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शुक्रवार, 3 मार्च 2017

Travel to Juhu chowpatty beach mumbai मुम्बई का खूबसुरत जुहू चौपाटी सागर तट/ बीच



अंडमान व निकोबार की इस यात्रा में आपने अभी तक पोर्टब्लेयर का Chidiya Tapu, डिगलीपुर में अंडमान की सबसे ऊँची चोटी Saddle Peak, अंग्रेजों की क्रूरता की निशानी Cellular Jail, Haw lock island के सुन्दर तट और खूबसूरत Neil island, अंग्रेजों का मुख्यालय Ross island, Samudrika संग्रहालय, Mount harriet National Park, Wandoor Beach, पोर्टब्लेयर का Jogger’s Park & Airport, Chennai Airport, Mumbai Airport देखा। इस यात्रा को शुरु से पढना हो तो यहाँ माऊस से चटका लगाकर  सम्पूर्ण यात्रा वृतांत का आनन्द ले। इस लेख की यात्रा दिनांक 30-06-2014 को की गयी थी
JUHU CHOWPATTY BEACH, MUMBAI & TRAVEL TO NEW DELHI मुम्बई का जुहू चौपाटी सागर तट देखकर दिल्ली प्रस्थान

शनिवार, 20 जुलाई 2013

Kurunda नान्देड़ सचखन्ड़ गुरुद्धारा व कुरुन्दा गाँव

LTC-  SOUTH INDIA TOUR 07                                                                           SANDEEP PANWAR
हमने सुबह 9 बजे ही शिर्डी छोड़ दिया था मन्दिर से थोड़ा सा आगे बने हुए बस अड़ड़े पहुँचे तो वहाँ एक वैन वाला पीछे पड़ गया। जब हम बस अडड़े में घुस रहे थे तो हमसे वहाँ खड़े वैन वालों ने पूछा था कि कहाँ जाओगे? मैंने कहा कि मनमाड़ जाना है लेकिन बस में जाना है, वैन में चलो, ना वैन में ज्यादा किराया लगेगा, उतने पैसे हमारे पास नहीं है, लगता था कि वैन वाला भी खाली वैन लेकर मनमाड़ नहीं जाना चाहता था। उसने कहा बस में 40 रुपये लगते है आप दोनों के 100 रुपये दे देना। अरे वाह, यह तो अपने आप ही ठीक किराया माँग रहा है, लेकिन तुम कई सवारी लेकर जाओगे हमें 10:30 पर मनमाड़ से रेल पकड़नी है। वैन वाला बोला अपको आपकी ट्रेन से पहले पहुँचा दूँगा। यहाँ सिर्फ़ 5-7 मिनट देखता हूँ, सुबह के समय मुश्किल से ही सवारी मिलती है। अगर कोई और नहीं मिला तो आप दोनों को लेकर जरुर जाऊँगा। थोड़ी देर तक जब कोई सवारी दिखायी नहीं दी तो वह हम दोनों को लेकर मनमाड़ की ओर चल दिया।
केले की फ़सल

Shirdi Sai Baba शिर्ड़ी का साँई बाबा

LTC-  SOUTH INDIA TOUR 06                                                                           SANDEEP PANWAR
त्रिरुपति मन्दिर की पहाड़ी त्रिरुमला से सुबह 5 निकलने की सोच रहे थे लेकिन जब 5:20 बस अड़ड़े पर ही हो गये तो दिल में धुकड़-धुकड़ सी होने लगी थी कि अब बीस किमी नीचे जाकर ट्रेन पकड़ना मुमकिन नहीं हो पायेगा। हमने ट्रेनों का क्रमवार आरक्षण कराया हुआ था यदि गलती से एक भी ट्रेन छूट जाती है तो अगली ट्रेन तक पहुँचने के लिये हमें पापड़ बेलने की नौबत आ जायेगी। लेकिन कहते है ना ऊपर वाले के यहाँ देर है लेकिन अंधेर नहीं है। अचानक एक बस नीचे से आयी और सवारी उतारकर तुरन्त नीचे जाने को तैयार हो गयी। हमने उसके कन्ड़क्टर से पूछा कि क्या नीचे त्रिरुपति स्टेशन तक बैठा लोगो? उसके हाँ कहते ही हम उस बस में जा घुसे। अब ट्रेन चलने में 30 मिनट बाकि थे लेकिन हमारी ट्रेन से दूरी अभी भी लगभग 20 किमी बची हुई थी।


