वर्ष सन 2003 में फरवरी माह के आखिरी सप्ताह की बात है। कुछ दोस्तों ने कहा कि “संदीप भाई चलो महाशिवरात्रि नजदीक आ रही है कही घूम कर आते है”। मैंने कहा ठीक है चलो लेकिन मेरी एक शर्त है कि जहाँ भी जाना है, बाइक पर ही चलेंगे, अगर मानते हो तो मैं तैयार हूँ। उन्होंने कहा अरे भाई आपने तो हमारे मन की बात कह दी है, हम भी तो बाइक पर ही जाना चाहते है, लेकिन कोई साथ जाने वाला मिल ही नहीं रहा है। इसलिये तो हम आपके पास आये है। तो दोस्तों इस तरह यह बाइक यात्रा तैयार हो गयी थी। इस bike trip में कुल तीन बाइक शामिल हुई थी। जिसमें से एक बजाज की, दूसरी एलमएल की, तीसरी अपनी हीरो होंडा।
RAM JHULA लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
RAM JHULA लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
शनिवार, 27 अक्टूबर 2012
मंगलवार, 21 अगस्त 2012
DEHRADUN TO HARIDWAR-RISHIKESH TRIP देहरादून से हरिद्धार व ऋषिकेश यात्रा
इस यात्रा को शुरु से यहाँ से पढे। इस लेख से पहला लेख यहाँ से पढे।
देहरादून से हरिद्धार घूमने का कार्यक्रम तो बन गया था, साथ ही यह भी तय हो गया था कि वहाँ से ऋषिकेश चले जाना है जहाँ से शाम को वापस आ आना है? लेकिन सबसे बडी समस्या मन को समझाने की आ रही थी। मन तो पहले देहरादून से मसूरी व उससे आगे कैम्पटी फ़ॉल देखने को कर रहा था। जबकि मामाजी ने कहा कि पहले हरिद्धार गंगा स्नान कर आओ। मसूरी एक दो दिन बाद चले जाना। मुझे देहरादून आये कई दिन हो चुके थे। घर से मुझे वापसी बुलाने के लिये फ़ोन आने वाला था। मैं ऊपर वाले से कह रहा था कि अभी तीन-चार दिन फ़ोन मत आने देना। ऊपर वाला भी अपना दोस्त है, पूरे एक सप्ताह तक मेरे लिये फ़ोन नहीं आया था। हाँ तो, मैं आपको बता रहा था कि जिस दिन हमें देहरादून से हरिद्धार घूम कर आना था उस दिन हम सुबह-सुबह बिना नहाये-धोये एक-एक जोडी कपडे एक थैले में डाल कर सुबह ठीक छ: बजे चलने वाली पैसेंजर ट्रेन में जा बैठे। उस समय देहरादून स्टेशन पर टिकट किसी दूसरी जगह मिलते थे। आजकल टिकट के लिये एक अलग स्थान बना दिया गया है। जहाँ आजकल टिकट मिलता है शायद पहले वहाँ आरक्षण के लिये लाईन में लगना पडना था। आजकल आरक्षण के लिये स्टेशन के ठीक सामने एक अलग स्थान बना दिया गया है। हमने दो टिकट भी ले लिये थे। वैसे जब मैंने यह यात्रा की थी तो उस समय तक मैंने अपने रेलवे रुट पर कई बार बिना टिकट यात्रा की थी। बचपन में टिकट चैकर भी हमें ज्यादा तंग नहीं करता था। पहले तो हमने यही सोचा था कि चलो यहाँ से हरिद्धार तक भी निशुल्क घूम कर आते है। उस समय देहरादून से हरिद्धार तक शायद तीन रुपये या हो सकता है कि पाँच रुपये किराया लगता हो। (ठीक से याद नहीं आ रहा है)
सदस्यता लें
संदेश (Atom)