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बुधवार, 27 अगस्त 2014

Kampty Fall-Mussoorie to Delhi कैम्पटी फ़ॉल मसूरी से दिल्ली तक

BIKE YATRA WITH WIFE-03

पेंचर वाली बाइक मोड पर ही थोडा गडबड करती थी अन्यथा बाइक आसानी से 40 की गति से दौडी जा रही थी। सीधी सडक पर बाइक चलाने में कोई समस्या नहीं आयी। जहाँ सडक खराब आती थी वही बाइक ज्यादा धीमे निकालनी पडती थी। ट्यूब कटने की चिन्ता नहीं थी। उसके बारे में तो सोच ही लिया था कि नई डलवानी ही पडेगी। 
इस यात्रा के तीनों लेख के लिंक नीचे दिये गये है।
01- दिल्ली से हरिदवार व ऋषिकेश यात्रा।
02- उत्तरकाशी से यमुनौत्री मन्दिर तक
03- कैम्पटी फ़ॉल, मसूरी देहरादून दिल्ली तक

सोमवार, 29 अक्टूबर 2012

समूह में पहली बार कैम्पटी फ़ॉल भ्रमण(कोहरे का कहर) kampty fall group tour


लोग कहते है कि घुमक्कडी में पैसे खर्च करना फ़िजूल खर्ची है लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता। दूसरी बात पैसे खर्च करके भी कोई साधु महात्मा जितनी घुमक्कडी और भी करता होगा। मुझे नहीं लगता। जबकि मैं हमेशा कहता आया हूँ कि घुमक्कडी किस्मत से मिलती है समय व पैसों से नहीं, लेकिन कई लोग ऐसे भी मिल जायेंगे जिन्हे मेरी इस बात पर भी आपत्ति होगी। ऐसे लोगों को उनके हाल पर छोड देनी में ही अपनी भलाई है। जिससे मैं अपनी मनमौजी घुमक्कडी पर लगा रहता हूँ। तो चलिये दोस्तों आज आपको अपनी ऐसी पहली घुमक्कडी के बारे में बताता हूँ जिसमें मेरे साथ कई और युवक व युवती भी गये थे। युवती के फ़ोटो मैं नेट पर लगाना नहीं चाहता हूँ अत: कोई इस बारे में कुछ ना कहे। बात सन 2003 के दिसम्बर माह के आखिरी सप्ताह की बात है। मेरी मौसी व मामा का परिवार देहरादून में ही रहता है जिस कारण वहाँ साल में दो तीन बार आना-जाना हो ही जाता है। इसी तरह उपरोक्त तिथि को मेरी मौसी की लडकियाँ जिनकी ससुराल हमारे घर से 4-5 किमी दूर ही है। मौसी की लडकियों ने फ़ोन कर मुझे बताया कि वह व उनका देवर कुछ अन्य दोस्तों के साथ मसूरी घूमने जा रहे है। अगर तुम्हे चलना है तो शाम तक बता देना, क्योंकि रात को यहाँ से चल देना है। 

रविवार, 7 अक्टूबर 2012

Delhi-Dehradun-mussoorie-kampty fall bike trip दिल्ली से देहरादून-मसूरी-कैम्पटी फ़ॉल बाइक यात्रा


