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शनिवार, 10 अगस्त 2013

Omkareshwar Jyotirlinga Temple ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-03                              SANDEEP PANWAR
आज के लेख में ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा करायी जा रही है वैसे मैं इस जगह कई साल पहले जा चुका हूँ लेकिन अपने दोस्त यहाँ पहली बार गये थे। जैसा कि आपको पहले लेख में पता लग ही चुका है कि प्रेम सिंह अपने साथियों के साथ महाशिवरात्रि से दो दिन पहले ही दिल्ली से इन्दौर के बीच चलने वाली इन्टर सिटी ट्रेन से यहाँ पहुँच गये थे। इन्दौर तक उनकी रेल यात्रा मस्त रही। दोपहर के एक बजे उनकी ट्रेन इन्दौर पहुँच गयी थी। यहाँ स्टेशन से बाहर निकलते ही उन्होंने सबसे पहले पेट पूजा करने के लिये केले व समौसा का भोग लगाया, उसके बाद स्टेशन के बाहर से ही ओमकारेश्वर जाने वाली मिनी बस में बैठकर ओमकारेश्वर पहुँच गये। मैंने उन्हे कहा था कि अगर तुम्हे इन्दौर से बड़वाह पातालपानी होकर ओमकारेश्वर रोड़ की ओर अकोला तक जाने वाली मीटर गेज वाली छोटी ट्रेन मिल जाती है तो यह सुनहरा मौका मत छोड़ना, लेकिन अफ़सोस उन्हे वह रेल नहीं मिल पायी। 


शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

Mahakaal Jyotiringa Temple-Ujjain महाकालेश्वर-महाकाल मन्दिर उज्जैन

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-02                              SANDEEP PANWAR
मन्दिर के आसपास बहुत ज्यादा भीड़ थी, उसमें उन्हे कहाँ तलाश करता? सोचा उन्हे फ़ोन ही लगा दूँ कि मैं मन्दिर के सामने वाली गली में ही हूँ। प्रेम सिंह ने फ़ोन पर कहा कि हम भी इसी गली में बनी दुकानों से सामान खरीद रहे है। मन्दिर की तरफ़ आते समय उल्टे हाथ वाली लाईन में हम मिल जायेंगे। मैं उन्हे देखता हुआ मन्दिर की ओर बढ़ता गया। मन्दिर से 100 मीटर पहले ही प्रेम सिंह एन्ड़ पार्टी वहाँ दिखायी दी। उनके माथे पर लगे लम्बे तिलक को देखकर मैं समझ गया कि यह सभी मन्दिर होकर आ चुके है। लेकिन फ़िर भी मैंने कहा कि मन्दिर में दर्शन करके आये कि नहीं। उन्होंने कहा कि हमने तो रात को भी आराम से दर्शन किये थे। सुबह भी पहले ही लाइन में लग गये थे जिससे जल्दी दर्शन हो गये। 


गुरुवार, 8 अगस्त 2013

Train Yatra-Delhi To Ujjain दिल्ली से उज्जैन तक ट्रेन यात्रा

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-01                              SANDEEP PANWAR
आज के लेख से जिस रेल यात्रा की शुरुआत की जा रही है पहले इसी के बारे में कुछ बाते हो जाये। जैसा कि आपको पता है कि मैं हर साल फ़ागुन महीने में आने वाली महाशिवरात्रि में किसी एक ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने जाता हूँ। पूरे भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिग स्थित है लेकिन कई पर वाद-विवाद भी है कि नहीं यह नहीं, हमारे वाला असली ज्योतिर्लिंग है। विवाद का भाग बनने वाले कई ज्योतिर्लिंग है जैसे महाराष्ट्र का औंढ़ानाग नाथ=गुजरात का नागेश्वर, बिहार अब झारखन्ड़ का बाबा वैधनाथ धाम=हिमाचल का बैजनाथ धाम=उतराखन्ड़ का बैजनाथ मन्दिर प्रमुख है। इन सभी मन्दिरों के पन्ड़े/पुजारी अपनी कमाई बढ़ाने के चक्कर में अपने वाले मन्दिर को असली ज्योतिर्लिंग बताते रहे है। जबकि भगवान तो हर जगह मौजूद है वो अलग बात है आजकल भगवान लम्बी तान के कहीं सो रहा है। पिछले 800 साल का इतिहास तो यही कहता है कि भगवान शायद कही नहीं है। यह दुनिया जिसकी लाठी उसकी भैस के सिद्धांत पर चल रही है। अरे शुरुआत की थी रेल यात्रा के नाम पर लेकिन बीच में भगवान का प्रवचन कहाँ से टाँग अड़ा कर बैठ गया?