रविवार, 14 जुलाई 2013

Information- Leave Travel Concession (LTC) journey पहली सरकारी यात्रा LTC पर जाने की तैयारी व जानकारी।

LTC-  SOUTH INDIA TOUR 01                                                                           SANDEEP PANWAR
यह यात्रा सन 2009 के दिसम्बर माह में की थी। सरकारी कर्मचारी को चार वर्ष में एक बार पूरे भारते में से किसी एक जगह सपरिवार आने-जाने का किराया मिलता है। अपने जैसे सिरफ़िरे यदि इन सरकारी योजनाओं के चक्कर में पड़ने लगे तो फ़िर तो हो ली घुमक्कड़ी। सरकारी यात्रा चार साल में एक बार हो सकती है जबकि हम जैसे तो साल में कम से कम 6/7 यात्रा तो कर ही ड़ालते है कुछ ऐसे भी मिल जायेंगे जो हर माह किसी ना किसी यात्रा पर निकल पड़ते है। बस या रेल में किसी जगह होकर आना ही यात्रा नहीं कहलाता है किसी स्थान पर जाकर वाहन चाहे कोई भी हो (बस, रेल आदि) यदि उस स्थान के स्थल नहीं देखे तो क्या खाक यात्रा की गयी? ऐसी यात्रा तो दैनिक यात्रा करने वाले वेतन भोगी कर्मचारी व सामान बेचने वाले भी कर लेते है।

अपुन की जोडीदार


शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

Bombay/Mumbai Local Train Journey (Information) and Tennis court मुम्बई लोकल ट्रेन की सम्पूर्ण जानकारी

EAST COAST TO WEST COAST 35                                                                   SANDEEP PANWAR
बोम्बे/मुम्बई का गेटवे ऑफ़ इन्डिया व ताज होटल देखने के बाद वापसी में चर्चगेट स्टेशन पहुँचने के लिये हमने पैदल चलने की जगह टैक्सी से दो किमी की दूरी तय करने का फ़ैसला किया। स्टेशन पहुँचकर बोला संदीप भाई आज आपको एक ऐसी चीज खिलाता हूँ जो शायद आपने अभी तक नहीं खायी होगी। क्यों भाई! ऐसी क्या चीज है? जो मैंने आज 38 वर्ष का होने तक नहीं खायी है, वैसे भी मैं शाकाहारी भोजन, सादा जल, व फ़लों के लावा और किसी पदार्थ का सेवन तो करता नहीं हूँ इसलिये ऐसी बहुत सी खाने लायक वस्तुएँ है जो मैंने अभी तक नहीं खायी है। विशाल और मैं स्टेशन पर प्लेटफ़ार्म की ओर जा रहे थे कि तभी वहाँ एक दुकान पर विशाल बोला रुको, संदीप भाई! पहले रोल जैसी वो स्वादिष्ट वस्तु खाते है फ़िर ट्रेन के लिये चलेंगे। (continue)


