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शनिवार, 27 अप्रैल 2013

Pathankot-Kangra-Jogindernagar narrow gauge Toy/hill Train पठानकोट-कांगड़ा-जोगिन्द्रनगर की नैरो गेज वाली रेलवे लाइन की यात्रा।

हिमाचल की कांगड़ा व करसोग घाटी की बस यात्रा 03                                                SANDEEP PANWAR

नगरोटा सूरियाँ नामक गाँव में बस व छोटी रेल दोनों ही आती है। नगरोटा नाम से हिमाचल में दो जगह है एक का नाम नगरोटा है दूसरे का नाम नगरोटा सूरियाँ है। हमने बस वाले से कहा "देख भाई हमें नगरोटा से छोटी  रेल में बैठकर पालमपुर व बैजनाथ की ओर जाना है। इसलिये हमें ऐसी जगह उतार देना जहाँ से रेलवे स्टेशन नजदीक पड़ता हो। पीर बिन्दली से नगरोटा तक का सफ़र छोटी-मोटी सूखी सी पहाडियाँ के बीच होकर किया गया था। फ़ोटॊ खेचने के लिये एक भी सीन ऐसा नहीं आया जिसका फ़ोटॊ लेना का मन किया हो। जैसे ही नगरोटा में बस दाखिल हुई तो हमने एक बार फ़िर बस कंड़क्टर को याद दिलाया कि भूल मत जाना। कंड़क्टर भी हमारी तरह मस्त था बोला कि आपको तसल्ली बक्स उतार कर स्टॆशन वाला मार्ग बताकर आगे जायेंगे। थोड़ा सा आगे चलते ही कंड़क्टर ने हमें खिड़की पर पहुँचने को कहा। जैसे ही बस रुकी तो देखा कि हमारी बस एक पुल के ऊपर खड़ी है, मैंने सोचा कि यहाँ कोई नदी-नाला होगा, जिसका पुल यहाँ बना हुआ है। जब कंड़क्टर ने कहा कि यह पुल रेलवे लाईन के ऊपर बना हुआ है। आप इस पुल के नीचे उतर कर उल्टे हाथ आधे किमी तक पटरी के साथ-साथ चले जाना आपको स्टेशन मिल जायेगा।

जाट देवता कांगड़ा नैरो गेज की यात्रा पर है।

शनिवार, 13 अप्रैल 2013

Maa Jawala ji Temple माँ ज्वाला जी/ज्वाला मुखी जी मन्दिर दर्शन।

हिमाचल स्कारपियो-बस वाली यात्रा-04                                                                    SANDEEP PANWAR

ज्वाला जी को कुछ लोग ज्वाला मुखी भी बोलते है। जब हम ऊपर मन्दिर के प्रागंण मॆं पहुँचे तो देखा कि वहाँ पर लगभग 200 मीटर लम्बी लाईन लगी हुई है। अगर यहाँ जलती ज्वाला रुपी ज्योत देखने की बात ना रही होती तो मैं लाईन में लगना पसन्द नहीं करता लेकिन अपने मराठे व जयपुरिया दोस्त तो यहाँ पहली बार आये थे, इसलिये मैं भी उनके साथ लाईन में लग ही गया। लाईन बहुत ज्यादा गति से नहीं बढ़ रही थी इसलिये मुझे वहाँ खड़े-खड़े झुन्झलाहट होने लगी थी। लाईन की लम्बाई को सीमित स्थान में रखने के लिये उसको बलखाती पाईपों में मोड़ दिया गया था। चूंकि हम तो यहाँ अपनी गाड़ी में आये थे। मैं पहली बार यहाँ अपनी नीली परी बाइक पर आया था। अपने वाहन से यात्रा करने का अलग ही आनन्द है। पठानकोट से मात्र 212 किमी है, अम्बाला से 273 किमी दूरी है। ज्वालामुखी मंदिर की चोटी पर सोने की परत चढी हुई है। आगे बढ़ने से पहले आपको यहाँ की कुछ काम की जानकारी दे दी जाये। तब तक लाईन भी आगे सरक जायेगी और आपको मन्दिर के दर्शन भी करा दूँगा। समुन्द्र तल से मन्दिर की ऊँचाई 2100 मीटर के आसपास है।
सोने का छत्र

यही सामने वाले भवन में ज्वाला जी अग्नि रुप में जलती रहती है।

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

Bhakra Nangal Dam to Jawala Mukhi ji Temple भाखड़ा नांगल बाँध होते हुए ज्वाला जी मुखी तक

हिमाचल स्कारपियो-बस वाली यात्रा-03                                                                    SANDEEP PANWAR

नैना देवी मन्दिर में मुख्य मूर्ति के दर्शन करने के उपरांत अपना काफ़िला ज्वाला जी ओर चल दिया। बाइक वाले दोस्त एक घन्टा पहले ही आगे की मंजिल के लिये प्रस्थान कर गये थे। हमने भी वहाँ ज्यादा समय ना लगाते हुए ज्वाला जी के लिये प्रस्थान कर दिया। नैना देवी के पहाड़ पर चढ़ते ही सतलुज नदी पर बना बांध के कारण रुका हुआ पानी दिखायी देने लगता है। यहाँ एक बात स्पष्ट कर रहा हूँ कि बोलने में तो सभी भले ही भाखड़ा-नांगल बांध बोलते हो लेकिन भाखड़ा और नांगल दो अलग-अलग बांध है जिसमें से नांगल बांध नीचे बना है और भाखड़ा बांध इससे 13-14 किमी ऊपर बना हुआ है। यहाँ आने से पहले तो मेरे लिये दोनों बांध एक ही हुआ करते थे। भाखड़ा बांध को ही गोविन्द सागर झील कहा जाता है। हिमाचल में ही एक अन्य बांध पोन्ग बांध भी देखने घूमने लायक स्थान है। पोन्ग बांध को महाराणा प्रताप सागर बान्ध कहा जाता है। नैना देवी के ऊपर पहाड़ से ही भाखड़ा बांध के दर्शन होने आरम्भ हो जाते है। इसलिये हम इसी बान्ध के साथ-साथ चलते हुए चले आ रहे थे।

अति सुन्दर
देखा

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