बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

OKHA- (Beyt Dwarka islands) The residence of lord Sri Krishna ओखा के भेंट/बेट द्धारका में श्रीकृष्ण का निवास स्थान

गुजरात यात्रा-2

जामनगर का बस स्थानक स्टेशन से दो किमी दूरी पर है। बस स्थानक जाकर पता लगा कि द्धारका जाने वाली बस थोडी देर पहले गयी है अगली बस तीन घन्टे बाद जायेगी। ट्रेन का तो पहले ही पता था कि चार घन्टे बाद जायेगी। बस में वहाँ से एक बन्दे के 165 रुपये लग रहे थे, वही रेल से मात्र 51 रुपये प्रति बन्दे लग रहे थे। इस कारण हमने कंजूसी दिखाते हुए ट्रेन से ओखा तक जाने का निश्चय किया था। ट्रेन में साधारण डिब्बे में ठीक-ठाक भीड़ थी। लेकिन हमें फ़िर भी सीट मिल गयी थी। जामनगर से द्वारका तक ही  भीड़ का डेरा था। द्वारका से ओखा तक ट्रेन लगभग खाली ही गयी थी। ओखा स्टेशन समुन्द्र तल से मात्रमीटर की ऊँचाई पर है। समुन्द्र तट यहाँ से मुश्किल से 100 की दूरी पर है। स्टेशन से बाहर निकलते ही हमने भेट द्धारका जाने के बारे में पता किया। भेट द्धारका जाने के लिये जहाँ से बोट/नाव मिलती है वह बोट जेटी स्टॆशन से आधे किमी की दूरी पर ही है। इसलिये हम पैदल ही वहाँ तक चले गये।

चलो भेट द्धारका चले

पक्षी भूखे है


जय हो

नाव से वापसी

शाम होने जा रही है।

अभी नाव ठसा-ठस नहीं भरी है।

यहाँ पर नाव वाले एक बन्दे से बीस रुपये भेट द्धारका तक जाने के ले रहे थे। एक नाव में लगभग सौ-सवा सौ लोगों को लादकर नाव को आगे बढ़ाते थे। इतने लोगों को इतनी छोटी नाव में लादना जोखिम भरा काम है। जो यहाँ हर रोज ना जाने कितने बार दोहराया जाता है। नाव हमें लेकर समुन्द्र में चल पड़ी। नाव के कुछ दूर जाते ही पक्षी हमारी नाव के पीछे-पीछे उड़ने लगे थे। नाव में बैठे लोग उन्हें खाने को कुछ ड़ाल रहे थे जिस कारण पक्षी हमारे पीछे उड़ रहे थे। दस-बारह मिनट में नाव ने हमें उस पार टापू के किनारे उतार दिया। नाव से उतर कर हम श्रीकृष्ण के निवास स्थान की ओर बढ़ चले। मन्दिर में अन्दर सामान, बैग, जूते, कैमरा मोबाईल आदि (पैसे लेकर जाने थे) ले जाना मना था इस कारण हम बारी बारी से दो-दो करके मन्दिर में द्धारकाधीश के निवास स्थान को देखकर आये थे। यहाँ से वापिस आते समय एक दुकान पर पकौडी खायी गयी, उसके बाद अंधेरा होने से पहले ओखा पहुँचने के लिये हम फ़िर से नाव में सवार हो गये। उस समय सूर्यास्त हो रहा था। नाव से बैठे-बैठे ही हमने सूर्यास्त के दर्शन किये थे। 

फ़ोटो तिरछा लिया या नाव हिली।

अब ठीक है।

क्या कहना

जाते समय हम नीचे वाले फ़र्श पर खड़े थे।

नाव से उतरकर हमने ओखा से द्धारका जाने के लिये बस के बारे में पता किया। ओखा से निजी बसे द्धारका के लिये मिलती रहती है। इसलिये हमने भी एक बस में बैठ द्धारका के लिये प्रस्थान किया।





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5 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

जीसे आप भेट कहते हो उसे भेट नही बेट बोलते हे ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

द्वारकाधीश की जय..

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

बहुत ही बढ़िया यात्रा चल रही है

Ritesh Gupta ने कहा…

jai ho dwarikadish ki...nav se badhiya rahi bet dwarika ki yatra

amitgoda ने कहा…

बढ़िया

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