UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-08 SANDEEP PANWAR
हमारी गाड़ी आगे बढ़ते हुए जिस स्थान पर पहुँची उसे गढ़कालिका मन्दिर कहा जाता है। जिस समय हम यहाँ पहुँचे उस समय दोपहर की आरती चल रही थी। आरती में कई आरती बोली जाती है जिस कारण मैं आरती समाप्त होने के समय ही आरती के पास जाता हूँ। मैंने मन्दिर के चारों ओर घूम-घूम कर मन्दिर को अच्छी तरह देख ड़ाला था। यह मन्दिर भी मराठा शैली का बना हुआ मिला। मराठों के शासन काल में ही इस मन्दिर का निर्माण किया गया होगा। इस मन्दिर को महाशिवरात्रि के कारण फ़ूलों से इतना अच्छी तरह सजाया गया था कि मैं उस सजावट को देखता ही रह गया था। मन्दिर की आरती समाप्त होने के बाद हमारे साथियों ने वहाँ से आगे चलने का इरादा किया। एक भक्त यहाँ भी मन्दिर में ही कही अटका हुआ था। उसे लेने के लिये फ़िर से एक बन्दा भेजा गया।