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सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

गोवा से दिल्ली तक रेल यात्रा विवरण Detail of return journeyfron Goa

गोवा यात्रा-23 समाप्त
आज गोवा यात्रा का यह आखिरी लेख है। गोवा के मशहूर दो विशाल चर्च/गिरजाघर देखने के बाद हम करमाली स्टेशन के लिये चल दिये। इन चर्च से करमाली स्टेशन मुश्किल से डेढ़ किमी की दूरी पर ही होगा। हमने गोवा में चलने वाली सवारी बाइक से स्टेशन चलने की सोच कर दो-एक बाइक वाले से बात की। लेकिन वे प्रति बाइक 50 रु से कम लेने को तैयार नहीं थे। हम तीन बन्दे थे इस हिसाब से 150 रु बन रहे थे। लेकिन मैं ठहरा महाकंजूस 1.5 किमी के 150 रु कैसे दे देता? हम तीनों वहाँ से पैदल ही करमाली रेलवे स्टेशन की ओर चल दिये। मुश्किल से आधा घन्टा भी नहीं लगा होगा कि हम स्टेशन पहुँच गये थे। यहाँ पर एक बात बतानी ठीक रहेगी कि यदि कोई करमाली स्टेशन से पणजी की तरफ़ आना-जाना करना चाहता है तो उसे करमाली स्टेशन से दिल्ली की ओर 200 सौ मीटर दूरी पर स्थित फ़्लाईओवर की ओर आना चाहिए। इस फ़्लाईओवर के ऊपर से पणजी जाने के लिये थोडी-थोडी देर में बस आती रहती है। यहाँ से पणजी की दूरी 12 किमी है, पणजी का किराया भी दस रुपये लगता है। 
अब चले अपने घर

इतने कमल खिले है कि इन्हें गिनने में महीनों लग जायेंगे।

रविवार, 10 फ़रवरी 2013

Church of Goa- Se Cathedral, गोवा में किले जैसा चर्च

गोवा यात्रा-22
दोनों  गिरजाघर सड़क के दोनों ओर बने हुए है। पहले वाला चर्च लाल रंग का था, देखने में भी किसी किले जैसा लग रहा था। किले को देखकर बाहर निकलते ही सड़क पार दूसरी ओर सफ़ेद रंग की एक विशाल इमारत दिखायी दे रही थी। अगर सड़क किनारे वाले बोर्ड़ पर लिखा ना होता कि यह एक चर्च है तो मैं भी इसे चर्च ना मानता। दूर से देखने में यह कोई बंग्ला होने का आभास देता था। दूसरे चर्च के बाहर एक बहुत बड़ा मैदान था। मैदान में शानदार बगीचा था। हमारे पास ज्यादा समय नहीं था। इसलिये हम इन बगीचे में नहीं घुसे थे। हमारा निशाना सामने दिखाई दे रहे चर्च व संग्रहालय थे। हमने पहले तो संग्रहालय देखने का का इरादा किया, जैसे ही हम टिकट लेने के लिये लाईन की ओर बढ़े तो देखा कि वहाँ तो बहुत लम्बी लाइन लगी थी। पहले लाइन में लगकर समय खराब होता, उसके बाद अन्दर जाकर संग्रहालय देखने में भी आधा घन्टा लगना तय था।  

नाम इस बोर्ड़ से पढ़ लेना।

सड़क के इस पार से उस पार का फ़ोटो

शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

Church of Goa- Bom Jesus Basilica गोवा का प्राचीन चर्च बोम जीसस बासिलिका।

गोवा यात्रा-21
बस से उतरने के बाद हमें कुछ दूर तक वापिस चलना पड़ा था। यह विशाल सी दिखाई देने वाली इमारत असलियत में कोई चर्च थी जिसका नाम बोम जीसस बासिलका लिखा हुआ थ। सड़क के दूसरी ओर भी सफ़ेद रंग से नहायी हुई दो और विशाल चर्च दिख रही थी। सड़क पार वाली चर्च अगले लेख में दिखाई जायेगी। सबसे पहले हम इस चर्च को चारों और से देखना चाहते थे। इसलिये हम इसके चारों और एक चक्कर लगाने चल पड़े। लेकिन यह क्या इसके दूसरी ओर जाते ही एक गली आ गयी, इसलिये हमें वापिस यही आना पड़ा। बाहर से अच्छी तरह देखने के बाद हम इसके अन्दर प्रवेश करने वाला दरवाजा तलाश करने लगे।

