हर की दून जाने की इच्छा बहुत दिनों से मन में थी। दो महीने पहले श्रीखण्ड महादेव से वापस आते ही सोच लिया था कि बारिश समाप्त होते ही हर की दून के लिये कूच कर देना है, इसलिये मैंने ब्लॉग पर दिनांक भी कोई पक्की नहीं की थी। अहमदाबाद के रहने वाले धर्मेन्द्र सांगवान ने कई बार फ़ोन कर के पता किया कि जाट भाई हर की दून जा रहे हो या नहीं, उसे हर बार बताया कि अभी पहाडों में बारिश बन्द नहीं हुई है अत: कुछ समय बाद ही जाया जायेगा, लेकिन बन्दा परेशान कि आपका क्या, आप तो अपनी बाइक उठाओगे व चल दोगे लेकिन मुझे तो अहमदाबाद से दिल्ली तक आने में बीस घन्टे लग जायेंगे कुछ दिन पहले बता दोगे तो मैं अपना ट्रेन का आरक्षण करवा लूँगा नहीं तो बिना आरक्षण रेल से आने में तो ऐसी की तैसी हो जायेगी। मैंने कहा हाँ भाई बात तो तुम्हारी ठीक है चलो दशहरा वाले दिन दिल्ली से चलते है तब तक मौसम भी ठीक हो ही जायेगा। बन्दे ने फ़िर पूछा दिनांक तो पक्की है न, अरे भाई जब मैंने किसी जगह जाने की एक बार बोल दी तो फ़िर तो ऊपर वाला मेरी हर तरह से सहायता भी करता है, फ़िर किसी की मजाल की मेरी यात्रा को रोक-टोक सके, जय भोले नाथ, हर दम सबके साथ। इस यात्रा में दो बाइक सवारों का फ़ोन और आया था कि अगर आप(मैं) लोग एक दिन बाद चलो तो हम भी आपके साथ चलेंगे लेकिन मैंने कहा कि कोई बात नहीं आप लोग बाद में आओ, मुझे अपना कार्यक्रम नहीं बदलना है हाँ हो सकता है कि हम आपको पैदल मार्ग में टकरा जाये।