गुरुवार, 11 जुलाई 2013

Gateway of India and Taj Hotel गेटवे ऑफ़ इन्डिया और ताज होटल

EAST COAST TO WEST COAST 34                                                                   SANDEEP PANWAR
छत्रपति शिवाजी रेलवे टर्मिनल से गेटवे जाने के लिये हमने एक बार टैक्सी का सहारा लिया। बोम्बे में छोटी दूरियाँ तय करने के लिये दो/तीन बन्दों को टैक्सी सबसे सस्ती व उत्तम सेवा प्रतीत होती है। वैसे बोम्बे में ऑटो भी चलते है लेकिन टैक्सी व ऑटो के किराये में बहुत ज्यादा अन्तर ना होने के कारण टैक्सी को ही वरीयता देनी चाहिए। हम कुछ ही देर में गेट वे आफ़ इन्डिया के पास वाले चौराहे पर जा पहुँचे। यहाँ पर कई साल पहले हुई पाकिस्तानी फ़रीकों की शांतिप्रिय घटना जिसे हम लोग आतंकवादी घटना कहते है, के कारण सुरक्षा व्यवस्था कुछ ज्यादा ही चौकस कर दी गयी है। गेट वे इन्डिया जाने के लिये अब हर किसी को पोलिस (पुलिस) जाँच से गुजरकर ही आगे जाना पड़ता है। हम भी अपनी जाँच कराकर ही आगे बढ़ पाये।


बुधवार, 10 जुलाई 2013

CST Chatrapati Shiwaji Terminas/Victoria VT छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी/वीटी)

EAST COAST TO WEST COAST 33                                                                   SANDEEP PANWAR
नरीमन पॉइन्ट से बोम्बे की बेस्ट वाली बस में सवार होकर हम बोम्बे का मुख्य रेलवे स्टेशन देखने चल दिये। यहाँ हमारी बस लम्बा चक्कर लगाकर जाने वाली थी जब बस परिचालक से हमने टिकट के लिये कहा तो उसने कहा कि यह बस बहुत घूमकर जायेगी। बस कन्ड़क्टर को दो टिकट के पैसे देकर टिकट ले लिये गये। किसी जगह घूमने के लिये वहाँ के कई चक्कर लगाये जाये इससे बेहतर और क्या हो सकता है? हमारी बस बोम्बे हाईकोर्ट के सामने से होकर निकल रही थी तो विशाल ने मुझे बताया कि यह बोम्बे हाईकोर्ट है। अगर विशाल ने मुझे नहीं बताया होता तो मैं तो यही समझता रहता कि यह कोई किला आदि जैसा कुछ इमारत है। देखने में ही हाई कोर्ट किले जैसी ही प्रतीत होती है।


मंगलवार, 9 जुलाई 2013

Girgao Chopati And and Nariman Point गिरगाँव चौपाटी से नरीमन पॉइन्ट तक यात्रा

EAST COAST TO WEST COAST-32                                                                   SANDEEP PANWAR
बस से उतरने के बाद हम दोनों गिरगाँव चौपाटी देखने के लिये सड़क पार करने लगे। यहाँ सड़क पर बहुत ज्यादा संख्या में पुलिस बल देखकर मन में शंका हुई कि दिल्ली की तरह यहाँ भी बम आदि का विस्फ़ोट तो नहीं हो गया है। दिल्ली की तरह बोम्बे में आतंकवादी घटना घटित होना दैनिक क्रिया जैसा प्रतीत होने लगता है। हमने जैसे ही सड़क पार की तो सामने ही नाना-नानी पार्क के नाम से एक छोटा सा पार्क दिखायी दिया। हम अभी दो बड़े-बड़े पार्क देखते हुए आये थे इसलिये इस छोटे से पार्क को बाहर सड़क से ही सरसरी तौर पर देखते हुए आगे बढ़ते चले गये। नाना-नानी पार्क से आगे बढ़ते ही चौपाटी दिखायी देने लगती है। वैसे बस से आते समय समुन्द्र किनारे काफ़ी दूर तक का साफ़ नजारा दिखायी देता रहता है। 


