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रविवार, 15 अक्टूबर 2017

Shikari Devi Mata Temple शिकारी माता देवी मन्दिर यात्रा



बिजली महादेव-पाराशर झील-शिकारी देवी, यात्रा-04   लेखक -SANDEEP PANWAR

इस यात्रा में आप हिमाचल के कुल्लू जिले स्थित बिजली महादेव व मंडी जिले में स्थित सुन्दर बुग्याल जिसे हम पाराशर झील की यात्रा कर चुके हो। अब आपको मन्डी जिले की सबसे ऊँची चोटी शिकारी देवी की ओर चल रहे है। इस यात्रा को आरम्भ से पढने के लिये यहाँ क्लिक करना न भूले। इस लेख की यात्रा दिनांक 30-07-2016 को की गयी थी
Shikari Mata Devi Higest peak of Mandi District शिकारी देवी, (शिकारी माता) मन्डी जिले की सबसे ऊँची चोटी

बुधवार, 11 अक्टूबर 2017

Parashar Rishi Lake on top of beautiful Mountain पाराशर ऋषि झील के सुन्दर पर्वत की यात्रा



बिजली महादेव-पाराशर झील-शिकारी देवी यात्रा-02   लेखक -SANDEEP PANWAR

इस यात्रा में आप हिमाचल के कुल्लू जिले स्थित बिजली महादेव के दर्शन कर चुके हो तो चलो अब हम चल रहे है मंडी जिले में स्थित सुन्दर बुग्याल की ओर, जिसे हम पाराशर झील के नाम से जानते है। पराशर झील के बाद आपको मन्डी जिले की सबसे ऊँची चोटी शिकारी देवी की यात्रा भी मिलेगी। इस यात्रा को आरम्भ से पढने के लिये यहाँ क्लिक करना न भूले। इस लेख की यात्रा दिनांक 28-07-2016 से आरम्भ की गयी थी
PARASHAR RISHI LAKE, beautiful greenery mountain पाराशर ऋषि झील व सुन्दर बुग्याल में भ्रमण।

शनिवार, 30 सितंबर 2017

Sahastradhara, Dehradun सहस्र धारा, देहरादून



देहरादून-मालदेवता यात्रा-01                               AUTHOR-SANDEEP PANWAR
देहरादून की इस यात्रा में आपको स्नान करने की प्रसिद्ध जगह सहस्रधारा, बूँद-बूँद जल के टपकने वाले टपकेश्वर मंदिर के साथ गंधक पानी के श्रोत में स्नान के अलावा कुन्ड गाँव तक की भयंकर चढाई के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। इस यात्रा में पहली बार पहाड में बरसात के भरपूर मौसम में एक पहाडी नदी को को दो बार पार कर आगे चलना पडा था। इस लेख की यात्रा दिनांक 14-08-2016 को की गयी थी
DELHI TO SAHASTRADHARA दिल्ली से सहस्रधारा भ्रमण व स्न्नान

बुधवार, 3 अप्रैल 2013

Godawari River starting point and other place गोदावरी उदगम स्थल सहित अन्य स्थल।

भीमाशंकर-नाशिक-औरंगाबाद यात्रा-09                                                                    SANDEEP PANWAR

हम तेजी से ऊपर चढ़ते जा रहे थे। कुछ तो बारिश में फ़ँसने की चिंता, कुछ अंधेरा होने का ड़र। जब हम पहाड़ के लगभग शीर्ष पर पहुँचे ही थे तो हल्की-हल्की बूँदाबांदी भी शुरु हो गयी थी। हम अपने साथ बैग भी नहीं लाये थे। मेरे बैग में हमेशा एक छाता रहता है लेकिन क्या करे? सबसे पहले मैंने विशाल से कहा कि हम इस पहाड़ के सबसे दूर वाले के कोने में पहले चलते है ताकि उसके बाद सिर्फ़ वापसी करते हुए ही आना होगा। इसलिये हम पहले गोदावरी नदी का उदगम स्थल देखने नहीं गये। जब हम इस पहाड़ पर पहुँचे थे तो हमें वहाँ अपने अलावा कोई और दिखाई भी नहीं दे रहा था। जहाँ यह सीढियाँ समाप्त होती है उससे लगभग आधे किमी से ज्यादा दूरी तक हम सीधे हाथ की दिशा में चलते गये। जब आगे जाने का मार्ग दिखायी नहीं दिया तो मैं वही ठहर गया। विशाल फ़ोटो लेता हुआ पीछे-पीछे आ रहा था। मैंने विशाल से कहा आगे तो जाने के लिये मार्ग ही नहीं है।

