सोमवार, 3 जून 2013

Bheemili, Visakhapatnam, Andhra Pradesh भीमली, विशाखापटनम, आंध्रप्रदेश (भीम-बकासुर युद्ध-स्थल)

EAST COAST TO WEST COAST-05                                                                   SANDEEP PANWAR
भीमली का कब्रगाह देखने के बाद सामने ही समुन्द्र किनारे दिखायी दे रहे शानदार नजारे हमें अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। हम भी उनके आकर्षण में बंधकर समुन्द्र किनारे खिचे चले गये। कुछ देर तक समुन्द्र किनारे टहलते रहे। आगे जाने पर कई मूर्तियाँ दिखायी दे गयी। समुन्द्र को उसके हाल पर छोड़कर मूर्तियाँ देखने निकल पड़े। समुन्द्र किनारे जो मूर्तियाँ थी वो बेहद ही बुरी अवस्था में थी किसी का हाथ किसी की मुन्ड़ी, किसी की टाँग, और किसी की कुछ ना कुछ टूटी हुई थी। यहाँ एक दो दुकाने भी लगी हुई थी जहाँ समुन्द्र किनारे मिलने वाली वस्तुएँ से बनने वाली सामग्री बिक्री के लिये उपलब्ध थी। इसके बाद हम लाइट हाऊस की ओर बढ़ चले। वैसे तो यह लाइट हाउस अब बन्द हो चुका है लेकिन इस लाइट हाउस ने सैकड़ों वर्षों तक अपनी सेवा पानी के जहाजों को दी होगी। लाइट हाउस के आगे से होते हुए हम आगे चलते रहे।


आगे जाने पर हमें भीम व उसके परिवार से सम्बन्धित सदस्यों की मूर्तियाँ देखने को मिली। इन मूतियों से यह स्पष्ट प्रतीत हो रहा था कि कभी ना कभी यहाँ भीम व बकासुर का युद्ध जरुर हुआ होगा। वैसे भीम व बकासुर की असली युद्ध स्थली तो सामने किसी पहाड पर बतायी जाती है जहाँ जाने के लिये अलग से कोई मार्ग जाता है हम वहाँ नही जा पाये थे। इन सब जगहों को देखकर आगे चलते रहे। आगे जाकर श्रीकृष्ण व बलराम की मूर्तियाँ देखने को मिली, इनके पास ही महात्मा बुद्ध की अपने शिष्यों को संदेश देती मूर्तियाँ भी बनायी गयी थी। इन सब मूर्तियों को देखकर वापिस कार की ओर लौटने लगे। थोड़ी देर में ही हम अपनी कार के पास पहुँच चुके थे। अब यहाँ से हम वापिस विशाखापट्टनम की ओर लौट चले जो कि यहाँ से लगभग 25 किमी से ज्यादा दूरी पर था। 25 किमी की दूरी तो कैलाशगिरी की ही थी, नारायण जी का घर उससे कई किमी आगे था। (क्रमश:)
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के आंध्रप्रदेश इलाके की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के बोम्बे शहर की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।













2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

इतिहास और पर्यटन साथ साथ।

Rajesh Kumari ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार ४ /६/१३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप का वहां हार्दिक स्वागत है ।

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