पहाड़ की चढ़ाइ समाप्त करने के बाद जैसे ही मैदान आया था वहाँ कुछ देर बैठने के बाद हम नागफ़नी पहाड़ी देखने के लिये चल दिये। यह पहाड़ी मुख्य मार्ग से थोड़ा हटकर है इसलिये यहाँ आने के लिये सीधे हाथ की ओर लगभग आधा किमी चलना पड़ता है। जब हम नागफ़नी के लिये जा रहे थे तो हमें पढ़े लिखे लोगों की करतूत का ढ़ेर दिखायी दिया था। पढ़े लिखे लोग क्या करते है, बोतल बन्द पानी पिया और खाली बोतल होते ही फ़ैंक दी बोतल, बिस्कुट टॉफ़ी खाया, और फ़ैंक दिया उसका रेपर। ये पढ़े लिखे लोग अपना कीमती सामान तो कही नहीं फ़ैंकते है। फ़िर इन पर्यावरण को नुक्सान पहुँचाने वाली वस्तुओं को किसी कूड़ेदान में ड़ालने में इन्हें शर्म क्यों आती है। पढ़े लिखे लोगों की हालत पैदल मार्गों के अलावा, रेल, बस आदि सार्वजनिक स्थलों पर भी आसानी से दिखायी दे जाती है। जिस पगड़न्ड़ी से हम नागफ़नी के लिये जा रहे थे वहाँ पर पीले रंग के बहुत सारे फ़ूल खिले हुए थे। फ़ूलों के कारण वहाँ बहार आयी हुई थी।
सामने जो पहाड़ दिख रहा है वही नागफ़नी है। |
फ़ूलों की बहार |
बस अब नागफ़नी आया समझो |
हम लोग नीचे इस पहाड़ के किनारे से होकर आये है। |
एक बन्दा पहाड़ पर खाई की ओर खड़ा होकर कुछ पूजा-पाठ कर रहा था। |
जाट को हमेशा कुछ उल्टी-सीधी हरकते सूझती रहती है। इस एंगल ने जाट का क्या बिगाड़ा था? |
जहाँ से नागफ़नी पहाड़ी के सामने से दर्शन होते है वहाँ पर एक प्लेटफ़ार्म बनाया हुआ है। पहले तो हमने नागफ़नी पहाड़ देखा उसके बाद सामने खाई में दिखाई दे रहा घाटी का वो दुर्लभ नजारा देखते रहे। जिस विशाल घाटी में विचरण करते हुए हम पूरे दिन चलकर यहाँ शीर्ष तक पहुँचे थे। ऊपर से उस घाटी को जी भरकर देखना बहुत सुकून दे रहा था। यहाँ पर मेरी नजर लोहे की एक एंगल पर पड़ी तो सोचा चलो कुछ देर इसी पर हाथ आजमा लिया जाये। अब फ़ोटो में आप देखिये कि पूरी कोशिश करने पर भी एंगल कितनी मुड़ पायी है? यहाँ एंगल पार करते ही गहरी खाई थी लेकिन एक युवक को उस गहरी खाई से कोई चिंता नहीं हो रही थी। वह युवक खाई में थोड़ा नीचे उतर गया था। हम उसकी इस जानलेवा हरकत को साँस रोके दे रहे थे। कि यह नीचे क्या करने गया है? नीचे जाकर उस युवक ने अपनी जेब से धूप बत्ती निकाल कर जलायी और वहाँ पूजा-पाठ करके ऊपर आ गया।
वाह पर्यावरण की ऐसी-तैसी ऐसे ही की जाती है। |
अब क्या हुआ? जो बुत बनकर खड़े हो! |
नागफ़नी देखने के बाद हम वहाँ से भीमाशंकर मन्दिर की ओर चल पड़े। अभी मन्दिर लगभग एक किमी की दूरी पर बचा हुआ था। यहाँ नागफ़नी से लेकर मन्दिर तक हल्की-हल्की ढ़लान मिल रही थी। कुछ देर झाड़ियों के बीच से होकर हम सड़क पर आ गये। सड़क पर कुछ मीटर चलते ही भीमाशंकर मन्दिर के लिये नीचे उतराई में पत्थर की बनी हुई सीढियाँ दिखायी देने लगी। इन सीढियों के किनारे पर आने-जाने वाले लोग बैठे हुए मिल रहे थे। इस सीढ़ी वाले मार्ग के किनारे स्थानीय लोग यहाँ आने वाले भक्तों के लिये नीम्बू पानी, भुटटे आदि बेच रहे थे। जैसे-जैसे मन्दिर के नजदीक पहुँचते रहे। खाने-पीने के सामान की जगह अन्य सामान की दुकाने दिखायी देने लगी। यहाँ कुछ दुकान वाले मावा से बनी हुई मिठाई की बिक्री कर रहे थे। मिठाई के बारे में पूछने पर दुकान वाले ने बताया कि भीमाशंकर में मावा की बनी हुई मिठाई चढ़ाई जाती है। यहाँ हमने अपने खाने के लिये आधा किलो मावा वाली मिठाई ले ली थी। मिठाई दो तरह की थी इसलिये एक-एक पाव ले ली गयी थी। पूजा-पाठ के लिये कई दुकान वाले अपना सामान विक्रय करने पर जोर दे रहे थे कि हमारे यहाँ से सामान ले लो आगे नहीं मिलेगा आदि-आदि। मैं कभी पूजा-पाठ के लिये ये आलतू-फ़ालतू सामान बर्बाद नहीं करता हूँ। चलिये अब मन्दिर की ओर चलते है।
