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गुरुवार, 1 नवंबर 2012

चन्डी देवी, अन्जना देवी, नीलकंठ महादेव, ऋषिकेश, भ्रमण Chandi devi, Anjana devi, Neelkanth Mahadev,



इस यात्रा का पहला भाग यहाँ से पढे।

मैंने कार मंशा देवी पार्किंग में सही जगह देख खडी कर दी थी, जिसके बाद सामने ही दिखाई दे रहे टिकटघर से चार टिकट लेकर, हम सब ऊडन खटोले की ओर बढ चले। बच्चों के टिकट लेने की आवश्यकता ही नहीं पडी थी, क्योंकि ज्यादा छोटे बच्चों का टिकट ही नहीं लगता था। यहाँ इस मन्दिर में मैं पहले भी आ चुका था जबकि परिवार के अन्य सदस्य पहली बार ही यहाँ पर आये थे। मैंने यहाँ की पहली यात्रा पैदल की थी। आज दूसरी यात्रा उडन खडोले से की जा रही थी। उडन खटोले से उडते हुए पहाड पर चढना भी अलग ही रोमांच का अनुभव करा रहा था। जब उडन खटोला काफ़ी ऊँचाई पर पहुँच गया तो वहाँ से नीचे झाँक कर देखा तो एक बार को तो साँस, जहाँ थी वही अटक गयी सी महसूस हुई, लेकिन जल्द ही साँसों पर काबू पा लिया गया। मेरे नीचे देखने के बाद सबने नीचे देखा और शुरु में डरते-डरते बाद में सामान्य होकर रोमांच का जी-भर कर आनन्द उठाया। उडन खटोले से तीन किमी का सफ़र सिर्फ़ तीन मिनट में सिमट कर रह गया था। पैदल चढते हुए इस यात्रा को एक घन्टा लग जाता है सुना है कि आजकल पैदल मार्ग पर कुछ बाइक वाले भी मिलते है जो यात्रियों से कुछ शुल्क लेकर मन्दिर तक यात्रा भी करवा देते है।
दो रत्न

सोमवार, 27 अगस्त 2012

FIRST TREKKING IN MY LIFE-NEELKANTH MAHADEV TEMPLE, RISIKESH मेरे जीवन की पहली ट्रेकिंग-नीलकंठ महादेव मन्दिर, ऋषिकेश


उतर भारत में सावन का महीना भोले नाथ के नाम कर दिया जाता है, वैसे तो सम्पूर्ण भारत में ही सावन माह में भोले के भक्त चारों ओर छाये हुए रहते है, लेकिन इन सबका जोरदार तूफ़ान सावन के आखिर में चलता है। संसार में भोले के नाम से चलने वाली कांवर यात्रा विश्व की सबसे लम्बी मानव यात्रा मानी जाती है। किसी जगह मैंने पढा था कि दुनिया में कावंर यात्रा ही ऐसी एकमात्र यात्रा है जो एक बार में ही हजार किमी से भी ज्यादा लम्बाई ले लेती है। गंगौत्री या देवभूमि उतराखण्ड (हिमाचल भी देवभूमि कहलाती है) का प्रवेश दरवाजा हरिद्धार से दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, पंजाब व अन्य राज्यों में शिव भक्त कावंर रुप में गंगाजल धारण कर, सावन माह में भोलेनाथ पर अर्पण करते है। एक बार मैंने भी यह सुअवसर पाया था। जब मैंने गौमुख से केदारनाथ ज्योतिर्लिंग तक (250 किमी दूरी) गंगा जल धारण कर पैदल यात्रा (ट्रेंकिग) की थी। वह यात्रा मेरी अब तक की सबसे लम्बी पद यात्रा रही है लेकिन मुझे लगता है कि मेरा यह अभिलेख (रिकार्ड) जल्द ही धवस्त होने जा रहा है क्योंकि मैं बहुत जल्द वृंदावन क्षेत्र की चौरासी कौस (256 किमी) की पद यात्रा पर जा सकता हूँ, इसके अलावा एक पैदल यात्रा का फ़ितूर भी मेरी जाट खोपडी मे घुसा हुआ है, मेरा एक D.E.O. साथी जो दो साल पहले तक मेरे साथ कार्य करता था। आजकल उसका स्थानांतरण दूसरे क्षेत्र में हो गया है। कुछ दिन पहले उसका फ़ोन आया था कि संदीप चलो बालाजी की पद-यात्रा करके आते है। अभी तक मेरे मन में दोनों यात्रा करने की है लेकिन समय अभाव के कारण कोई एक यात्रा निकट भविष्य में सम्भव हो पायेगी। देखते है जाट देवता को मिलने के लिये अबकी बार कौन से भगवान दर्शन के लिये खाली है?

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