सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

Havelock island, Dolphin resort beach & Kala Pathar beach हैवलाक द्वीप, डाल्फिन रिजार्ट व काला पत्थर बीच

हैवलाक द्वीप के सुन्दर से तट पर अठखेलियाँ करते जाट देवता


उत्तरी अंडमान के अंतिम छोर डिगलीपुर में अंडमान की सबसे ऊँची चोटी सैडल पीक की सफल यात्रा के बाद वापिस पोर्टब्लेयर लौट आये। इससे पहले वाले लेख में आपने सेल्यूलर जेल की सैर की थी। अब अंडमान के एक सुन्दर से टापू हैवलाक द्वीप पर चलते है। यदि आप अंडमान की इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ माऊस से चटका लगाये और पूरे यात्रा वृतांत का आनन्द ले। इस लेख की यात्रा दिनांक 25-06-2014 को की गयी थी।
अंडमान निकोबार द्वीप समूह DOLPHIN RESORT & KALA PATHAR BEACH, RADHA NAGAR BEACH, HAVELOCK ISLAND, PORT BLAIR, ANDAMAN & NIKOBAR ISLANDS
हैवलाक कब किस मौसम में व कैसे पहुँचा जाये? How to reach Havelock
सेल्लुलर जेल में अंग्रेजों का वहसीपन देखने के बाद होटल लौटने से पहले हैवलाक द्वीप पहुँचने का जुगाड भी करना था। हैवलाक द्वीप सडक मार्ग से नहीं जुडा है। यह द्वीप अंडमान की मुख्य भूमि से 67 किमी दूरी पर है। पूरा का पूरा समुन्द्री मार्ग ही है। यहाँ पहुँचने के दो ही साधन है। एक हवाई जहाज का व दूसरा समुन्द्री जहाज वाला। हवाई जहाज वाला थोडा महँगा पडता है। इसलिये हमने दूसरा वाला, समुन्द्री जहाज से यात्रा करने का तय किया। सबसे पहले हमने फीनिक्स जेट्टी पहुँचकर टिकट बुक किये। हम अंडमान जून के महीने में गये थे। जून में यहाँ बारिश का सीजन आरम्भ हो होता है इसलिये इन दिनों यहाँ पर्यटकों के लिये आफ-सीजन रहता है। यहाँ आने का सबसे बढिया सीजन ठन्ड का होता है। दीवाली से लेकर होली के बीच यहाँ आने का बेस्ट सीजन होता है। इसके बाद अप्रैल में गर्मी होने से ज्यादा मुश्किल होने लगती है।

पोर्टब्लेयर से हैवलाक की समुन्द्री यात्रा Govt. Ferry to Havelock islands from Phoenix Bay Jetty, Port Blair   

समुन्द्री यात्रा के टिकट हमने यात्रा वाले दिन ही फोनिक्स बे जेट्टी, पोर्टब्लेयर से बुक किये थे। एक दिन पहले भी हम टिकट बुक करने के लिये आये थे। मौसम विभाग की भविष्यवाणी में मौसम खराब होने की सूचना हो तो, समुन्द्री यात्रा के टिकट एक दिन पहले से बुक नहीं होते है। हमने कल ही सोच लिया था यदि पोर्टब्लेयर में ही मौसम ज्यादा खराब दिखाई देने लगेगा या खराब होने की सम्भावन दिखाई देगी तो न जाना ही उचित होगा। फोनिक्स बे जेट्टी पोर्टब्लेयर से हैवलाक तक बडी फैरी / छोटा जहाज दोपहर 02:00 से चलकर 04:30 तक पहुँचा देती है। केवल ढाई घंटे का समय समुन्द्री यात्र में ही लग जाता है। हमने टिकट बुक किया तो हमारा एक बदे का किराया मात्र 386 रु लिया गया। हो सकता है आज यह किराया 500 रु तक पहुँच गया हो। अरे हाँ, हैवलाक व नील द्वीप के लोकल / स्थानीय बन्दों को हम जैसे पर्यटकों / घुमक्कडों के मुकाबले सिर्फ 10% किराया ही चुकाना पडता है। हैवलाक व पोर्टब्लेयर के बीच चलने वाली सभी बडी समुन्द्री फैरी (पानी के जहाज) सरकारी है। सरकार ने स्थानीय जनता के लिये यह सुविधा दी हुई है। 

