बुधवार, 29 मई 2013

Visakhapatnam- Kailash giri parvat विशाखापट्टनम का कैलाश गिरी पर्वत

EAST COAST TO WEST COAST-02                                                                   SANDEEP PANWAR
विशाखापटनम को विजाग भी कहा जाता है मुझे इस बात का पता ही नही था। हम स्टेशन से समुन्द्र की ओर चल पड़े। नारायण जी बोले, संदीप भाई विजाग में कहाँ-कहाँ घूमना चाहोगे? मैंने कहा, मैं आज दोपहर से लेकर कल शाम तक पूरे ड़ेढ़ दिन तक आपके साथ हूँ आपके नजरिये से जो देखने लायक कुदरती स्थल है उन्हे ही दिखा दिजिएगा। इस तरह शहर के टेड़े मेड़े मार्गों से होते हुए हम समुन्द्र किनारे जा पहुँचे थे। अगर आज मुझे अकेले को स्टेशन से समुन्द्र किनारे उसी जगह जाने को कह दिया जाये तो पता नहीं कितने झमेले झेलने पड़ेंगे? तब जाकर मैं समुन्द्र किनारे पहुंच पाऊँगा। समुन्द्र किनारे पहुँचने से पहले नारायण जी ने एक जगह अपनी कार रोकी और बताया कि सड़क किनारे जो छोटा सा मन्दिर दिखायी दे रहा है यहाँ इस मन्दिर में अधिकतर वही लोग आते है जो नई गाड़ियाँ खरीदते है। हम कह सकते है कि वह नन्हा सा मन्दिर विजाग में खरीदी जानी वाली गाड़ी के लिये आशीर्वाद प्रदान करता है कि जा बच्चा, सुरक्षित रहेगा, यदि सीमित गति में वाहन दौडायेगा।



समुन्द्र किनारे पहुँचने के बाद सबसे पहले हम कुछ देर तक कार किनारे पर लगाकर खड़े रहे। यहाँ पर बोम्बे की तरह ही समुन्द्र किनारे-किनारे कई किमी लम्बी सड़क बनायी हुई है। जिस पर दिन में शाम को स्थानीय व बाहर से आये लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। कुछ देर किनारे रुकने के बाद नारायण जी कार लेकर कैलाश गिरी पर्वत की ओर चल पड़े। यह पर्वत समुन्द्र से सटा हुआ है। इस पर्वत तक पहुँचने के कई मार्ग है जैसे सबसे प्राचीन सीढियों वाला मार्ग जो मुझे पसन्द है दूसरा रज्जू मार्ग/रोपवे तीसरा सड़क मार्ग, इस तरह यहाँ पहुँचने के लिये सभी विकल्प मौजूद है। नारायण जी अपनी नई कार में घूम रहे थे, वैसे नारायण जो कार लिये एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन अभी तक सिर्फ़ 11000 किमी ही चली है जिस कारण मैं इस कार को नई कार ही कहता हूँ। नारायण जी एक/दो साल में रिटायर हो जायेंगे, उसके बाद उनकी इच्छा अपनी कार से भारत भ्रमण करने की है। आज इतनी उम्र में उनके अन्दर घूमने का व वाहन चलाने का इतना जूनून देखकर खुशी होती है।

कैलाश गिरी पर्वत पर सड़क मार्ग से जाने के लिये एक बैरियर से होकर गुजरना पड़ता है यहाँ प्रत्येक वाहन को पार्किंग शुल्क पहले ही जमा करना होता है। जबकि कैलाश पर्वत अभी एक/दो किमी ऊपर जाकर है। हम पार्किंग की रसीद लेने के बाद कैलाश गिरी की ओर बढ़ते चले गये। ऊपर पहुँचकर कार एक जगह देखकर खड़ी की उसके बाद नारायण जी अपने साथ लाये गये दोनों कैमरे कार से बाहर निकाल लाये। नारायण जी के पास कैमरों का खजाना है उनके पास घर पर पुराने समय के भी कई कैमरे सुरक्षित रखे हुए है। कैलाश गिरी पहुँच कर हम काफ़ी देर तक वहाँ के पार्क आदि में घूमते रहे। इसके बाद नारायण जी वहाँ बने भोजनालय में लेकर गये वहाँ हमने हल्का-फ़ुल्का लंच किया। हम स्टेशन से सीधे यहाँ चले आये थे नारायण जी ने पहले ही मुझसे कहा था कि पहले घर चले, नहा धोकर फ़्रेस होकर घूमने चलेंगे। मैंने कहा नारायण जी घर जाकर बाहर निकलने में कई घन्टे लग जायेंगे। अत: अपुन के लिये यही ठीक है कि घर अंधेरा होने के बाद पहुँचा जाये।

