रविवार, 22 मई 2011

बाइक से लाल किला से लेह-लद्दाख यात्रा भाग 10, PATNI TOP, VAISNHO DEVI TEMPLE

लेह बाइक यात्रा-
आखिरकार पल्सर वाले भी हमारे साथ आ गये। इनसे पूछा गया कि रात में कहाँ थे तो इन्होंने बताया कि हम रात को बारह बजे बाल्टाल आये थे। जिस कारण सुबह जल्दी आँख नहीं खुली, रही बात मोबाइल की तो वो तो चार्ज ही नहीं था, तो मिलता कैसे, नेटवर्क भी सिर्फ़ बी.एस.एन.एल. का ही था। उनका सिम एयरटेल का था। अब हम जहाँ पर है, पटनी टाप नाम है इस जगह का, पत्नी टाप बोलते है ज्यादातर लोग, वैसे है, बडी शानदार जगह, हरियाली तो कूट-कूट कर भरी हुई लगती है। जाडॆ में यहाँ जमकर बर्फ़बारी का मजा लिया जाता है, लेकिन हम ऐसी बर्फ़बारी से होकर आये है, कि अब तो हमें बर्फ़बारी के नाम से ही ठण्ड लगने लगने लगती है। यहाँ के कई फ़ोटो खींचे, हर तरफ़ हरा-हरा नजर आता है
ये नज़ारे है पटनी टॉप के


क्या रखा है, कश्मीर में, जब उससे बढ़िया नज़ारे यहाँ है,

इस यात्रा को शुरु से पढने के लिए यहाँ क्लिक करे  

इस लेख के शुरु में आपको बताया था, कि महाराष्ट्र के नान्देड में, बसमत के पास एक गाँव कुरुन्दा, के दो बन्दे तो इस यात्रा के शुरु से ही साथ है, लेकिन दो सिरफ़िरे और आने थे जो हमें अमरनाथ मिलने थे, लेकिन वे हमें एक दिन देरी से मिले वो भी पटनी टाप पर ना कि अमरनाथ में जहाँ की बात तय हुई थी। हमने उन्हे कहा कि चलो अब वापस आओ, अब अकेले अमरनाथ जाकर क्या करोगे, तो वे बोले नहीं हम भोले के दर्शन बिना वापस नहीं जायेंगे, हमने कहा कि तुम्हारे पास यात्रा पर्ची है, वे बोले नहीं है।
ये रहे लेट लतीफ़ , बाबूराव & कैलाश देशमुख
पेड़ों के बीच से खेतों का नजारा
घर हो तो ऐसी जगह
अंधे मोड़, धीरे चलो, गहरी खाई, बोर्ड पर भी यही लिखा है
सनकी, मस्त, सिरफिरा  जाट
दूसरा पतला लम्बा जाट

कुछ देर यहाँ मस्ती करने के बाद आगे का मार्ग नापना शुरु कर दिया। रास्ते में बनिहाल, रामबन, बटोट, आये। कुड में एक जगह पर भोले का लंगर चल रहा था। हम भी लंगर में शामिल हो गये। लगंर के बाद हम धीरे-धीरे उधमपुर आ पहुँचे। ये शहर काफ़ी बडा है। हम यहाँ नहीं रुक, क्योंकि शाम के पाँच बज चुके थे, अंधेरा होने से पहले कटरा पहुँचना था। इस शहर को पार करने के बाद ऊँचे पहाड तो नहीं, पर छोटॆ-छोटे से पहाड जरुर हमारा साथ निभा रहे थे, हम इनका ही दीदार करते हुए चले जा रहे थे। हमारी रफ़तार ज्यादा, तेज नहीं थी, क्योंकि हमें उल्टे हाथ पर आने वाले माता वेष्णों देवी के दरबार की और जाने वाले मार्ग पर जो जाना था, रफ़तार में ऐसे मोड नजर नहीं आते है, ये एक छोटा सा मोड है, जैसे ही वो मोड आया सब उधर ही मुड गये।
माता भवन का प्रवेश द्दार, जय माता की बोलते रहो, आगे अपने माउस का पहिया घुमाते रहो

