सुदामा मन्दिर देखने के बाद जैसे ही बाहर आये तो वहाँ पर काफ़ी विशाल खुला स्थान नुमा मैदान देखकर अच्छा लगा था। यहाँ से हमें पहले तो इसी मैदान नुमा जगह से होकर बाजार वाली सड़क पर जाना था, उसके बाद वहाँ से हम सीधे हाथ की ओर मुड़ गये। यदि यहाँ से उल्टे हाथ मुड़ जाये तो फ़िर से उसी सड़क पर पहुँच जाते जहाँ से हम यहाँ तक आये थे। सुदामा मन्दिर से लगभग आधा किमी चलने के बाद एक चौराहा जैसा स्थान आता है। वैसे तो यह चौराहा बड़े-बड़े घरों से घिरा हुआ है। यहाँ आकर यहाँ की सैकड़ों साल पुरानी मकान देखकर लगता है कि पोरबन्दर हमेशा से ही वैभवशाली रहा है इसमें गाँधी का कोई योगदान नहीं है। मैं तो भारत की आजादी में भी गाँधी का योगदान नहीं मानता हूँ। अंग्रेज भारत छोड़ कर गये, इसका सिर्फ़ एक कारण था कि उस समय की भारतीय सेना और पुलिस में अंग्रेजी सम्राज्य के खिलाफ़ आवाज बुलन्द हो रही थी। एक बार बम्बई में नौसेना ने तो विद्रोह कर वहाँ के सभी अंग्रेजों को मार दिया था। उसके बाद आज की आतंकवादी घटनाओं की तरह उस समय के आतंकवादी (अंग्रेजों के अनुसार) जो सिर्फ़ अंग्रेजों को मारते थे। उनके कारण अंग्रेज बहुत ज्यादा ड़रे हुए थे। अरे-अरे छोड़ो यह आजादी का चक्कर, हम सिर्फ़ नाम के आजाद है मुझे तो अंग्रेजी राज ही ज्यादा अच्छा लगता था।
यह गाँधी के घर का संग्रहालय है। |
गाँधी के माता-पिता |
गाँधी और कस्तूरबा |
चौराहे से हम लोग एक बार फ़िर एक बन्दे से मालूम कर सीधे हाथ की ओर मुड़ गये, यहाँ पर मुश्किल से 60-7- मीटर चलने पर ही हमें गाँधी का पुश्तैनी घर दिखायी दिया था। जैसे ही हम घर में घुसे तो वहाँ पर गेट से अन्दर झांकते के बाद पहली नजर में ही यह दिखायी दे गया था कि आज से 150 साल पहले गाँधी का घर ऐसा था और गांधी पढ़ने के लिये विलायत बोले तो विदेश गया था। आज तो सबके पास पैसे है आज भी आम लोगों को विदेश जाने के नाम पर खर्च के मामले में साँप सूँघ जाता है अत: आप अंदाजा लगा सकते हो कि उस समय में भी गाँधी का परिवार काफ़ी पैसा वाला रहा होगा। आप में से ज्यादातर लोग गाँधी को महान मानते होंगे लेकिन बहुत सारे मेरे जैसे भी मिल जायेंगे जो गाँधी की नीति पसन्द नहीं करते है। आजादी के पहले गाँधी ने ना जाने कितने आंदोलन किये थे, लेकिन मुझे इतिहास की किसी भी पुस्तक में गाँधी के एक भी ऐसे आंदोलन के बारे में पढ़ने को नहीं मिला जिससे पता चलता हो कि सफ़ल हुआ हो। अब आजादी के बाद की बात करते है जो आदमी धर्म के आधार पर अलग हुए पाकिस्तान को करोडों रुपये देने की जिद पकड़ कर भूख हड़ताल पर बैठा था। और जिस आदमी ने उसी पाकिस्तान से जान बचाकर भारत आये हिन्दूओं को रुकने के लिये दिल्ली की पुरानी व खाली मस्जिद से बरसात में पुलिस के जोर पर मार-मार कर बाहर निकवा दिया था। यह वही आदमी था जो पाकिस्तान बनने से पहले कहता था कि पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा, लेकिन दुनिया जानती है कि नत्थू राम जैसे विरले देश भक्त की गोली से मरने तक यह इन्सान हमेशा एक धर्म के पक्ष में ही रहा। अगर किसी को पता हो तो बताने का कष्ट करे कि इसे कितनी गोलियाँ लगी थी?
