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सोमवार, 16 जनवरी 2017

Trekking to Saddle peak, Highest peak of Andaman Islands अंडमान की सबसे ऊंची सैडल पीक की ट्रेकिंग

ANDAMAN, PORTBLAIR YATRA-09                   SANDEEP PANWAR



उत्तरी अंडमान के अंतिम छोर डिगलीपुर पहुँचकर सबसे पहले कालीपुर तट पर कछुओं का प्रजनन स्थल वाला बीच देखा। इस लेख में आपको अंडमान निकोबार द्वीप समूह की सबसे ऊँची चोटी सैडल पीक की ट्रेकिंग वाली यात्रा करायी जायेगी। यदि आप अंडमान की इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ माऊस से चटका लगाये और पूरे यात्रा वृतांत का आनन्द ले। यह यात्रा दिनांक 23-06-2014 को की गयी थी।
अंडमान निकोबार LAMIA BAY, NATURE TRAIL TO SADDLE PEAK NATIONAL PARK, DIGLIPUR
हमारे होटल TURTLE RESORT, KALIPUR के सामने वाली सडक डिगलीपुर से शुरु होकर होटल से 5 किमी आगे तक जाती है। होटल डिगलीपुर से 25 किमी आगे आता है। जहाँ यह सडक समाप्त होती है। वहाँ से आगे अंडमान की सबसे ऊँची चोटी सैडल पीक तक पहुँचने के लिये 8 किमी की ट्रैंकिंग करनी पडती है। आज हम सैडल पीक की ट्रैकिंग करने जा रहे है। अपना सामान तो हमने होटल में छोड रखा है। हमें आज की रात भी इसी होटल में ही रुकना है।

बुधवार, 11 जनवरी 2017

Moricedera Beach & Aam Kunj Beach- Rangat रंगत के खूबसूरत बीच मोरीसिडरा व आम कुंज बीच



उत्तरी अंडमान के अंतिम छोर डिगलीपुर जाते समय बाराटाँग उतरकर पहले तो चूने की गुफा देखी, उसके बाद रंगत से कुछ आगे मैंग्रोव जंगल में पद यात्रा की, अब उसके आगे रंगत के मनमोहक समुन्द्र तट का यात्रा वृतांत इस लेख में दिया गया है। यदि आप अंडमान की इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ चटका लगाये और पूरे यात्रा वृतांत का आनन्द ले। यह यात्रा दिनांक 22-06-2014 को की गयी थी।
अंडमान निकोबार AAM KUNJ & MORICEDERA BEACH SHIVPURAM
रंगत से करीब 18 किमी आगे होटल HOW BILL NEST में उस दिन ठहरने वाले, हमारे अलावा एक दो रुम में ही गेस्ट थे। हमारा रंगत में घूमने के लिये दोपहर तक का समय तय था। यहाँ देखने के लिये बहुत ज्यादा नहीं है। लेकिन जितना भी है वो अंडमान यात्रा की जान है यदि किसी ने अंडमान यात्रा में रंगत छोड दिया तो समझो उसने बहुत कुछ छोड दिया। हमने रंगत के दो-तीन समुन्द्री बीच व एक-दो मंदिर ही देखने थे। सुबह आराम से सोकर उठे। नहा-धो तैयार होकर वाहन के लिये सडक पर आये। सबसे पहले हमने चार घंटे के लिये 300 रु में एक आटो बुक किया। आटो वाले को पहले ही बोल दिया कि 4 घन्टे में जो-जो देख सकते है वहाँ लेकर चल। कुछ जानकारी मनु के पास थी कुछ जानकारी आटो वाले ने दी। आटो में सवार होकर सबसे पहले एक छोटे से लेकिन बेहद ही सुन्दर जगह पहुँचे। यहाँ का समुन्द्री किनारा देख मन मचल गया। सुबह-सुबह समुन्द्र की उठती लहरे देख, किसका मन नहीं मचलेगा। इस बीच का नाम आमकुंज बीच है। आम कुंज देखने के बाद कुछ किमी आगे एक अन्य सुन्दर से बीच MORICEDERA BEACH SHIVPURAM जाना था।