पढ़ लो

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

Goa- Last trekking point at Tambdisurla ancient Temple, गोवा ट्रेकिंग समापन स्थल एक प्राचीन महादेव मन्दिर।

गोवा यात्रा-20
नदी किनारे वाले बारा भूमि मन्दिर से यह ताम्बडी सुरला नाम का शिव मन्दिर लगभग चार किमी दूरी पर है। एक घन्टे में हमने यह दूरी आसानी से तय कर ली थी। वसे यहाँ तक पहुँचने के लिये पणजी से दिन भर में एक-दो बस ही आती है। अपने ट्रेकिंग कैम्प में यह अन्तिम स्थान है जहाँ तक हमें चल कर जाना होता है, इस मन्दिर में दर्शन करने के बाद हमारी ट्रेकिंग समाप्त हो गयी थी। यहाँ से पणजी का मुख्य कैम्प हमसे लगभग 80 किमी दूर पर हो चुका था। हम यहाँ दोपहर में ड़ेढ़ बजे पहुँच गये थे।  बस यहाँ से ढ़ाई बजे जायेगी। यहाँ से कैम्प के दिनों में ही एक सीधी बस पणजी तक जाती है। पणजी क्या बल्कि यह बस हमें कैम्प के मुहाने पर छोड़कर जाती है। अगर कोई अन्य दिनों में यहाँ आ रहा है तो जरा सोच समझ कर यहाँ आना चाहिए। अब कुछ चर्चा इस मन्दिर के बारे में भी हो जाये।

TAMBDI SURLA TEMPLE

दूसरा किनारा

गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

Bara Bhumi temple बारा भूमि देवस्थान/मन्दिर के दर्शन करते ही ट्रेकिंग अन्त की ओर

गोवा यात्रा-19
आज हमारी गोवा के जंगलों में ट्रेकिंग का अंतिम दिन शुरु हो रहा था।अब तक हमारे ग्रुप से कई लोग छोड कर जा चुके थे। अंतिम दिन जब ग्रुप की गिनती पूरी हुई तो कुल मिलाकर 23 लोग ही बचे थे। वैसे यह ट्रेक बहुत ज्यादा तो कठिन नहीं था, लेकिन कुछ ना कुछ कारणों से कई साथी साथ छॊड़ते रहे। आखिरी दिन सफ़र में जो चल रहे थे वे सारे के सारे विजेता बनने जा रहे थे। सड़क पार करते ही हम एक बार फ़िर घने जंगलों में घुस गये थे। दो किमी चलने के बाद हमें जीप वाला रोड दिखायी दिया, इस रोड़ पर हम तीन किमी चले होंगे कि फ़िर से घनघोर जंगल में प्रवेश करना पड़ा। अब हम ऐसे जंगल से जा रहे थे, जहाँ पर बहुत ही कम लोग इस मार्ग का प्रयोग करते होंगे। गोवा के जंगलों में हमें जंगली जानवर कुछ खास दिखायी नहीं दिये थे। फ़िर भी... 

जाटदेवता संदीप पवाँर का स्टाईल कैसा लगा?