सभी बडी फैयरी वातानुकुलित होती है। यात्रियों पर ऐसी कोई रोक नहीं होती कि उन्हे अपनी सीट पर अन्दर जाकर बैठना ही पडेगा। चूंकि, यात्रा की अवधि ढाई घंटे की है। इतनी देर तक अधिकतर यात्री जो इस तरह की पहली समुन्द्री यात्रा पर जा रहे हो, वे अपनी सीट पर चैन से बिल्कुल भी नहीं बैठ सकते। मैं तो पहली बार समुन्द्री यात्रा करने वालों यात्रियों से अन्दर सीट पर बैठने की उम्मीद कभी नहीं करुँगा। जो स्थानीय लोग है वो भले ही चैन से बैठते हो, लेकिन कुछ हमारे जैसे भी होते है जो पहली लम्बी समुन्द्री यात्रा का रोमांच महसूस करने का मौका, अन्दर बैठ कर कैसे खराब कर सकते है? सभी यात्रियों के सामान की जाँच के बाद जहाज में टिकट देने के क्रम से सवार किया जाता है। जहाज की ऊँचाई जेट्टी के तल के मुकाबले थोडी ज्यादा थी। समुन्द्र में ज्वार भाटे का समय हो गया था। सभी को लादकर जहाज अपनी मंजिल हैवलाक की ओर चल पडा। हम तीनों लगभग पूरी ढाई घंटे की यात्रा में आनन्द फैरी की छत यानि डैक पर जमे रहे।

खतरनाक समुन्द्री लहरों के बीच पहली लम्बी यात्रा
समुन्द्री जहाज की इस ढाई घंटे लम्बी यात्रा के शुरु से लेकर यात्रा के समाप्त होने तक, मौसम ने अपना खौफ बनाये रखा। जब हमारा जहाज एक घंटे से ज्यादा की समुन्द्र यात्रा कर चुका था, उस समय तूफानी लहरों ने, उस खतरनाक मौसम में डरावना माहौल पैदा कर दिया था। हमारी बडी फैरी थी जिसमें दो सौ से ज्यादा लोग सवार थे। समुन्द्री लहरे बहुत खतरनाक रुप से ऊँची होती जा रही थी। बीच के आधे घंटे तो साँस गले में ही अटकी रही कि कही पहली लम्बी समुन्द्री यात्रा ही अंतिम समुन्द्री यात्रा बनकर न रह जाये। जिस तरफ से लहरे आकर हमारी फैरी से टकरा रही थी उस ओर पानी की बडी-बडी बौछारे उडती थी। कभी कभी तो हमारा जहाज पानी में इतना अंदर चला जाता था कि हम ऊपर डैक पर खडे होने के बाद भी समुन्द्र तल नहीं देख पा रहे थे। ऐसे वक्त डर लगता था कि जहाज अब गया, अब गया। ऐसा रोमांच ही, ऐसी यात्रा को हमेशा के लिये यादगार बना देता है। आखिर हैवलाक का किनारा नजदीक आ गया। वैसे हैवलाक आधे घंटे पहले से दिखाई देने लगता है। जहाज लगभग पूरे हैवलाक द्वीप का चक्कर लगाकर दूसरी तरफ जाता है। वहाँ जेट्टी पर जाकर सवारियों को उतार देता है। यही जहाज आगे नील द्वीप तक भी जायेगा।

हैवलाक का डालफिन रिजार्ट 
हैवलाक पहुँचते ही जेट्टी से बाहर आये, तो आटो वाले पीछे पड गये। मनु भाई ने यहाँ डाल्फिन रिजार्ट होटल में, एक कमरा दो दिन के लिये पहले से ही बुक किया हुआ था। यहाँ हैवलाक में (नील द्वीप में बस सेवा नहीं है।) सरकारी बस की सुविधा भी उपलब्ध है। यहाँ पर साधारण व वातानुकूलित दोनों तरह की बस चलती है। जानकारी मिली कि डाल्फिन की ओर जाने वाली बस आधे घंटे बाद जायेगी। आधे घंटे वहाँ क्या करते? एक आटो में सवार होकर अपने होटल पहुँच गये। डाल्फिन रिजार्ट सरकारी होटल है। बहुत शानदार होटल है। यह कितने स्टार वाला होटल है या नहीं, यह मैंने पता नहीं किया। हम इस होटल में लगातार दो रात ठहरे। दो रात ठहरने  का लाभ यह हुआ कि यहाँ का पूरा लुत्फ उठा पाये। एक रात यहाँ रुककर यात्रा अधूरी ही रह जानी थी।  

