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शनिवार, 24 अगस्त 2013

Chaunsath 64 yogini temple चौसट योगिनी मन्दिर

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-15                              SANDEEP PANWAR
भेड़ाघाट के रेस्ट हाऊस की ओर चलते हुए सडक पर 64 योगिनी नामक मन्दिर का बोर्ड दिखायी देता है। सड़क से देखने पर पहली नजर में मन्दिर तो मन्दिर मन्दिर का कोई अंश भी दिखायी नहीं देता। मन्दिर ऊपर कही पहाड़ी पर बना होगा। जहाँ तक पहुँचाने के लिये पत्थर की बनी हुई पक्की सीढियाँ दिखायी दे रही थी। मैंने उन सीढियों से ऊपर पहाड़ी पर चढ़ना शुरु कर दिया। जैसे-जैसे ऊपर की ओर जाता जा रहा था शरीर कहने लगता कि रुक जा जरा साँस तो ले ले, ऐसी क्या जल्दी है जो दे दना-दना भागे जा रहा है। साँस फ़ूलने की समस्या तो चढ़ाई पर आती ही है अब चढ़ाई चाहे श्रीखन्ड़ की हो या मणिमहेश की या 64 योगिनी मन्दिर की ही क्यों ना रही हो। मुझे साँस सामान्य करने के लिये बीच में एक बार रुकना पड़ा।


गुरुवार, 22 अगस्त 2013

Dhuandhaar water fall to 64 Yogini Temple धुआँधार प्रपात से चौसट योगिनी मन्दिर तक

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-14                              SANDEEP PANWAR
धुआँधार जलप्रपात देखकर व नहाने के उपराँत मैंने नर्मदा के साथ-साथ नदी के जल की धारा के विपरीत दिशा में चलने का फ़ैसला कर लिया। सुबह से यहाँ बैठे हुए कई घन्टे बीत चुके थे। जैसे-जैसे मैं आगे बढ़ता जा रहा था नर्मदा भी उछल कूद मचाती हुई मेरी ओर चली आ रही थी। मैं नर्मदा के पानी से दूरी बनाकर चल रहा था अन्यथा नर्मदा मुझे पकड़ लेती। यहाँ नदी की धारा का बहाव काफ़ी तेज है जिस कारण पानी काफ़ी तेजी से नीचे की ओर भागता चला जाता है। पानी तेजी से लुढ़कने के कारण नदी में पानी काफ़ी धमालचौकड़ी मचाता हुआ उछल-उछल कर आगे चलता रहता है। पानी उछलने का मुख्य कारण तेज ढ़लान व नदी के बीच में बड़े पत्थर का होना है। थोड़ा आगे जाने पर एक मैदान आता है जहाँ पर कुछ लोग नहा धोकर अपने कपड़े सुखाने में लगे पड़े थे। यही नदी की धारा के साथ किनारे पर पड़े हुए पत्थरों में बने डिजाइन को देखकर मुझे कुछ मिनट वही ठहरना पड़ा, क्योंकि नदी किनारे पड़े पत्थरों पर वैसे ही आकृति बनी हुई थी जैसी आकृति समुन्द्र किनारे के खारे पानी की मार के कारण वहाँ की चट्टानों की हो जाती है।


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