गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

Sant Gyaneshwar's elder brother Nivartinath Samadhi सन्त ज्ञानेश्वर के बड़े भाई और उनके गुरु श्री निवृत्ति का समाधी स्थल

भीमाशंकर-नाशिक-औरंगाबाद यात्रा-10                                                                    SANDEEP PANWAR

हम बारिश से बचते हुए किसी तरह राम तीर्थ स्थल तक तो पहुँच गये, लेकिन राम तीर्थ आते ही जिस जोरदार बारिश से हमारा सामना हुआ वो शब्दों में ब्यान नहीं किया जा सकता है। हम भारी बारिश से बचने के लिये एक चाय की बन्द दुकान के छप्पर में घुस गये। यहाँ बैठने के लिये बहुत सारी जगह थी इसलिये हम आराम से वहाँ बैठे रहे। बारिश का जोश देखकर लग रहा था कि आज की रात बारिश रुकेगी नहीं। हमें वहाँ उस भयंकर बारिश में बैठे-बैठे 10 मिनट ही हुई होंगी कि सीढियों पर एकदम से जोरदार आवाज करता हुआ पानी का सैलाब आता हुआ दिखायी दिया। मैंने पानी का सैलाब विशाल को दिखाया और कहा ये देखो कुदरत का कहर, क्या पानी की इतनी भारी मात्रा में इन सीढियों पर कोई उतर पायेगा। विशाल का जवाब था नहीं। जब हमें वहाँ बैठे-बैठे आधा घन्टा हो गया तो हमें अंधेरा होने की चिंता सताने लगी। यह शुक्र रहा कि बारिश आधे घन्टे तक पूरे शबाब के साथ बरसने के साथ एकदम अचानक से बेहद ही धीमी हो गयी। यह धीमी बारिश हमारे लिये एक शुभ संकेत था कि बच्चों यदि यहाँ से निकलना है तो यह बिल्कुल सही समय है निकल भागो यहाँ से, नहीं तो पूरी रात यही जागरण करते रहना। मैंने विशाल की आँखों में देखा और इशारों ही इशारों में वहाँ से चलने की हाँ कर दी। सीढियों पर बरसात का पानी अभी पूरे जोश-खरोश से बहता जा रहा था। इसलिये हमने अत्यधिक सावधानी पूर्वक सीढियों से नीचे उतरना आरम्भ कर दिया। सीढियाँ पानी की वजह से काफ़ी खतरनाक हो चली थी, पानी में फ़िसलकर कर हमारे हाथ-पैर या कोई अन्य हड़ड़ी ना टूटे, इसलिये हम उन पर तिरछे पैर रख उतरने में लगे पड़े थे।
समाधी मन्दिर की मुख्य मूर्ति

समाधी मन्दिर में जाने का प्रवेश मार्ग। 


यह बोर्ड़ त्रयम्बकेश्वर मन्दिर में लगा हुआ है।
सामधी मन्दिर में एक सेवक

शानदार मन्दिर, सभी फ़ोटो विशाल के लिये हुए है।
सीढियों से किसी तरह जान बचाते हुए नीचे उतरते जा रहे थे। जैसे पहाड़ो में तिरछे उतरना आरामदायक रहता है उसी तरह यहाँ पर गीली सीढियों से उतरना पड़ा था। अंधेरे ने अपना कब्जा जमाना आरम्भ कर दिया था जिससे सीढ़ियों पर उतरते समय हमारी परेशानी बढ़नी शुरु हो गयी थी। नीचे आते-आते काफ़ी अंधेरा हो चुका था इसलिये हमें ज्यादा समय लग रहा था। सीढियाँ समाप्त होते ही हमने एक दूसरे को शुभकामना दी। सीढियाँ समाप्त होने से पहले ही विशाल ने संत की समाधी मन्दिर में जाने की इच्छा ब्यक्त की हुई थी। इस कारण हम सीधे संत ज्ञानेश्वर के गुरु व उनके बड़े भाई के समाधी मन्दिर देखने चल दिये। यह मन्दिर हमारे मार्ग के नजदीक ही था। मैंने विशाल से कहा जा भाई तुम मन्दिर के फ़ोटो ले आओ, मैं यही बाहर खड़ा हुआ तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा हूँ। विशाल भी थोड़ी देर में समाधी स्थल देख वहाँ आ गया। इसके बाद हम दोनों वहाँ से पैदल ही टहलते हुए, गोदावरी मन्दिर की ओर बढ़ चले। यह मन्दिर हमने रात में देखा था लेकिन इसकी सुन्दरता देखने के लिये दिन में जाना उत्तम रहेगा।

गोदावरी मन्दिर, में कुन्ड़


पूजा-पाठ चालू आहे।

बताओ कौन से अवतार है?

यह कौन है?

यह किसकी मूर्ति है?

