गोवा यात्रा-11
हमें बताया गया था कि गोवा के समुन्द्र तटों पर नहाते समय कई लोग अपनी जान ऐवे ही आलतू-फ़ालतू में पानी में डूब कर गवाँ बैठते है। इस लिये हमें पहले ही सावधान किया गया था कि समुन्द्र में नहाते समय ज्यादा गहराई में नहीं जाना है। सुबह के समय तो समुन्द्र में नहाना नसीब नहीं हो पाता था इसलिये शाम के समय कैम्प में रुकने के बाद जैसे ही हमें मौका मिलता, तुरन्त हम अपना सब कुछ उतार कर(एक वस्त्र छोड़ कर) समुन्द्री नमकीन पानी में कूद पड़ते थे। हम चलने में तो तेज थे ही जिस कारण हमारे पास कही भी रुककर देखने के लिये समय आसानी से मिल जाता था। नीचे वाला फ़ोटो भी ऐसे ही समय मिलने के बाद पीछे रह गये साथियों के इन्तजार करते समय लिया गया था।
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Colva beach |
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Colva beach |
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Trekking map of Today |
जब हम किनारे पर बैठे हुए थे तो अनिल को वहाँ की रेत को खोदकर उसमें अपने पैर दबाने का तरीका सूझ गया था जिससे वह काफ़ी देर तक उसी में उलझा रहा था। हमें वहाँ बैठे देखकर धीरे चलने चाले सदस्य हमारे पीछॆ समुन्द्र किनारे उगे हुए पेड़ों की छाँव में बैठने चले गये, जिनका फ़ोटो नीचे वाला दिया गया है। कुछ देर विश्राम करने के बाद हम यहाँ से आगे जाने के लिये रवाना हो गये। नंगे पैर समुन्द्र किनारे चलने में एक अलग ही सुकून चैन महसूस हो रहा था, हमारे साथ जो साथ विदेशी बन्दे चल रहे थे, इनके हमारे ग्रुप में होने के कारण कई हास्य पुट पैदा हो गये थे। हमारे ग्रुप में एक बन्दा अकोला का था जिसे रात में भयंकर खर्राटे आया करते थे जिस कारण हम ज्यादातर ही उनका नाम लिया करते थे कि आज की रात उस टैन्ट से दूर सोना है जिस में यह महाराज सोयेंगे।
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Some members of our group taking rest under the tree. |
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Indian & Belgium are taking rest here. |
ऊपर वाले फ़ोटो में काली टोपी में सबसे बाये हाथ जो शख्स दिखाई दे रहा है, यह वही खर्राटा चैम्पियन है जिनका आतंक हमारे ग्रुप में इस कदर छाया हुआ था कि सोने के मामले में उनसे सब सौतेला व्यवहार करने लगे थे। लेकिन गनीमत यह थी कि सौतेला व्यवहार सिर्फ़ हँसी-मजाक तक ही सीमित था। अपने खर्राता उस्ताद हसँने- विदेशी बन्दों के साथ हम लोग थोड़ा सहानुभूति से बर्ताव कर रहे थे। उन्हें हिन्दी नाम की चिड़िया का एक शब्द भी नहीं आता था। मैं अपनी लचर-पचर(काम चलाऊ) अंग्रेजी से उनकी काफ़ी बाते समझ तो लेता था, लेकिन जब उन्हें समझाने की बात आती थी तो अंग्रेजी व्याकरण की माँ-बहन एक हो जाती थी। सिर्फ़ एक बात याद आती थी, NO IF, NO BUT ONLY JAT.....हा हा हा हा इसका उदाहरण आप लोग मेरे लेखों में दिये गये अंगेजी के शब्दों व वाक्यों से देख ही रहे हो। ऊपर वाले फ़ोटो में दिखाई दे रहे दोनों विदेशी बहुत मिलनसार बन्दे थे, इनसे बातचीत में पता लगा कि इन्होंने भी अपना ब्लॉग बनाया हुआ है। जब बात ब्लॉगरी पर आती है तो दोस्ती होना स्वाभाविक सी बात है।
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Wow what a beautiful scene. |
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I do'nt know name of these birds. |
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BICYCLE GROUP IS COMING AND TREKKING GROUP IS GOING. |
ऊपर के दो फ़ोटुओं में आप सफ़ेद रंग के कुछ पक्षी देख रहे है, मैं इनके बारे में कुछ नहीं जानता कि ये हमेशा यहाँ पाये जाते है कि इसी मौसम में ठन्ड़े इलाकों (साइबेरिया आदि) से कुछ माह के लिये यहाँ प्रवास करने के लिये आ जाते है। जब हम आज की अपनी मंजिल से मात्र तीन किमी पहले ही थे तो हमें YHAI GOA का साईकिल वाला ग्रुप हमारी ओर आता दिखाई दिया। इस ग्रुप के कई बन्दे समुन्द्र किनारे की रेत पर साईकिल चलाने में बड़ी परेशानी महसूस करते दिखाई दिये थे। कई जगह रेत बहुत भुरभुरी थी जिस कारण हमें तो वहाँ पैदल चलने में कोई खास दिक्कत नहीं आ रही थी लेकिन साईकिल वालों का तेल निकला जा रहा था। यहाँ से लगभग घन्टाभर की कदमताल के बाद हमारी राजधानी एक्सप्रेस वाली चौकड़ी आज के कैम्प पर पहुँच चुकी थी। बाकि साथी पीछे-पीछे आ रहे थे। आज हम अन्य सभी के मुकाबले ज्यादा तेज गति से नहीं चले थे। आज का दिन समुन्द्र किनारे अन्तिम दिन था इस कारण हम अपनी मस्तीभरी चाल से चलते हुए यहाँ तक आये थे।