गुरुवार, 18 जुलाई 2013

Rameshwaram Temple and Ram Setu रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग व राम सेतू

LTC-  SOUTH INDIA TOUR 05                                                                           SANDEEP PANWAR
सुबह उठकर रामेश्वरम के लिये निकलना था। इसलिये सुबह पाँच उठकर नहा धोकर तैयार भी हो गये। बस वाले ने सुबह 6 बजे का समय दिया था। लेकिन जब सवा 6 बजे तक भी हमें लेने कोई नहीं आया तो मन में खटका हुआ कि हमें यही छोड़कर तो नहीं भाग गये? लेकिन शुक्र रहा कि ठीक 6:30 पर हमें लेने के लिये एक बन्दा आया हम उसके साथ बस तक चले गये। जिस बस से कन्याकुमारी से मदुरै तक आये वह बस मदुरै से ही वापिस कन्याकुमारी चली जाती है यहाँ से दूसरी बस में बैठकर रामेश्वरम के लिये निकलने की तैयारी होने लगी। दूसरी बस कल वाली बस से बड़ी थी या यह कहे कि आज वाली बस है कल वाली मिनी बस थी। 
दिन में

शनिवार, 15 जून 2013

Parli Vaijnath परली वैजनाथ ज्योतिर्लिंग मन्दिर

EAST COAST TO WEST COAST-13                                                                   SANDEEP PANWAR
श्रीशैल से हैदराबाद जाने वाली बस आधा घन्टा पहले ही गयी थी दूसरी बस के बारे में पता लगा कि सामने वाली बस कुछ समय बाद हैदराबाद के लिये प्रस्थान करेगी। बस परिचालक से हैदराबाद के टिकट के बारे में व सीट के बारे में पता कर, सबसे आखिरी वाली सीट पर जाकर अपना डेरा जमा दिया। यहाँ की बसों में सबसे पहली/आगे वाली सीटों पर बैठने की मनाही है जिस कारण अपुन को सबसे आखिर की सीट पर जाकर बैठने में ही अच्छा लगा। बस में बैठने के लिये सबसे आगे या सबसे आखिर की सीट ही अपनी पसन्द आती है। श्रीशैल से चलते ही बस उसी कस्बे से होकर आयी व गयी जहाँ गलती से मैं श्रीशैल समझ कर उतर गया था। यहाँ से आगे बढ़ने के कुछ किमी बाद हमारी बस यहाँ के बाँध के किनारे से होकर चलती रही। बाँध के कई फ़ोटो लेने का मन था लेकिन सत्यानाश हो बस के सफ़र का, जो बाँध के फ़ोटो नहीं ले पाया। बस बाँध वाली नदी के किनारे पर कुछ आगे जाने के बाद एक पुल के जरिये नदी को पार करती है उसके बाद फ़िर से बाँध की ओर दूसरे किनारे पर लौटने लगती है। यहाँ बाँध के ठीक ऊपर आने के बाद बस बाँध को पीछे छोड़ मैदान की ओर मुड़ जाती है।

Sri Sailam Mallikaarjun Swami Jyotirlinga Temple श्रीशैल मल्लिकार्जुन स्वामी ज्योतिर्लिंग मन्दिर

