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बुधवार, 18 जनवरी 2017

Travel to Gandhi Park, Port Blair गाँधी पार्क की यात्रा



उत्तरी अंडमान के अंतिम छोर डिगलीपुर में यहाँ की सबसे ऊँची चोटी फतह कर वापिस पोर्टब्लेयर लौट आये। वहाँ से लौटते ही कार्बनकोव बीच की यात्रा में आप मेरे साथ रहे। अब यात्रा वृतांत पर आगे बढ चलते है। यदि आप अंडमान की इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ माऊस से चटका लगाये और पूरे यात्रा वृतांत का आनन्द ले। इस लेख की यात्रा दिनांक 25-06-2014 को की गयी थी।
अंडमान निकोबार AMUSEMENT PARK, GANDHI PARK, PORT BLAIR
अण्डमान निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में घूमते हुए हम गाँधी पार्क के सामने आ पहुँचे। यह पार्क महात्मा गाँधी उर्फ मोहनदास कर्मचन्द गाँधी को समर्पित है। इसलिये इसका नाम गाँधी पार्क रखा हुआ है। इसके बाद हम पोर्ट ब्लेयर की खूनी व खतरनाक मानी गयी सेलुलर जेल भी जायेंगे। जहाँ पर भारत की आजादी की लडाई के महान सैनानियों को कैद किया जाता था। महात्मा गाँधी जैसे नेता उस जेल की शोभा अपने जीवन में कभी नहीं बढा सके। सेलुलर जेल में अंग्रेज उन्ही सैनानी को लाते थे जिनसे उन्हे खतरा होता था। इससे साबित हो गया कि गांधी जी से अंग्रेजों को कभी खतरा नहीं रहा। गाँधी ने अंग्रेजों के बनाये नियम कई बारे तोडने की असफल कोशिश भी की शायद, जिस कारण अंग्रेज सरकार उन्हे कुछ दिन के पकड कर अन्दर कर देती थी। उसके बाद फिर छोड देती थी कि जाओ बहुत प्रचार हो गया है। एक थे वीर सावरकर, उनसे अंग्रेज इतने डरते थे कि उन्हे पूरे दस साल तक सैलुलर जेल में कैद करके रखा था। 01 DEC 1993 को इस अमूसमैन्ट पार्क बोले तो गाँधी पार्क का उदघाटन हुआ था।

सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

Mahatma Gandhi Birth Place महात्मा गाँधी का जन्म स्थान

गुजरात यात्रा-07
सुदामा मन्दिर देखने के बाद जैसे ही बाहर आये तो वहाँ पर काफ़ी विशाल खुला स्थान नुमा मैदान देखकर अच्छा लगा था। यहाँ से हमें पहले तो इसी मैदान नुमा जगह से होकर बाजार वाली सड़क पर जाना था, उसके बाद वहाँ से हम सीधे हाथ की ओर मुड़ गये। यदि यहाँ से उल्टे हाथ मुड़ जाये तो फ़िर से उसी सड़क पर पहुँच जाते जहाँ से हम यहाँ तक आये थे। सुदामा मन्दिर से लगभग आधा किमी चलने के बाद एक चौराहा जैसा स्थान आता है। वैसे तो यह चौराहा बड़े-बड़े घरों से घिरा हुआ है। यहाँ आकर यहाँ की सैकड़ों साल पुरानी मकान देखकर लगता है कि पोरबन्दर हमेशा से ही वैभवशाली रहा है इसमें गाँधी का कोई योगदान नहीं है। मैं तो भारत की आजादी में भी गाँधी का योगदान नहीं मानता हूँ। अंग्रेज भारत छोड़ कर गये, इसका सिर्फ़ एक कारण था कि उस समय की भारतीय सेना और पुलिस में अंग्रेजी सम्राज्य के खिलाफ़ आवाज बुलन्द हो रही थी। एक बार बम्बई में नौसेना ने तो विद्रोह कर वहाँ के सभी अंग्रेजों को मार दिया था। उसके बाद आज की आतंकवादी घटनाओं की तरह उस समय के आतंकवादी (अंग्रेजों के अनुसार) जो सिर्फ़ अंग्रेजों को मारते थे। उनके कारण अंग्रेज बहुत ज्यादा ड़रे हुए थे। अरे-अरे छोड़ो यह आजादी का चक्कर, हम सिर्फ़ नाम के आजाद है मुझे तो अंग्रेजी राज ही ज्यादा अच्छा लगता था।

यह गाँधी के घर का संग्रहालय है।

गाँधी के माता-पिता

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