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सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

Travel to Neil Island, Natural bridge, Laxmanpur sunset beach नील द्वीप की शान कुदरती पुल व लक्ष्मणपुर बीच पर सूर्यास्त

नील द्वीप का कुदरती पुल, इसे स्थानीय लोग हावडा पुल कहते है।



अंडमान व निकोबार की इस यात्रा में अभी तक आपने मेरे साथ बहुत कुछ देखा, जैसे पोर्टब्लेयर का चिडिया टापू, डिगलीपुर में यहाँ की सबसे ऊँची चोटी सैडल पीक, सेल्यूलर जेल, हैवलाक द्वीप का राधा नगर बीच आदि। अब हैवलाक द्वीप के बाद एक अन्य सुन्दर से द्वीप नील पर कदम रख रहे है। इस यात्रा को पहले लेख से पढना हो तो यहाँ माऊस से चटका लगाकर  सम्पूर्ण यात्रा वृतांत का आनन्द ले। इस लेख की यात्रा दिनांक 27-06-2014 को की गयी थी।
नील द्वीप का कुदरती पुल (हावडा पुल)  व लक्ष्मणपुर का सूर्यास्त बीच NATURAL BRIDGE (HAWRAH NATURAL BRIDGE) & LAXMANPUR SUNSET BEACH, NEEL (NEILL) ISLAND, PORT BLAIR
हैवलाक से नील पहुँचने में घंटा भर से ज्यादा का समय लग गया। देखने में भले ही नील द्वीप सामने दिखाई दे रहा हो। नील द्वीप की जेट्टी किनारे से लगभग आधा किमी दूर समुन्द्र के अन्दर बनाई गयी है। पानी में इतने अन्दर जेट्टी बनाने का रहस्य बाद में पता लगा। यहाँ के किनारों पर कोरल रीफ बहुतायत में पाया जाता है जिस कारण किनारों पर गहराई भी बहुत ही कम है। कोरल रीफ को कम से कम नुकसान हो व पानी के बडे जहाज आसानी से आवागमन कर सके। इसके लिये नील जेट्टी पानी के आधा किमी अन्दर जाकर बनाई गयी है। जेट्टी तक पहुँचने के लिये सीमेंटिड पुल बनाया गया है। इस पुल से होकर यात्रियों को जहाज तक पहुँचना होता है। नील द्वीप के नीले समुन्द्र में शानदार फोटोग्राफी वातावरण बनाने में इस आधा किमी लम्बे सीमेंटिड पुल का महत्वपूर्ण योगदान है।
यहाँ आने से पहले ही हैवलाक से ही, हमने एक वैन बुक कर ली थी। हैवलाक में एक बन्दा हमें मिल गया था उसने सलाह दी थी कि आप नील जेट्टी पहुँचकर वहाँ गाडी या आटो के लिये जितनी देर लगाओगे। उतने में आप अंधेरा होने से पहले एक स्थान भी देख आओगे। पहले गाडी बुक करने का लाभ यह हुआ कि हम पहले होटल में सामान रखने के चक्कर में नहीं पडे। हमारा होटल वैसे भी जेट्टी के पास में ही था जिसका नाम हवा बील नेस्ट (hawa beel nest)। हम चाहते तो अपना सामान पहले होटल में रख भी सकते थे लेकिन होटल में रजिस्टर में नाम आदि लिखने व कमरे में सामान आदि रखने तक आधा घंटा खराब होना तय था। शाम होने में केवल 2 घंटे बचे थे। यह समय हमारे लिये बहुत कीमती था। अपना सामान वैन में डाला और कुदरती पुल देखने निकल पडे।

शनिवार, 10 अगस्त 2013

Omkareshwar Jyotirlinga Temple ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-03                              SANDEEP PANWAR
आज के लेख में ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा करायी जा रही है वैसे मैं इस जगह कई साल पहले जा चुका हूँ लेकिन अपने दोस्त यहाँ पहली बार गये थे। जैसा कि आपको पहले लेख में पता लग ही चुका है कि प्रेम सिंह अपने साथियों के साथ महाशिवरात्रि से दो दिन पहले ही दिल्ली से इन्दौर के बीच चलने वाली इन्टर सिटी ट्रेन से यहाँ पहुँच गये थे। इन्दौर तक उनकी रेल यात्रा मस्त रही। दोपहर के एक बजे उनकी ट्रेन इन्दौर पहुँच गयी थी। यहाँ स्टेशन से बाहर निकलते ही उन्होंने सबसे पहले पेट पूजा करने के लिये केले व समौसा का भोग लगाया, उसके बाद स्टेशन के बाहर से ही ओमकारेश्वर जाने वाली मिनी बस में बैठकर ओमकारेश्वर पहुँच गये। मैंने उन्हे कहा था कि अगर तुम्हे इन्दौर से बड़वाह पातालपानी होकर ओमकारेश्वर रोड़ की ओर अकोला तक जाने वाली मीटर गेज वाली छोटी ट्रेन मिल जाती है तो यह सुनहरा मौका मत छोड़ना, लेकिन अफ़सोस उन्हे वह रेल नहीं मिल पायी। 


सोमवार, 29 जुलाई 2013

Chandra Bhaga/Chenab river Bridge चन्द्रभागा/चेनाब नदी पर बना शुकराली पुल

SACH PASS, PANGI VALLEY-06                                                                      SANDEEP PANWAR
रात दस बजे के करीब पांगी घाटी की मुख्य तहसील किलाड़ कस्बे में हमारा आगमन हुआ। छोटा हाथी वाला हमारी बाइके समेत एक होटल के सामने आकर रुक गया। वहाँ उसने कमरे के लिये पता किया लेकिन जवाब मिला कि कोई कमरा खाली नहीं है। उस होटल के आसपास कई होटल और भी थे लेकिन किसी में कमरा खाली नहीं मिला। कमरा देखना छोड़कर पहले हमने गाड़ी से अपनी बाइके उतारी, उसके बाद किलाड़ में वापसी की ओर चल दिये। मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की ओर कुछ सौ मीटर वापिस आकर कमरा देखने चल दिया। यहाँ आते समय मुख्य बस अडड़े वाले मोड़ पर एक ढ़ाबे में खाना-पीना चल रहा था। हम सीधे उसी ढ़ाबे वाले के पास आये


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