पहाड़ के शीर्ष से त्रयम्बक शहर कैसा दिखायी देता है।

बस आ गया पहाड़।

रविवार, 31 मार्च 2013

Anjaneri mountain/parvat-Birth place of Hanuman ji अंजनेरी पर्वत-रुद्र अवतार हनुमान जी का जन्म स्थान

भीमाशंकर-नाशिक-औरंगाबाद यात्रा-06                                                                   SANDEEP PANWAR


हम त्रयम्बक जाने वाली बस से अन्जनेरी पर्वत के मोड़ पर उतर गये। यहाँ बस से उतरते ही उल्टे हाथ सड़क किनारे एक दुकान दिखायी दी। हम सीधे उस दुकान में घुस गये। दुकान वाले से अन्जनेरी पर्वत पर आने-जाने के बारे में पता किया। उसने बताया कि अन्जनेरी यहाँ से लगभग 6-7 किमी दूरी पर है जिसमें से आखिरी के 3 किमी ही ज्यादा चढ़ाई वाले है। मैंने सोचा चलो आना-जाना कुल 14-15 किमी है तो है। कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन 14-15 किमी वाली बात पर विशाल के मन में एनर्जी बचाने वाली बात घर गयी थी। उसने कहा कि पहले 4 किमी तो लगभग साधारण सड़क का मार्ग है इसलिये शुरु के चार किमी चलने में क्यों शारीरिक ऊर्जा बर्बाद की जाये। अब साथ जाने वाले का कुछ तो मान रखना ही पड़ता है। साथ वाले की बेईज्जती करना मेरा उसूल नहीं है। लेकिन मैं यदि ऐसे लोगों के साथ यात्रा पर गया हूँ जो दूसरे लोगों के मान सम्मान का ख्याल नहीं रखते है तो मैं दुबारा ऐसे लोगों के साथ जाने से हर सम्भव बचता हूँ। मेरे साथ पहले भी कई बार एक दो जिददी लोग चले गये थे, लेकिन बाद में मैं उनके साथ दुबारा नहीं गया। चलिये अब इस यात्रा की बात हो जाये। विशाल के कहा तो मैंने भी कहा ठीक है भाई 4 किमी किसी वाहन से चल देते है। विशाल ने एक मैजिक वाले से बात की लेकिन उसका जवाब सुनकर विशाल का मुँह फ़टा का फ़टा रह गया। उसका जवाब सुनकर मैं मुस्कुरा रहा था। चलिये आप को भी बता देते है कि उस वाहन वाले ने कहा क्या कहा था? मैजिक वाले ने 4 किमी की दूरी तक, दो बन्दों को छोड़ने के लिये हमसे 500 रुपये की माँग कर ड़ाली। हमने कुछ क्षण उसके जवाब को पचाने में लगाये, लेकिन उसकी बात हजम होने वाली नहीं थी। उसके बाद एक लम्बा साँस लेकर उसे कहा कि दोनों मिलाकर 200 रुपये से ज्यादा नहीं देंगे। यह कहकर मैंने अपना सामान उठा कर चल दिया। 

सड़क से चलते ही यह जैन मूर्ति दिखायी देती है।

गुरुवार, 7 मार्च 2013

Mana-Bheem Pul to Ghangaria (Base of Vally of flower) भारत के अंतिम गाँव माणा में भीम पुल से घांघरिया तक

