गुरुवार, 5 जनवरी 2017

Port Blair- Marina Park, Param Vir Chakra Memorial पोर्ट ब्लेयर- मरीना पार्क-परमवीर चक्र मैमौरियल

समुन्द्र में प्लास्टिक पार्क


अंडमान और निकोबार द्वीप समूह यानि “काला पानी” की धरती पर हम पहुँच चुके है। अब काला पानी में हमने क्या-क्या देखा था उसकी यात्रा करायी जायेगी। इस यात्रा को शुरु से यहाँ क्लिक करके ढना आरम्भ करे।
अंडमान निकोबार में पोर्ट ब्लेयर से यात्रा का आरम्भ (मरीना पार्क का परम वीर चक्र मैमोरियल स्थल)-
पोर्ट ब्लेयर के आसमान से यहाँ की हवाई पटटी देखी, जो ज्यादा बडी नहीं थी। हवाई अडडा समुन्द्र तट के नजदीक ही है। हमारा हवाई जहाज समुन्द्र की ओर से हवाई पटटी पर उतरा। हवाई अडडे से बाहर निकल कर होटल के लिये एक आटो 150 रु में तय किया। हमें यहाँ की ज्यादा जानकारी नहीं थी। हम तीनों ही यहाँ पहली बार आये थे। होटल की ओर जाते समय आटो वाले को, कुछ देर पर्यटक विभाग के कार्यालय रुकने की बात उसको तय करने से पहले ही बोल दी गयी थी। पर्यटक कार्यालय से हमें आगे की डिगलीपुर तक ककई दिन की यात्रा के लिये होटल बुक करने थे। होटल बुक करने के लिये मनु भाई ने 10% की अग्रिम राशि पहले ही online जमा की हुई थी। यदि हमारी यह यात्रा किसी कारणवश नहीं हो पाती तो यह राशि (1500 रु) बेकार चली जाती। होटल के अलावा हमने इस पूरी यात्रा में कोई राशि अग्रिम जमा नहीं की थी। जिस होटल में हम ठहरे थे वो भी मनु भाई ने आनलाइन ही बुक किया था। होटल में कुछ देर आराम करने के बाद अंडमान की सबसे लम्बी बस यात्रा के टिकट बुक करने CENTRAL BUS STAND MOHANPURA पहुँच गये। बस टिकट बुक करने के लिये होटल से 6 किमी दूर जाना पडा। 

इस यात्रा की असली शुरुआत देखा जाये तो यही से हो रही थी अब तक जो यात्रा की थी वो तो यहाँ तक आने के लिये ही थी। हम तीनों ने सलाह बनायी कि केवल एक बन्दा खर्च करेगा व हिसाब रखेगा। मेरी जेब में दिल्ली से चलते समय एक हजार रुपये भी पूरे नहीं थे। ATM card साथ में था। जहाँ मन करेगा वहाँ रुपये निकाल लेंगे। आजकल तो वैसे भी होटलों में कार्ड से लेन-देन की सुविधा होने लगी है। मुख्य बस अडडे के सामने ही पोर्ट ब्लेयर का मुख्य भारतीय स्टेट बैंक है। यहाँ कई ATM थे। मैंने एक ATM से 10000 रु निकाल लिये। मेरा अंदाजा था कि दस हजार से ज्यादा की राशि दस दिन की यात्रा में नहीं लगनी चाहिए। अब बात उठी कि खर्चे का हिसाब लिखना शुरु करो। अपनी घुमक्कडी का नियम है घुमक्कडी किस्मत से, खर्च अपनी-अपनी जेब से। मैंने कहा ठीक है “सबसे पहले मैं अपने हिस्से के 10000 खर्च करता हूँ।“ मेरे पास इनके अलावा सिर्फ़ 670 रुपये है। अपने बचे हुए पैसों को बैग की गहराई में उतार देता हूँ। अभी थोडी देर पहले जो दस हजार निकाल्रे है। जहाँ मेरे 10000 खर्च हो जायेंगे वहाँ से आगे की जिम्मेदारी आप दोनों में से किसी एक के ऊपर होगी।

पोर्ट ब्लेयर में लम्बी दूरी के बस टिकट बुक करने के लिये सरकारी पहचान पत्र की फोटो कापी देनी पडती है। टिकट खिडकी पर पता लगा कि सिर्फ एक बस में सीट खाली है। बस रंगत तक की थी उससे पहले का टिकट उसमें मान्य नहीं था। हमें मजबूरी में 70 किमी आगे तक के टिकट बुक करने पडे। टिकट बाबू से पूछा कि टिकट आगे का ले लिया तो क्या हमें बीच में भी नहीं उतरने दोंगे। हमें तो बीच में उतरना है, उतारोगे भी नहीं क्या? उतरने पर कोई रोक नहीं है। जहाँ आपका मन करे, उतर जाना। टिकट बुक करने के बाद पैसे वापिस नहीं होंगे। तीनों सीट एक साथ करने की बोली तो उत्तर मिला, सम्भव नहीं। जो खाली बची है वही लेनी पडेगी। अगर 10 मिनट देरी से आते तो यह सीट भी नहीं मिल पाती। हमारे पीछे लाइन में दो बंदे और खडे थे। वे भी बचे हुए टिकट बुक करने को तैयार थे। शुक्र रहा कि फोटो स्टेट हम दिल्ली से ही करवा कर लाये थे। बडी मुश्किल से अलग-अलग सीट की 3 सीट बुक हुई। टिकट भी बिल्कुल वैसा था जैसा रेलवे का आरक्षित टिकट होता है ना ठीक वैसा ही था।

