगने वाले समय को देखने लगा। उन पोर्टर ने हमारे टैंट से लेकर उस धार की चोटी तक जाने में 45 मिनट का समय लगाया। दूरी रही होगी, एक सवा किमी के आसपास। पोर्टर को सामान के साथ जितना समय लगा है। मैं मान रहा हूँ कि हमें अपने सामान के साथ उसके बराबर समय लग ही जायेगा। चलो, कल देखते है यह धार कितनों की नानी याद दिलायेगी। चक्र तीर्थ की धार तो कल सुबह देखी जायेगी। अभी तो दिन के तीन ही बजे है हल्की-हल्की बारिश भी शुरु हो। पहले इस बारिश से ही निपटते है। आज, जहाँ हम ठहरे हुए है, वहाँ बडे-बडे तिरछे पत्थर की कुदरती बनी हुई दो गुफा थी। एक गुफा में हमारे पोर्टर घुस गये। दूसरी गुफा पर जाट देवता व सुमित ने कब्जा जमा लिया। बीनू व कमल ने मेरी व सुमित की गुफा के सामने ही अपना टैंट लगा डाला। जिस गुफा में हम अपना ठिकाना बना रहे थे उसकी छत वैसे तो बहुत मोटे पत्थर की थी लेकिन उस मोटे पत्थर का गुफा के दरवाजे वाले किनारे वाला भाग भूरभूरा हो गया था। जिससे वह पकडते ही टूटने लग जाता था। 
ध्यान मग्न

सोमवार, 26 दिसंबर 2016

Trekking to the base of Neelkanth, Charan Paduka, Badrinath चरण पादुका व नीलकंठ पर्वत के आधार की ओर



बद्रीनाथ धाम में आये तो यह सब भी देखे।
इस यात्रा में अभी तक आपने पढा कि कैसे हम दिल्ली से एक रात व एक दिन में हरिद्वार से बद्रीनाथ तक बस से यात्रा करते हुए पहुँचे। सबसे पहले बद्री-विशाल मन्दिर के दर्शन करने पहुँचे। वहाँ से लौट कर कमरे पर वापिस आये तो देखा कि सभी साथी मन्दिर दर्शन से लौट कर आ चुके थे। सबसे मुलाकात की। यहाँ सिर्फ़ दो साथी अलग मिले तो दिल्ली से साथ नहीं आये थे। एक सुशील कैलाशी भाई जो पटियाला से आये थे और दूसरे रमेश शर्मा जो उधमपुर जम्मू से आये थे। हरिद्वार से सुशील व रमेश जी उसी बस में साथ आये थे जिस में अन्य सभी साथी सवार थे। मुझे और बीनू को अलग बस के चक्कर में इन दोनों से बद्रीनाथ पहुँचकर ही मिलना हो पाया। बीनू का कैमरा उसके बैग में ही रह गया था।
इस यात्रा में कुछ पुराने साथी थे जिनसे पहले भी मुलाकात हो चुकी है

1 कमल कुमार सिंह जिन्हे नारद भी कहते है। बनारस के रहने वाले है।
2 बीनू कुकरेती बरसूडी गाँव, उत्तराखण्ड के रहने वाले है।
3 अमित तिवारी को बनारसी बाबू कहना ज्यादा उचित है।
4 सचिन त्यागी मंडौली दिल्ली के रहने वाले है।

नये दोस्त, जो इस यात्रा में पहली बार मिले, इनसे पहली बार मुलाकात हुई।

1 योगी सारस्वत गाजियाबाद में रहते है।
2 संजीव त्यागी दिल्ली के कृष्णा नगर के निवासी है।
 3 विकास नारायण ग्वालियर के रहने वाले है।
4 सुमित नौटियाल श्रीनगर, उत्तराखन्ड के रहने वाले है।
5 सुशील कैलाशी पटियाला, पंजाब के रहने वाले है।  
6 रमेश शर्मा उधमपुर, जम्मू के रहने वाले है।

सोमवार, 13 जून 2016

Return from Rudranath kedar Trek रुद्रनाथ केदार ट्रैक से वापसी

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-1         लेखक SANDEEP PANWAR

