बस तत्तापानी पहुँच चुकी थी। सीट पर पड़े-पड़े शरीर आलस से पूरी तरह भर गया था। सीट से उठने का मन ही नहीं कर रहा था। हमने टिकट भी यही तक का लिया था उससे कुछ नहीं फ़र्क पड़ता। कंड़क्टर बस चलते ही आगे का टिकट दुबारा दे देता। यकायक फ़ैसला किया कि नहीं, फ़िर पता नहीं कब मौका लगे या ना लगे। चलो उतरो बस से नीचे। बस से नीचे उतर गये। बस से नीचे उतरते ही विपिन ने कहा संदीप भाई दो-तीन किमी पीछे शिव गुफ़ा करके, एक लम्बी सी गुफ़ा बताई गयी है। उसे देखने चले। ना, तुरन्त मुँह से निकला। ना सुनकर विपिन बोला ठीक है तत्तापानी चलो। मैं और विपिन तत्तापानी के लिये चल दिये। अभी दिन छिपने में काफ़ी समय था इसलिये फ़ैसला हुआ कि सूरज छिपने से पहले यहाँ से निकल जायेंगे। हम दोनों सतलुज नदी किनारे बने हुए तत्तापानी के गर्म कुन्ड़ देखने के लिये सतलुज के बहाव के पास पहुँचने का मार्ग देखने लगे।
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गुरुवार, 2 मई 2013
Tatapani-Shimla-Delhi तत्ता पानी-शिमला-दिल्ली यात्रा
हिमाचल की कांगड़ा व करसोग घाटी की यात्रा 12 SANDEEP PANWAR
बस तत्तापानी पहुँच चुकी थी। सीट पर पड़े-पड़े शरीर आलस से पूरी तरह भर गया था। सीट से उठने का मन ही नहीं कर रहा था। हमने टिकट भी यही तक का लिया था उससे कुछ नहीं फ़र्क पड़ता। कंड़क्टर बस चलते ही आगे का टिकट दुबारा दे देता। यकायक फ़ैसला किया कि नहीं, फ़िर पता नहीं कब मौका लगे या ना लगे। चलो उतरो बस से नीचे। बस से नीचे उतर गये। बस से नीचे उतरते ही विपिन ने कहा संदीप भाई दो-तीन किमी पीछे शिव गुफ़ा करके, एक लम्बी सी गुफ़ा बताई गयी है। उसे देखने चले। ना, तुरन्त मुँह से निकला। ना सुनकर विपिन बोला ठीक है तत्तापानी चलो। मैं और विपिन तत्तापानी के लिये चल दिये। अभी दिन छिपने में काफ़ी समय था इसलिये फ़ैसला हुआ कि सूरज छिपने से पहले यहाँ से निकल जायेंगे। हम दोनों सतलुज नदी किनारे बने हुए तत्तापानी के गर्म कुन्ड़ देखने के लिये सतलुज के बहाव के पास पहुँचने का मार्ग देखने लगे।
बस तत्तापानी पहुँच चुकी थी। सीट पर पड़े-पड़े शरीर आलस से पूरी तरह भर गया था। सीट से उठने का मन ही नहीं कर रहा था। हमने टिकट भी यही तक का लिया था उससे कुछ नहीं फ़र्क पड़ता। कंड़क्टर बस चलते ही आगे का टिकट दुबारा दे देता। यकायक फ़ैसला किया कि नहीं, फ़िर पता नहीं कब मौका लगे या ना लगे। चलो उतरो बस से नीचे। बस से नीचे उतर गये। बस से नीचे उतरते ही विपिन ने कहा संदीप भाई दो-तीन किमी पीछे शिव गुफ़ा करके, एक लम्बी सी गुफ़ा बताई गयी है। उसे देखने चले। ना, तुरन्त मुँह से निकला। ना सुनकर विपिन बोला ठीक है तत्तापानी चलो। मैं और विपिन तत्तापानी के लिये चल दिये। अभी दिन छिपने में काफ़ी समय था इसलिये फ़ैसला हुआ कि सूरज छिपने से पहले यहाँ से निकल जायेंगे। हम दोनों सतलुज नदी किनारे बने हुए तत्तापानी के गर्म कुन्ड़ देखने के लिये सतलुज के बहाव के पास पहुँचने का मार्ग देखने लगे।
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