दीमक के कारण पेड जहाँ तहाँ गिरे हुए थे

बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

Trekking camp near anciant Well प्राचीन कुए के किनारे वाला ट्रेकिंग कैम्प

गोवा यात्रा-18
पिछले लेख में आपको बताया गया था कि हमने सबको किट-किट का भय क्या दिखाया, सभी डेटॉल नारियल तेल लेकर लगाने बैठ गये। उनको तेल मालिश करते देख हमारी हँसी रुक नहीं पा रही थी इस कारण हम वहाँ से कैम्प के लिये फ़ुर्र हो गये। तीन चार मिनट की दूरी पर ही कैम्प था। सबसे पहले हमने एक टैन्ट में अपना सामान रखा, चूंकि सुबह से नहाये नहीं थे, इसलिये सबसे पहले हमने वहाँ पर नहाने के साधन के बारे में पता किया, उसके बाद ही कही आसपास घूमघाम कर आने की सोची। आज हमारा कैम्प एक पुराने गाँव के बचे हुए अवशेष पर स्थापित किया हुआ था। सालों पहले यहाँ कोई गाँव हुआ करता था, उसके बचे हुए अवशेष यहाँ बिखरे हुए थे। यहाँ पर दो कुएँ भी बने हुए थे, एक कुआँ जिसमें साफ़ पानी था पीने के लिये उपयोग में लाया जाता था। दूसरा कुआँ जिसका पानी पहले कुएँ की अपेक्षा में थोड़ा गन्दा दिखाई देता था। इसलिये इस कुएँ के पानी को नहाने धोने के लिये प्रयोग करते थे। दिल्ली के मुकाबले वहाँ मौसम बहुत गर्म था। सबसे पहले हम नहाने के लिये पहुँच गये। जिन लोगों ने तेल लगाया हुआ था, उनके लिये नहाना तो और भी जरुरी था।  

साफ़ पानी वाला कुआँ


पनघट पर पनिहारी मोबाइल वाली

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

Trekking Caranzol to National Highway camp करनजोल से राष्ट्रीय राजमार्ग कैम्प तक ट्रेकिंग

गोवा यात्रा-17
करनजोल कैम्प में रात को कैम्प फ़ायर किया गया था, यहाँ कैम्प फ़ायर स्थल पर चारों और गोल घेरे में बैठने के लिये पत्थर रखे हुए थे। जिस पर बैठकर कई बन्दों/बन्दी ने अपने-अपने गायकी के हुनर का परिचय दिया था। अपने बसकी यह हुनर नहीं है। अपना हुनर, कैसा भी खतरनाक ट्रेक हो, कैसा भी लम्बी दूरी बाइक/कार से तय करना हो, यह कठिन से दिखने वाले कार्य मुझे बेहद आसान लगते है। पहाड़ की चढ़ाई पर जहाँ अधिकतर लोगों की हालात खराब होने लगती है, वही अपने मजे आने लगते है (किसी ने इसे कुछ ऐसे कहा है जहाँ तुम्हारा सफ़र समाप्त होता है वहाँ से अपना सफ़र शुरु होता है।) रात में एक विदेशी महिला की तबीयत खराब हुई थी। सुबह तक उसकी सेहत में सुधार तो हुआ था लेकिन अब चारों विदेशियों ने ट्रेकिंग बीच में छोड़कर पणजी जाने की तैयारी शुरु कर दी थी। इस कैम्प से पणजी वाला बेस कैम्प लगभग 70 किमी दूर था। इसके लिये उन्हें वहाँ तक पहुँचाने के लिये एक जीप मंगवाई गयी थी। जब तक जीप वहाँ आती  तब तक हम भी नाश्ता करने के बाद लंच पैक कर आज की यात्रा पर चल दिये थे। लाल कमीज वाला विदेशी हमारे ग्रुप के कई लोगों के चिपकने की आदत से परेशान हो चुका था, जिस कारण वह किसी से बात नहीं करता था, लेकिन जब हम वहाँ से चलने लगे तो उसने गले मिलकर बाय-बाय की थी। मुझे लगा कि शायद खुशी से गले मिला  होगा कि इन चिपकुओ से पीछा छूटा, इसकी खुशी मना रहा होगा

यहाँ से विदेशी बाय-बाय कर देते है।

नदी पार करने के लिये बेहतरीन प्रबन्ध

सोमवार, 4 फ़रवरी 2013

Deep Forest Trekking- Dudhsagar fall to Caranzol Camp दूधसागर झरने से करणजोल तक भयंकर जंगलों से ट्रेकिंग मार्ग

