DAL LAKE लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
DAL LAKE लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 23 जनवरी 2014

Srinagar-Mughal Garden Shalimar श्रीनगर-मुगल गार्डन- शालीमार बाग

श्रीनगर सपरिवार यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये गये है।
01- दिल्ली से श्रीनगर तक की हवाई यात्रा का वर्णन।
02- श्रीनगर की ड़ल झील में हाऊस बोट में विश्राम किया गया।
03- श्रीनगर के पर्वत पर शंकराचार्य मन्दिर (तख्त ए सुलेमान) 
04- श्रीनगर का चश्माशाही जल धारा बगीचा
05- श्रीनगर का मुगल गार्ड़न-निशात बाग
06- श्रीनगर का मुगल गार्ड़न-शालीमार बाग
07- श्रीनगर हजरतबल दरगाह (पैगम्बर मोहम्मद का एक बाल सुरक्षित है।)
08- श्रीनगर की ड़ल झील में शिकारा राइड़ /सैर
09- अवन्तीपोरा स्थित अवन्ती स्वामी मन्दिर के अवशेष
10- मट्टन- मार्तण्ड़ सूर्य मन्दिर  व ग्रीन टनल
11- पहलगाम की सुन्दर घाटी
12- कश्मीर घाटी में बर्फ़ीली वादियों में चलने वाली ट्रेन की यात्रा, (11 किमी लम्बी सुरंग)
13- श्रीनगर से दिल्ली हवाई यात्रा के साथ यह यात्रा समाप्त

SRINGAR FAMILY TOUR- 06

निशांत बाग से बाहर आने के बाद, हम एक बार फ़िर अपनी कार में बैठकर अगली मंजिल मुगल गार्ड़न शालीमार बाग की ओर चल दिये। यहाँ पहुँचने में ज्यादा समय नहीं लगा। इस गार्ड़न में प्रवेश करने के लिये टिकट लेना पड़ा। टिकट दिखाकर अन्दर प्रवेश किया। शालीमार बाग के बारे में बताया गया कि इसे जहाँगीर ने अपनी बेगम नूरजहाँ के लिये बनवाया था। इससे पहले वाला बाग नूरजहाँ के भाई ने बनवाया था। इस बाग में बहुत सारे कक्ष बनवाये गये है। जिसमें से अंतिम कमरे राज-परिवार की औरतों के आराम के लिये बनवाये गये थे। सभी मुगल गार्ड़नों के पीछे वाली जावरान पहाडियाँ इनकी शान कई गुणा बढा रही है। इन सभी गार्ड़नों के सामने ड़ल झील खूबसूरत नजारा बनाती है। इन सभी बागों में चिनार के विशाल पेड़ बहुतायत संख्या में है इनके साथ अन्य किस्म के छायादार पेड़ भी है। 


रविवार, 24 मार्च 2013

Kashmir- Dal Lake, Shalimar Bagh, Nishat Bagh कश्मीर- ड़लझील, शालीमार बाग व निशात बाग की सैर

अमृतसर-अमरनाथ-श्रीनगर-वैष्णों देवी यात्रा-05                                                   SANDEEP PANWAR


सूमो वाले ने हमें श्रीनगर ड़लझील के सामने नत्थू मिठाई वाले के नाम से मशहूर दुकान के सामने उतार दिया था। मेरे साथ दिल्ली के चार लोग और भी थे। रात में रुकने के लिये सभी की यही राय थी कि रात तो ड़लझील के किसी हाउस बोट में ही बितायी जायेगी। झील में हाउस बोट सड़क से काफ़ी हटकर पानी ने बीचोबीच बनाये गये है। इसलिये हाउस बोट तक पहुँचने के लिये पहले तो एक शिकारे की आवश्यकता थी। सड़क किनारे को छोड़कर जब हम झील की ओर आये तो देखा कि वहाँ पर झील में आने-जाने के लिये बहुत सारे शिकारे तैयार खड़े है। हमने शिकारे वाले से कहा कि हमें रात में ठहरने के लिये एक हाउस बोट पर रुकना है इसलिये तुम हमें चार-पाँच हाउसबोट पर ले चलो। शिकारे वाला हमें अपनी नाव पर लाधकर झील में अन्दर चल पड़ा। यह ड़लझील में मेरी पहली सैर थी। कुछ ही देर में शिकारे वाला हमें बहुत सारे हाउस बोटों के बीच से होता हुआ एक खाली सी जगह पर खड़े हुए हाउस बोट तक पहुँचा कर बोला कि इनमें से जिसमें आपका मन करे उस हाउस बोट में रात ठहरने की कीमत तय कर लीजिए। यहाँ काफ़ी सौदेबाजी के बाद भी हाउसबोट Houseboat वाला हम 5 बन्दों के 1500 रुपये से कम पर नहीं मान रहा था। हमने उसे 1250 कह कर वापिस शिकारे में बैठकर चलने लगे तो हाउसबोट मालिक के हमें आवाज देकर कहा ठीक है आ जाओ, 1250 रुपये ही दे देना। हमारे शिकारे वाले ने हमें फ़िर से उस हाउसबोट पर उतार दिया। हमने शिकारे वाले से कहा कि हमें ड़लझील में घूमना है इसलिये एक घन्टा रात में आ जाना और एक घन्टा सुबह के समय ड़लझील में घुमा देना।

