EAST COAST TO WEST COAST-15 SANDEEP PANWAR
रात
को करीब आठ बजे जाकर कुरुन्दा गाँव में पहुँचना हो सका। वहाँ जाकर देखा कि अधिकतर लोग
कल होने वाली शादी के कार्य की तैयारी में लगे पड़े थे। मेरे लिये यह पहला मौका था जब
मैं किसी महाराष्ट्रियन शादी में शामिल होने जा रहा था अभी तक मैंने उत्तर भारतीय हिन्दी
भाषी राज्यों की शादियाँ ही देखी थी। रात को कोई नौ बजे के आसपास बाबूराव (जिनके यहाँ
शादी थी) की इकलौती व सबसे छोटी लड़की की कुछ रस्म करने के लिये पन्ड़ाल में लाया गया।
इस प्रकार रस्म हमारे यहाँ घर की चार दीवारी के अन्दर ही समपन्न करायी जाती है। इस
रस्म के तुरन्त बाद लड़की घर के अन्दर चली गयी। रात में मैंने बाबूराव से पता किया कि
आपके तो छोटे लड़के की भी कल इसी पन्ड़ाल में ही शादी होने वाली है ना, लेकिन वो कही
नजर नहीं आ रहा है। मेरी बात का जवाब मिला कि हमारे यहाँ लड़का शादी से पहली रात ससुराल
में बिताता है जहाँ उसको हल्दी आदि लगाने की रस्म निभानी होती है। ऐसा गजब कैसे?