मन्दिर आने वाला है कुछ नीम्बू पानी हो जाये। |
चल बाबू भुटटे खिला दे। |
वो दिख गया मन्दिर जहाँ jatdevta लिखा है। |
कुछ लेना है तो ले लेना। |
मराठी में लिखा है लेकिन हिन्दी जैसा ही है। |
इस यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दी गयी सूची में दिये गये है।
बोम्बे से भीमाशंकर यात्रा विवरण
01. दिल्ली से दादर-नेरल तक ट्रेन यात्रा, उसके बाद खंड़स से सीढ़ी घाट होकर भीमाशंकर के लिये ट्रेकिंग।
02. खंड़स के आगे सीढ़ी घाट से भीमाशंकर के लिये घने जंगलों व नदियों के बीच से कठिन चढ़ाई शुरु।
03. भीमाशंकर ट्रेकिंग में सीढ़ीघाट का सबसे कठिन टुकड़े का चित्र सहित वर्णन।
01. दिल्ली से दादर-नेरल तक ट्रेन यात्रा, उसके बाद खंड़स से सीढ़ी घाट होकर भीमाशंकर के लिये ट्रेकिंग।
02. खंड़स के आगे सीढ़ी घाट से भीमाशंकर के लिये घने जंगलों व नदियों के बीच से कठिन चढ़ाई शुरु।
03. भीमाशंकर ट्रेकिंग में सीढ़ीघाट का सबसे कठिन टुकड़े का चित्र सहित वर्णन।
05. भीमाशंकर मन्दिर के सम्पूर्ण दर्शन।
नाशिक के त्रयम्बक में गोदावरी-अन्जनेरी पर्वत-त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग आदि क विवरण
06. नाशिक त्रयम्बक के पास अन्जनेरी पर्वत पर हनुमान जन्म स्थान की ट्रेकिंग।
07. हनुमान गुफ़ा देखकर ट्रेकिंग करते हुए वापसी व त्रयम्बक शहर में आगमन।
08. त्रयम्बक शहर में गजानन संस्थान व पहाड़ पर राम तीर्थ दर्शन।
09. गुरु गोरखनाथ गुफ़ा व गंगा गोदावरी उदगम स्थल की ट्रेकिंग।
10. सन्त ज्ञानेश्वर भाई/गुरु का समाधी मन्दिर स्थल व गोदावरी मन्दिर।
11. नाशिक शहर के पास त्रयम्बक में मुख्य ज्योतिर्लिंग के दर्शन
औरंगाबाद शहर के आसपास के स्थल।
12. घृष्शनेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन
13. अजंता-ऐलौरा गुफ़ा देखने की हसरत।
14. दौलताबाद किले में मैदानी भाग का भ्रमण।
15. दौलताबाद किले की पहाड़ी की जबरदस्त चढ़ाई।
16. दौलताबाद किले के शीर्ष से नाशिक होकर दिल्ली तक की यात्रा का समापन।
नाशिक के त्रयम्बक में गोदावरी-अन्जनेरी पर्वत-त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग आदि क विवरण
06. नाशिक त्रयम्बक के पास अन्जनेरी पर्वत पर हनुमान जन्म स्थान की ट्रेकिंग।
07. हनुमान गुफ़ा देखकर ट्रेकिंग करते हुए वापसी व त्रयम्बक शहर में आगमन।
08. त्रयम्बक शहर में गजानन संस्थान व पहाड़ पर राम तीर्थ दर्शन।
09. गुरु गोरखनाथ गुफ़ा व गंगा गोदावरी उदगम स्थल की ट्रेकिंग।
10. सन्त ज्ञानेश्वर भाई/गुरु का समाधी मन्दिर स्थल व गोदावरी मन्दिर।
11. नाशिक शहर के पास त्रयम्बक में मुख्य ज्योतिर्लिंग के दर्शन
औरंगाबाद शहर के आसपास के स्थल।
12. घृष्शनेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन
13. अजंता-ऐलौरा गुफ़ा देखने की हसरत।
14. दौलताबाद किले में मैदानी भाग का भ्रमण।
15. दौलताबाद किले की पहाड़ी की जबरदस्त चढ़ाई।
16. दौलताबाद किले के शीर्ष से नाशिक होकर दिल्ली तक की यात्रा का समापन।
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6 टिप्पणियां:
बढ़िया वर्णन संदीप भाई . वह लड़के को देखकर मैंने सोचा कि पागल हो गया है क्या लेकिन बादमे समझा कि यह तो इनके रोज का काम है . लेकिन फिर भी हिम्मत कि दाद देनी पड़ेगी.
जय भीमा शंकर महादेव...आखिर मंदिर पर पहुँच ही गए....
अंततोगत्वा आपने हमें मंदिर के मुहाने तक पहुंचा ही दिया...
क्या यहाँ तक पहुचने का कोई आसान रास्ता नहीं है ..अपुन तो आराम वाला रास्ता चुनते है भाई हा हा हा हा
वाह बहुत रोचक वृत्तान्त..
नागफनी के दर्शन तो हो गए अब चलते हैं भीमाशंकर के दर्शन की तरफ....
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