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सोमवार, 25 मार्च 2013

Katra to Vaishno Devi to Delhi कटरा से वैष्णों देवी से दिल्ली यात्रा वर्णन

अमृतसर-अमरनाथ-श्रीनगर-वैष्णों देवी यात्रा-06                                                     SANDEEP PANWAR


वैष्णों देवी यात्रा पर जाने के लिये सबसे जरुरी चीज वो पर्ची होती है जिसके बिना आपको यात्रा से वापिस लौटना पड़ जायेगा। हम सुबह ठीक साढ़े 5 बजे पर्ची की लाइन में गये थे, जिस कारण सुबह 6 बजे हमारे हाथ में वैष्णों देवी यात्रा पर ऊपर जाने के लिये कटरा के पर्ची केन्द्र से पर्ची मिल चुकी थी। अगर हम शाम को यहाँ आते तो रात में ही यह पद यात्रा आसानी से हो जाती। हम कुल मिलाकर 6 लोग थे। सभी के सभी जवान ही थे जो एक दो बुजुर्ग की श्रेणी में आते थे उन्होंने कल ही हमारा साथ छोड़ दिया था। यह भी अच्छा ही हुआ कि वे हमारा साथ छोड़ गये। नहीं तो वे हमें इस यात्रा में तंग करते। चूंकि यह मेरी पहली वैष्णों देवी यात्रा थी इसलिये मैं मजबूरी में सबके साथ चल रहा था। मैंने मजबूरी इसलिये कही है कि पहाड़ की उतराई हो या चढ़ाई उससे अपनी गति पर कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। अपनी प्रतिदिन साईकिल चलाने की आदत के कारण पहाड़ की उतराई व चढ़ाई से अपुन को कुछ फ़र्क नहीं पड़ता है। हमारे ग्रुप में यह अच्छा रहा कि सभी जवान ही थे जिस कारण सभी की सोच भी मेल खा रही थी। 
यह फ़ोटो इस यात्रा का नहीं है।

रविवार, 24 मार्च 2013

Kashmir- Dal Lake, Shalimar Bagh, Nishat Bagh कश्मीर- ड़लझील, शालीमार बाग व निशात बाग की सैर

अमृतसर-अमरनाथ-श्रीनगर-वैष्णों देवी यात्रा-05                                                   SANDEEP PANWAR


सूमो वाले ने हमें श्रीनगर ड़लझील के सामने नत्थू मिठाई वाले के नाम से मशहूर दुकान के सामने उतार दिया था। मेरे साथ दिल्ली के चार लोग और भी थे। रात में रुकने के लिये सभी की यही राय थी कि रात तो ड़लझील के किसी हाउस बोट में ही बितायी जायेगी। झील में हाउस बोट सड़क से काफ़ी हटकर पानी ने बीचोबीच बनाये गये है। इसलिये हाउस बोट तक पहुँचने के लिये पहले तो एक शिकारे की आवश्यकता थी। सड़क किनारे को छोड़कर जब हम झील की ओर आये तो देखा कि वहाँ पर झील में आने-जाने के लिये बहुत सारे शिकारे तैयार खड़े है। हमने शिकारे वाले से कहा कि हमें रात में ठहरने के लिये एक हाउस बोट पर रुकना है इसलिये तुम हमें चार-पाँच हाउसबोट पर ले चलो। शिकारे वाला हमें अपनी नाव पर लाधकर झील में अन्दर चल पड़ा। यह ड़लझील में मेरी पहली सैर थी। कुछ ही देर में शिकारे वाला हमें बहुत सारे हाउस बोटों के बीच से होता हुआ एक खाली सी जगह पर खड़े हुए हाउस बोट तक पहुँचा कर बोला कि इनमें से जिसमें आपका मन करे उस हाउस बोट में रात ठहरने की कीमत तय कर लीजिए। यहाँ काफ़ी सौदेबाजी के बाद भी हाउसबोट Houseboat वाला हम 5 बन्दों के 1500 रुपये से कम पर नहीं मान रहा था। हमने उसे 1250 कह कर वापिस शिकारे में बैठकर चलने लगे तो हाउसबोट मालिक के हमें आवाज देकर कहा ठीक है आ जाओ, 1250 रुपये ही दे देना। हमारे शिकारे वाले ने हमें फ़िर से उस हाउसबोट पर उतार दिया। हमने शिकारे वाले से कहा कि हमें ड़लझील में घूमना है इसलिये एक घन्टा रात में आ जाना और एक घन्टा सुबह के समय ड़लझील में घुमा देना।