हमारे होटल के मुख्य गेट के ठीक सामने किराये पर बाइक देने वाली दो दुकाने दिखायी दी थी। यहाँ आते समय सडक किनारे किराये पर बाइक देने वाली कई दुकाने दिखाई दी थी। कल बाइक लेकर इस पूरे द्वीप को छान मारेंगे। कल क्या करेंगे, कल देखेंगे। अभी तो अपने होटल के ठीक पीछे पूर्व दिशा में दिख रहे समुन्द्र में उधम मचाने निकल पडते है। कमरे में सामान पटक कर बाहर निकल आये। समुन्द्र किनारे पर ज्यादा पानी नहीं था। शाम के 5 बजने वाले थे। इस तरह हमारे पास दिन छिपने से पहले समुन्द्र में उत्पात करने के लिये एक घंटा था। जैसे ही किनारे पर आये, तो देखा कि समुन्द्र में एक स्पीड बोट से रस्सी बांध कर स्काई ड्राइविंग हो रही है। एक बन्दा आसमान में उड रहा था। उडता बन्दा नीले आसमान में बहुत शानदार दिख रहा था।

हैवलाक में पहले दिन ही समुन्द्र में स्नान करने का मौका हाथ से जाने नहीं दिया गया। समुन्द्र होटल के ठीक पीछे था। होटल की बनी दीवार ही समुन्द्र के पानी को होटल में घुसने से रोके हुए थी। समुन्द्र में नहाकर, अपने कमरे में आये और दुबारा साफ पानी से नहाकर तरोताजा हो गये। कमरा बहुत शानदार था। यह होटल पैसे खर्च करने वाले पर्यटकों के लिये बनाया गया है। मेरे जैसे कंजूस भी साल दो साल में एक-आध बार ही इस तरह के महंगे होटल का मजा उठा लेते है। यहाँ पर्यटकों के लिये सभी तरह की सुख सुविधा प्रदान की हुई है। सभी कमरे AC, टीवी, गीजर जैसी अत्याधुनिक सुख-सुविधा से युक्त है। टीवी पर मुझे समाचार देखने के अलावा और कुछ खास पसन्द नहीं है। मैं क्रिकेट, फिल्म, धारावाहिक आदि देखने का शौकीन नहीं हूँ। देर रात तक हम तीनों खूब गपशप करते रहे। अब तक हमारे दस हजार रुपये खर्च हो चुके थे। मैंने अपने दस हजार रुपये खर्च कर लिये थे अब खर्च करने की जिम्मेदारी मनु प्रकाश त्यागी या राजेश सहरावत जी में कोई एक उठाने वाला था। यहाँ होटल के कमरे का एक दिन का किराया एक दिन का एक हजार रुपये था। दो रात हम यहाँ ठहरे थे। इस होटल में 150 रु व्यक्ति के हिसाब से एक समय के खाने का दाम तय था। खाना बहुत शानदार था। उसमें मिठाई, सलाद, दाल, सब्जी, रोटी, चावल, अचार आदि सब कुछ शामिल था। जितना आप खा सको, थाली में उतना ही लेना था। खाने के लिये भोजन से तीन घंटे पहले, अपना आर्डर लिखवाना आवश्यक था। 

बाइक किराये पर लेकर हैवलाक द्वीप की सम्पूर्ण यात्रा
26 जून 2014 को सुबह आराम से सोकर उठे। आज हमें ज्यादा भागदौड करने की आवश्यकता नहीं थी। रात को सोते समय तय हो गया था कि होटल के बाहर वाली दुकान से बाइक किराये पर लेकर घूमना है। बाइक से हमारा घंटों का समय बचेगा। बाइक से कई अन्य स्थल भी देखने को मिल जायेंगे। वैसे तो हैवलाक में बस से भी घूमना हो जाता लेकिन बस से हम एक या दो स्थान ही घूम पाते। बाइक का किराया केवल 200 रु प्रति बाइक थी। हम तीनों दो बाइक पर सवार होकर, सबसे पहले काला पत्थर बीच की ओर घूमने निकल गये। हमारे होटल डाल्फिन रिजार्ट से यह जगह ज्यादा दूर नहीं है। 