इस मार्ग से हर कोई पहली बार ही आया था, यहाँ से माता के भवन तक जाने के आधार कटरा तक की दूरी बीस किलोमीटर के आसपास ही थी। उल्टे-सीधे मोडों से होते हुए हम जा रहे थे कि अचानक एक गहरी खाई की ओर सडक चली गयी, साथ ही हम भी जब हम नीचे पहुँचे तो देखा कि ये तो एक नदी का पुल है पता नहीं बाण-गंगा है या कोई और, यहाँ से कटरा सिर्फ़ सात किलोमीटर दूर था, जिस मार्ग से हम आये थे। ये जम्मू की ओर से आने वाले मार्ग से अलग था। ये मार्ग हमे कटरा के हैलीपेड के पास से होता हुआ ले गया था। हम सीधे उस जगह पहुँच गये जहाँ से माता के भवन के लिये पर्ची मिलती है। 
रात का असर या हो ही गए थे मुहं लाल
रात में मेरा भी

एक बन्दा जा कर पर्ची ले आया, हम सीधे आगे की ओर चलते रहे। जब हम पैदल मार्ग के पास पहुँचे, तो अपनी-अपनी बाइक के लिये ठिकाना ढूंढने लगे। सामने ही एक होटल में दो-दो सौ के दो कमरे ले लिये, बाइक फ़्री में। अभी समय हुआ था, शाम के साढे सात, आज पूरे दिन में केवल चार सौ पच्चीस किलोमीटर ही बाइक चलाई थी, एक बर्फ़ीली जगह से एक गर्म जगह आ गये थे। हमने ताजे पानी से नहा कर अपनी थकान कम की। सब नहा धो-खा पी कर रात दस बजे तक माता के दर्शन करने के लिये चलने को तैयार थे।
ये देखो, संतोष पर गर्मी का असर

माता वेष्णों देवी की जयकारे के साथ ही हम पैदल चल दिये। एक बात तो रह गयी, हमने तय किया कि पैदल चलते समय जो सबसे पहले बैठे, वो सबको नीम्बू पानी पिलाएगा, यहाँ हारे संतोष तिडके, सबको गन्ने का रस पिलाया, यहाँ पैदल चलने में कोई परेशानी नहीं आती है, अगर आप अपनी चाल से चले तो, बस वापस आने में ही हमेशा सावधानी बरतनी जरुरी होती है। हम सब रात के दो बजे माता के दर्शन कर चुके थे। मेरी भैरों बाबा से नहीं बनती है मैं सीधे नीचे कटरा में कमरे पर पाँच बजे आकर सो गया। बाकि सब भी साढे पाँच तक आ गये थे। आज पूरे चौबीस घंटे हम लगातार यात्रा पर थे पहले बाइक पर चार सौ पच्चीस किलोमीटर, फ़िर पैदल पूरे तीस किलोमीटर, इतनी कठिन चौबीस घंटे की यात्रा के बाद भी मन आराम करने से ज्यादा घर जाने का कर रहा था। 
कैमरे की चमक
 ढिल्लू नहीं सुधरेगा
चलो हमारा जवान खड़ा तो हो गया, अब किसी की खैर नहीं
चलो कुछ देर आराम करे
खींच ले भाई
रात का नजारा
रात में भवन का नजारा

अगली पोस्ट में आगे की सांबा, कठुआ से दिल्ली तक की कहानी, रात में कब तक पहुंचे, 

इस यात्रा के अन्तिम भाग के लिए यहां क्लिक करे

इस यात्रा के बारे में कैसे जाना, कहाँ रहना, कितना खर्चा, क्या परेशानी, क्या ले कर जाना है आदि-आदि सब कुछ बताया जायेगा। जिससे इस यात्रा पर जाने के इच्छुक दीवानों को फ़ायदा हो।             

लेह वाली इस बाइक यात्रा के जिस लेख को पढ़ना चाहते है नीचे उसी लिंक पर क्लिक करे।

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59 टिप्‍पणियां:

Bharat Bhushan ने कहा…

आपके यात्रा-वर्णन की शैली दिलचस्प है. फोटो देख कर आनंद आ जाता है.

Rakesh Kumar ने कहा…

खूबसूरत नज़ारे दिलचस्प वर्णन.
ईश्वर आपको अक्षय शक्ति दे कि आप
अपनी यात्राएँ निरंतर जारी रखें और हम
सब को भी प्रेरणा मिलती रहें कि हम भी
देशाटन का लाभ जीवन में लेते रहें.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

मेरी नई पोस्ट आपका इंतजार कर रही है.