यह पुराना व असली जन्म स्थान है। |
ऊपर कुछ है क्या? नहीं |
गाँधी की जीवनी |
गाँधी का पुराना घर देखते हुए हमने कई कमरे देख ड़ाले थे इसके एक कमरे में गाँधी का जन्म हुआ था। मैंने इस लेख में यहाँ के लगभग सभी फ़ोटो लगाये है जिसमें यहाँ की झलक दिखायी देती है। पुराने घर के बाहर एक नई ईमारत भी बनायी गयी है, जिसमें संग्रहालय बनाया गया है। गाँधी परिवार की बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ यहाँ पर लगायी गयी है। एक बोर्ड पर गाँधी के जन्म से लेकर मरण तक का लेखाजोखा दर्शाया गया है। फ़ोटो में वह शायद साफ़ नहीं पढ़ने में आ पायेगा। गाँधी का जन्म स्थान देखकर हम उसी सड़क से वापिस आते चले गये जिस से यहाँ गये थे। यहाँ से हमें पोरबन्दर के बस अड़ड़े जाना था। वहाँ से जूनागढ़ जाना था, उन दिनों जूनागढ़ का मेला लगा हुआ था। अभी दिन छिपने में कई घन्टे बाकि इस कारण हम अंधेरा होने से पहले आसानी से जूनागढ़ पहुँच जाना चाहते थे। यहाँ सुदामा मन्दिर के पास से होते हुए हम लगभग एक किमी दूरी पर स्थित बस अड़ड़ा पहुँच पाये थे।
चलो अब चले जूनागढ़ |
तेरी भी ले लिया खुश रह |
गुजरात यात्रा के सभी लेख के लिंक क्रमानुसार नीचे दिये गये है।
भाग-01 आओ गुजरात चले।
भाग-02 ओखा में भेंट/बेट द्धारका मन्दिर, श्री कृष्णा निवास स्थान
भाग-03 द्धारकाधीश का भारत के चार धाम वाला मन्दिर
भाग-04 राधा मन्दिर/ श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी रुक्मिणी देवी का मन्दिर
भाग-05 नागेश्वर मन्दिर भारते के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक
भाग-06 श्रीकृष्ण के दोस्त सुदामा का मन्दिर
भाग-07 पोरबन्दर गाँधी का जन्म स्थान।
भाग-08 जूनागढ़ का गिरनार पर्वत और उसकी 20000 सीढियों की चढ़ाई।
भाग-09 सोमनाथ मन्दिर के सामने खूबसूरत चौपाटी पर मौज मस्ती
भाग-10 सोमनाथ मन्दिर जो अंधविश्वास के चलते कई बार तहस-नहस हुआ।
भाग-11 सोमनाथ से पोरबन्दर, जामनगर, अहमदाबाद होते हुए दिल्ली तक यात्रा वर्णन
.
.
.
.
8 टिप्पणियां:
राम राम जी, गांधी के बारे में आपने बिलकुल ठीक लिखा हैं, एक गांधी, एक नेहरु, दोनों इस देश की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं. देश का बँटवारा इन दोनों ने करा दिया था. और जब हो ही गया था तो पूर्ण रूप से नहीं हुआ था, यदि पूर्ण रूप से होता तो, इस देश को कई समस्याओं से छुटकारा मिल जाता. रही बात नेहरु की इस के वंशजो और नकली गांधियो को तो देश झेल ही रहा हैं. हम लोग भारत माता की संताने हैं. इस देश का कोई बाप कैसे हो सकता है. इसे राष्ट्रपिता कहना देश का अपमान हैं. वन्देमातरम....
त्याग में सब दे गये, हमारे अधिकार भी..
एकदम सही कहा ...
सही कहा , गांधी के नाम पर आजादी लिख तो दी है लेकिन सब जानते है की आजादी भगत सिंह जैसे वीरो की खातिर मिली है ..जिन्होंने अपनी जाने दे कर इस वतन को आजाद करवाया ..आज भगतसिंह को कोई नहीं पूछता सब गांधी -नेहरु को याद करते रहते है जिन्होंने इस देश का बंटाधार किया ...हिंदुस्तान आज नाम का हिन्दुस्थान रह गया है ..आज कम से कम हिन्दू रह गए है इतने मुसलमान तो खुद पाकिस्थान में भी नहीं होगे ....काश, सरदार पटेल जैसे लोग इस देश के सूत्रधार होते ..तो आज हिन्दुस्तान का मुस्तकबिल कुछ और ही होता ....
बढ़िया प्रस्तुति | सोमनाथ कब जा रहे है ?
mauka abhi baki hai dosto MODI.....................
sorry i m not agree with u.........
बिलकुल सही लिखा है......देश के इन हालातो के लिए गांधी और नेहरू ही जिम्मेदार है.
एक टिप्पणी भेजें