बद्रीनाथ-फ़ूलों की घाटी-हेमकुन्ठ साहिब-केदारनाथ यात्रा-02

बद्रीनाथ मन्दिर के नजदीक कमरा लेने के बाद दर्शन करने के उपराँत हम भारत की सीमा का अंतिम गाँव माणा देखने के लिये निकल पड़े। होटल वाले से माणा के मार्ग की थोड़ी भी ले ली थी। उसने बताया था कि माणा यहाँ से केवल 3 किमी दूरी पर स्थित है। बाइक से जाने में वहाँ कोई समस्या नहीं है लेकिन बीच-बीच में कई झरने आते है जहाँ पर बिना भीगे वे नाले पार नहीं किये जा सकते है। हमने जूते पहने हुए थे पहले सोचा कि चलो बैग से चप्पल निकाल कर पहन ली जाये। लेकिन वहाँ की ठन्ड़ को देखते हुए यही फ़ैसला हुआ कि चलो देखा जायेगा अगर जरुरत पड़ी तो जूते निकाल कर नाला पार कर लिया जायेगा। तीन किमी के मार्ग में कुल चार नाले मिले थे जिनमे से दो नाले तो थोड़े से शरीफ़ निकले, जिन्होंने हमें बिना किसी परेशानी के आगे जाने दिया। आखिरी के दो नाले तो जबरदस्त थे जिन्हे पार करने से पहले बाइक रोककर यह तय किया गया था कि इन्हे पार कैसे करना है? मैंने अपने साथी को इन दोनों नालों पर बाइक से उतार दिया था। बाइक इन पर पार करते समय बेहद सावधानी से पार करनी पड़ती थी। जब मैं पहले नाले को पार कर रहा था तो अगले पहिया के आगे एक पत्थर आ गया, जिसके कारण पहिया हिलने से बाइक का संतुलन बिगड़ने से मुझे अपना एक पैर पानी में रखना पड़ गया था। यह सब इतनी  तेजी से हुआ था कि कब बाइक अटकी, कब पार हुई और कब जूते को पानी ने छु लिया, तेजी से बदलते घटनाक्रम ने बाइक यात्रा के रोमांच से हमें सरोबार कर दिया था। नाला पर करके पहले तो अपना पैर देखा कि कितना भीगा है जब लगा कि अरे बस इतना ही गीला हुआ, तो जान में जान आयी। जूता सिर्फ़ पंजे की ओर से भीगा था। इसके बास एक और नाला आया, यहाँ पर दुबारा से जूते गीले ना हो इस बात पर विचार किया गया। इसका सिर्फ़ एक ही समाधान निकला कि.......

यह माणा गाँव से आगे भीम पुल नाम की जगह है।

मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

Junagarh fair and climbing to Girnar mountain जूनागढ़ का महाशिवरात्रि मेला और गिरनार पर्वत की भयंकर चढ़ाई

गुजरात यात्रा-08

पोरबन्दर से आते समय जो बस हमें मिली थी उसने हमें जूनागढ़ के बस अड़ड़े पर उतार दिया था। यहाँ से गिरनार पर्वत की तलहटी तक जाने के लिये हमें अभी लगभग 6-7 किमी यात्रा और करनी थी। जिस बस में हम यहाँ तक आये थे उसी बस के कई यात्री गिरनार मेले में भागीदारी करने जा रहे थे। उन्हीं से हमें पता लग गया था कि जूनागढ़ के बस अड़डे से ही आपको गिरनार पर्वत के आधार तक जाने के लिये दूसरी बस मिल जायेगी। हम पोरबन्दर वाली बस से उतर कर बस अड़ड़े में ही गिरनार जाने वाली बस के बारे में पता कर, उसकी और बढ़ चले। मेले के दिनों में गिरनार जाने के लिये बहुत भीड़ रहती है जिस कारण यहाँ पर गिरनार वाली बस के लिये एक अलग से काऊँटर बनाया गया होता है। पहले जाकर टिकट लेनी होती है उसके बाद बस में बैठने वाली लाईन में लगना होता है। जैसे ही बस की सीट फ़ुल हो जाती है वैसे ही वह बस चल देती है उसकी जगह दूसरी बस आ जाती है। हम चारों भी एक बस में सवार होकर जूनागढ़ के गिरनार पर्वत के लिये चल दिये। जब हम गिरनार की ओर बढ़ रहे थे तो मार्ग में मिलने वाली भीड़ देखकर हम समझ गये कि यहाँ रात रुकने के लिये आसानी से जगह मिलने वाली नहीं है। बस से उतर कर हमने रात ठहरने के लिये कई जगह कोशिश की लेकिन कही भी जगह नहीं मिल पायी। रात के साढ़े सात बज चुके थे इसलिये पहले हमने पेट पूजा करने के लिये एक ढ़ाबे के यहाँ ड़ेरा ड़ाल दिया था।

भीड़ की मारामारी

चारों और बुरा हाल

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