सोमवार, 8 जुलाई 2013

Kamla Nehra Park कमला नेहरु पार्क व मुम्बई की बस सेवा बेस्ट की सवारी

EAST COAST TO WEST COAST-31                                                                   SANDEEP PANWAR
जिस सड़क से होकर हम यहाँ तह आये थे। उसके ठीक सामने फ़िरोजशाह गार्ड़न है जो शायद मुम्बई का सबसे बड़ा गार्ड़न भी हो सकता है। फ़िरोजशाह मेहता गार्ड़न को ही हैंगिंग गार्ड़न भी कहा जाता है कल के लेख में आप उसे देख ही चुके है। आज कमला नेहरु पार्क देखते है कमला नेहरु पार्क भी मालाबार हिल पर ही बनाया गया है। यह पार्क भी काफ़ी बड़ा है। कमला नेहरु पार्क के नाम से भारत भर में अधिकतर बड़े नगरों में पार्क बने हुए मिल जायेंगे। कमला नेहरु पार्क की सबसे बड़ी पहचान यह है कि इसमें एक जूते के आकार का बड़ा सा दो मंजिला आकार का सीमेंटिड़ नमूना बनाया गया होता है। बताते है कि कोई औरत किसी समय एक बड़े जूते में रहा करती थी उसकी याद में जूते की आकृति ही कमला नेहरु पार्क की पहचान बना दी गयी है। इस पार्क के अन्दर तो खूबसूरत नजारे है ही लेकिन इसमें सबसे बड़ी बात यहाँ से समुन्द्र की ओर देखने पर जो हसीन नजारे दिखायी देते है उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है।


रविवार, 7 जुलाई 2013

Mumbai-Hanging Garden/ Firoz Shah Mehta Garden मुम्बई का हैंगिंग गार्ड़न/ फ़िरोज शाह मेहता गार्ड़न

EAST COAST TO WEST COAST-30                                                                   SANDEEP PANWAR
बाबुलनाथ मन्दिर देखने के बाद हम वापिस सड़क पर आये यहाँ पर विशाल ने मुम्बई की मालाबार पहाड़ी पर बने शानदार हैंगिंग गार्ड़न जिसे फ़िरोज शाह मेहता पार्क भी कहते है, में जाने का मार्ग पता किया। हमें बताया गया कि यदि आप लोग पैदल चलने की हिम्मत रखते हो यहाँ से आधा किमी पैदल मार्ग से उस पार्क में पहुँच सकते हो। यदि पैदल नहीं चल सकते हो तो बस से पूरी मालाबार हिल को कई किमी घूम कर आना होगा। हमने पैदल वाले शार्टकट से उस पार्क तक पहुँचने की योजना पर अमल करना शुरु कर दिया। जैसे हमें बताया गया था हम वैसे ही पहाड़ी पर ऊपर जाती हुई पक्की सीढियाँ चढ़ते हुए ऊपर चलते गये। कुछ देर बाद यह सीढियाँ जहाँ समाप्त हुई वहाँ पर हमें वह पार्क दिखायी देने लगा जिसे देखने हम बस से आने वाले थे।


शनिवार, 6 जुलाई 2013

Mumbai- Babulnath Temple मुम्बई का बाबुलनाथ मन्दिर

EAST COAST TO WEST COAST-29                                                                   SANDEEP PANWAR
बोम्बे के कई प्रसिद्ध मन्दिर देखने के उपराँत, यहाँ का मशहूर मन्दिर बाबुलनाथ देखने की बारी भी आ गयी थी। महालक्ष्मी मन्दिर से यहाँ पहुँचने के हमने एक टैक्सी से  इनके बीच का फ़ासला तय किया। मन्दिर सड़क से काफ़ी हटकर व अन्दर जाकर है जबकि टैक्सी ने हमें सड़क पर ही उतार दिया था। सड़क किनारे पर ही बाबुलनाथ मन्दिर चौक के नाम से एक बोर्ड़ भी लगा हुआ है। मैंने सोचा कि मन्दिर यही-कही सामने ही है लेकिन जब आसपास कही भी मन्दिर दिखायी नहीं दिया तो मैंने विशाल से कहा, क्यों महाराज बाबुलनाथ को बाबुल ने कहाँ छुपाया हुआ है? विशाल बोला थोड़ा सब्र रखो, सामने वाली गली में ऊपर चढ़ने पर मन्दिर आ जायेगा।


शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

Triyambak Mahadev, Dhakleshwar, Maha Laxmi Temple, Patali Hanumaan Temple त्रयम्बक महादेव, धकलेश्वर महादेव, महालक्ष्मी, पाताली हनुमान मन्दिर

EAST COAST TO WEST COAST-28                                                                   SANDEEP PANWAR
महालक्ष्मी मन्दिर देखने जाते समय हमने एक टेक्सी पकड़ी। बोम्बे का यह फ़ायदा है कि यदि लम्बी दूरी तय करनी हो तो बस व लोकल रेल सेवा सस्ती व सुलभ साधन है लेकिन यदि छोटी दूरी तय करनी हो तो टैक्सी सबसे अच्छा साधन है। सड़क पर हम जहाँ टैक्सी से उतरे थे उसके ठीक सामने एक मन्दिर दिखायी दे रहा था। विशाल बोला चलो संदीप भाई पहले इसी मन्दिर से शुरुआत करते है। चल भाई मन्दिर कोई भी हो उससे अपुन को कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। भगवान यदि कही है तो वह जरुर अपने हर मन्दिर में भी निवास करते होंगे, और यदि नहीं है तो फ़िर चाहे केदारनाथ हो या अमरनाथ फ़िर कही भगवान नहीं मिलने वाले। जिस मन्दिर में हम सबसे पहले पहुँचे उसका नाम है त्रयम्बकेश्वर महादेव मन्दिर।



Mumbai-Siddhi Vinayak Temple and Haji Ali Dargah बोम्बे का सिद्धी विनायक मन्दिर व हाजी अली की दरगाह/कब्र

EAST COAST TO WEST COAST-27                                                                   SANDEEP PANWAR
बोम्बे तो वैसे मैं पहले भी एक बार आ चुका था लेकिन उस समय बोम्बे के दादर स्टेशन के अन्दर से ही दूसरी ट्रेन में बैठकर हम नेरल के लिये चले गये थे। उस यात्रा में हमने भीमाशंकर का सीढ़ी घाट मार्ग से ट्रेक सफ़लता से किया था। जिसके बारे में मैंने आपको सम्पूर्ण विवरण पहले ही बता दिया है। आज रात बोम्बे के गोरेगाँव इलाके में एक फ़्लैट में निवास करने वाले विशाल राठौर के यहाँ रात्रि विश्राम करने की योजना पहले से ही बना ली गयी थी। जैसे ही मैं दर्शन जी के घर से चला था तो विशाल को सूचित कर दिया था जिससे यह लाभ हुआ कि स्टेशन से बाहर निकलते ही विशाल मेरा इन्तजार करता हुआ मिल गया। विशाल के साथ पूरे दिन माथेरान की छोटी रेल व अन्य स्थल की ट्रेकिंग की गयी थी। कल का दिन बोम्बे के नाम रहने वाला था।



मंगलवार, 2 जुलाई 2013

Matheran-Dangerious/Adventurer One Tree Hill Point and Belvedere point खतरनाक/रोमांचक वन ट्री हिल व बेलवेडेर पॉइन्ट

EAST COAST TO WEST COAST-23                                                                   SANDEEP PANWAR
यहाँ एक बिन्दु वन ट्री हिल के नाम से जाना जाता है इसका यह नाम इसलिये है कि इस पहाड़ी पर केवल एक ही पेड़ खड़ा हुआ है। जब हम इस पहाड़ी के सामने पहुँचे और वन ट्री हिल को देखा तो दिमाग में कुछ उथल-पुथल मच गयी कि क्यों ना इस पहाड़ी पर चढ़कर देखा जाये कि वहाँ से कैसा दिखता है? मैंने इस पहाड़ पर चढ़ने के इरादा विशाल के सामने प्रकट नहीं किया। विशाल थोड़ा कमजोर दिल का मानव है अगर मैं उसे कहता कि मैं उस पहाड़ पर जा रहा हूँ तो वह मुझे कतई आगे नहीं जाने देता। मैंने विशाल से कहा, "विशाल मैं इस पहाड़ी के नीचे तक जा रहा हूँ तुम वहाँ से मेरे फ़ोटो ले लेना। विशाल ऊपर खड़ा होकर मेरे फ़ोटो लेने के लिये तैयार हो गया। जब मैं नीचे पहुँचा तो मैंने ऊपर चढ़ने से पहले हालात का जायजा लिया, जब मुझे लगा कि ऊपर जाने में बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी सिर्फ़ एक जगह चट्टान को सावधानी से पकड़ते हुए शरीर को ऊपर खीचना है बाकि तो पगड़न्ड़ी जैसा माहौल लग रहा है। 