जय शंकर की।

पढ़ लो।
यहाँ इस मन्दिर में आकर मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ। मैंने कही लिखा हुआ देखा था कि यह मन्दिर और कुन्ड़ परम शिव भक्त अहिल्याबाई होल्कर ने ही बनवाया था। यहाँ हमने कुन्ड़ का परिक्रमा रुपी एक चक्कर लगाया। इसके बाद हम वहाँ कुछ पल के लिये रुके ही थे कि वहाँ पर कई पुजारी जैसे बन्दों ने हमें पूजा के लिये टोकना शुरु कर दिया। इसके बाद हम वहाँ से त्रयम्बक के मुख्य मन्दिर को देखने के लिये चल दिये। हम बाजार से होते हुए बढ़ रहे थे कि विशाल ने बताया कि जहाँ हम चल रहे है, हमारे नीचे गोदावरी नदी बह रही है। अरे ऐसा कैसे? शहर की गन्दगी नदी में न मिले इसलिये नदी को पूरी तरह ढ़क दिया गया है वैसे भी यहाँ पर नदी मुश्किल से एक छोटे से कालोनी के नाले जैसी ही है। इस कारण इसको ढक कर सही कार्य किया गया है। त्रयम्बक के मुख्य मन्दिर तक पहुँचते-पहुँचते हमने वहाँ कई अन्य मन्दिर के दर्शन भी किये थे। इसके बाद हम उसी बाजार में टहलते हुए, एक बड़ी सी  खुली जगह में आ पहुँचे तो वहाँ पर लगे एक बोर्ड़ से पता लगा कि यह भारत वर्ष के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। यहाँ हम इसी के दर्शन के लिये ही आये थे। रात के लगभग 7:30 मिनट हो चुके थे। हमने अपनी चप्पल मन्दिर के बाहर बने स्टैन्ड़ पर जमा करा दी, इसके बाद हमने मन्दिर में प्रवेश किया। (क्रमश:)
यह मन्दिर माता गोदावरी का है।

एक मन्दिर यह भी था।

यहाँ के मुख्य मन्दिर के बाहर की दुकाने।



इस यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दी गयी सूची में दिये गये है।
बोम्बे से भीमाशंकर यात्रा विवरण
01. दिल्ली से दादर-नेरल तक ट्रेन यात्रा, उसके बाद खंड़स से सीढ़ी घाट होकर भीमाशंकर के लिये ट्रेकिंग।
02. खंड़स के आगे सीढ़ी घाट से भीमाशंकर के लिये घने जंगलों व नदियों के बीच से कठिन चढ़ाई शुरु।
03. भीमाशंकर ट्रेकिंग में सीढ़ीघाट का सबसे कठिन टुकड़े का चित्र सहित वर्णन।
05. भीमाशंकर मन्दिर के सम्पूर्ण दर्शन।
नाशिक के त्रयम्बक में गोदावरी-अन्जनेरी पर्वत-त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग आदि क विवरण
06. नाशिक त्रयम्बक के पास अन्जनेरी पर्वत पर हनुमान जन्म स्थान की ट्रेकिंग।
07. हनुमान गुफ़ा देखकर ट्रेकिंग करते हुए वापसी व त्रयम्बक शहर में आगमन। 
08. त्रयम्बक शहर में गजानन संस्थान व पहाड़ पर राम तीर्थ दर्शन।
09. गुरु गोरखनाथ गुफ़ा व गंगा गोदावरी उदगम स्थल की ट्रेकिंग।
10. सन्त ज्ञानेश्वर भाई/गुरु का समाधी मन्दिर स्थल व गोदावरी मन्दिर।
11. नाशिक शहर के पास त्रयम्बक में मुख्य ज्योतिर्लिंग के दर्शन
औरंगाबाद शहर के आसपास के स्थल।
12. घृष्शनेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन
13. अजंता-ऐलौरा गुफ़ा देखने की हसरत।
14. दौलताबाद किले में मैदानी भाग का भ्रमण।
15. दौलताबाद किले की पहाड़ी की जबरदस्त चढ़ाई।
16. दौलताबाद किले के शीर्ष से नाशिक होकर दिल्ली तक की यात्रा का समापन।
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2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण गुप्ता - PRAVEEN GUPTA ने कहा…

राम राम जी, हिंदू संस्कृति और धर्म के बारे में अच्छे चित्र, आपके द्वारा महाराष्ट्र में स्थित अपनी संस्कृति और धर्म के बारे में पता चल रहा हैं. धन्यवाद. संदीप जी आप फोटो में वाटर मार्क एक साइड में डाले तो अच्छा लगेगा. बीच में होने के कारण फोटो की सुंदरता और वास्तविकता खराब हो जाती हैं...वन्देमातरम...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

स्वामी रामतीर्थ का प्रभाव यहाँ की लोक संस्कृति में व्याप्त है, सुन्दर चित्र।

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