Vaanbhatt ने कहा…

धन्यवाद घर बैठ माता के दरबार तक पहुँचाने के लिए...यार तुस्सी ढिल्लू नु ढिल्लू ना कह्या करो...त्वाडे संग इत्ती लम्बी यात्रा करके जो आया है...हैट्स ऑफ़ टु यु एंड योर टीम...

SANDEEP PANWAR ने कहा…

जी वाणभट्ट जी आप एक-दम सही कह रहे हो, कि जो बंदा हमारे साथ ऐसे खतरनाक, मुश्किल, लम्बे सफ़र को झेल गया वो ढिल्लू नहीं हो सकता है, बस हम तो हंसी मजाक में टांग जरुर खीच लेते है,

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपका यात्रा संस्मरण बहुत बढ़िया रहा!
चित्र भी बहुत सुन्दर लगे!

Shikha Kaushik ने कहा…

bhasha-shaili,photos ke sath yah yatra varnan bahut rochak laga .badhai v aabhar .

Vivek Jain ने कहा…

बहुत सुन्दर फोटो हैं जाट भाई
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Udan Tashtari ने कहा…

बड़ा जीवंत विवरण चल रहा है....हम घर बैठे आनन्द ले रहे हैं यात्रा का...बहुत बढ़िया.

Udan Tashtari ने कहा…

बड़ा जीवंत विवरण चल रहा है....हम घर बैठे आनन्द ले रहे हैं यात्रा का...बहुत बढ़िया.

नीरज मुसाफ़िर ने कहा…

भाई, आप बर्फीले पहाडों को रौंदते हुए आये हैं। पिछले कई दिन से लगातार बर्फ का सामना कर रहे हैं। इसलिये सबके मुंह लाल हो गये हैं। यह नींद का असर नहीं है।
बाकी तो हमेशा की ही तरह मस्त

Suman ने कहा…

achha hai yatra vrtant....mere blog par aneka aabhar .......

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर फोटो हैं..... आप हम सबको कहाँ कहाँ ले जा रहे हो.... घर बैठे

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

संदीप जी आप के ये यात्रा देख हमें वे हरे नज़ारे देवदार चीड के पेड़ -घाटियाँ फूल सब याद आ जाते हैं जम्मू -उधमपुर-पत्नीटॉप -सनासर-बटोत-रामवन-बनिहाल-काजीगुंड-श्रीनगर तक -आप के इस साहसिक और जोखिम भरे काम से हम सब घर बैठे दर्शन कर लेते हैं -पहाड़ियों में यात्रा के समय बहुत सावधान रहिएगा -हम जम्मू से श्रीनगर काफी दिन रह चुके हैं -इसलिए कह रहा हूँ -माँ की कृपा आप पर सदा बरसे -जय माता दी
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

rashmi ravija ने कहा…

सुन्दर तस्वीरें और उतना ही रोचक वर्णन..
अच्छा लगा...यात्रा वृत्तांत

sm ने कहा…

beautiful pics
only BSNL good to know.

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

१९८१ और १९८२ में दो बार कारगिल जाते -लौटते में रामबन एवं बनिहाल से गुजरे हैं.अपने ब्लॉग पर आपकी टिप्पणियों के लिए धन्यवाद.

Patali-The-Village ने कहा…

धन्यवाद घर बैठ माता के दरबार तक पहुँचाने के लिए| बहुत बढ़िया चित्र|

virendra sharma ने कहा…

आपकी फाटो ग्रेफ़ी सारी यात्रा की थकान उतार देती है .पेड़ों के बीच से खेतों का नजारा नयनाभिराम है .हवाई जहाज़ से भी ऐसा ही लगता है .बंटी हुई ज़मीन बंटे हुए लोग दिखलाई देतें हैं धरती पर .आपके हर पडाव में मंदिर आजाता है .यह भी एक पुर सूकून बात है .

virendra sharma ने कहा…

घर हो तो ऐसी जगह "बहुत ही सुन्दर कोटेज दिखाए दर्शाए हैं आपने .यहाँ केंटन (मिशिगन में तमाम आवासीय क्षेत्र इतने ही खूबसूरत ,हरियाली की बिछौना ओढ़े रहतें हैं .आपके ब्लॉग पर हम वैसे ही आतें हैं जैसे भारत में लोग गंगा स्नान के लिए निकलतें हैं .कुछ पुण्य हमें भी मिलेगा .

S A Shekhar ने कहा…

बहुत बढिया......

आपका ब्लाग एक्दम अनूठा है....आपकी ही तरह...लगे रहिये....घुमक्कडी भी किस्मत से ही मिलती है....