गोवा यात्रा-16
रेलवे ट्रेक से एक तरफ़ हटते ही वन्य जीवन की शानदार घाटी नुमा ट्रेकिंग करते समय हमारा मन यहाँ से कही जाने को नहीं कर रहा था। नीचे तीसरे फ़ोटो मे आप एक मकान देख रहेहै। रेलवे लाईन इसके साथ ही है और इस मकान का अब प्रयोग भी नहीं किया जाता है क्योंकि इसकी उम्र सौ साल से भी ज्यादा हो गयी है। पहले कभी रेलवे वाले इसका उपयोग करते होगे अब उन्हे भी इसकी आवश्यकता नहीं है। अब यहाँ से ढ़लान में ट्रेकिंग करते हुए जाना था। यह ढ़लान हिमालय के ढ़लानों जैसी ही खतरनाक थी। मैं अपने साथियों को बता रहा था कि बरसात के मौसम में तो यहाँ पर आना मुसीबत को न्यौता देने से कम नहीं होता होगा। इसी ढ़लान पर हम उतरने लगे। आज की ट्रेकिंग में हमें पहाड़, रेल, सुनसान व घना जंगल और नदी पार की थी।

कैसा लगा यह फ़ोटो?

रविवार, 3 फ़रवरी 2013

Dudhsagar through railway line and tunnel दूधसागर झरने वाली रेलवे लाइन पर, सुरंग से होते हुए ट्रेकिंग

गोवा यात्रा-15
दूधसागर झरने को देखने के बाद हम लोग इसके और नजदीक जाने के लिये पहाड़ पर ऊपर चढ़ने लगे। इस पहाड़ी पर चढ़ने के लिये जो मार्ग बना हुआ था वह ठीक वहाँ से शुरु होता था, जहाँ से जीप मार्ग समाप्त होकर पैदल इस झरने की ओर बढ़ते है, वही थोड़ा सा ध्यान दिया जाये तो सामने के जंगल में ऊपर की ओर जाती हुई पगड़न्डी दिखायी दे जाती है। इस मार्ग पर चढ़ाई लगातार जरुर है लेकिन घने जंगलों में से होकर जाते समय पता ही नहीं लगता कि कब दस मिनट समाप्त हो गये? हम ऊपर आकर रेलवे लाईन के किनारे बैठ गये। जब तक सब आते, तब तक हमने वहाँ पर अपने मोबाइल से फ़ोटो लेने जारी रखे। जब सभी ऊपर आ गये तो आगे बढ़ चले। यहाँ से हमें उल्टे हाथ की ओर रेलवे लाईन के समांनातर चलते जाना था। रेलवे लाईन के साथ चलते हुए हमें तीन सुरंगे भी पार करनी थी। नीचे वाले फ़ोटो में जो सुरंग है इसका संख्या 13 है। इसके बाद दो सुरंग और आयेंगी लेकिन उससे पहले दूधसागर झरना आ जायेगा।

गोवा आते समय इसी रेलवे ट्रेक से आये थे, अब रेल की जगह ट्रेकिंग करते हुए जा रहे है।

शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

Trekking to Dudhsagar Fall दूधसागर झरने/फ़ॉल तक ट्रेकिंग।

गोवा यात्रा-14
दूधसागर कैम्प में पहुँचने के बाद हम लोगों ने सबसे पहले एक टैन्ट में अपना सामान रखा, उसके बाद वहाँ पर नहाने धोने के लिये नदी किनारे जाने के लिये मार्ग पता किया। नदी और कैम्प की दूरी मुश्किल से सौ मीटर  ही रही होगी। हमने नहाने के काम आने वाले कपडे लिये और नदी में उछल कूद करने के लिये जा पहुँचे। अरे हाँ एक बात तो रह ही गयी थी कि जहाँ हमारा कैम्प था वहाँ से दूध सागर वाली रेलवे लाईन साफ़ दिखाई दे रही थी। रेलवे लाइन हमारे कैम्प से कई सौ फ़ुट की ऊँचाई पर थी। यह रेलवे लाईन दूध सागर झरने के बीच से होकर जाती है। रेलवे लाईन के फ़ोटो अगले लेख में दिखाये जायेंगे। अभी तो कैम्प से दिखने वाले नजारे देख लो। दूध सागर का आधा भाग आज के लेख में और बचा हुआ शेष ऊपर वाला भाग अगले लेख में दिखा दिया जायेगा।
अगर ध्यान से देखोगे तो पेड़ों के पीछे रेलगाड़ी जाती दिखायी दे जायेगी।

