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बुधवार, 26 मार्च 2014

Natni ka bara and Ulha heri Villege नटनी का बारा व उलाहेडी गाँव

भानगढ-सरिस्का-पान्डुपोल-यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये गये है।
01- दिल्ली से अजबगढ होते हुए भानगढ तक की यात्रा।
02- भानगढ में भूतों के किले की रहस्मयी दुनिया का सचित्र विवरण
03- राजस्थान का लघु खजुराहो-सरिस्का का नीलकंठ महादेव मन्दिर
04- सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण में जंगली जानवरों के मध्य की गयी यात्रा।
05- सरिस्का नेशनल पार्क में हनुमान व भीम की मिलन स्थली पाण्डु पोल
06- राजा भृतहरि समाधी मन्दिर व गुफ़ा राजा की पूरी कहानी विवरण सहित
07- नटनी का बारा, उलाहेडी गाँव के खण्डहर व पहाडी की चढाई
08- नीमराणा की 12 मंजिल गहरी ऐतिहासिक बावली दर्शन के साथ यात्रा समाप्त

BHANGARH-SARISKA-PANDUPOL-NEEMRANA-07                           SANDEEP PANWAR

केक खाने के बाद एक बार फ़िर गाडी में सवार हो गये। अब हमें नटनी का बारा नाम से मशहूर हुई जगह देखनी थी। यह जगह सरिस्का से अलवर जाने वाली सडक के किनारे ही है। बताते है कि काफ़ी पहले सडक के साथ बहने वाली नदी को पार करने के लिये एक नटनी नदी किनारे के दोनों पहाडों पर रस्सी बाँध कर आर-पार जाया करती थी। नटनी दोनों पर्वतों के बीच की खाई को प्रतिदिन दो बार पार कर इस ओर से उस ओर आया-जाया करती थी। एक दिन उस नटनी की मौत उसी रस्सी से गिरने से हो गयी। कहते है नटनी को नीचे अपना बच्चा दिखायी दे गया। जिस कारण वह ममता के मोह में फ़ंसने होने से अपना संतुलन सम्भाल नहीं सकी। लगभग अस्सी फ़ुट की ऊँचाई से गिरते के कारण नटनी तत्काल मौत की नीन्द सो गयी। घुडसवार की गिरता है मैदाने जंग में।


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