बुधवार, 3 अप्रैल 2013

Godawari River starting point and other place गोदावरी उदगम स्थल सहित अन्य स्थल।

भीमाशंकर-नाशिक-औरंगाबाद यात्रा-09                                                                    SANDEEP PANWAR

हम तेजी से ऊपर चढ़ते जा रहे थे। कुछ तो बारिश में फ़ँसने की चिंता, कुछ अंधेरा होने का ड़र। जब हम पहाड़ के लगभग शीर्ष पर पहुँचे ही थे तो हल्की-हल्की बूँदाबांदी भी शुरु हो गयी थी। हम अपने साथ बैग भी नहीं लाये थे। मेरे बैग में हमेशा एक छाता रहता है लेकिन क्या करे? सबसे पहले मैंने विशाल से कहा कि हम इस पहाड़ के सबसे दूर वाले के कोने में पहले चलते है ताकि उसके बाद सिर्फ़ वापसी करते हुए ही आना होगा। इसलिये हम पहले गोदावरी नदी का उदगम स्थल देखने नहीं गये। जब हम इस पहाड़ पर पहुँचे थे तो हमें वहाँ अपने अलावा कोई और दिखाई भी नहीं दे रहा था। जहाँ यह सीढियाँ समाप्त होती है उससे लगभग आधे किमी से ज्यादा दूरी तक हम सीधे हाथ की दिशा में चलते गये। जब आगे जाने का मार्ग दिखायी नहीं दिया तो मैं वही ठहर गया। विशाल फ़ोटो लेता हुआ पीछे-पीछे आ रहा था। मैंने विशाल से कहा आगे तो जाने के लिये मार्ग ही नहीं है।

पहाड़ के शीर्ष से त्रयम्बक शहर कैसा दिखायी देता है।

बस आ गया पहाड़।



अब चलते है सीधे हाथ की ओर

पीछे कैसा नजारा है?

सबसे अंत में गुरु गोरखनाथ गुफ़ा आती है।

चलिये इस गुफ़ा में चलते है।


पढ़ लो जो पढ़ना है मैं इसके बारे मेंकुछ नहीं लिखने जा रहा हूँ।

गुफ़ा के अन्दर।

गुफ़ा का पुजारी।

अब बारिश शुरु हो गयी है इसलिये भाग लो यहाँ से।

अरे यह क्या है?

इसके अन्दर यह है।

इस गुफ़ा में 108 शिवलिंग बनाये गये थे।


विशाल ने कहा कि बस यही आखिरी बिन्दु है। वही सामने ही गुरु गोरखनाथ की एक गुफ़ा थी। हम गोरखनाथ गुफ़ा में अन्दर जाकर देख कर आये। चूंकि इस यात्रा में विशाल के कैमरे के ही सारे फ़ोटो है इसलिये जब हम इस गुरु गोरखनाथ की गुफ़ा में अन्दर गये तो विशाल कैमरा लेकर अन्दर घुस गया। मैं भी अन्दर तो गया था लेकिन अपनी आदत अनुसार मैंने वहाँ ज्यादा देर नहीं लगायी थी। गुफ़ा ज्यादा बड़ी भी नहीं थी इसलिये मेरे बाहर आने के बाद विशाल उस छोटी से गुफ़ा में प्रवेश कर गया। लेकिन जब विशाल वहाँ से कई मिनट तक बाहर नहीं आया तो मैं सोचा कि यार अब यह बन्दा कहाँ चिपक गया है? मैं गुफ़ा के बाहर बारिश से बचने के लिये टीन के नीचे खड़ा हुआ था इसलिये जब कई मिनट तक विशाल बाहर नहीं आया तो मैं एक बार गुफ़ा में अन्दर की ओर झाँककर देखने लगा, मुझे विशाल की आवाज सुनायी थी। विशाल जोर-जोर से किसी एक मन्त्र का उच्चारण कर रहा था मैं समझ गया कि अब तो भाई पूरी भक्ति करन के बाद ही वहाँ से अपना ड़ेरा उठायेगा।