मंगलवार, 10 जनवरी 2017

Dhani Nallah- Longest bench walk way of india in Mangrove beach धनी नाला भारत की सबसे लम्बी मैंग्रोव बैंच वाक



अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की इस यात्रा में हम डिगलीपुर जाते हुए बाराटाँग उतरकर चूने की गुफा देखने के बाद रंगत की ओर चल दिये। अभी तक हमने मरीना पार्क, चिडिया टापू जैसे स्थल देख चुके है। आदिमानव युग के कुछ मानव अभी भी धरती पर निवास करते है। उनका जारवा क्षेत्र होते हुए यहाँ बाराटाँग तक आये है। अब उससे आगे रंगत के समुन्द्र तट की यात्रा, यदि आप इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ चटका लगाये और आनन्द ले। यह यात्रा दिनांक 21-06-2014 को की गयी थी।
अंडमान निकोबार- धनीनाला बीच के मैंग्रोव वन में भारत का सबसे लम्बा लकडी वाला पैदल पथ और उस पर हमारी पद यात्रा  DHANI NALA - LONGEST BENCH WALK OF MANGROVE BEACH IN INDIA
लाइम स्टोन गुफा, चूने की गुफा से वापिस लौटकर बाराटाँग अंडमान ग्रांट ट्रंक मार्ग पर पहुँचे। किनारे पहुँचकर आगे रंगत जाने वाली अगली बस की जानकारी मिल गयी। आगे जाने वाली अगली बस करीब एक घन्टे बाद आयेगी। गुफा तक आने-जाने में हमें दो घन्टे लगे। जारवा लोगों के इलाके वाला बैरियर तीन घन्टे बाद ही खुलता है। वहाँ से 3 घन्टे बाद आने वाली बस पानी के जहाज में चढ कर इस पार आ रही है। अब हम आगे रंगत की ओर जायेंगे। हमें आज की रात रंगत से करीब 18 किमी आगे एक होटल HOW BILL NEST में रुकना है। आज हमारी बुकिंग वही पर है। रात को वहाँ रुकेंगे। इस पार आने वाली पहली बस में घुसकर बैठने की जगह देखने लगे। तीन बस आयी लेकिन तीनों में बैठने की जगह न मिली। उधेडबुन में दो बस निकल गयी। तीसरी बस भी जाने को तैयार थी। फटाफट फैसला हुआ कि जाना तो पडेगा ही, यहाँ खडे रहे तो रात यही हो जायेगी, इसके बाद अगली बस कल सुबह आयेगी। इसलिये खडे-खडे आगे की यात्रा शुरु की।