Matheran-Khandala and Alexender point माथेरान का खंड़ला व अलेक्जेनड़र पॉइन्ट

EAST COAST TO WEST COAST-22                                                                   SANDEEP PANWAR
माथेरान में प्रवेश करने के बाद मैंने विशाल से कहा कैमरे में कितनी बैटरी बची हुई है कैमरा देख विशाल बोला कि बैटरी तो लगभग समाप्त होने को ही है जितनी बैटरी हमने नेरल में चार्ज की थी उतनी तो ट्रेन में बैठकर फ़ोटो लेन में खर्च कर दी है। मेरे पास मोबाइल भी जिससे मैंने पूरी की पूरी गोवा यात्रा के फ़ोटो लिये थे। लेकिन कैमरे की बात ही अलग होती है। सबसे पहले हमें कैमरे को चार्ज करने का जुगाड़ करना था। इसका तरीका यह निकाला कि किसी रेस्टोरेन्ट/भोजनालय में खाने के चला जाये, वही कैमरे की बैटरी चार्जिंग पर लगा दी जाये। वहाँ पर बैटरी चार्ज होनी शुरु हो जाये तो ऐसी चीज बनवाकर खायी जाये जिसके बनने में ज्यादा से ज्यादा समय लगे। एक बार में एक प्लेट बनवायी जाये उसे बेहद ही आराम-आराम से खाया जाये। उसे खाकर पानी पियो और बैठे रहो, जब कोई टोके तो फ़िर से एक प्लेट बनवाने को बोल दिया जाये। इसमें कुल मिलाकर पौने घन्टा का समय मानकर हम चल रहे थे। 


सोमवार, 24 जून 2013

Neral to Matheran Journey by Toy Train नेरल से माथेरान तक ट्राय ट्रेन की सवारी

EAST COAST TO WEST COAST-21                                                                   SANDEEP PANWAR
नेरल स्टेशन पर पहले पहुँचने की जल्दबाजी में मैं और विशाल बिना प्लेटफ़ार्म वाली दिशा में कूद गये और सबसे पहले टिकट काऊँटर पर पहुँच गये। नेरल से माथेरान वाली पहाड़ी पर जाने वाली ट्राय ट्रेन के टिकट नेरल के प्लेटफ़ार्म पर एक कोने में बने काऊँटर पर ही मिलते है। नेरल से माथेरान के लिये वैसे तो कई ट्रेन है लेकिन सबसे पहली ट्रेन के चलने का समय सुबह 6:45 मिनट का बताया गया था जिस पहली ट्रेन से हम यहाँ पहुँचे थे उसके यहाँ पहुँचने का समय सुबह 6:25 का है। इसलिये हम टिकट की जल्दबाजी कर रहे थे कि कही टिकट की लम्बी लाईन लग गयी तो फ़िर अगली ट्रेन से जाना होगा। यहाँ इस ट्रेन में टिकट अग्रिम आरक्षित नहीं कराये जा सकते है। ऊटी (उदगमण्ड़लम) शिमला, व दार्जीलिंग वाली कुछ ट्रेनों में आरक्षण की व्यवस्था दी हुई है जिससे दूर से आने वाले यात्री पहले से ही अपने टिकट बुक करा कर ही आते है।