EAST COAST TO WEST COAST-12                                                                   SANDEEP PANWAR
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मन्दिर पहुँचने से पहले सभी बसे मुख्य मार्ग से हटकर बने एक नगर से होकर वापिस आती है। जब हमारी बस मन्दिर के नजदीक पहुँची तो मेरे सामने वाली सीट पर बैठा बन्दा बोला कि अब जैसे ही बस मुडेगी तो हमें यही उतरना होगा, क्योंकि यहाँ से मन्दिर की पैदल दूरी सबसे नजदीक रहती है। जैसे ही वह मोड़ आया और बस चालक ने बस रोकी तो मैं भी उसी व्यक्ति के साथ वहीं उतर गया। बस से बाहर आते ही वहाँ का माहौल देखकर समझ आने लगा कि यह वीराना सा दिखायी देने वाला कस्बा ज्यादा भीड़भाड़ लिये हुए नहीं है। मैंने अपने साथ वाले बन्दे से मालूम किया कि बस अड़ड़ा यहाँ से कितनी दूरी पर है तो उसने बताया कि बस अड़्ड़ा यहाँ से लगभग पौने किमी के आसपास है। वह व्यक्ति भी मन्दिर में ही दर्शन करने के इरादे से ही जा रहा था, चूंकि वह स्थानीय व्यक्ति था इसलिये उसके पास सामान आदि के नाम पर मन्दिर में भगवान को अर्पित करने वाली पूजा सामग्री के अलावा और कुछ नहीं था।


सोमवार, 6 मई 2013

Baijhnath temple & Kot bhramri temple बैजनाथ महादेव मन्दिर व कोट भ्रामरी मन्दिर

ROOPKUND-TUNGNATH 02                                                                             SANDEEP PANWAR

सड़क किनारे एक बोर्ड़ दर्शा रहा था कि यहाँ हजारों साल पुराना मन्दिरों का समूह है। यह मन्दिर भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन होना चाहिए। चलो जब मन्दिर सामने ही है तो इसे भी देख ही आता हूँ। बाइक सड़क किनारे खड़ी कर सामने नीचे की ओर जाती हुई सीढियों पर उतरना शुरु कर दिया। लगभग 100 मीटर चलने के बाद मन्दिर के प्रांगण मॆं प्रवेश हुआ। मन्दिर के परिसर पर पहली नजर जाते ही पलके झपकनी बन्द हो गयी, कुछ पल वही खड़ा होकर मन्दिर परिसर को निहारता रहा। मन्दिर परिसर में बहुत सारे मन्दिर दिखायी दे रहे थे। इन सभी मन्दिरों में सिर्फ़ एक मन्दिर सबसे बड़ा था बाकि सभी मन्दिर बहुत छोटे थे। कुछ मन्दिर तो 3-4 फ़ुट तक के ही बने हुए थे। मन्दिर के ठीक सामने एक गरुड़ गंगा नामक नदी अपने स्वच्छ व साफ़ शीशे जैसे जल को साथ लेकर बह रही थी। इस मन्दिर समूह को बैजनाथ मन्दिर कहते है।


रविवार, 28 अप्रैल 2013

Baba Baijnath Temple बाबा बैजनाथ मन्दिर

हिमाचल की कांगड़ा व करसोग घाटी की यात्रा 05                                                       SANDEEP PANWAR
पालमपुर के चाय बागान देखने के बाद जिस बस में बैठकर हम बैजनाथ की ओर आ रहे थे, उस बस वाले से हमने बैजनाथ तक का टिकट लेकर कहा कि बीड़-बिलिंग जाने के कहाँ से बस मिल सकती है? बस वाले ने कहा आपको बीड़ कब जाना है? हमने कहा कि हम तो बैजनाथ के मन्दिर में घूमने के बाद सीधे बीड़-बिलिंग के लिये ही जायेंगे। मन्दिर में कितनी देर का काम है? पहले यह देख लो। हाँ मन्दिर में पूजा-पाठ करने के चक्कर में हम नहीं थे। हमें सिर्फ़ मन्दिर देखना है और फ़ोटो लेकर वापिस चले आना है। बस वाले ने कहा यह बस भी बीड़ तक जा रही है, यदि आप 15-20 मिनट में मन्दिर देखकर आ सकते हो तो इसी बस में आगे चले जाना क्योंकि बस बैजनाथ बस अड़ड़े पर 20 मिनट रुक कर आगे जायेगी। अगली बस आपको घन्टे भर बाद मिलेंगी। हमने कंड़क्टर की सलाह पर गहन विचार के बाद निर्णय लिया कि ठीक है बस अडड़े पर बस आते ही तुरन्त मन्दिर के लिये चले जायेंगे। अपने बैग बस में अपनी सीट पर ही छोड़ देंगे, ताकि कोई सीट पर कब्जा करके ना बैठ जाये। जैसे ही बस ने बैजनाथ शहर में प्रवेश किया तो बस अड़ड़े से कुछ पहले एक बोर्ड दिखायी दिया उस पर बैजनाथ मन्दिर जाने के बारे में लिखा हुआ था। इसके जरा सा आगे चलते ही बस उल्टे हाथ मुड़कर 20 मीटर ही चली होगी कि सीधे हाथ पर बने हुए बस अड़ड़े में घुसने लगी। जैसे ही विपिन बस से उतरने लगा तो तभी कंड़क्टर बोला सामने सीधे हाथ वाले प्रवेश मार्ग से मन्दिर चले जाओ। जल्दी पहुँच जाओगे।
बाबा बैजनाथ मन्दिर, भारत में कुल तीन बाबा बैजनाथ मन्दिर है।