सोमवार, 9 जनवरी 2017

Baratang's lime stone cave बाराटाँग की चूना पत्थर से बनी गुफा



अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की इस यात्रा में हम डिगलीपुर जाते हुए बाराटाँग उतरकर चूने की गुफा देखने चले दिये। अभी तक हमने मरीना पार्क, चिडिया टापू जैसे स्थल देख चुके है। आदिमानव युग के कुछ मानव अभी भी धरती पर निवास करते है। उनका जारवा क्षेत्र होते हुए यहाँ आये है। अब उससे आगे की कहानी, यदि आप इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ चटका लगाये और आनन्द ले।
अंडमान निकोबार बाराटाँग की चूने पत्थर वाली गुफा, BARATANG’S LIME STONE CAVE  
दोस्तों, बाराटाँग आ गया है यहाँ इस बस से उतरते है। अब यहाँ से आगे की यात्रा 10 किमी की स्पीड बोट में बैठकर करनी पडेगी। आज तक स्पीड बोट में बैठना नहीं हुआ। आज पानी के जहाज में तो बैठ ही लिये लगे हाथ यह इच्छा भी पूरी हो जायेगी। LIME STONE CAVE पूरी बाराटाँग से चूने के पत्थर तक पहुँचने का एकमात्र साधन स्पीड बोट ही है वही हमें उस गुफा तक लेकर जायेगी। नीलाम्बर रेंज के अधीन यह गुफा है। पानी में डूबने से बचाने के लिये हमें जो लाइफ जैकेट पहनायी गयी थी। वो आरामदायक बिल्कुल नहीं थी सच बोलू तो अत्यधिक असुविधाजनक थी। यह जैकेट कमर व पेट पर बांधी जाये तो ज्यादा सही रहता है। अब तक मैंने MANGROVE के पेड व उनकी जड के बारे में केवल सुना ही था आज उन्हे पहली बार कई किमी तक देखना हो पाया है। अभी हम लाइम स्टोन की जिन गुफा को देखने जा रहे है। वहाँ, उन गुफा तक पहुँचने के लिये हमारी बोट मैग्रोव के घने जंगल के बीच एक छोटी सी जल की धारा से होते हुए जा रही है। पतली धारा में करीब आधा किमी अन्दर जाकर बोट से उतरना होगा।

रविवार, 8 जनवरी 2017

Travel to Baratang via Jarawa tribal area पोर्ट ब्लेयर से जरावा आदिमानव क्षेत्र की यात्रा

ऐसी खूबसूरती पूरे अंडमान में बिखरी हुई है।


अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर टापू की दक्षिण दिशा में चिडिया टापू एक सुन्दर स्थान है। जिसे आपने इससे पहले वाले लेख में देखा। आज चलते है नंग धडंग रहने वाले जारवा इंसान की ओर जो आज भी आदिमानव युग की याद दिलाते है। आज की यात्रा जारवा आदिमानव की ओर चलते है। यह आदि मानव युग के आदम और हव्वा की तरह ही अपना जीवन जीते है। इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ चटका लगाये और आनन्द ले।
अंडमान निकोबार का JARAWA TRIBAL RESERVE जारवा आदिमानव जनजाति-
आज जो यात्रा होने वाली है वो अन्डमान के सबसे खतरनाक इलाके से होकर जायेगी। अंडमान में एक ऐसी आदिमानव प्रजाति रहती है जो आज भी नंग-धडंग होकर अपना जीवन बिताती है। इस मानव प्रजाति में क्या बच्चा, क्या बडा, क्या लडकी, क्या बुढ्ढी, क्या जवान सबके सब बिन कपडों के रहते है। बिन कपडों के मतलब, तन पर एक भी कपडा धारण नहीं करते है। यहाँ तक की चडडी/निक्कर आदि भी नहीं पहनते है। चलो देखते है, आज इस प्रजाति के दो चार प्राणी हमें दर्शन देंगे या नहीं? इस जनजाति को जारवा (Jarawa) जनजाति के नाम से पुकारा जाता है। ये जिस क्षेत्र में पाये जाते है उसे “JARAWA TRIBAL RESERVE” कहते है। वहाँ बिना अनुमति आम नागरिकों का जाना मना है। हम सरकारी बस से इस इलाके की यात्रा कर रहे है अंडमान की जारवा जनजाति इलाके को पार करने वाली लम्बी दूरी की सरकारी बस के टिकट पहचान पत्र के बिना नहीं दिये जाते है। इसलिये सरकारी बस में यात्रा करने वालों को यह इलाका पार करने के लिये अधिकारियों से पूर्व अनुमति लेनी की आवश्यकता भी नहीं होती है। यदि आप अपने या किराये के वाहन से यहाँ इस चैक पोस्ट से आगे जाओगे तो आपको फार्म पर अपनी पूरी जानकारी भरकर उसके साथ पहचान पत्र की प्रतिलिपि भी साथ लगानी पडेगी। तभी आपको इस इलाके से होकर आगे जाने दिया जा सकता है।
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