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

Forest Trekking to Dudhsagar water fall दूधसागर झरने की ओर जंगलों में से ट्रेकिंग

गोवा यात्रा-13
ट्रेन से उतरने के बाद हम जिस कस्बे नुमा गाँव में खड़े थे वहाँ से एक जीप लायक कच्ची सड़क दूधसागर झरने की ओर गयी थी। हमें बताया गया था कि हमें शुरु के तीन किमी ही इसी जीपेबल रोड़/सड़क पर चलना होगा उसके बाद हमें सड़क छोड़ कर वन में बनी पगड़डी पर चलते हुए वन में घुस जाना है। ट्रेकिंग शुरु करने से पहले ग्रुप लीड़र ने सबको कहा कि जिन लोगों को नारियल तेल व डिटॉल आदि खरीदना है, यही से खरीद ले। दूधसागर तक कोई गाँव, घर, दुकान आदि कुछ नहीं मिलेगा। हमें कुछ लोगों ने बताया था कि गोवा के जंगलों में अंदरुनी भागे में जाकर एक विशेष प्रकार का मच्छर जैसा जीव पाया जाता है, जिसे स्थानीय लोग कीट-कीट कहकर बुलाते है। इस जीव की खासियत यह है कि जब यह मच्छर की तरह काटता है तो शरीर में खुजली होने लगती है जो कई घन्टे तक बनी रहती है। जब अधिकतर लोग, नारियल तेल व डिटॉल खरीद चुके तो उन्होंने कहा कि संदीप जी क्या आप नहीं लगाओगे। मैंने कहा कि पहले तो इन जीवों को झेल कर देखना है कि इनके काटने से कैसा मजा आता है? अगर ज्यादा तंग हुए तो विचार किया जायेगा।

दूधसागर के लिये ट्रेकिंग यहाँ से शुरु होती है।

गुरुवार, 31 जनवरी 2013

Goa- Cansaulim to Kulem train journey गोवा- कनसोलिम से कुलेम तक रेल यात्रा

गोवा यात्रा-12

समुन्द्र किनारे वाली दो दिन की ट्रेकिंग तो कल ही समाप्त हो गयी थी। अब आज हमारी गोवा के घने जंगलों में ट्रेकिंग आरम्भ होने वाली थी। गोवा के जंगल समुन्द्र से काफ़ी दूर थे, वहाँ तक पहुँचने के लिये हमें भारतीय रेल में सवार होकर उन तक पहुँचना था। हम सुबह-सुबह ठीक साढ़े छ: बजे तैयार हो गये थे। सबने सुबह का नाश्ता करने के बाद, दोपहर के लिये पराँठे भी पैक कर लिये थे। हमारे कैम्प से नजदीकी रेलवे स्टेशन कनसोलिम था। हमॆं कैम्प से वहाँ तक पहुँचने में मात्र बीस मिनट ही लगे होंगे। हमें इस स्टेशन से लोकल सवारी रेलगाड़ी में बैठकर कुलेम स्टेशन तक जाना था। जहाँ से आगे की यात्रा गोवा के जंगलों से होकर आगे बढ़नी थी। हमारी ट्रेन अपने समय से बीस मिनट देरी से हमें लेने के लिये आयी थी। जैसे ही ट्रेन आयी, वैसे ही हम सभी एक डिब्बे में जाकर बैठ गये। यहाँ सुबह का समय होने के कारण रेल में ज्यादा मारामारी नहीं मची थी। जिस कारण डिब्बा लगभग खाली ही पड़ा हुआ था।