संदीप आर्य श्रीनगर की ड़लझील में शिकारे की सैर करते हुए।

शनिवार, 23 मार्च 2013

Amarnath Cave yatra अमरनाथ गुफ़ा तक व बालटाल तक यात्रा वर्णन

अमृतसर-अमरनाथ-श्रीनगर-वैष्णों देवी यात्रा-04                                                     SANDEEP PANWAR

रात को पंचतरणी में मजबूरी में रुकना पड़ा था। हम रात में जहाँ ठहरे थे वहाँ पर हमें सोने के लिये मोटे-मोटे कम्बल दिये गये थे। मैं रात में नौ बजे सू-सू करने के लिये टैन्ट से बाहर आया, बाहर आकर पाया कि वहाँ का तापमान माइनस में चला गया था। मैं फ़टाफ़ट जरुरी काम कर वापिस टैंट की ओर भागा। इतनी देर में ही मुझे ठन्ड़ ने जबरदस्त झटका दे दिया था। मेरी कम्बल में घुसते समय ऐसी हालत हो गयी थी जैसे मैं अभी-अभी ठन्ड़े पानी के कुंड़ से नहाकर बाहर निकला हूँ। किसी तरह कम्बल में घुसकर राहत की साँस पायी। जब मैं घुसा था तो मेरे दाँत दे दना-दन बजते जा रहे थे। मेरे साथी ने मुझसे पूछा क्या हुआ? मैंने उससे कहा, बेटे एक बार बाहर जाकर घूम फ़िर पूछना क्या हुआ? खैर थोड़ी देर बाद जाकर कम्बल में गर्मायी गयी थी। रात में ठीक-ठाक नीन्द गयी थी। सुबह अपने सही समय 5 बजे उठकर अमरनाथ गुफ़ा जाने की तैयारी शुरु कर दी। यहाँ पर मुझे भण्ड़ारे वालों ने आधी बाल्टी गर्म पानी दे दिया था। जिससे मैंने नहाने में प्रयोग कर दिया था। मेरा साथी यहाँ पर बहने वाली पाँच धाराओं में जाकर नहाकर आया था। नहा-धोकर हम उस जगह पहुँच गये थे जहाँ पर सेना के जवान पगड़न्ड़ी वाले मार्ग की अत्याधुनिक औजारों से तलाशी ले रहे थे। आतंकवादियों कच्चे मार्ग में रात को माइन्स दबा देते है। जिससे कि सुबह यदि जिस यात्री का पैर उस पर पड़ जाये तो वह माइन्स के साथ उड़ जायेगा। जब सेना के जवान मार्ग के सही सलामत होने की हरी झन्ड़ी हिलाते है तो यात्रियों को आगे जाने की अनुमति दे दी जाती है। यात्रियों को बताया जाता है कि मार्ग से हटकर ना चले।

कर लो अमरनाथ गुफ़ा के दर्शन

रविवार, 15 मई 2011

बाइक से लाल किला से लेह-लद्दाख यात्रा भाग 9, DAL LAKE, JAWAHAR TUNNEL

लेह बाइक यात्रा-
अमरनाथ जी के दर्शन व जाट देवता से परमात्मा का मिलन तो कल हो गया था, आज आठवे दिन बारी थी श्रीनगर शहर व आसपास के इलाकों की, हमारा अब तक का सफ़र बडा शानदार रहा है। हमने भारत के सभी टाप दर्रों को आसानी से पास कर लिया था, हाँ बर्फ़बारी की वजह से चार सबसे ऊँचे दर्रों खर्दुन्गला, चांग ला, बारालाचा ला, गाट्टा लूप के बाद, पर थोडी-घनी सी परेशानी अवश्य आयी थी, वो अब बीती बात बन चुकी है, आज ऐसा कुछ नहीं है।
बाल्टाल के पास का नजारा

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...