काला पत्थर बीच व flying elephant गाँव
काला पत्थर बीच देखने में तो छोटा सा ही है लेकिन बहुत सुन्दर है। हम जाते समय काला पत्थर बीच नहीं रुके। पहले इस सडक पर सीधे चलते गये। यह सडक एक गाँव flying elephant में पहुँचकर समाप्त हो गयी। यहाँ कुछ घर देखे। केले के बाग देखे। वहाँ गाँव में खडे दो चार स्थानीय बंदों से बातचीत कर वापिस लौटने लगे। वापसी में इस सडक से एक अन्य सडक समुन्द्र की ओर गयी थी। हम यह सोचकर उसपर चल पडे कि यह किनारे तक जायेगी लेकिन यह सडक भी एक किमी आगे जाकर समाप्त हो गयी। यहाँ भी दो-चार घर बने हुए थे। यहाँ कुछ निर्माण कार्य चल रहा था। हम फोटो लेकर वापिस काला पत्थर की ओर लौट चले।
 
काला पत्थर बीच पहुँचकर बाइक किनारे खडी कर, समुन्द्री पानी में जा घुसे। यहाँ हम एक घंटा के करीब रुके। यहाँ एक विदेशी (शायद जर्मनी का था) पहले से मौजूद था। हमें देखकर विदेशी पहले तो ठिठक सा गया। हमने उसे कोई भाव नहीं दिया और फोटो लेने गये तो वह हमारे पास आया और बाते करने लगा। मैं और राजेश जी अंग्रेजी में ज्यादा निपुण नहीं है। इसलिये हमने उससे ज्यादा चू-चपड नहीं की। मनु प्रकाश त्यागी भाई अंग्रेजी में थोडे ठीक-ठाक है। उन्होंने उस विदेशी का काफी देर तक साथ निभाया। थोडी देर की वार्तालाप के बाद वो विदेशी हमारे साथ ऐसे बात कर रहा था जैसे हम सालों पुराने दोस्त हो। काला पत्थर बीच देखकर, मन खुश हो गया। यहाँ बीच की खूबसूरती बिगाडने के लिये पर्यटक नहीं थे। साफ सुथरा बाजार रहित बीच देखकर लगा कि शायद गंद फ़ैलाने वाले पर्यटक यहाँ तक आते भी नहीं होंगे।

काला पत्थर बीच की जबरदस्त समुन्द्री लहरे व हजारों तितलियाँ
काला पत्थर बीच की सुन्दरता तो शानदार थी ही, इसके अलावा यहाँ समुन्द्र का साफ स्वच्छ जल और किनारे पर बनायी गयी सीमेंटिड दीवार पर टकराने के बाद उठती लहरे देखकर मन वही ठहर गया। हम आधा घंटा रुककर सिर्फ लहरों को ही देखते रहे। लहरे दीवार पर जब टकराती थी तो जबरदस्त नजारा देखते ही बनता था सबसे ज्यादा रोमांच तब आता था जब कोई लम्बी लहर दीवार से टकराती हुई हमारी ओर भागी चली आती थी। लहरे जैसे-जैसे दीवार पर टकराती थी दीवार पर ऊँची फुआर उठती हुई चली आती थी जैसे दीवार के ऊपर फुआरे की लाइन बनाई जा रही हो। कई बार तो लहरे हम तक पहुँच भी गयी थी। कैमरे को बचाने के लिये हमें रिकार्डिंग बीच में छोड दीवार से नीचे कूदना भी पडा।

लहरों से मन नहीं भरा, आधे-अधूरे मन से वापिस बाइक पर सवार होकर चले ही थे तो तितलियों ने हमला बोल दिया। मनु और मैं बाइक वही छोड तितलियों के पीछे-पीछे काफी दूर निकल गये। तितलियाँ दिखाई तो खूब दे रही थी लेकिन फोटो खिचवाने को तैयार नहीं हो रही थी। मुझे अपनी पसन्द के ज्यादा फोटो नहीं मिले तो मैं वापिस लौट आया। थोडी देर में मनु भाई भी वापिस लौट आये। अब हमारी बाइके हैवलाक के अतिसुन्दर बीच राधा नगर की ओर प्रस्थान करने को तैयार है। कल हमें नील द्वीप पर भी जाना है नील जाने के लिये आज ही टिकट भी बुक करने होंगे। हम अपनी-अपनी बाइक पर सवार होकर राधा नगर बीच की ओर चल दिये। 