शनिवार, 22 जून 2013

Train Journey- Nanded to Mumbai/Bombay (Neral) नान्देड़ से नेरल (मुम्बई/बोम्बे) तक ट्रेन यात्रा

EAST COAST TO WEST COAST-20                                                                   SANDEEP PANWAR
मैंने एक मौका लेने की सोचकर ट्रेन के साथ भागना आरम्भ किया, मुझे ट्रेन के साथ भागते देख कई लोग बोले छोड़ दे, अगली ट्रेन से चले जाना, पूरी ताकत लगाकर मैं भागा था मुझे दरवाजे के नजदीक आते देख, दरवाजे पर खड़े बन्दे वहाँ से पीछे हट गये। भागते-भागते मेरा ध्यान दरवाजे के पाइप के साथ सुरक्षा पर भी था। एक हाथ से खिड़की का पाइप पकड़कर मैंने कुछ कदम तय किये जब यह उम्मीद हुई कि अब सुरक्षित रुप से दरवाजे में प्रवेश किया जा सकता है तो मैंने अपने आप को दरवाजे से अन्दर धकेल दिया। दरवाजे से अन्दर घुसते समय मेरे सामने आगरा कैन्ट की एक घटना घूम गयी थी मुझे याद है जब मैं पहली बार ताजमहल देखने गया था तो वहाँ स्टेशन पर एक दुर्घटना घटित हुई थी जिसमें एक महिला ग्वालियर या झांसी नौकरी करने जाया करती थी, एक दिन ठीक मेरी तरह उसकी ट्रेन चल चुकी थी उस औरत ने ट्रेन पकड़ने के लिये ट्रेन के साथ दौड़कर दरवाजे का पाइप तो पकड़ लिया था लेकिन बदकिस्मती से वह दरवाजे में पैर रखते समय चूक गयी, जैसे ही उसने दरवाजे में पैर रखा तो उसका पैर फ़िसल गया। अगर उसने उसी समय दरवाजे पर पकड़ा हुआ पाइप छोड़ दिया होता तो वह प्लेटफ़ार्म पर गिर जाती लेकिन होनी-अनहोनी के आगे किसी की नहीं चलती। पाइप पकड़ने के कारण वह महिला ट्रेन के साथ घिसटती चली गयी जिससे वह ट्रेन व प्लेटफ़ार्म के बीच पिसती चली गयी। जब तक ट्रेन ने प्लेटफ़ार्म पार किया उस महिला की दर्दनाक दयनीय हालत हो चुकी थी। खैर ट्रेन कोई बस तो है नहीं जो चिल्लाने से रुक जाये जब गार्ड़ ने दुर्घटना देखी तो उसने ट्रेन रुकवायी लेकिन उस औरत की इतनी बुरी हालत हो चुकी थे कि वह कुछ देर में ही दम तोड़ गयी।




शुक्रवार, 21 जून 2013

NANDED GURUDWARA नान्देड़ गुरुद्धारा श्री सचखन्ड़ नानक धाम

EAST COAST TO WEST COAST-19                                                                   SANDEEP PANWAR
नान्देड़ निवासी मदन वाघमारे (मैं उन्हे बाघमारे ही कहकर बुलाता हूँ) अपनी बाइक पर मुझे लेकर पहले अपने ठिकाने पर पहुँचे, यहाँ इनका कार्यस्थल उसी फ़्लाईओवर के किनारे है जो फ़्लाईओवर नान्देड़ बस अड़ड़े के ऊपर से होकर गुरुद्धारे की ओर जाता है। इनकी कार्यस्थली में जाते ही वहाँ की गर्मी से कुछ देर के लिये राहत मिली, क्योंकि उन्होंने वातानुकूलित यंत्र चलाया हुआ था। पानी पीने के उपराँत अपना बैग वही छोड़कर मैं एक बार मदन की बाइक पर सवार हो गया। बस अड़ड़े से सचखन्ड़ गुरुद्धारा मुश्किल से एक सवा किमी के बीच ही है इसलिये हमें वहाँ पहुँचने में तीन-चार मिनट ही लगें होंगे। गुरुद्धारे पहुँचने से पहले हम गुरु गोविन्द सिंह अस्पताल के बाहर से होकर गये थे। यहाँ अस्पताल के पास एक चौराहे से सीधे हाथ मुड़ते ही अस्पताल आया था। सड़कों पर गुरुद्धारे का मार्ग बताने के लिये मार्गदर्शक निशान बनाये गये है। सड़क पर लगाये गये दिशा सूचक बोर्ड़ से बाहर से आने वाली जनता को बहुत लाभ होता है बार-बार स्थानीय बन्दों से पता करने का झंझट ही नहीं रहता है।