कल हम अंडमान में पोर्ट ब्लेयर से डिगलीपुर तक अंडमान के सबसे लम्बे हाईवे “ग्रांट ट्रंक रोड पर 318 किमी लम्बी” बस यात्रा करेंगे। इतनी लम्बी यात्रा में हमारी बस को दो बार पानी के जहाज में चढाकर दो-तीन किमी चौडा समुन्द्र पार करना पडेगा। चलो जी टिकट तो बुक हो गया। अभी दोपहर का एक बजे है। होटल से बस अड्डे की ओर आते समय जिस बस में बैठ कर आये थे। उस बस के अन्दर से सीधे हाथ समुन्द्र किनारे का एक सुन्दर नजारा दिखायी दिया था। उस समुन्द्र किनारे वाली जगह से हम ज्यादा दूर नहीं आये थे। वह जगह बस अडडे से मुश्किल से एक से डेढ किमी के बीच होगी। समय की हमारे पास कोई कमी नहीं थी। सबसे पहले उस सुन्दर जगह को देखने की इच्छा प्रबल हो गयी। एक आटो वाले को बुलाया वह हमें उस जगह छोड आया। यह जगह अंडमान निकोबार की विश्व प्रसिद्ध सेलूलर जेल के करीब ही है। जेल सीधे हाथ है तो यह जगह मरीना पार्क उल्टे हाथ है।

यहाँ पोर्ट ब्लेयर में आटो मीटर से भी चलते है व मोल-भाव करके भी चलते है। हमने मोलभाव करके कहा कि अपना मीटर आन करो, हम यह देखना चाहते है कि आप हमसे ज्यादा तो नहीं ले रहे हो। आटो वाले ने अपना मीटर डाउन कर दिया था। ऐसा दो आटो वालों ने करके दिखाया। गजब यह रहा कि दोनों आटो को हमने मोल-भाव करके किराया तय किया था उसके बाद उसके मीटर व मोलभाव में मुश्किल से दस रु का ही अन्तर आया। आटो से उतर कर समुन्द्र किनारे पहुँचे। यहाँ कुछ देर तक माडलिंग कर समुन्द्र किनारे हीरोपंती करते रहे। जब फोटो खींच-खांच कर मन भर गया तो आगे बढ चले। यहाँ सामने ही एक टापू दिख रहा था। उस पर जाने के लिये सामने ही नाव की बुकिंग काऊंटर दिख रहा था। काऊंटर पर पहुँचे तो बताया गया कि आज वहाँ छुट्टी रहती है जिससे वहाँ जाना मना है इसलिये कोई नाव भी यहाँ से वहाँ नहीं जायेगी। आज नहीं तो कल सही, कल नहीं तो चार दिन बाद तो यह खुलेगा। हम कौन सा 5-7 दिन में अंडमान से भागे जा रहे है। अगले दस दिन तक हम भी यही रहेंगे व अंडमान भी यही रहेगा। देख लेंगे। दोनों को, हाँ नहीं तो?

कहते है ना, अंगूर खट्टे। जब नाव की सवारी नहीं मिली तो पैदल-पैदल समुन्द्र किनारे वापसी के लिये चलते रहे। मरीना पार्क के अन्दर से चलते हुए सेना के टैंक व हवाई जहाज गिराने वाली मशीन गन यहाँ पर लगी हुई दिखायी दी। उनके पास पहुँचे तो देखा कि यहाँ रखे विजयंत टैंक है। जो भारतीय सेना में 1970 में शामिल किये गये थे। इन टैंको का वजन 39 टन था। 50 किमी की गति से यह 530 किमी तक जा सकते थे। इन्हे देख भारत की सभी छावनियों में रखे पाकिस्तानी टैंको की याद आ गयी। भारत की सभी छावनियों में रखे टैंक पाकिस्तान से 1971 की खेमकरण वाली लडाई में जीते गये है। ऐसे लगभग 500 टैंक भारत खेमकरण की रण में छीन लाया था। ये टैंक भारत की सभी सैनिक छावनी में अभी भी रखे हुए है। इन टैंको के ऊपर ही सन्नी देयोल वाली बार्डर फिल्म बनायी गयी थी। पाकिस्तान ने उस लडाई में एक साथ अपनी अधिकतर टैंक बटालियन के साथ भारत पर हमला किया था। आज भी खेमकरण के लोंगेवाला में पाकिस्तानी टैंक का मलबा पडा हुआ है। 