Cansaulim Station

बुधवार, 30 जनवरी 2013

Colva beach to Cansaulim beach & Night stay कोलवा बीच से कानसोलिम तक ट्रेकिंग व रात्रि विश्राम

गोवा यात्रा-11
हमें बताया गया था कि गोवा के समुन्द्र तटों पर नहाते समय कई लोग अपनी जान ऐवे ही आलतू-फ़ालतू में पानी में डूब कर गवाँ बैठते है। इस लिये हमें पहले ही सावधान किया गया था कि समुन्द्र में नहाते समय ज्यादा गहराई में नहीं जाना है। सुबह के समय तो समुन्द्र में नहाना नसीब नहीं हो पाता था इसलिये शाम के समय कैम्प में रुकने के बाद जैसे ही हमें मौका मिलता, तुरन्त हम अपना सब कुछ उतार कर(एक वस्त्र छोड़ कर) समुन्द्री नमकीन पानी में कूद पड़ते थे। हम चलने में तो तेज थे ही जिस कारण हमारे पास कही भी रुककर देखने के लिये समय आसानी से मिल जाता था। नीचे वाला फ़ोटो भी ऐसे ही समय मिलने के बाद पीछे रह गये साथियों के इन्तजार करते समय लिया गया था।
Colva beach

सोमवार, 28 जनवरी 2013

Benaulim beach-Colva beach बेनाउलिम बीच और कोलवा बीच पर जमकर धमाल व केन्सोलिम की ओर ट्रेकिंग

गोवा यात्रा-10
गोवा की इस यात्रा में अभी तक आपने दिल्ली से ट्रेन का मुसीबत वाला सफ़र देखा, उससे आगे मडगाँव से लेकर मीरामार बीच तक का भी देखा है। अब आप देख रहे है गोवा का सबसे लम्बा व सबसे खूबसूरत बीच जिस पर वो भी एकदम अपनी स्टाइल में पूरे दो दिन तक पैदल चलते गये चलते गये कुदरती चीज देखनी है तो वाहन में बैठकर क्या मजा, कार-बस में बैठकर तो पर्यटक देखा करते है, हम जैसे तो जन्मजात(इसकी भी एक कहानी है बताऊँगा कभी) ही घुमक्क्ड़ ठहरे। घुमक्कड़ कुछ फ़क्कड़ (इसे यहाँ मंगते मत समझ लेना) किस्म के होते है। शुरु के दो दिन तक तो हम पर्यटक जैसे हालात में ही रहे, लेकिन जब अपनी वाली बात (ट्रेकिंग) आयी तो अपुन अपनी फ़ुल फ़ॉर्म में आ गये थे।  आज से मैं अपने लगाये फ़ोटो में बार्डर का प्रयोग किया करुँगा। आपको अच्छा लगा तो सुभान अल्लू, बुरा लगा तो भी बार्ड़र लगाऊँगा। 
बीच पर उड़ाने का जुगाड़।

शनिवार, 26 जनवरी 2013

Betul beach-Mobor beach-Cavelossim beach-Varca beach-Trinity beach-Benaulim beach, बेतूल बीच, मोबोर बीच, वर्का बीच होते हुए बेनाउलिम बीच तक

गोवा यात्रा भाग-09 
आज की पद यात्रा निम्न बीच से शुरु होकर BETUL BEACH-MOBOR BEACH-CAVELOSSIM BEACH-VARCA BEACH-ZUMBRAI BEACH-TRINITY BEACH-BENAULIM BEACH तक जायेगी। कैम्प से चलते समय सुबह का नाश्ता तो सभी ने किया ही था। दोपहर का भोजन जिसे अंग्रेजी में लंच कहते है, सभी पैक कर अपने साथ ही लाये थे। इसके साथ-साथ चलते समय एक-एक पैकेट हम सभी को दिया गया था, जिसमें बिस्कुट के 5-5 वाले तीन पैकेट, एक फ़्रूटी का छोटे वाला पैकेट, एक मूँगफ़ली गुड़ वाली गजक का छोटा सा पैकेट, तथा इसके साथ एकदम बे स्वाद आठ-दस टोफ़ियाँ भी हमें दिये गये, सारा सामान उसी पैकेट में शामिल था। चलते समय दिया जाने पैकेट की सामग्री हमें आगामी पाँच दिन के लिये दी थी। दोपहर का भोजन तो सबको अपने साथ प्रतिदिन पैक कर साथ ही लेकर जाना होता था। अब खाने पीने के मामले में यहाँ पर पूरी ऐश दिखायी दे रही थी।