और एक छोटी सी बात....
फ़ोटो पर डली डेट सही है या २०११ की जगह २०१० हो गया है.

SANDEEP PANWAR ने कहा…

डॉ. अनिल शेखर जी,
फ़ोटो जब हमने खींचे थे तभी हमें तारीख का चक्कर समझ नहीं आया था, क्योंकि कैमरा नया लिया था, कही फ़ोटो मिट ना जाये, इस डर से हमने तारीख को नहीं छेडा,

आप सबका आभार,

Rajesh ने कहा…

Beautiful experience.

Urmi ने कहा…

टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए शुक्रिया !
सुन्दर चित्रों के साथ आपका यात्रा संस्मरण बहुत ही लाजवाब रहा! आप तो बाइक से काफी लम्बा सफ़र किए! मैं लदाख घूमने गयी थी करीब पांच साल पहले और मुझे बहुत अच्छा लगा था!

Renu ने कहा…

bahut sundar hain photo!!!

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

सौभाग्य से पहली बार २७ अप्रैल २०११ को भी हम सपरिवार माता के दर्शन कर आये.मैं तो बेहाल हो रहा था पर श्रीमतीजी ने बिना कहीं बैठे ,दर्शन करके ही दम लिया !
आपका यात्रा-वृत्तान्त का ढंग अनोखा है.शुभकामनायें !

Praveen Srivastava ने कहा…

भाई लोगो मान गए आप लोगो को
जय बाबा अमरनाथ की
जय माँ वैस्नो की
जय हो आप की

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर तस्वीरें संस्मरण बहुत बढ़िया

समीक्षा ने कहा…

लाजवाब यात्रा वृत्तान्त| सारे चित्र भी सुन्दर लगे|

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

आपकी कश्मीर यात्रा भाग १० और केदारनाथ पैदल यात्रा पढ़ा बहुत ही रोमांचकारी लगा . इसीलिए तो कालिदास ने कहा था " अस्तिउत्तरस्याम दिशी देवात्मा हिमालयो नाम नगधिराजो "

Satish Saxena ने कहा…

जय माता की ....
शुभकामनायें आपको इस यात्रा के लिए !

Rakesh Holla ने कहा…

What a wonderful blog... Nice pics too...Keep on publishing lik this...
Tnks

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

सुंदर यायावरी :)

मुनीश ( munish ) ने कहा…

Wonderful travelogue ! Excellent pics !! Jai Bhole , Jai Hind !! Keep it Up !

Shalini kaushik ने कहा…

sandeep ji yatra karna to hamare liye bahut hi mushkil karya hai aapki lekhni aur sundar chitron ne hamari ye mushkil aasan kar dee.aabhar.

hem pandey ने कहा…

जोरदार यात्रा वृत्तांत और सुन्दर चित्र |

Sunny Dhanoe ने कहा…

A Very Well Descriptive Post...and Beautiful pictures... Leh Ladakh is a Heaven on Earth... Every one should visit this place once in his Life...
thanks for Sharing Brother!

virendra sharma ने कहा…

अगले सफ़र में चश्मदीद होने का इंतज़ार है दोस्त .चलो चलें .

Urmi ने कहा…

बहुत अच्छा लगा आपकी टिप्पणी मिलने पर! कटलेट खाने के लिए मेरे घर में आपका स्वागत है!
आपके नए पोस्ट का इंतज़ार है!

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

जीवंत चित्रों के साथ यात्रा-वृतांत पढ़ कर ऐसा लग रहा जैसे हम सचमुच में आपके साथ ही यात्रा कर रहे हैं.हमें भी भ्रमण का गहरा शौक है.परिवार सहित काफी पर्यटन स्थल घूम चुके हैं.

शिक्षामित्र ने कहा…

अच्छा यात्रा-वृतांत है। कई नई जानकारियां मिलीं।

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत सुन्दर और रोचक यात्रा वृतांत ... रात के तस्वीर (अंतिम दो) कुछ जमे नहीं ... बाकी के तस्वीर बढ़िया हैं !