शनिवार, 6 अप्रैल 2013

Grishneshwar Temple (Verul-Daultabad-Aurangabad) घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन (दौलताबाद-औरंगाबाद)

भीमाशंकर-नाशिक-औरंगाबाद यात्रा-12                                                                    SANDEEP PANWAR

रात में कैमरे व मोबाइल चार्ज कर लिये गये थे इसलिये अगले दिन इस बात की कोई समस्या नहीं थी कि किसी की बैट्री की टैं बोल जायेंगी। सुबह 5 बजे मोबाइल के अलार्म बजते ही हम दोनों उठकर औरंगाबाद जाने की तैयारी करने लगे। नहा-धोकर पौने 6 बजे हमने कमरा छोड़ दिया था। कमरा लेते समय कमरे वाली ने हमसे 100 रुपये फ़ालतू जमा कराये थे इसलिये सुबह उनको चाबी देते समय अपने 100 रुपये लेना हम नहीं भूले। हम अभी मुख्य सड़क पर आकर बस अड़ड़े की ओर चल दिये। मुश्किल से आधे किमी ही गये होंगे कि एक बस हमारी ओर आती हुई दिखायी दी। हमने हाथ का इशारा कर बस को रुकवा लिया। इस बस से हम नाशिक पहुँच गये। नाशिक पहुँचकर हम औरंगाबाद जाने वाली बस में बैठ गये। नाशिक से औरंगाबाद लगभग 150 किमी दूर है इसलिये हम आराम से अपनी सीट पर पसरे हुए थे। बस बीच-बीचे में वहाँ के कई शहरों से होकर चलती रही। हम अपनी सीट पर पड़े-पड़े उन्हे देखते रहे।



शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

Tyimbak- Trimbakeshwar 12 Jyotirlinga Shiva Temple त्रयम्बकेश्वर/त्र्यम्बकेश्वर 12 ज्योतिर्लिंग मन्दिर के दर्शन।

भीमाशंकर-नाशिक-औरंगाबाद यात्रा-11                                                                    SANDEEP PANWAR

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि हम दोनों गोदावरी नदी का उदगम बिन्दु स्थल देखने के उपराँत पैदल टहलते हुए त्रयम्बक ज्योतिर्लिंग की ओर चले आये थे। जब हमने अपनी चप्पल जूता घर में जमा करा कर मन्दिर के प्रांगण में प्रवेश किया तो सबसे पहला झटका हमें वहाँ की भीड़ देखकर लगा। इसके बाद अगला झटका हमें दरवाजे पर खड़े मन्दिर के सेवकों की निष्पक्ष भावना देखकर हुआ। जब हमने वहाँ पर मन्दिर दर्शन के लिये भक्तों की लम्बी घुमावदार लाइन देखी और हम भौचक्के से वहाँ खड़े के खड़े रह गये तो हमें लम्बी लाईन के कारण अचम्भित खड़ा देख मन्दिर के सेवक बोले, “क्या आप बिना लाईन के जल्दी दर्शन करना चाहे हैं? हमने पूछा आप इस सेवा के बदले क्या फ़ीस लेते हो। तो उसने कहा था कि आपको 100 रुपये में हम बिना लाईन के मन्दिर दर्शन करा लायेंगे। हमने उनकी बात नकारते हुए उस लम्बी लाईन में लगना स्वीकार कर लाईन में लग गये।




