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सोमवार, 27 मई 2013

Lansdowne Cantonment Lake लैंसड़ोन छावनी की सुन्दर झील

ROOPKUND-TUNGNATH 15                                                                             SANDEEP PANWAR
लैंसड़ोन पहुँचने से पहले ही सेना के जवान सड़को पर दिखायी देने लगे। सुरक्षा की दृष्टि से हमने जवानों के फ़ोटो नहीं लिये। सेना के जवान धीमी-धीमी चलती हमारी बाइकों को ध्यान से देख रहे थे। वैसे शक्ल से तो हम नक्कसली व आतंकवादी नजर नहीं आ रहे थे। लेकिन यह सब हमारी खुद ही सोच है सेना के जवान ही असलियत बता सकते है कि हम कैसे दिखते है? यहाँ एक जवान की छाती पर 302 नम्बर का चप्पा चिस्पा किया हुआ था। उसका नम्बर देखकर हमने बाइक रोकी और उसके साथियों से कहा कि कैदी नम्बर 302 को खुला छोड़ा हुआ है, हमारी बात सुनकर वे हसने लगे, और बोले कि खुला कहाँ छोड़ा है? इसे चारों और से घेर कर चल रहे है भागने नहीं देंगे। खैर उनको हसता छोड़कर हमारी बाइके आगे बढ़ती रही।


Rudraparyag रुद्रप्रयाग व लैंसडोन LANSDOWNE

ROOPKUND-TUNGNATH 14                                                                             SANDEEP PANWAR
पराठे खाकर पेट को काफ़ी संतुष्टि मिली, अब शाम तक कही कुछ खाने की जरुरत ही नहीं थी। रुद्रप्रयाग की दूरी वहाँ से ज्यादा नहीं थी। रुद्रप्रयाग से कोई 2 किमी पहले एक मार्ग सीधे हाथ पर केदारगंगा नदी पर बनाये गये नये पुल से होकर ऋषिकेश के लिये कई साल बनाया गया है। मैं आज से लगभग 4 साल पहले अपनी इसी नीली परी पर, इस मार्ग से होकर जा चुका हूँ। इस मार्ग से जाने का सबसे बड़ा लाभ यही है कि रुद्रप्रयाग की भीड़-भाड से छुटकारा मिल जाता है। लेकिन हमें तो भीड से होकर ही अपनी यात्रा जारी रखनी थी, कारण रुद्रप्रयाग में दो नदियों अलकनन्दा व केदारगंगा के मिलन के फ़ोटो लेने का सवाल जो था। मैंने सारे प्रयाग कई-कई बार देखे हुए है इसलिये अब इनकी तरह देखने की इच्छा भी नहीं होती है। सबसे बड़ा और असली प्रयाग (इलाहाबाद) सिर्फ़ एक बार ही देखा है। रुपकुन्ड़ से आते समय चोपता जाते समय कर्णप्रयाग के दर्शन आपको कराये गये थे।



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