Unknown ने कहा…

जय माता दी, आपके साथ साथ हम भी सफ़र का आनंद ले रहे हैं आपकी पोस्ट्स पर ..
मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है : Blind Devotion

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

sandeep ji
ghar baithe -baithe hi aapne mata rani ke darshan kara kar kuchh ham jaise bhakto ko thda sa puny ka ansh to dilva hi diya .bahut bahut achhi lagi aapki yah ,yatra ,aage bhi yun hi mata ke aashhrvaad se puri yara aapki mangal-may ho .bas yahi prarthna hai .
aapki sbhi fotoes bhi bade hi mast -mast lage.
bahut bahut shubh-kamnaye
poonam

ZEAL ने कहा…

उस बर्फीली तस्वीरों के बाद थोड़ा राहत देती तसवीरें सुखकर लगीं।

virendra sharma ने कहा…

पीलिया (जौंडिस,हिपाताईतिस- सी या ए आमतौर पर होता है जिसे आम भाषा में पीलिया कहतें हैं ,हिपाताईतिस -बी तो एच आई वी एड्स की तरह खतरनाक है .)भाईसाहब परहेज़ चाहता है घी तेल का ,प्रोटीन का .लीवर पर जोर नहीं पड़ना चाहिए .लिम्का ,अमूमन ट्रांस -परेंट लिक्विड ,मूली का रस ,गन्ने का रस (सड़क के किनारे का नहीं आजकल डिब्बा बंद उपलब्ध है )नारियल पानी ,तमाम ताज़े जुईस मुफीद रहतें हैं .

रेखा ने कहा…

घर बैठे आपका ब्लॉग देख कर यात्रा का अनुभव कर सकते है.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

यात्रा दिलचस्प लगी ......

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

भाई संदीप, हमने भी सुवाद ले लिया सारी यात्रा का। तीन घंटे से थारे ब्लाग की चढाई चढ रहे सां।
कमाल कर दिया। मेरा भी इरादा लेह लद्दाख का सै। देखो कब जाना हो्वैगा।


घुमक्कड़ी जिन्दाबाद

Ratan Singh Shekhawat ने कहा…

सुन्दर चित्रों के साथ बढ़िया विवरण

Rajesh Kumari ने कहा…

जाट देवता सॉरी जाट भाई पहली बार आई हूँ आपके ब्लॉग पर बहुत अच्चा लगा आपके साथ हमे भी घूमने का मोका मिला .अपनी जाट बहन के ब्लॉग पर भी पधारे आप सादर आमंत्रित हैं !

Kunwar Kusumesh ने कहा…

दिलचस्प यात्रा वर्णन.

saket ने कहा…

very niCCCCCCCCCCCCCCCCCCEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEee!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!.
saket dinkar

virendra sharma ने कहा…

भाई संदीप !पीलिया किसे हुआ है ?सब खैर तो है .जय माता दी !

***Punam*** ने कहा…

इतना घूमे आपके साथ कि आनंद आ गया...
फोटो ने तो और भी जीवंत बना दिया इस सफ़र को..!
एक बार पहले भी घूम चुकी हूँ फिर भी लग रहा है कि आज दुबारा जा कर लौटी हूँ....!!
इस सफ़र के लिए धन्यवाद...!!

उन्मुक्त ने कहा…

पहले दो चित्र बहुत सुन्दर हैं। लेकिन इतने ज्यादा चित्र शायद चिट्ठी के मज़ा कम कर देते हैं।

ashish bhushania ने कहा…

bhai shab mujko apne pariwar ke sath amarnath yatra pe jaanaa hein pahelgaam se helicoptor mila hein uper tent ki kaise vyavstha hein jara bataye bahut sahayta hogi agar koi booking karwane ka no ho toh woh bhi bataye

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

तूम महान हो संदीप..सच में इतना चलना किसी मामूली बंदे का काम हो ही नही सकता ...मै खुद ३बार माता के यहाँ गई हूँ --पर इतनी एनर्जी ..वाह !

और वो पटनी टाप का घर देखकर तो मेरी भी इच्छा हो गई वही रहने की ...जरा बगल का बंगला मेरे लिए भी बुक करवाइयो .....ही ही ही ही

uttam ने कहा…

Aapka yaatra sansmaran bahut achha tha padhkar laga ki main bhi ghum aaya.iske liye aapko bahut bahut dhanywad,aage bhi aisi hi yaatra sansmaran padhne ko milegi aisi aasha hai.

uttam ने कहा…

Aapka yaatra sansmaran bahut achha tha padhkar laga ki main bhi ghum aaya.iske liye aapko bahut bahut dhanywad,aage bhi aisi hi yaatra sansmaran padhne ko milegi aisi aasha hai.

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