गुरु की गुफ़ा देखने के बाद हम वापिस आये तो एक जगह एक बोर्ड़ पर लिखा देखा कि यहाँ पर 108 स्वयभू शिवलिंग है। क्यों विशाल, चलो इन्हें भी देख लेते है कि यहाँ पर किसी ने तो शिवलिंग बनाये ही होंगे, फ़िर इन्हे स्वयंभू क्यों बताया जा रहा है। मैंने ऊपर जाकर देखना चाहा तो वहाँ पर गुफ़ा में ताला बन्द मिला। विशाल ने जालीदार दरवाजे से कैमरा अन्दर कर वहाँ के कई फ़ोटो ले लिये थे। कैमरे की फ़लैश के कारण फ़ोटो में कुछ दिख भी रहा है। हमें तो वहाँ कुछ भी नजर नहीं आया था। इन 108 लिंग को देखकर हम गोदावरी के उदगम स्थल की ओर चल दिये। गोदावरी उदगम स्थल वहाँ से ज्यादा दूर नहीं था। हल्की-हल्की बारिश में भीगते हुए हम गोदावरी नदी के शुरुआती छोर पर पहुँच गये। यहाँ पर जब मन्दिर के सामने खड़े थे तो एक युवक हमें देखकर तेजी से कमरे में गया और वहाँ से बाहर आकर गोदावरी स्थल की मूर्ति के सामने कुछ बिछाने लगा, हम इतनी भी दूर नहीं थे यह ना समझ सके कि वह क्या गुल खिला रहा है? मैंने विशाल से कहा देख भाई, मछली फ़साँने के लिये रुपये बिछाये जा रहे है। जब उसने अपना काम कर लिया तो वह आराम से रुपयो के पास बैठ गया तो मैंने कहा देखना विशाल भाई वहाँ कई नोट रखे हुए मिलेंगे। जब हम 7-8 मी की दूरी पर मन्दिर में पहुँचे तो पाया कि सच में वह युवक वहाँ रुपये बिछा कर, उनके समने ही बैठा हुआ था। मैंने उसके पास जाते ही कहा क्यों पुजारी जी हमें देखकर पुजारी रुपये बिछाने की क्या जरुरत थी? पुजारी मेरी बात सुनकर अवाक था। खैर यहाँ पर विशाल और मैंने गोदावरी नदी का उदगम देखा और भिखारी को भीख देकर वहाँ से नीचे लौट चले। वहाँ से लौटते ही बारिश की तेजी बढ़नी लगी। आखिरकार बारिश इतनी तेज हो गयी कि हमें एक बार फ़िर रामतीर्थ तक ही मुश्किल से पहुँच पाये थे कि हमें वहाँ एक चाय की बन्द दुकान में शरण लेनी पड़ी। क्या जोरदार बारिश थी, उसका विवरण अगले लेख में।

बारिश में बोम्बे वाला भीग गया।



इस यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दी गयी सूची में दिये गये है।
बोम्बे से भीमाशंकर यात्रा विवरण
01. दिल्ली से दादर-नेरल तक ट्रेन यात्रा, उसके बाद खंड़स से सीढ़ी घाट होकर भीमाशंकर के लिये ट्रेकिंग।
02. खंड़स के आगे सीढ़ी घाट से भीमाशंकर के लिये घने जंगलों व नदियों के बीच से कठिन चढ़ाई शुरु।
03. भीमाशंकर ट्रेकिंग में सीढ़ीघाट का सबसे कठिन टुकड़े का चित्र सहित वर्णन।
05. भीमाशंकर मन्दिर के सम्पूर्ण दर्शन।
नाशिक के त्रयम्बक में गोदावरी-अन्जनेरी पर्वत-त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग आदि क विवरण
06. नाशिक त्रयम्बक के पास अन्जनेरी पर्वत पर हनुमान जन्म स्थान की ट्रेकिंग।
07. हनुमान गुफ़ा देखकर ट्रेकिंग करते हुए वापसी व त्रयम्बक शहर में आगमन। 
08. त्रयम्बक शहर में गजानन संस्थान व पहाड़ पर राम तीर्थ दर्शन।
09. गुरु गोरखनाथ गुफ़ा व गंगा गोदावरी उदगम स्थल की ट्रेकिंग।
10. सन्त ज्ञानेश्वर भाई/गुरु का समाधी मन्दिर स्थल व गोदावरी मन्दिर।
11. नाशिक शहर के पास त्रयम्बक में मुख्य ज्योतिर्लिंग के दर्शन
औरंगाबाद शहर के आसपास के स्थल।
12. घृष्शनेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन
13. अजंता-ऐलौरा गुफ़ा देखने की हसरत।
14. दौलताबाद किले में मैदानी भाग का भ्रमण।
15. दौलताबाद किले की पहाड़ी की जबरदस्त चढ़ाई।
16. दौलताबाद किले के शीर्ष से नाशिक होकर दिल्ली तक की यात्रा का समापन।
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5 टिप्‍पणियां:

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

वहां क्या है ???जहाँ जात देवता लिखा है और 2 -2 फोटू चेप रखे .. उस कुण्ड में पानी है या गुफा ..कुछ स्पष्ठ नहीं दिख रहा है

Vishal Rathod ने कहा…

Jabardast varnan .sandeep Bhai ask aapki post apne naye mobile phone par padhi .

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

रोचक वृत्तान्त..

संजय भास्‍कर ने कहा…

wahh Mja aa gya bhai aaj to aapke blog par aakar

विकास गुप्ता ने कहा…

बहुत ही रोचक यात्रा । हमें भी दो दिन बाद महाराष्ट्र जाना है

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