ANJANA DEVI लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ANJANA DEVI लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 1 अप्रैल 2013

Hanuman cave and Jain cave हनुमान गुफ़ा व जैन गुफ़ा।

भीमाशंकर-नाशिक-औरंगाबाद यात्रा-07                                                                    SANDEEP PANWAR


वापसी की कहानी में काफ़ी मजेदार रही, चढ़ाई में जहाँ साँस फ़ूलने की समस्या आ रही थी। वापसी में ऐसी कोई बात नहीं थी लेकिन वापसी में ढ़लान में उतरना हमेशा जोखिम भरा होता है, कारण हमारा शरीर उतराई की ओर गतिमान होने के कारण यदि हल्का सा झटका भी नीचे की ओर लगता है तो वह काफ़ी खतरनाक साबित हो सकता है। शुरु की कुछ दूरी तो समतल सी भूमि पर ही है इस कारण वहाँ पर ज्यादा खतरा नहीं था। लेकिन जहाँ से उतराई शुरु हो रही थी वहाँ पर तेज ढ़लान होने के कारण सावधानी बरतने की नौबत आ गयी थी। यह तो शुक्र रहा कि इस जगह पर बारिश का मौसम नहीं था। नहीं तो ऐसी जगह बारिश के कारण यदि फ़िसलन भी हो जाये तो फ़िर नानी याद आने में ज्यादा देर नहीं लगती है। मैं सावधानी से नीचे वहाँ तक उतर आया जहाँ तक सीढ़ियाँ बनी हुई थी। मैंने सीढ़ियाँ समाप्त होते ही अपनी गति में अपनी स्टाईल वाला गियर लगाया ही था कि विशाल जैसा कोई बन्दा मुझे तालाब किनारे बैठा हुआ दिखाई दिया। मैंने रुककर देखना चाहा कि यह हरी कमीज में विशाल ही है या कोई और? मैं उस बन्दे के मुड़ने की प्रतीक्षा में कुछ पल वही खड़ा रहा। जैसे ही वो बन्दा मुड़ा तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना ही नहीं रहा। वह विशाल ही था।

हनुमान का नया अवतार। विशाल राठौर, बोम्बे वाला।

रविवार, 31 मार्च 2013

Anjaneri mountain/parvat-Birth place of Hanuman ji अंजनेरी पर्वत-रुद्र अवतार हनुमान जी का जन्म स्थान

भीमाशंकर-नाशिक-औरंगाबाद यात्रा-06                                                                   SANDEEP PANWAR


हम त्रयम्बक जाने वाली बस से अन्जनेरी पर्वत के मोड़ पर उतर गये। यहाँ बस से उतरते ही उल्टे हाथ सड़क किनारे एक दुकान दिखायी दी। हम सीधे उस दुकान में घुस गये। दुकान वाले से अन्जनेरी पर्वत पर आने-जाने के बारे में पता किया। उसने बताया कि अन्जनेरी यहाँ से लगभग 6-7 किमी दूरी पर है जिसमें से आखिरी के 3 किमी ही ज्यादा चढ़ाई वाले है। मैंने सोचा चलो आना-जाना कुल 14-15 किमी है तो है। कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन 14-15 किमी वाली बात पर विशाल के मन में एनर्जी बचाने वाली बात घर गयी थी। उसने कहा कि पहले 4 किमी तो लगभग साधारण सड़क का मार्ग है इसलिये शुरु के चार किमी चलने में क्यों शारीरिक ऊर्जा बर्बाद की जाये। अब साथ जाने वाले का कुछ तो मान रखना ही पड़ता है। साथ वाले की बेईज्जती करना मेरा उसूल नहीं है। लेकिन मैं यदि ऐसे लोगों के साथ यात्रा पर गया हूँ जो दूसरे लोगों के मान सम्मान का ख्याल नहीं रखते है तो मैं दुबारा ऐसे लोगों के साथ जाने से हर सम्भव बचता हूँ। मेरे साथ पहले भी कई बार एक दो जिददी लोग चले गये थे, लेकिन बाद में मैं उनके साथ दुबारा नहीं गया। चलिये अब इस यात्रा की बात हो जाये। विशाल के कहा तो मैंने भी कहा ठीक है भाई 4 किमी किसी वाहन से चल देते है। विशाल ने एक मैजिक वाले से बात की लेकिन उसका जवाब सुनकर विशाल का मुँह फ़टा का फ़टा रह गया। उसका जवाब सुनकर मैं मुस्कुरा रहा था। चलिये आप को भी बता देते है कि उस वाहन वाले ने कहा क्या कहा था? मैजिक वाले ने 4 किमी की दूरी तक, दो बन्दों को छोड़ने के लिये हमसे 500 रुपये की माँग कर ड़ाली। हमने कुछ क्षण उसके जवाब को पचाने में लगाये, लेकिन उसकी बात हजम होने वाली नहीं थी। उसके बाद एक लम्बा साँस लेकर उसे कहा कि दोनों मिलाकर 200 रुपये से ज्यादा नहीं देंगे। यह कहकर मैंने अपना सामान उठा कर चल दिया। 

सड़क से चलते ही यह जैन मूर्ति दिखायी देती है।

गुरुवार, 1 नवंबर 2012

चन्डी देवी, अन्जना देवी, नीलकंठ महादेव, ऋषिकेश, भ्रमण Chandi devi, Anjana devi, Neelkanth Mahadev,



इस यात्रा का पहला भाग यहाँ से पढे।

मैंने कार मंशा देवी पार्किंग में सही जगह देख खडी कर दी थी, जिसके बाद सामने ही दिखाई दे रहे टिकटघर से चार टिकट लेकर, हम सब ऊडन खटोले की ओर बढ चले। बच्चों के टिकट लेने की आवश्यकता ही नहीं पडी थी, क्योंकि ज्यादा छोटे बच्चों का टिकट ही नहीं लगता था। यहाँ इस मन्दिर में मैं पहले भी आ चुका था जबकि परिवार के अन्य सदस्य पहली बार ही यहाँ पर आये थे। मैंने यहाँ की पहली यात्रा पैदल की थी। आज दूसरी यात्रा उडन खडोले से की जा रही थी। उडन खटोले से उडते हुए पहाड पर चढना भी अलग ही रोमांच का अनुभव करा रहा था। जब उडन खटोला काफ़ी ऊँचाई पर पहुँच गया तो वहाँ से नीचे झाँक कर देखा तो एक बार को तो साँस, जहाँ थी वही अटक गयी सी महसूस हुई, लेकिन जल्द ही साँसों पर काबू पा लिया गया। मेरे नीचे देखने के बाद सबने नीचे देखा और शुरु में डरते-डरते बाद में सामान्य होकर रोमांच का जी-भर कर आनन्द उठाया। उडन खटोले से तीन किमी का सफ़र सिर्फ़ तीन मिनट में सिमट कर रह गया था। पैदल चढते हुए इस यात्रा को एक घन्टा लग जाता है सुना है कि आजकल पैदल मार्ग पर कुछ बाइक वाले भी मिलते है जो यात्रियों से कुछ शुल्क लेकर मन्दिर तक यात्रा भी करवा देते है।
दो रत्न
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...