इस यात्रा के सभी लेखों के लिंक नीचे दिये गये है। जिस पर क्लिक करोगे वही लेख खुल जायेगा।
 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
हल्की–हल्की बारिश होने लगी तो मैंने बैग रखने के बारे में बोला। पुजारी जी ने अपने सेवक से एक कमरा खोलने को कहा। सेबक हमें लेकर एक कमरे के सामने पहुँचा। कमरे की बाहर से कुन्डी लगी हुई थी। सेवक ने कमरा खोलने के बाद कहा। आप अपना सामान रखकर थोडी देर में आ जाना। मैं और पुजारी जी शाम की पूजा की तैयारी करने वाले है। थोडी देर में शंख की आवाज सुनकर हम कमरे से बाहर निकले। कमरा ज्यादा बडा नहीं था। उसमें पूरी तरह खडा नहीं हुआ जा रहा था। जूते निकाल कर चप्पत पहन ली। कमरे से बाहर निकलते ही जबरस्त ठन्ड का अहसास हो गया। कुछ देर पहले तक सूरज निकला हुआ था तो पता नहीं लग पा रहा था सूरज गायब तो ठन्ड का प्रकोप शुरु। गर्म चददर निकाल कर ओढ ली।

रविवार, 12 जून 2016

Rudranath kedar Trek रुद्रनाथ केदार ट्रैक

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-09           लेखक SANDEEP PANWAR
इस यात्रा के सभी लेखों के लिंक नीचे दिये गये है। जिस पर क्लिक करोगे वही लेख खुल जायेगा।
 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
रुद्रनाथ भगवान भोले नाथ के पंच केदार में सबसे कठिन केदार माने जाते है। मैंने भी इसके बारे में बहुत सुना था यहाँ तक पहुँचना बहुत कठिन है। रात को सगर गाँव के सोनू गेस्ट हाऊस में ठहरा था। इस बार रुपकुन्ड यात्रा के बाद यहाँ आया हूँ। दो साल पहले मैं और मनु रुपकुन्ड यात्रा के बाद यहाँ रुद्रनाथ की यात्रा करने के लिये आये थे लेकिन दो दिन पहले रुद्रनाथ के कपाट बन्द हो गये थे तो हम दोनों वापिस लौट गये थे। रुद्रनाथ के बाद मेरा कल्पेश्वर केदार व काठमांडू का मुख्य केदार बचता है। कुछ लोग काठमांडू वाले मन्दिर को पंच केदार में नहीं मानते है जबकि देखा जाये तो असली केदार तो वही है जहाँ भोलेनाथ का चेहरा धरा से बाहर निकलना था। सोनू गेस्ट हाऊस के मालिक अवकाश प्राप्त फौजी है। उन्होंने सेना से रिटायरमेंट के बाद यह रेस्ट हाऊस बनाया था। यहाँ भी उन्होंने मुझसे मात्र 100 रु किराया लिया। व 50 रु खाने के लिये। मैंने कहा, सीजन कैसा जा रहा है उन्होंने बताया कि इस सीजन में किसी-किसी दिन तो एक भी यात्री रुद्रनाथ के लिये नहीं जाता है। केदारनाथ हादसे के बाद अभी तक यात्री पहाड पर आने में हिचक रहे है। कोई नहीं, भारत के लोग किसी घटना को ज्यादा दिनों तक याद नहीं रखते है जल्द ही लोग यहाँ जुटने लगेंगे। सुबह उजाला होने की आहट मिलते ही मैंने रुद्रनाथ की कठिन कही जाने वाली पद यात्रा की शुरुआत कर दी।

शनिवार, 11 जून 2016

Anusuya Devi and Atri Muni Ashram अनुसूईया देवी, अत्रि मुनि मन्दिर

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-08           लेखक SANDEEP PANWAR
इस यात्रा के सभी लेखों के लिंक नीचे दिये गये है। जिस पर क्लिक करोगे वही लेख खुल जायेगा।
 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
खैर रोमांचक जंगल सफारी भी समाप्त हुई। मंडल पहुँचने के बाद चाय की दुकन के आगे बाइक रोकी। उससे अनुसूईया देवी मन्दिर जाने वाले मार्ग के बारे में पूछा। चाय वाले ने (माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी नहीं समझ लेना) बताया कि यहाँ से थोडा सा पहले ऊपर की तरफ एक कच्चा मार्ग जाता हुआ दिखायी देगा। उस पर एक किमी तक बाइक चली जायेगी। एक किमी के बाद एक नदी आयेगी जहाँ से आगे की 5 किमी की यात्रा पैदल ही करनी होगी। 5 किमी में से चढाई वाले कितने किमी है। शुरु के आधे तो हल्के से ही है जबकि आखिरी का आधा भाग अच्छा खासा है। मैंने 10 किमी की ट्रेकिंग में आने जाने में 3-4 घन्टे का समय माना। बाइक का तो ताला लग जायेगा। लेकिन मेरा बैग व अन्य सामान कहाँ छोड कर जाऊँ? मैंने चाय वालो को एक गिलास दूध मीठा करने के लिये बोला। जब तक उसने दूध मीठा किया मैंने बाइक से सामान खोलकर उसकी दुकान में रख दिया। दुकान वाले ने बताया कि यदि रात को ऊपर रुकने का मन हो तो रुक जाना वहाँ रहने-खाने की कोई चिंता नहीं है सब इन्तजाम है। आपकी दुकान कब से कब तक खुलती है? उसने बताया कि अंधेरा होने पर मेरी दुकान बन्द होती है।