कैलाश गिरी पर्वत पर ऊपर-ऊपर एक छोटी रेल भी चलती है जो कैलाश गिरी का ऊपरी चक्कर लगाती है। यह रेल वातानुकुलित डिब्बे वाली है। मात्र चार किमी की दूरी के 150 रुपये वसूल करती है, लेकिन चार किमी तय करने में घन्टा भर का समय लग जाता है क्योंकि बीच में रुक-रुक कर स्थानों को दिखाते हुए आगे बढ़ती है। समय हमारे लिये बहुत कीमती था इसलिये हम इस ट्रेन को छोड़ कर आगे बढ़ चले। यहाँ से हमारी अगली मंजिल थी भीम के साथ युद्ध लड़ने वाले उस राक्षस की जो प्रतिअदिन एक आदमी खाता था, एक दिन भीम ने जाकर उसका काम तमाम कर दिया था। कैलाश गिरी से लौटते समय जैसे ही कार लेकर आगे बढे तो नारायण जी ने कहा यहाँ टाइटेनिक फ़िल्म की तर्ज पर एक जहाज जैसा व्यू स्थल बनाया गया है जो नीचे सड़क से देखने पर ऐसा लगता है जैसे हम किसी जहाज को देख रहे हो। इस जहाज को देखकर हम अपनी कार में कैलाश गिरी से नीचे समुन्द्र की ओर लौटने लगे। कैलाश गिरी पहाड़ से समुन्द्र किनारे के नजारे बहुत ही खूबसूरत दिखायी दे रहे थे। जल्दी ही हमारी कार एक बार समुन्द्र किनारे दौड़ने लगी। अभी हम कई किमी पार कर चुके थे कि तभी नारायण जी बोले अरे संदीप भाई आपने फ़िल्म सिटी देखी है क्या? नहीं, तो चलो आज देख लेते है। (क्रमश:)  

विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के आंध्रप्रदेश इलाके की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
15. महाराष्ट्र के एक गाँव में शादी की तैयारियाँ।
16. महाराष्ट्र की ग्रामीण शादी का आँखों देखा वर्णन।
17. महाराष्ट्र के एक गाँव के खेत-खलिहान की यात्रा।
18. महाराष्ट्र के गाँव में संतरे के बाग की यात्रा।
19. नान्देड़ का श्रीसचखन्ड़ गुरुद्धारा
20. नान्देड़ से बोम्बे/नेरल तक की रेल यात्रा।
21. नेरल से माथेरान तक छोटी रेल (जिसे टॉय ट्रेन भी कहते है) की यात्रा।
22. माथेरान का खन्ड़ाला व एलेक्जेन्ड़र पॉइन्ट।
23. माथेरान की खतरनाक वन ट्री हिल पहाड़ी पर चढ़ने का रोमांच।
24. माथेरान का पिसरनाथ मन्दिर व सेरलेक झील।
25. माथेरान का इको पॉइन्ट व वापसी यात्रा।
26. माथेरान से बोम्बे वाया वसई रोड़ मुम्बई लोकल की भीड़भरी यात्रा।
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के बोम्बे शहर की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
27. सिद्धी विनायक मन्दिर व हाजी अली की कब्र/दरगाह
28. महालक्ष्मी मन्दिर व धकलेश्वर मन्दिर, पाताली हनुमान।
29. मुम्बई का बाबुलनाथ मन्दिर
30. मुम्बई का सुन्दरतम हैंगिग गार्ड़न जिसे फ़िरोजशाह पार्क भी कहते है।
31. कमला नेहरु पार्क व बोम्बे की बस सेवा बेस्ट की सवारी
32. गिरगाँव चौपाटी, मरीन ड्राइव व नरीमन पॉइन्ट बीच
33. बोम्बे का महल जैसा रेलवे का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल
34. बोम्बे का गेटवे ऑफ़ इन्डिया व ताज होटल।
35. मुम्बई लोकल ट्रेन की पूरी जानकारी सहित यात्रा।
36. बोम्बे से दिल्ली तक की यात्रा का वर्णन









2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

पहाड़ से प्यारा लगता धरती का दृश्य..

amanvaishnavi ने कहा…

समुद्र की छबि लाजबाब !

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