WALK WITHOUT SANDAL

शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

Goa- Beer & swimming pool, Camp fire गोवा की बीयर, तरणताल, ट्रेकिंग पर रवाना

गोवा यात्रा-भाग-08:
दोपहर में दोना/डोना पाउला (दो सच्चे प्रेमी,) बीच देखने के बाद वापिस मुख्य कैम्प में लौट आये थे। अब हमारे पास कई घन्टे आराम करने के नाम पर रिक्त थे, लेकिन हम जैसे ऊँत खोपड़ी वाले प्राणी/जन्तु को आराम करने का विचार भी दिन में नहीं आ पाता था। मन में हमेशा एक सनक रहती थी कि चलो आसपास कुछ और देख आये, इसी चक्कर में हम कैम्प के ठीक पीछे समुन्द्र किनारे जा पहुँचे थे, यहाँ कमल अपने साथ अपना लैप-टॉप वाला छोटा थैला भी ले आया था, टैन्ट में अकेले किसके भरोसे छोड़ते? लेकिन इस बैग में कमल भाई अपने लिये कुछ माल मसाला भी लाये थे। जिसे उदर में ड़कारने से पहले अनिल ने उसके साथ एक फ़ोटो खिचवा लिया था। वहाँ एकदम सुहानी-मस्तानी ठन्डी पुरवायी चल रही थी, जिस कारण हमारे वहाँ दो घन्टे कब बीत गये? हमें पता ही नहीं लग पाया था।

अनिल का बीयर पीने का स्टाइल

बुधवार, 23 जनवरी 2013

गोवा, दोना-पावला बीच Goa, Dona-Paula beach

गोवा यात्रा-भाग-07
सबका परिचय जानने के बाद हम एक बार आगे की पद यात्रा पर दोना पावला बीच के लिये चलने लगे। कुछ ही देर में हम गोवा के राजपाल निवास राजभवन के सामने पहुँच चुके थे। यहाँ से हमने उल्टे हाथ की ओर चलना शुरु कर दिया था। सीधे हाथ जाने पर राजभवन आ जाता वहाँ हमें अन्दर जाने नहीं दिया जाता। यहाँ से हम सब आगे बढ़ते रहे, कुछ देर बाद ही हम दोना पावला के मुख्य बस स्टॉप पर पहुँच गये थे, जहाँ दोना/डोना पावला/पाउला का बस स्थानक/अड़डा है वहाँ  उस चौराहे पर C I D गोवा पुलिस विभाग का कार्यालय भी बना हुआ है। इसी चौराहे से एक सड़क समुन्द्र की ओर नीचे उतराई पर जाती हुई दिखाई देती है। हम इसी सड़क पर दोना पावला बीच देखने के लिये चल दिये थे।

Dona Paola की पहली झलक

मंगलवार, 22 जनवरी 2013

गोवा ट्रेकिंग, मीरामार बीच Goa trekking, Miramar beach

गोवा यात्रा-भाग-06
यह तो हमें पहले से पता था कि आज हमारा ग्रुप चार-पाँच किमी की ट्रेकिंग करने दोना-पोला बीच तक जाने वाला है। जिसमें सबको अपने बैग साथ ले जाने है, अत: सब अपना-अपना बैग अपने कंधे पर लादकर गेट के पास पहुँच जाये। हम तो यहाँ ट्रेकिंग करने के लिये ही आये थे। ट्रेकिंग के बहाने, किसी तरह गोवा में घूमने का मौका लगे तो सही, हम सब पाँच-पाँच की लाईन में एक साथ खड़े हो गये, जहाँ पर सबसे पहले गिनती शुरु हुई, जिसके बाद हम छोटी सी समुन्द्री ट्रेकिंग पर रवाना हो गये थे।
Total members