गुरुवार, 9 जून 2016

Madhyamaheshwar kedar trek मध्यमहेश्वर केदार ट्रैक

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-06           लेखक SANDEEP PANWAR
इस यात्रा के सभी लेखों के लिंक नीचे दिये गये है। जिस पर क्लिक करोगे वही लेख खुल जायेगा।
 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
रांसी में जिस जगह मैंने रात बितायी थी। उनके घर के सामने ही बस खडी होती है यहाँ से बस रुद्रप्रयाग, हरिद्वार व ऋषिकेश के लिये चलती है। रांसी से मदमहेश्वर की दूरी करीब 16 किमी है रात में ही मैंने तय कर लिया था कि सुबह उजाला होने से पहले चल दूंगा। ताकि अंधेरा होने तक वापसी आने की उम्मीद बन सके। सुबह उजाला होने से पहले गोंडार के लिये चल दिया। रांसी से गोंडार तक, शुरु के एक किमी कच्ची सडक है। जिस पर जगह-जगह पत्थर पडे हुए थे कही जगह भूस्खलन के कारण मार्ग बन्द जैसा दिखता था लेकिन पैदल यात्री के लिये कोई समस्या नहीं थी। चौडी कच्ची सडक जहाँ समाप्त होती है वहाँ से कुछ आगे तक पहाड काटा हुआ है। करीब दो किमी बाद एक जगह से अचानक पगडन्डी गायब हो जाती है। यहाँ एक झोपडी बनी हुई है। अब पगडन्डी समानतर न होकर अचानक नीचे खाई में जाती हुई दिखायी दी। यहाँ सीढियाँ बनी हुई है जिस पर करीब 50 फुट नीचे उतरना पडा। सीढियों के समाप्त होते ही एक बार फिर समतल सी पगडन्डी आ गयी। सुबह जब से चला था तब से लगातार ढलान पर उतर रहा था। यह ढलान वापसी में रुलायेगी। सीढियों के समाप्त होते ही घनघोर जंगल भी शुरु हो जाता है। घनघोर जंगल में अकेले होने पर मन में डर सा बना रहता है कि कोई भालू-वालू ना टकरा जाये।

शनिवार, 4 जून 2016

Roop kund trek- Shilasamundra to Vaan रुपकुण्ड ट्रैक- शिला समुन्द्र से वाण गाँव तक

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-04           लेखक SANDEEP PANWAR
इस यात्रा के सभी लेखों के लिंक नीचे दिये गये है। जिस पर क्लिक करोगे वही लेख खुल जायेगा।
 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
शिला समुन्द्र से वापसी में मुझे जुरां गली (जुनार गली) तक ही चढाई चढनी थी जुनार गली के बाद तो वाण तक उतराई ही उतराई है। वो मार्ग देखा हुआ भी है। मैं रात को 10 बजे तक भी वाण पहुँच ही जाऊँगा। सुबह 9 बजे जुनार गली से यहाँ के लिये उतरा था वापसी में जुनार गली तक पहुँचने में 11:45 हो गये। ठीक 12:00 बजे रुपकुन्ड पहुँचा। अब यहाँ काफी लोग थे। मैं कही नहीं रुका। रुपकुन्ड चढने में मुझे समस्या नहीं आयी लेकिन यहाँ से उतरने में कई बार बैठकर उतरना पडा। दो तीन जगह फिसलने वाला मार्ग था जिस पर चढते समय बन्दा आसानी से चढ जाता है लेकिन उतराई में गिरकर चोट लगने का खतरा बन जाता है। 12:35 मिनट पर चिडिया नाग नमक जगह पहुँचा। चिडिया नाग से आगे मार्ग आसान हो जाता है। भगुवा बासा पहुँचकर समय देखा 01:29 मिनट हो गये थे। कलुवा विनायक 2 वजे तक पार हो गया। आज खोपडी खराब थी। भूख भी नहीं लगी थी। इसलिये कही रुककर क्या करना था। पातर नचौनी 3 बजे तक पहुँच गया। वेदनी पहुँचते-पहुँचते शाम के 04:30 बज गये। जिस दुकान पर कल चावल खाये थे। सोचा कि सुबह से खाली पेट हूँ कुछ बना होगा तो खा लूँ। दुकान वाला बोला पराँठे रखे है उसने पराँठे दिखाये वो शायद दोपहर के बने हुए थे। उन्हे देखकर भूख भी गायब हो गयी।