पाकिस्तान के सैनिक जनरल रैंक के अधिकारी यह सोच कर भारत पर हमला करवाने की गलती कर वैठे थे कि भारत ज्यादा से ज्यादा 100-150 टैंक मार गिरा सकता है। यह गलती पाकितान को बहुत भारी पडी। अकेले खेमकरण को पाकिस्तान के टैंको का कब्रिस्तान कहा जाता है। पाकिस्तान ने सोचा था कि सारे टैंक एक इलाके से निकालने हुए दिल्ली पर कब्जा कर लेंगे। लेकिन भारतीय फौजियों ने पाकिस्तान के टैंको को खेमकरण से आगे बढने ही नहीं दिया। जो टैंक आगे बढता उसे ही उडा देते। इस टैंक फोडा-फाडी में जो जोरदार धूल उडी उसके चक्कर में कई पाकिस्तानी टैंको ने अपने ही टैंकों को गलती से उडा दिया था। यह लडाई रात के अंधेरे में भारत पाकिस्तान सीमा पर भारत के भीतर हुई थी। आखिर में दिन निकल आया तो वायु सेना उनकी मदद को हवाई हमले करने लगी। हवाई हमलों के कारण पाकिस्तानी टैंक वापिस भी नहीं भाग सके। हवाई हमलों के कारण पाकिस्तानी अपने टैंको को खेमकरण के रेगिस्तान में छोड कर पैदल भाग गये। जो भाग नहीं सके। वो मारे गये या पकड लिये गये।

इस स्मारक स्थल को परमवीर चक्र स्मारक कहते है। यहाँ से आगे बढते ही राम कृष्ण मिशन पोर्ट ब्लेयर दिखायी दिया। इसे अन्दर से देखने का मन नहीं हुआ। बाहर से ही इसका फोटो लिया गया। यहाँ अण्डमान/पोर्ट ब्लेयर में कूडा डालने के लिए गैंडा जैसा मुँह वाला कूडादान बनाया गया है। जिस सडक से होकर मुख्य सडक के लिये जा रहे थे वह सडक समुद्र किनारे-किनारे आधे किमी से ज्यादा दूरी तक जाती है। तब जाकर बस मिलने वाली सडक आती है। अबकी बार बस की जगह आटो से होटल पहुँचे। होटल पहुँचकर थोडी देर आराम किया। नहा धोकर तैयार हो गये। आज हमारे पास अभी भी कई घन्टे का समय खाली है तब तक क्या करे? तीन घन्टे में चिडिया टापू नामक छोटी सी लेकिन सुन्दर जगह देखी जा सकती है चिडिया टापू पर सूर्यास्त दिखाई देता है। आज चिडिया टापू का सूर्यास्त देखकर आते है। चिडिया टापू जाने के लिये उसी आटो वाले को पहले ही 600 रुपये में तय कर लिया था। जो हमें होटल तक छोडकर गया था। आटो वाले का नम्बर ले लिया था। उसे आने के एक घंटे बाद बोल दिया गया था। एक घंटे बाद आटो वाला हमें लेने के लिये होटल पहुँच गया। हम भी तब तक नहा धोकर तैयार हो चुके थे। तो चलो दोस्तों चिडिया टापू देने चलते है। कौन-कौन साथ चलेगा। लेख में आपको क्या जानकारी चाहिए अपनी सलाह देते रहना, दोस्तों (CONTINUE)



फोटो शूट

राजीव गाँधी की प्रतिमा

समुन्द्री वाहन

इस द्वीप पर बाद में जायेंगे।


दो टापू को जोडता मार्ग

मरीना पार्क की झलक


गैंडा महाराज कूडा लेने को तैयार


दो दीवाने, संदीप पवाँर व विजयंत टैंक

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

हवाई जहाज गिराने वाली एयर गन

राम कृष्ण मिशन

10 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बढ़िया जाट देवता भाई.....
शुभकामनाये आएसे ही भारत दर्शन करा ते रहे |

Satyapal Chahar ने कहा…

मुझे लेकर चलो दादा

Prashant Modanwal ने कहा…

रुचिकर सैरनामा...

Unknown ने कहा…

घुमक्कड़ी ज़िंदाबाद बहुत बढ़िया 👌🙏

mahesh gautam ने कहा…

शानदार जानदार जब्बरदस्त यात्रा लेख पढ़कर लगा की जेसे खुद भी यात्रा में शामिल हो

अनिल दीक्षित ने कहा…

भारत पाक युद्ध के इस तथ्य के बारे मे आज ही जानकारी मिली।अगले भागों मे भी कुछ ऐसी रोचक जानकारी जोड़ते रहना।

VAIBHAV VARSHNEY ने कहा…

Schitra jeevant lekhni

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

हम फ्रिंड्स घूमने जाते है तो सबका बराबर पैसा मिलाकर एक पर्स में रख लेते है फिर उसी मऊ से सारे खर्च करते है ।और पर्स एक आदमी के पास रहता है जब सारे पैसे खत्म हो जाते है तो फिर से मिलकर बराबर पैसा एक जगह रख लेते है । खाना पीना घूमना ,किराया सब ।

SANDEEP PANWAR ने कहा…

जी दर्शन बुआ जी यही तरीका सबसे अच्छा है।

राजेश सहरावत ने कहा…

धन्यवाद जाट देवता यादें फिर से ताजा हो गई

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...