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शुक्रवार, 2 अगस्त 2013

Rohtang-Manali-Kullu-Mandi रोहताँग-मनाली-कुल्लू व मन्डी (बाइक यात्रा फ़िर आरम्भ हुई)

SACH PASS, PANGI VALLEY-10                                                                      SANDEEP PANWAR
रोहतांग में बारिश का मौसम देखकर वहाँ रुकने का मन नही किया क्योंकि वहाँ चारों ओर घना कोहरा छाया हुआ था। फ़ोटो लेने लायक हल्का साफ़ मौसम हुआ तो मैंने झट से क्लिक कर दिया। रोहतांग में पब्लिक ना दिखे ऐसा कैसे हो सकता था? यहाँ पर सैकडों की संख्या में पर्यटक बर्फ़ में मस्ती करते हुए दिखायी दे रहे थे। हमारा यहाँ मस्ती करने का मूड़ बिल्कुल नहीं था हमें जल्द से जल्द मनाली पहुँचना था। मनाली जाकर सबसे पहले अपनी बाइक सही करानी थी। रोहतांग से मनाली की ओर चलते ही तेज ढ़लान आरम्भ होने लग जाती है इससे गाड़ी की गति को सीमित रखना पड़ता था। यदि ढ़लान पर गति सीमित नहीं रखेंगे तो इस दुनिया से जल्द ही पत्ता साफ़ हो सकता है। यहाँ बीच-बीच में खराब सड़क के टुकड़े भी आते रहे। 


गुरुवार, 1 अगस्त 2013

Udaipur-Tandi-Koksar-Rohtaang उदयपुर-टान्डी-कोकसर-रोहताँग

SACH PASS, PANGI VALLEY-09                                                                      SANDEEP PANWAR
उदयपुर में हम लोग रात के 8 बजे पहुँच गये थे इसलिये यहाँ रुकते ही सबसे पहले बाइक की दुकान की तलाश की गयी। यहाँ पर बाइक की स्पेशल दुकान तो नहीं मिल पायी। ल्रेकिन एक-दो दुकान ऐसी थी जो बाइक ठीक कर सकते थे। लेकिन किलाड़ से उदयपुर तक की महा-बेकारी कच्ची-पथरीली सड़क में हमारे ट्रक ने पल्सर बाइक का हैंडिल तोड़ दिया था। यहाँ की दुकान में बाइक की ऐसेसरीज नहीं मिलती थी। इसलिये हमने मनाली जाना ही बेहतर माना। जब यहाँ बाइक की कोई दुकान ही नही तो यहाँ उतरकर क्यों समय खराब किया जाये? अगर सुबह यहाँ दुकान खुलने का इन्तजार भी किया जाता तो वह कैलोंग से बाइक के हैंडिल लेने जाता। वहाँ से आने-जाने व मरम्मत कराने में कल का पूरा दिन लगना निश्चित था। इस कारण भी हमने मनाली जाना ही बेहतर समझा। कम से कम कल का दिन तो बच जाता। रात को सोने में वैसे भी देर हो ही गयी थी उसपर लफ़ड़ा यह कि सुबह जल्दी निकलना भी था।

बुधवार, 31 जुलाई 2013

Sugalvas-Tindi- Udaipur सुगलवास-तिन्दी-उदयपुर (बाइक की क्या औकात, दलदल नाले में ट्रक भी अटक गया)

SACH PASS, PANGI VALLEY-08                                                                      SANDEEP PANWAR
तिन्दी से पहले सुगलवास नामक जगह आती है, यहाँ पर वन विभाग की निरीक्षण चौकी बनी हुई है। सुगलवास से तिन्दी के बीच सड़क चौड़ीकरण का निर्माण कार्य चल रहा है। यही एक बोर्ड़ भी लगा हुआ था जिस पर लिखा हुआ था कि इस मार्ग पर कहाँ से कहाँ तक सप्ताह में मार्ग किस-किस दिन बन्द रहता है? हिमाचल प्रदेश में यह इलाका बेहद ही दुर्गम माना गया है कुछ वर्षों पहले तक यहाँ आने के लिये केवल पैदल मार्ग हुआ करता था अब कही जाकर यहाँ इस घाटी में गाड़ी चलने लायक कच्चा मार्ग बन पाया है। आगामी 3-4 वर्षों में यही मार्ग पक्का बन जायेगा तब यहाँ आने का अलग ही सुख होगा। कभी-कभी तो सड़क इतनी बेकार आ जाती थी कि हम सीट पर बैठे-बैठे 8-10 ईंच तक उछल जाते थे। उछलने के बाद हमें ट्रक में लदी अपनी बाइक याद आती थी कि उदयपुर पहुँचने तक बाइक चलने लायक भी रहेगी या कबाडी को बेचकर बस में बैठकर घर जाना पड़ेगा। ट्रक चालक को बोला, अरे भाई जरा कुछ देर के लिये ट्रक कही रोक लेना, पीछे जाकर बाइक की हालत देखते है। 

इस पुल से पांगी घाटी आरम्भ होती है।

मंगलवार, 30 जुलाई 2013

KILLAR TO TINDI किलाड़ से तिन्दी

SACH PASS, PANGI VALLEY-07                                                                      SANDEEP PANWAR
हम चारों सुबह आठ बजे से पहले ही पराँठे खाकर तैयार हो चुके थे। ट्रक ऊपर ही खड़ा हुआ दिखायी दे रहा था। हम चारों शार्टकट पगड़न्ड़ी से चढ़ते हुए उस ट्रक के पास जा पहुँचे। ट्रक के नजदीक जाने पर देखा कि अभी वह खाली नहीं हुआ है उसके अन्दर सीमेन्ट के कटटे रखे हुए थे। सीमेन्ट उतारा जा रहा था। तब तक हम आसपास ही घूमते रहे। इसी बीच नीचे से भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल की एक टुकड़ी गश्त करती हुई हमारे पास पहुँची। जैसे ही मैंने उनका फ़ोटो लेने के लिये कैमरा निकाला तो वे सभी पंक्ति बद्ध खड़े हो गये। महेश मलिक उन फ़ौजियों के साथ खड़े हो गये। ट्रक वाले का सीमेन्ट उतारा जा चुका था। वह बोला कि आप लोग नीचे चलो। मैं थोड़ी देर में ट्रक लेकर आता हूँ। हम उसी शार्टकट से नीचे पहुँचे। लेकिन आधा घन्टा होने पर भी जब ट्रक नीचे नहीं आया तो हमारी खोपड़ी चौकन्नी होने लगी। चूंकि वहाँ से निकलने का कोई और मार्ग नहीं था इसलिये हम इस बात से तो बेफ़िक्र थे कि ट्रक वाला भाग गया होगा।


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