Trek to Roopkund lake's skeleton mystery रुपकुण्ड झील के रहस्यमयी नर कंकाल का ट्रैक

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-03           लेखक SANDEEP PANWAR

इस यात्रा के सभी लेखों के लिंक नीचे दिये गये है। जिस पर क्लिक करोगे वही लेख खुल जायेगा।
 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
रुपकुन्ड के कंकाल देखने के लिये दुनिया भर से लोग आते है। इन कंकाल के यहाँ होने के पीछे की असली कहानी किसी को नहीं मालूम। यहाँ के बारे में कई कहानियाँ प्रचित है। मुझे उन कहानियों से कोई मतलब नहीं है। मेरे सामने जो कपाल खोपडी दिख रही है जिसका फोटो इस लेख में लगाया गया है उसे ध्यान से देखे तो पता लगता है उसके माथे पर चोट का निशान है। यह चोट का निशाना कैसे बना यह रहस्य की बात है। रुपकुन्ड झील में मुझे काफ़ी पानी दिख रहा है जिसमें पानी के ठीक ऊपर बहुत सारी हड्डियाँ भी मिटटी के बाहर निकली हुई दिख रही है। कुछ हड्डियाँ तो फोटो लेने वालों ने निकाल कर बाहर रखी हुई है। इन हड्डियों के बीच एक चमडे की बडी चप्पल भी दिखायी देती है उसे ध्यान से देखे तो आज के दौर की नहीं लगती है यह चप्पल कई सौ साल पुरानी है। यहाँ जिन लोगों के अवशेष बिखरे हुए है उनके साथ असलियत में क्या घटना हुई होगी। यह जानना थोडा मुश्किल है। जितने मुँह उतनी बाते रुपकुन्ड के कंकाल के बारे में सुनने को मिलते है। कुछ तो वेदनी से आगे वाले पडाव घोडा लौटनी व पत्थर नाचनी को भी इन्ही कंकाल से जोड रहे है कि खैर मैं कहानी के चक्कर में नहीं पड रहा हूँ। यहाँ रुपकुन्ड में मुझे आये हुए आधा घन्टा हो चुका है अभी मेरी मंजिल रुपकुन्ड से आगे वाले पहाड पर है उसके लिये पहले जुनार गली तक पहुँचना होगा।


शुक्रवार, 3 जून 2016

Nanda Devi Rajjat Yatra 2014, Part-2 नन्दा देवी राज जात यात्रा सन 2014- भाग 2

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-02           लेखक SANDEEP PANWAR
इस यात्रा के सभी लेखों के लिंक नीचे दिये गये है। जिस पर क्लिक करोगे वही लेख खुल जायेगा।
 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
इससे पहले मैं वाण से रुपकुन्ड की यात्रा का वर्णन करुँ। यह बताना आवश्यक है कि अब वाण तक पक्की सडक बन चुकी है इसका लाभ मैंने दोनों यात्राओं में उठाया था। दो साल पहले 2012 वाली यात्रा के समय लोहाजंग से वाण वाली सडक पक्की नहीं थी। अब राज जात यात्रा के समय यह सडक पक्की बना दी गयी है। पहले वाण गाँव तक बिजली भी नहीं थी अब बिजली के खम्बे भी दिखायी दे रहे थे। पहले वाले लेख में आपको बताया ही जा चुका है कि यह यात्रा कहाँ से आरम्भ होती है। नन्दा देवी राजजात लगभग 280 किमी की पद यात्रा होती है। यह उत्तराखण्ड की सबसे लम्बी पद यात्रा है। यह यात्रा वैसे तो 12 साल बाद होमकुन्ड तक जाती है लेकिन वाण आकर पता लगा कि इस यात्रा का एक छोटा रुप हर साल वेदनी कुन्ड तक आता है। 12 साल वाली राज जात यात्रा कहलाती है जो वेदनी बुग्याल व वेदनी कुन्ड से आगे रुपकुन्ड, शिलासमुन्द्र होकर होमकुन्ड तक जाती है। अब चलते है अपने यात्रा लेख पर.... बारिश रुकने के बाद मैं वाण से वेदनी की पैदल यात्रा शुरु कर पाया। वाण गाँव से ही जबरदस्त चढाई आरम्भ हो जाती है। शुरु के लगभग ढाई- तीन किमी की रणकाधार तक की चढाई आबादी के बीच से होकर चलती है। इसके बाद लगभग एक किमी हल्की हल्की उतराई है जो नील गंगा नाम की नदी के पुल तक बनी रहती है। इस पुल से आगे पीने का पानी एक दो जगह ही मिलता है इसलिये यदि बरसात के मौसम के बाद यहाँ जाना हो तो अपनी पानी की बोतले यहाँ नदी की छोटी सी जल धारा से भरना ना भूले।


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