यहाँ आते समय एक स्थानीय व्यक्ति ने अपने घर के सामने कच्चे नारियल की दुकान लगायी हुई थी। जाते समय तय हो गया था कि वापसी में यहाँ रुककर एक-एक नारियल का काम तमाम करके ही आगे बढेंगे। नारियल वाले को बोल दिया कि कच्ची गिरी वाला नारियल ही देना। वैसे भी गिरी वाला व पानी वाला दोनों तरह के नारियल की  कीमत तो एक ही है तो फिर गिरी वाला नारियल ही क्यों न लिया जाये। उसी दाम में दो चीजे मिल जायेगी। नारियल वाले की बच्ची वहाँ खेल रही थी वह हमारे कैमरे बडी उत्सुकता से देख रही थी। उसका एक फोटो भी लिया गया जो इस लेख में लगाया हुआ है। 

नारियल निपटा कर राधा नगर बीच की ओर बाइक दौडा दी। बाइक से याद आया कि अंडमान में यात्रा कानून बहुत सख्त है बिन हैलमेट व बिन वैध चालक प्रमाण पत्र के वहाँ बाइक नहीं चलानी चाहिए। हम राधा नगर बीच की ओर बढते जा रहे थे। सडक किनारे एक भैंस को कीचड में लुटलुटी करते देख बाइक रोकनी पडी। भैंस रानी की प्यारी सी फोटो लेकर आगे बढ चले। खेतों व वनों की हरियाली इतनी ज्यादा थी जिसे देखकर लगता था जैसे हरा रंग किसी ने यहाँ आसमान से गिराया हो। राधा नगर बीच अभी दो किमी है। हमें यहाँ सडक किनारे एक बोर्ड ने रोक लिया है। बोर्ड पर लिखा था ELEPHANT BEACH TRACKING WAY ONLY 2 KM मैंने बोला, मनु भाई चले क्या? मनु तो जैसे तैयार ही था। बाइक सडक किनारे लगाकर जंगल के बीच पैदल मार्ग पर बढने लगे। (क्रमश:) (Continue)


राजेश सहरावत जी समुन्द्री यात्रा का लुत्फ उठाते हुए

सबसे ऊपर यात्रा का अलग ही मजा है

ये देखो, हैवलाक आ गया है

स्वागत है जी, हैवलाक में

बसों की समयसारिणी

इस तिराहे से सीधे हाथ राधा नगर बीच व उल्टॆ हाथ डाल्फिन व काला पत्थर बीच

खेतों में क्रम से बने घर

वृक्षों का जंजाल

इस बीच का आनन्द उठाने के लिये यहाँ रहना जरुरी है


डाल्फिन रिजार्ट बीच
 

डाल्फिन रिजार्ट


जवानों तैयार हो, हैवलाक की खाक छानने की यात्रा के लिये

सडक समाप्त, कच्ची पगडंडी आरम्भ



काला पत्थर बीच

विदेशी घुमक्कड ब्लागरों के फोटो लेते हुए

तितली उडी, पकड में आयी, चल बदमाश

तितली के पीछे जाता मनु प्रकाश त्यागी

काला पत्थर बीच की जबरदस्त लहरे

काला पत्थर वाले मार्ग पर यह दुकान

नारियल वाले की मासूम सी बच्ची

नारियल के पेड के बीच एक तालाब

नारियल की खोपडी

होली खेलती भैंस

चले राधा नगर बीच

7 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Sir Aapse prabhavit hokar shayad main bhi jaon

SANDEEP PANWAR ने कहा…

जितेन्द्र मिश्रा भाई, अवश्य जाना भाई,भारत भूमि का सबसे दूर का टुकडा है। बहुत सुन्दर है।

जसवंत लोधी ने कहा…

कृपया मित्र मेरी मदद करने के लिए 9752066004 पर संपर्क करें ।

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

सचमुच इतने सुंदर बीच बोम्बे में नहीं है ।

Shyam sunder ने कहा…

बहुत ही बढ़िया मज़ा आ गया संदीप भाई ,यहाँ अवशय ही जाऊँगा

Unknown ने कहा…

अगस्त के अंतिम दिनों में अंडमान जाना सही रहेगा कि नही।

SANDEEP PANWAR ने कहा…

बारिश आपको तंग कर सकती है और कोई समस्या नहीं आयेगी।

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