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शनिवार, 9 मार्च 2013

Hemkund/Hemkunth Sahib-World highest Gurudwara दुनिया में सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित हेमकुंठ साहिब गुरुद्धारा

बद्रीनाथ-फ़ूलों की घाटी-हेमकुन्ठ साहिब-केदारनाथ यात्रा-04

सुबह ठीक चार बजे उठने का अलार्म लगाया था, जैसे ही अलार्म बजा, बाहर उठकर देखा तो लोगों की खूब चहलपहल हो चुकी थी। हम भी फ़टाफ़ट फ़्रेश होकर हेमकुन्ठ साहिब की यात्रा करने के लिये सब लोगों के साथ चलने लगे। आगे जाकर जहाँ से फ़ूलों की घाटी का मार्ग अलग हो जाता है, वहाँ पर काफ़ी लोग एकत्र हो चुके थे। ठीक साढ़े 5 बजे जो बोले सो निहाल, बोलो सत श्री अकाल का जयकारा लगाकर सभी लोग ऊपर पहाड़ की ओर चल दिये। धीरे-धीरे पहाड़ की चढ़ाई बढ़ती ही जा रही थी। हमने कल दोपहर ही देख लिया था कि हमें कितनी भयंकर चढ़ाई चढ़कर ऊपर तक पहुँचना पड़ेगा। पहले से जी सख्त कर दिया था इसलिये चढ़ाई का खौफ़ तो मन में बिल्कुल नहीं था, लेकिन जैसे-जैसे चढ़ाई बढ़ती जाती थी। मार्ग की हालत भी तंग होने लगी थी। हमने अपनी राजधानी एक्सप्रेस वाला गति बनाकर सबको पीछे छोड़ना शुरु कर दिया था। हम जितना आगे जाते हमें उतने आगे भी लोग-बाग मिलते जा रहे थे। मैं आश्चर्यचकित था कि यार हम तो पहले ही दे दना-दन गति से चढ़ते जा रहे है। फ़िर भी लोग-बाग हमें ऊपर पहले से ही सुस्ताते हुए मिल रहे है। आखिर मामला क्या है? मैंने अपनी शंका का समाधान करने के लिये एक बन्दे से पूछ ही लिया कि किस समय नीचे से चले थे। उन्होंने कहा कि हम 4 बजे चले थे तो मेरी समझ में आया कि क्यों बन्दे हमें आगे भी मिल रहे है।? पैदल चलने में मजा आ रहा था। सुबह जब चले थे तो हल्का-हल्का अंधेरा था। लेकिन कुछ समय बाद अंधेरा तो चला गया, बदले में अपनी मौसी कोहरा को छोड़ गया। वहाँ मार्ग में बेहद ही कोहरा छा गया था। जिससे हमें सिर्फ़ 10-15 मीटर से ज्यादा दिखायी नहीं दे रहा था।  

पहला फ़ोटो हेमकुन्ठ साहिब का

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