एक कहावत है कि पूत के पॉव पालने में दिख जाते है लेकिन मैं कहता हूँ कि पालना भी तो ऐसा हो जिसमें हाथ पैर चले ताकि दिखे तो सही। चलिये कहावत को मारो गोली। आज आप सबको लेकर चलता हूँ पहाड की लगभग हजार किमी लम्बी बाइक यात्रा पर घुमा कर लाता हूँ जिसमें मेरे साथ मेरी माताजी घूमने गयी थी। क्यों क्या कहते हो? ऐसा नहीं हो सकता। चलिए इस बात का प्रमाण दिखाने के लिये एक फ़ोटो भी लगा देता हूँ नीचे देख लो। यात्रा शुरु होती है सन 2001 के फ़रवरी माह के आखिरी सप्ताह की बात है देहरादून के भन्डारी बाग में रहने वाले मेरे मामाजी चौ० हरवीर सिंह तोमर की बडी लडकी की शादी का अवसर था। हमारा परिवार सहित बुलावा आना ही था, लेकिन उस समय तक हमारा परिवार ज्यादा बडा नहीं था, हमारे परिवार में मात्र तीन प्राणी थे। मैं, मेरा छोटा भाई और हमारी माताजी, भाई तो उस समय भी उतरकाशी जनपद में तैनात था। पहले तो हम दोनों ने देहरादून में शादी समारोह के लिये बस से यात्रा करने की सोची थी, लेकिन भाई ने कहा कि नई बाइक किस काम आयेगी? बाइक लेकर शादी में आ जाओ ताकि शादी के बाद बाइक से ही आगे उतरकाशी तक आ जाना। यह बात मुझे पसन्द आ गयी थी। अत: मैने शादी में बाइक से जाने की बात माताजी को बतायी तो उन्होंने कहा कि मैं भी तुम्हारे साथ बाइक से ही जाऊँगी। उस समय हमारे पास पैसन बाइक थी जो आज भी हमारे पास है। इस बाइक ने लगभग डेढ लाख किमी से ज्यादा दूरी नाप रखी है।

शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

MUSSOORIE- GUN HILL and KAMPTY FALL मसूरी- गनहिल व कैम्पटी फ़ॉल

               यह सीरीज शुरू से यहाँ से देखे                                          इस पोस्ट से पहला भाग यहाँ है  
जिस दिन मसूरी जाना था, वह दिन मेरे लिये बहुत बडी खुशी का दिन था। अरे बन्धु, मसूरी जाने के नाम पर तो आज भी लोग जान छिडकते है मैं तो फ़िर भी बीस साल पहले की बात बता रहा हूँ कई लोग सोच रहे होंगे कि क्या जाट भाई भी फ़ालतू की बिना फ़ोटॊ वाली यात्राएँ लिखे जा रहा है? लेकिन मैं जानता हूँ कि मेरे लिये यह बिना फ़ोटो वाली कई यात्राएँ कितनी कीमती है? बिना फ़ोटो यात्रा लिखने पर यह तो पता लगा कि कुछ लोग सच में लिखा हुआ पढना पसन्द करते है। केवल फ़ोटो देखने ही नहीं आते है। हाँ तो दोस्तों शुरु करते है अपनी पहली मसूरी यात्रा विवरण, सुबह कुछ ज्यादा ही जल्दी आँख खुल गयी थी, या यूँ कह सकते हो कि रात को ठीक से नींद ही नहीं आ पायी थी। कारण आप सब जानते ही हो कि यही आज वाला यात्रा का पंगा। पंगे व पहाड से याद आया कि दोनों में मुझे बहुत मजा आता है। सुबह सबसे पहले उठकर नहा धोकर तैयार हो गया, मामीजी ने सुबह सात बजे ही खाना बना कर दे दिया था। उस दिन शायद मामाजी की दोनों लडकियों का परीक्षा फ़ल आने वाला था। उनके परीक्षा फ़ल से ज्ञात हुआ कि वे भी C.B.S.E  से सम्बंधित स्कूल में ही पढते है जैसे हम दिल्ली में पढते है। देहरादून का गुरु राम राय पब्लिक स्कूल केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है। मैं और बबलू (नवीन) तैयार होकर रेलवे स्टेशन के बीच से होते हुए मसूरी अडडे पर जा पहुँचे, वैसे भी भण्डारी बाग से मसूरी अडडा आने-जाने के लिये मुख्य सडक से होकर जाना पडता है, लेकिन जिन लोगों को मालूम है, वे सीधे स्टेशन से होते हुए उस अडडे तक चले जाया करते थे। आजकल शायद स्टेशन पर खासकर प्लेटफ़ार्म पर भी टिकट (plate form) लेकर जाना पडता है। उस समय हर आधे घन्टे पर मसूरी के लिये बस मिला करती थी आज क्या स्थिति है मुझे नहीं मालूम? मैं चाहता तो मामाजी को फ़ोन करके पता कर सकता था लेकिन मुझे यह बात ठीक नहीं लगी इसलिये पता नहीं किया।




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