गुरुवार, 20 जून 2013

Orange Garden and back to Nanded संतरे के बगीचे में भ्रमण व नान्देड़ रवानगी

EAST COAST TO WEST COAST-18                                                                   SANDEEP PANWAR
हम वापिस बाइक के पास आये तो संतोष की माताजी व पिताजी जो कि खेत में ही निवास करते है। दोपहर के भोजन की तैयारी में संतोष की माताजी तैयार बैठी थी, जब हम उनके पास पहुँचे तो चूल्हे पर बनी ताजी रोटियाँ देखकर हम अपने आप को रोक ना सके। रोटियाँ खाते समय बसन्ता की बात का भी ध्यान रख रहे थे उसने कहा था कि दोपहर का खाना उसके घर पर खाना है। माताजी के हाथ व चूल्हे पर रोटियाँ का स्वाद बेहद ही स्वादिष्ट था। हमने कब तीन-तीन रोटियाँ चट कर डाली, पता ही नहीं लगा। हम रोटी खाकर उठे भी नहीं थे कि बसन्ता वहाँ आ पहुँचा। उसने हमें रोटी खाते देखकर कहाँ मैं आपके लिये दोपहर का भोजन बनवा कर तैयार करवा रखा है और आपने यही पेट फ़ुल कर लिया, अब हमारे घर क्या खाओगे? मैंने कहा देख भाई तेरा पाला अब से पहले जाट से नहीं पड़ा है जाट वो बला है जिससे मुगल तो मुगल अंग्रेज भी थर्राते थे।



Village journey with Ape and Imali खेतों में लहलहाती फ़सल के बीच इमली व लंगूर

EAST COAST TO WEST COAST-17                                                                   SANDEEP PANWAR
शाम का समय था कैमरा मेरी जेब में ही था सोचा चलो सूर्यास्त के दो चार फ़ोटो ले लिये जाये। गाँव से खेत मुश्किल से एक किमी दूरी पर भी नहीं है जब घर से निकले तो सूर्य देवता आसमान में काफ़ी ऊपर लटके हुए अपनी सेब जैसी लाली बिखेर रहे थे। लेकिन पता नहीं क्या नाराजगी थी कि दो-तीन मिनट में हम खेत में पहुँच ही गये थे लेकिन सूर्य महाराज कहाँ गायब हो गये, आसमान से गिरकर कही नीचे खेतों में घुस चुके थे। मजबूरन उसी हालत में एक फ़ोटो लेकर अपना काम चलाना पड़ा। खेत में बाबूराव की गाय-भैसे बंधी रहती है गाँव के नजदीक खेत होने का लाभ खेत में ही पालतु पशु बाँध कर लिया जा रहा है। जब तक बाबू राव के छोटे भाई ने गाय व भैंस का दूध निकाला तब तक मैंने आसपास घूमते हुए फ़ोटो लेने जारी रखे। खेत में जहाँ पालतु पशु बंधे हुए थे उनके ठीक ऊपर इमली का एक विशाल पेड़ था जिसमें बहुत सारी इमली लटकी पड़ी थी। महाराष्ट्र में इमली के बडे-बड़े पेड़ जगह-जगह दिखाई देते रहते है। इमली के पेड़ के फ़ोटो लेकर आगे बढ़ा।




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