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मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

Triyambak-Gajanan sansthan and Ram tirath त्रयंबकेश्वर- गजानन महाराज संस्थान व राम तीर्थ

भीमाशंकर-नाशिक-औरंगाबाद यात्रा-08                                                                   SANDEEP PANWAR

जैसे ही हम दोनों ने अन्जनेरी वाले मोड़ से बस में सवार होकर कुछ देर बाद त्रयम्बक शहर में प्रवेश किया तो बस स्थानक से काफ़ी पहले, यही कोई एक किमी पहले ही उल्टे हाथ की ओर गजानन महाराज संस्थान का बोर्ड दिखायी दिया। विशाल तो यहाँ पहले भी आ चुका है इसलिये उसे पता था कि कहाँ उतरना है। विशाल इस संस्थान के सामने ही मोड़ पर बस चालक से कहकर बस रुकवाने के लिये बोलकर उतरने के खड़ा हो गया। अब भला सीट पर बैठकर मैं कौन सा भुट्टे भूनता। मैं भी विशाल के साथ ही इस संस्थान के सामने ही बस से उतर गया। बस से उतरने के बाद हम दोनों थोड़ी सी दूर तक वापिस आये। यहाँ हमने इस संस्थान के प्रवेश मार्ग से अन्दर प्रवेश किया। बाहर सड़क से देखने में यह संस्थान कुछ खास नहीं दिख रहा था। लेकिन जैसे-जैसे हम इसके अन्दर जाते गये, इसकी सुन्दरता में बढ़ोतरी होती रही। हमारा पहला लक्ष्य इस संस्थान में कमरा लेने का था इसलिये हम सीधे इसके कार्यालय पहुँचे। वहाँ पहुँचकर हमारी उम्मीदों पर जोरदार तुषारपात हो गया। कार्यालय वालों ने बताया कि यहाँ दो दिन तक कोई कमरा खाली नहीं है। विशाल ने कमरा खाली न होने का अंदाजा पहले ही लगाया हुआ था क्योंकि जिस दिन हम वहाँ त्रयम्बकेश्वर पहुँचे थे। उस दिन ही वहाँ पर तीन दिन चलने वाला श्राद्ध पक्ष आरम्भ हुआ था। यहाँ हर साल श्राद्ध के आरम्भ होने के अवसर पर भारी भीड़ रहती है अत: सम्भव हो सके तो यहाँ श्राद्ध के शुरु के दिनों में यहाँ आने से हर हालत में बचना चाहिए।   

लगता है जैसे कोई विशाल मन्दिर है।

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