द्धारका से बस तो हमें मिली नहीं इस कारण हमने कई ट्रकों को रुकने का इशारा किया लेकिन जूनागढ़ कोई नहीं जा रहा था। तभी एक मैजिक वाहन वाला आया हमने उसे हाथ का इशारा भी नहीं किया था उसने पोरबन्दर की आवाज लगायी तो हमने कहा कि हम तो जूनागढ़ जायेंगे। हमारी बात सुनकर वो बोला कि आपको पोरबन्दर तक मैं छोड़ दूँगा, वहाँ सुदामा मन्दिर व गाँधी की जन्म भूमि देखकर आप लोग अंधेरा होने से पहले आराम तक जूना गढ़ पहुँच जाओगे। उसकी बात सुनकर अपने दिमाग का घन्टा टन-टना-टन बोला कि चल जाट देवता चल लगता है श्रीकृष्ण का ही कारनामा है कि मेरा मन्दिर तो देख लिया है मेरे दोस्त सुदामा के मन्दिर को देखे बिना जा रहे हो। हम उस सामान ढ़ोने वाली मैजिक में सवार हो गये। मैं सबसे आगे बैठ गया जबकि बाकि तीनों पीछे पैर फ़ैला कर बैठ गये थे। द्धारका से पोरबन्दर की दूरी 115 किमी के पास है। गुजरात की चकाचक भीड़ रहित सड़कों पर हम मात्र दो घन्टे में ही पोरबन्दर पहुँच गये। मैजिक वाले ने हमें सुदामा मन्दिर के ठीक सामने छोड़ दिया। साथ ही यह भी समझा दिया था कि गाँधी का जन्म स्थान कहाँ है? सुदामा मन्दिर के बाहर एक नारियल वाला बैठा था सबसे पहले हमने एक-एक नारियल पर हाथ साफ़ किया उसके बाद उसकी गिरी खायी, तब कही जाकर हम सुदामा मन्दिर देखने के तैयार हुए।
यही श्री कृष्ण के दोस्त सुदामा का मन्दिर है। |