ROOPKUND-TUNGNATH 15 SANDEEP PANWAR
लैंसड़ोन पहुँचने से पहले ही सेना के जवान सड़को
पर दिखायी देने लगे। सुरक्षा की दृष्टि से हमने जवानों के फ़ोटो नहीं लिये। सेना के
जवान धीमी-धीमी चलती हमारी बाइकों को ध्यान से देख रहे थे। वैसे शक्ल से तो हम
नक्कसली व आतंकवादी नजर नहीं आ रहे थे। लेकिन यह सब हमारी खुद ही सोच है सेना के
जवान ही असलियत बता सकते है कि हम कैसे दिखते है? यहाँ एक जवान की छाती पर 302 नम्बर का चप्पा चिस्पा किया हुआ था। उसका नम्बर
देखकर हमने बाइक रोकी और उसके साथियों से कहा कि कैदी नम्बर 302 को खुला छोड़ा हुआ है, हमारी बात सुनकर वे हसने
लगे, और बोले कि खुला कहाँ छोड़ा है? इसे चारों और से घेर कर चल रहे है भागने नहीं
देंगे। खैर उनको हसता छोड़कर हमारी बाइके आगे बढ़ती रही।