गोमुख से केदारनाथ ट्रेकिंग/पद यात्रा-4
भटवारी होते हुए हम रात में लाटा गाँव पहुँच गये थे। हमने यही रात्रि विश्राम भी किया। इसी गांव से केदारनाथ पैदल जाने वाले यात्री, गंगा नदी पर बने झूला पुल को पार करते हुए 15 किलोमीटर दूर कठिन चढाई पर बेलक नाम के छोटे से बुग्याल में पहुंच कर दोपहर में आराम करते है। हमने भी यह झूला पार कर बेलक के लिये प्रस्थान कर दिया था। कुछ दूर तक तो मार्ग ठीक-ठाक चढ़ाई वाला था, लेकिन उसके बाद जो चढ़ाई शुरु होती है, उसकी पूछो मत, सबकी हवा खराब थी, हर कोई पसीने से तर बतर हो गया था। रही सही कसर खून पीने वाली जौंक ने कर दी थी। जैसे ही जौंक वाला इलाका शुरु हुआ, वैसे ही सभी की चलने की गति अप्रत्याशित रुप से तेज हो गयी थी। किसी तरह बेलक तक पहुँचे थे। बेलक पहुँचने से पहले एक जगह खिचड़ी वाला भण्ड़ारा लगा हुआ था, पहले उस भण्ड़ारे जम कर खिचड़ी खायी गयी थी।
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ये ही वो झूला पुल है |
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बेलक बुग्याल |
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बेलक में रात में रुकने का भी इंतजाम है। |
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बेलक |
इसलिये हम बूढाकेदार से सडक का रास्ता छोड कर पहाडों के रास्ते विनयखाल की तीन किलोमीटर की जबरदस्त चढ़ाई चढ़ते हुए गए। पहले तीन किलोमीटर ही जबरदस्त चढाई वाले थे। उसके बाद कई किमी तक आरामदायक सड़क से होते हुए हम लोग भैरो चट्टी की ओर बढ़ रहे थे। भैरोचट्टी से पहले भी दो-तीन किमी थका देने वाले थे आखिरकार भैरोचटटी में जा कर रात्रि में डेरा डाल दिया गया था। विनय खाल से आगे का मार्ग एकदम समतल सा ही है। भैरोचट्टी से तीन किलोमीटर पहले से मंदिर तक चढाई का रास्ता है। चढ़ाई ऐसी कि एक बार फिर सबके जोर लग जाते है। यह जोरदार चढ़ाई भी किसी तरह हमने बैठ-बैठ कर से पार कर ही ली थी।
रात का रुकने का प्रबन्ध तो हो गया अब बारी पेट पूजा की थी। एक बार फ़िर से पुजारी को तंग किया गया। कि हमें खाने के लिये दाल-चावल तो साथ लाये है बस बर्तन चाहिए बनाने के लिए। लेकिन गजब हो गया जब पुजारी ने कहा कि भैरों मंदिर में चावल बनाने व खाने की बात नहीं हो सकती है। अब क्या करे हम तो चावल व मसाले ही लाये थे। अब विनयखाल बाजार इतनी दूर है कि अब वहाँ तक जाकर वापस आना भी मुश्किल है। चलो भाईयों सो जाओ, सुबह चलकर घूत्तू में ही कुछ खायेंगे। हम सोने की तैयारी कर ही रहे थे कि पुजारी एक परात में आटा लेकर आ गये व बोले अगर तुम लोग अपने आप रोटी बना सकते हो तो यह लो आटा व मेरे साथ आकर कुछ आलू भी ले लो जिससे तुम आलू की सब्जी बना लेना। यह सुनते ही अपनी नींद गायब देखो जीवन में किसी ने सच कहा है कि अगले पल क्या होगा? किसी को नहीं पता। कहाँ तो हम भूखे पेट सोने की तैयारी कर रहे थे। अब देखो कि आटा व आलू की सब्जी की दावत उडाने का प्रबंध भी हो गया है। हम कुल मिलाकर 10-12 लोग थे, जितने भी उस समय वहाँ ठहरे हुए थे। जिनमें से हम नौ लोग काँवड वाले यात्री थे बाकि दो पहाड के लोकल स्थानीय बंदे थे। सबने मिलकर रोटी-सब्जी बनायी, मैंने भी रोटी बनाने में मदद की। चार लोग रोटी बनाने में, तीन लोग सब्जी बनाने में लगे थे। लगभग एक घन्टे में रात का खाना बनकर तैयार हो गया था। खाना ठीक-ठाक था, रोटी भी कुछ कच्ची कुछ पक्की बनी थी। सबने मिलकर खाना खाया था। खा पीकर सब नौ बजे तक सो गये थे।
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लम्बे बाल वाले सन्यासी घूम रहे है |
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सुन्दर |
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क्या कहने? |
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जय हो आसपास के 24 गाँव के देवता भैरव की |
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एक यहाँ भी |
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6 टिप्पणियां:
आपका सफर वाकई दिलचस्प है
आनंद आ गया..
प्रकृति का सौन्दर्य..
अद्भुत
जाटदेवता प्रणाम
अच्छी जानकारी दी रास्ते की।
शानदार यात्रा लेख गुरुदेव
bahut sundar safar, jai ho .kedar baba ki.
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