संदीप आर्य श्रीनगर की ड़लझील में शिकारे की सैर करते हुए।

शनिवार, 16 मार्च 2013

Jammu to Vaishno Devi and back to delhi जम्मू से वैष्णों देवी तक, व दिल्ली तक की यात्रा का विवरण

पहली हिमाचल बाइक यात्रा-05                                                                              SANDEEP PANWAR


जहाँ पठानकोट तक आते-आते हम भीगे हुए थे, उसके विपरीत जम्मू आते-आते हमारे कपड़े पूरी तरह सूख चुके थे। जम्मू में सतावरी चौक के पास ही विशेष मलिक के चाचा सपरिवार रहते थे। अगले तीन दिन तक हम इन्ही के यहाँ ठहरने वाले थे। जिस दिन हम जम्मू पहुँचे उस दिन हमने घर से बाहर कदम नहीं रखा था। अरे हाँ घर की छत पर ताजे-ताजे कच्चे-पक्के आम लगे हुए थे। हम छत पर जाकर आम खाने में मशगूल हो चुके थे। शाम को खाना खा पीकर हमने टीवी पर समाचार देखकर कई दिनों बाद दीन दुनिया का सूरते हाल जाना था। हमने अगले दिन अमरनाथ जाने की योजना बनानी चाही थी लेकिन जहाँ से अमरनाथ यात्रा आरम्भ होती है वहाँ पर लगे काऊँटर से हमने अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिये पता किया, उन्होंने बताया कि बिना यात्रा पर्ची के आप बालटाल व पहलगाँव से आगे नहीं जा सकते है। हमने कहा कि पर्ची बना दो, उन्होंने कहा अपने पहचान पत्र दिखाओ, हमने वो भी दिखा दिये। लेकिन इसके बाद उन्होंने कहा कि हमारे पास 20 दिन बाद की पर्ची बची हुई है। बीस दिन हम वहाँ क्या करते? इसलिये हमने अमरनाथ AMARNATH YATRA जाने की योजना बन्द कर वैष्णों देवी दर्शन करने की योजना बना ड़ाली थी। इसके बाद हम वापिस जम्मू विशेष के चाचा के घर लौट आये। वैष्णों देवी जाने के लिये हमने अगले दिन सुबह 4:30 मिनट पर अपनी बाइक पर सवार होकर हवा से बाते करना शुरु किया।

ये मौसम भीगा-भीगा है।

हिमाचल की इस पहली लम्बी बाइक यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये गये है।

भाग-01 दिल्ली से कुल्लू मणिकर्ण गुरुद्धारा।
भाग-02 रोहतांग दर्रा व वापसी कुल्लू तक
भाग-03 रिवाल्सर झील, चिंतपूणी मन्दिर, ज्वाला जी मन्दिर, कांगड़ा मन्दिर।
भाग-04 चामुंण्ड़ा से धर्मशाला पठानकोठ होकर जम्मू तक।
भाग-05 जम्मू से वैष्णों देवी व दिल्ली तक की बाइक यात्रा का वर्णन।
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भैरों मन्दिर में

रविवार, 22 मई 2011

बाइक से लाल किला से लेह-लद्दाख यात्रा भाग 10, PATNI TOP, VAISNHO DEVI TEMPLE

लेह बाइक यात्रा-
आखिरकार पल्सर वाले भी हमारे साथ आ गये। इनसे पूछा गया कि रात में कहाँ थे तो इन्होंने बताया कि हम रात को बारह बजे बाल्टाल आये थे। जिस कारण सुबह जल्दी आँख नहीं खुली, रही बात मोबाइल की तो वो तो चार्ज ही नहीं था, तो मिलता कैसे, नेटवर्क भी सिर्फ़ बी.एस.एन.एल. का ही था। उनका सिम एयरटेल का था। अब हम जहाँ पर है, पटनी टाप नाम है इस जगह का, पत्नी टाप बोलते है ज्यादातर लोग, वैसे है, बडी शानदार जगह, हरियाली तो कूट-कूट कर भरी हुई लगती है। जाडॆ में यहाँ जमकर बर्फ़बारी का मजा लिया जाता है, लेकिन हम ऐसी बर्फ़बारी से होकर आये है, कि अब तो हमें बर्फ़बारी के नाम से ही ठण्ड लगने लगने लगती है। यहाँ के कई फ़ोटो खींचे, हर तरफ़ हरा-हरा नजर आता है
ये नज़ारे है पटनी टॉप के

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