शनिवार, 30 मार्च 2013

Bhimashankar Jyotirlinga Temple भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मन्दिर

भीमाशंकर-नाशिक-औरंगाबाद यात्रा-05                                                                 SANDEEP PANWAR

मन्दिर के पास वाली दुकानों से मावे की बनी मिठाई खरीदने के बाद हमने मन्दिर प्रांगण में प्रवेश किया। हमने पहले वहाँ एक परिक्रमा रुपी भ्रमण किया ताकि वहाँ के माहौल का जायजा लिया जा सके। उसके बाद वहाँ नहाने के लिये एक कुन्ड़ तलाश लिया। कुंड़ के सामने ही एक सामान बेचने वाली मराठी महिला बैठी हुई थी। पहले मैंने कुंड़ में घुस कर स्नान किया उसके बाद सामान के पास खड़ा होने की मेरी बारी थी तब तक विशाल भी कुंड़ में स्नान कर आया। लोगों ने अंधी श्रद्धा के चक्कर में स्नान करने के कुंड़ में भी फ़ूल आदि ड़ाले हुए थे। स्नान करने के उपराँत हमने अपना सामान बैग, चप्पल आदि वही उसी मराठी महिला मौसी के हवाले कर दिया। उस महिला ने कहा कि क्या तुम फ़ूल नहीं ले जाओगे? मैंने कहा कि क्या बिना फ़ूल के पूजा नहीं हो सकती है। मैं पूजा पाठ के चक्कर में कभी पड़ता ही नहीं हूँ मैं सिर्फ़ मूर्ति के दर्शन करने जाता हूँ। खैर उस महिला ने मुझसे ज्यादा मग्जमारी नहीं की। हम दोनों दर्शन करने वाली लाइन में लगने चल दिये।

यही भीमाशंकर का मुख्य मन्दिर है।

हमने यहाँ स्नान नहीं किया था।


गुरुवार, 28 मार्च 2013

Shidi Ghat Danger Trekking सीढ़ी घाट की खतरनाक चढ़ाई

भीमाशंकर-नाशिक-औरंगाबाद यात्रा-03
जब हम सीढ़ियों के बेहद करीब आये तो वहाँ की हालत देखकर एक बार तो आँखे फ़टी की फ़टी रह गयी। मन में सोचा कि यार जान ज्यादा कीमती है या यह खतरनाक मार्ग पार करना ज्यादा अहमितय रखता है। विशाल ने एक बार फ़िर कहा संदीप भाई चप्पल की जगह जूते पहन लो अब मार्ग ज्यादा डेंजर लग रहा है। मैं अब तक दो बार विशाल को जूते में परॆशान होते हुए देखा था इसलिये मैंने जूते पहनने का विचार त्याग दिया था। एक कहावत तो सबने सुनी ही होगी कि जब सिर ओखली में रख दिया तो फ़िर मुसल की मार से कैसा ड़रना? अगर ऐसी खतरनाक चढ़ाई से ड़र गये तो फ़िर आम और खास में फ़र्क कैसे पता लगेगा। शायद विशाल ने एक बार बोला भी था कि संदीप भाई यहाँ से वापिस चलते है। गणेस घाट से चले जायेंगे। मैंने कहा ठीक है वापसी जरुर चलेंगे पहले थोड़ा सा आगे जाकर देखते है यदि आगे इससे भी ज्यादा खतरनाक मार्ग मिला तो वापिस लौट आयेंगे। इतना कहकर मैं सीढ़ियों पर चढ़ने लगा। जैसे-जैसे मैं कदम रखता जाता वैसे ही सीढ़ी हिलती जा रही थी। ध्यान से देखा तो पाया कि सीढ़ी रस्सी के सहारे पहाड़ पर बाँधी हुई है।

यहाँ से सीढ़ी घाट की पहली नजदीकी झलक मिलती है।

अब तो चढ़ना ही पडेगा।

सोमवार, 11 मार्च 2013

Kedarnath (12 Jyotirlinga) Temple केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंग में सर्वाधिक ऊँचाई वाला ज्योतिर्लिंग