रविवार, 20 जनवरी 2013

गोवा के यूथ हॉस्टल कैम्प में रॉक/चट्टान आरोहण Rock climbing in Goa at YHAI Camp

गोवा यात्रा-5
रात का खाना खाने के उपरांत, वहाँ पर कैम्प फ़ायर करने की प्रथा बनायी हुई थी। वहाँ एक बात बहुत अच्छी लगी कि कैम्प फ़ायर के नाम पर लकड़ियाँ जलाने की बरबादी करने की सख्त मनाही थी, इसका तोड़ उन्होंने कैम्प फ़ायर स्थल पर चारों और बिजली से जलने वाले नाईट बल्बों (इन्हें कुछ समझदार जीरो वाट का बल्ब भी कहते है, जबकि इनका वाट लगभग दस तो होता ही है।) का एक घेरा बनाया हुआ था। जब कैम्प फ़ायर करने का समय होता था तब एक स्विच से इन्हें जलाकर फ़ायर-फ़ायर कैम्प फ़ायर बोलकर यह रस्म निभायी जाती थी। यह रस्म प्रतिदिन दोहरायी जाती थी। अगली सुबह हमारा शारीरिक दमखम अभ्यास वाला कार्यक्रम शुरु होना था, लेकिन रात को अंग्रेजी नव वर्ष का स्वागत करने के लिये काफ़ी तैयारी की गयी थी। रात के बारह बजने तक वहाँ गीत-कविता-चुटकले आदि से कई लोगों ने अपनी छिपी हुई प्रतिभा का परिचय दिया था। जब बारह बजने वाले थे, तभी यकायक सभी उठ खड़े हुए। 
                                            इस यात्रा का पहला लेख यहाँ से देख सकते है।
क्मल ऊपर पहुँचते हुए

शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

Youth Hostels Camp, Campal, Panji, Goa यूथ हॉस्टल कैम्प, कैम्पल, मीरमार, पणजी, गोवा

गोवा यात्रा-04
हम तीनों ने एक साथ ही गोवा के यूथ हॉस्टल के कैम्प में प्रवेश किया, प्रवेश मार्ग के ठीक बाये हाथ पर ही यूथ हॉस्टल का टैंट नुमा कार्यालय बना हुआ था। हम तीनों ने इसमें अन्दर प्रवेश कर अपनी रिपोर्टिंग का कार्य करना शुरु किया। जो महिला कार्यक्रमी हमारा रिपोर्टिंग कर रही थी, उसने हमें दो-दो फ़ार्म दिये थे, जिन्हे भरकर हमने उसे वापिस कर दिये थे, यूथ हॉस्टल कैम्प के बाद समाप्त होने के बाद जो प्रमाण पत्र दिया जाता है, वह इन्ही फ़ार्म को देखकर भरा जाता है, अत: अपनी रिपोर्टिंग कराते समय दिये जाने वाले फ़ार्म बेहद सावधानी से भरने चाहिए, नहीं तो मेरी तरह बाद में नाम की स्पेलिंग सही कराने जाओगे तो आपको यह फ़ार्म दिखाकर बता दिया जायेगा कि इसमें हमारी कोई गलती है। आपने फ़ार्म में जो लिखा था इसमें वही लिखा है। कमल ने मेरा फ़ार्म भरा था जिस कारण पवाँर panwar की जगह पवार pawar हो गया था। शुक्र रहा कि पावर नहीं हुआ। फ़ार्म भरते समय हमें वहाँ रहते समय कुछ सावधानियाँ बरतने की हिदायत दी गयी। क्योंकि उस महिला कर्मी ने कमल को बताया दिया था तुम्हारी आँखे बता रही है तुम कुछ गड़बड करके यहाँ आये हो।

YOUTH HOSTEL CAMP GOA

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