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View from our tent. |
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Saving round |
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OUR CAMP |
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THERE IS ONLY ONE HOUSE IN CAMP CAMPUS |
आज वाला कैम्प समुन्द्र से एकदम सटा हुआ था। इसलिये आज हमें नहाने के लिये कोई खास चलकर नहीं जाना था। नहाने से पहले हम्ने अपनी बढ़ी हुई दाड़ी बनाने की तैयारी शुरु की, यहाँ फ़ोटो में आप देख ही रहे है कि कैसे हमने एक नारियल के पेड़ को ही अपने शीशे लगाने का स्टैन्ड़ बना लिया था। हमारे कैम्प में समुन्द्र की लहरों की आवाजे आसानी से सुनायी दे रही थी। जैसे ही हम नहाने के लिये जाने लगे तो कैम्प लीड़र ने हमें बताया कि यहाँ पर नहाने के लिये आपको कैम्प में पानी की सुविधा नहीं मिलेगी। सिर्फ़ हाथ-मुँह धोने लायक पानी का ही यहाँ पर प्रबन्ध किया हुआ है। समुन्द्र के नमकीन पानी में नहाने के बाद साफ़ ताजे पानी से नहाना बहुत जरुरी है, नहीं तो मुझे तो खुजली जैसी समस्या से परेशानी होनी शुरु हो जाती है। जिस प्रकार पसीने आने के बाद हमें परॆशानी होती है ठीक वैसी ही। हमने आसपास साफ़ पानी का कुछ और प्रबन्ध होने के बारे में कैम्प लीड़र से पता किया तो उन्होंने बताया कि बीच के ठीक सामने सरकारी विभाग की सप्लाई वाली टोंटी लगी हुई है। यदि आपकी किस्मत अच्छी हुई तो आपको पानी मिल जायेगा। कल वाले बैच की किस्मत हमारी जैसी खुशनसीब नहीं थी, क्योंकि कल सप्लाई का पानी नहीं आया था। नहाने से पहले टंकी पर जाकर, ताजा पानी देखा गया। ताजे पानी देखकर ही हम समुन्द्र में कूदने के लिये पहुँच गये थे।
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I AM HUNGRY & YOU. |
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हमारे कैम्प के सामने वाला बीच |
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इन नारियल के झुरमुटों में ही अपना कैम्प है। |
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सूर्यास्त होने तक नहाते-धोते रहो। |
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नहा धोकर सूर्यास्त देखने की तैयारी है। |
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महिलाएँ भी नहाने कूदने में कम नहीं है। |
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ये तीनों लेट लतीफ़ है। |
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अनिल ने सूर्य अपने हाथों में समा लिया है। |
आप पोस्ट के फ़ोटो देखकर ही अंदाजा लगा सकते हो कि हमने वहाँ पर कितनी धमाल धौकड़ी की थी। हम सबसे पहले नहाने के लिये समुन्द्र में घुसे थे इसलिये दो घन्टे पानी में ऊँट-पटाँग उछल कूद करने और लहरों से जूझने के बाद हम बाहर आये थे। बाहर आने के बाद हम उसी साफ़ पानी की टंकी के पानी से नहाकर आये, जिसके बाद हम वही किनारे पर डूबते सूरज/सूर्यास्त को देखने के लिये जम गये। हमारे से बाद में आने वाले सदस्य चूंकि आये भी बाद में थे अत: नहाने में भी उन्होंने कम समय मिला था। हमारे ग्रुप में दोनों विदेशी महिला तो कल भी हमारे साथ ही नहायी थी। आज विदेशी हम से थोड़ा सा अलग नहाये थे। आज जहाँ हम नहा रहे थे वहाँ पर पानी बहुत गहरा था जिस कारण हम ज्यादा अन्दर तक नहीं गये, जबकि तैरने वाले देशी-विदेशी दूर-दूर तक आ जा रहे थे। आज के दिन हमारे ग्रुप की भारतीय महिलाएँ को भी नहाने का जी भर मौका मिला था, जिस कारण उन्होंने भी लहरों से जमकर सामना किया था, वो अलग बात है कि लहरे ज्यादातर उन्हें ढ़ेर कर दिया करती थी। लेकिन वे हर बार दुगने जोश से खड़ी हो जाया करती थी। हम बाहर बैठकर यह सब और सूर्यास्त देख रहे थे।
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रात के लगभग बारह बजे समुन्द्र किनारे का चित्र लिया गया है। |
गोवा यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे क्रमवार दिये गये है। आप अपनी पसन्द वाले लिंक पर जाकर देख सकते है।
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7 टिप्पणियां:
सभी चित्र बहुत सुंदर ...... शुभकामनायें
अहा, यह मधुमय देश हमारा..
सभी चित्र बहुत सुन्दर हैं..बहुत बहुत शुभकामनाएं
मजो आ ग्यो जाट भाई !!
बढ़िया फोटोग्राफ्स। हाथ में सूरज --ग़ज़ब।
वह पक्षी सीगुल्ल हैं.
Seagull
पक्षी का नाम बताने का शुक्रिया।
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