बद्रीनाथ-फ़ूलों की घाटी-हेमकुन्ठ साहिब-केदारनाथ यात्रा-06


रुद्रप्रयाग से अपना साथी मुझे अकेला छोड़कर दिल्ली के लिये रवाना हो गया। मैंने अपनी बाइक गौरीकुंड़ के लिये दौड़ा दी। बाइक पर अकेले सवारी करते हुए मैंने महसूस किया कि बाइक पर अकेला होने के कारण बाइक आसानी से पहाड़ पर चढ़ती जा रही है। पीछे किसी के बैठने पर बाइक का संतुलन बनाने में सावधानी रखनी पड़ती थी। अकेला होने पर जो आराम मिला, उसका मुझे बहुत लाभ हुआ। मैं मुश्किल से दो घन्टे से पहले ही गौरीकुंड़ पहुँच चुका था। गौरीकुंड़ पहुँचते ही घड़ी में समय देखा तो दोपहर के 11 बजने जा रहे थे। सबसे पहले तो बाइक को किसी सुरक्षित स्थान पर खड़ा करना था उसके बाद आगे जाने की कार्यवाही पर अमल करना था। मैं गौरीकुंड़ में घुसते ही सबसे पहले सीधे हाथ की ओर दिखायी देने वाले कमरों में जगह देखने के लिये बात बात की, वहाँ पर मौजूद एक कर्मचारी बोला कितने आदमी हो, मैंने कहा कि मैं तो अकेला हूँ उस आदमी ने मुझे किराया मात्र 50 रुपये बताया था। मैंने तुरन्त 50 रुपये उसको दे दिये। उसने मुझे सबसे नीचे का सड़क किनारे वाला कमरा दिया था मेरी बाइक उसने मेरे कमरे के अन्दर ही खड़ी करवा दी थी। मैंने बाइक खड़ी कर अपने बैग से फ़ालतू सामान निकाल कर सिर्फ़ एक जोड़ी कपड़े व नहाने का सामान व बरसात से बचने की पन्नी वाला बुर्का लेकर गौरीकुंड़ के गर्म पानी में स्नान करने के लिये चला गया। 

केदारनाथ मन्दिर


रविवार, 3 मार्च 2013

Omkareshwar Jyotirlinga Temple ओम्कारेश्वर/ओंकारेश्वर/ओमकारेश्वर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक मन्दिर


भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिंग बताये जाते है। आज मैं आपको उन्हीं में से एक ओम्कारेश्वर मन्दिर के दर्शन कराने जा रहा हूँ। यह यात्रा मैंने सन 2007 के दिसम्बर माह में की थी। मैं और मेरी श्रीमती यानि कि जाट और जाटनी ने मध्य प्रदेश के इन्दौर शहर में रहने वाले बड़े ताऊजी (ताऊजी का देहांत जून 2012 को हो गया है।)  के पास मिलने का कार्यक्रम बनाया हुआ था। हम दोनों इन्दौर पहुँच गये थे। इन्दौर में एक दो दिन व्यतीत करने के उपरांत हमने वहाँ आसपास देखने लायक स्थान घूमने की योजना बनायी तो ताऊजी ने हमें सलाह दी कि हमें ओम्कारेश्वर देखकर आना चाहिए। इस ओम्कारेश्वर में ऐसा क्या खास है कि ताऊजी मुझे वहाँ जाने की सलाह दे रहे थे। इस एक यात्रा में कई चीजे देखने को मिल रही थी। सबसे पहली चीज थी छोटी मीटर गेज वाली रेल की यात्रा। इन्दौर से ओम्कारेश्वर जाने के लिये मीटर गेज वाली रेलवे लाईन से जाना सुविधाजनक रहता है। इसके लिये हम लोग बड़वाह रेलवे स्टेशन का टिकट लेकर इस छोटी रेल में बैठ गये थे। इस छोटी रेल के बारे में भी एक दो दिन बाद, अलग से एक लेख आने वाला है।

पहले नर्मदा में नाव की सवारी हो जाये।

जाट के पीछे सफ़ेद रंग का मन्दिर ही ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर है।

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