EAST COAST TO WEST COAST-24 SANDEEP PANWAR
वन ट्री हिल के बाद विशाल बहुत देर तक मुझे सुनाता रहा, मैंने उसकी बात एक कान से सुनी दूसरे से निकाल दी। वापिस उसी मुख्य पगड़न्ड़ी पर आ गये, जहाँ से माथेरान की अलग-अलग जगहों के लिये मार्ग अलग होते है। वन ट्री हिल की ओर आते समय पिसरनाथ मन्दिर का बोर्ड़ लगा देखा था। अब हम वापसी की ओर आते जा रहे थे। यहाँ आते समय उल्टे हाथ की ओर पिसर नाथ मन्दिर व सेरेलेट लेक/झील जाने वाली पगड़न्ड़ी पर काफ़ी दूर चलना पड़ा। जब झील किनारे पहुँच गये तो माथेरान की गर्मी से थोड़ी सी राहत मिलनी शुरु हुई। विशाल पेड़ की छाँव में बैठ गया जबकि मैं जरुरी काम से पहाड़ पर चला गया। मैंने वापिस आने के बाद देखा कि जंगल में मार्ग से हटकर बहुत सारा प्लास्टिक कचरा पड़ा हुआ था। वैसे तो पर्यावरण के नाम पर माथेरान आने वाले यात्रियों से शुल्क लेते है, लेकिन उसी पर्यावरण को बचाने के लिये सफ़ाई व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
लगभग एक किमी चलने के बाद यह झील आयी थी झील की लम्बाई 200 मीटर से कम नहीं थी। झील के आखिरी छोर पर ही पिसर नाथ मन्दिर बना हुआ है। विशाल बोला चलों संदीप भाई, मन्दिर देख कर आते है, मैंने कहा जाओ भाई तुम ही जाओ। अन्दर जाकर पूजा-पाठ तो मैं करता नहीं हूँ रही बात फ़ोटो लेने कि है यदि यह मन्दिर मशहूर हुआ तो अन्दर फ़ोटो ही नहीं लेने देंगे। और नहीं हुआ तो कैमरा तो तुम्हारे पास है ही, तुम फ़ोटो ले आना मैं उसी से काम चला लूँगा। विशाल मन्दिर के अन्दर चला गया। मन्दिर के अन्दर विशाल ने शिवलिंग आदि जो-जो देखा था उसके फ़ोटो मैंने इस पोस्ट में लगा दिये है।
मैं मन्दिर के बाहर ही बैठा था कुछ देर बाद विशाल भी मेरे पास आकर बैठ गया। जहाँ मैं बैठा था वहाँ से लेक एकदम साफ़ दिख रही थी। कुछ देर बाद हम झील देखते हुए आगे बढ़ने लगे। झील किनारे एक बाँध बनाया गया था जिसे देखकर पता लगा कि यह झील कुदरती नहीं बनी है यहाँ बाँध के रुप में पानी रोककर झील का निर्माण किया गया था। इस झील में जिस दिन हम वहाँ घूम रहे थे हमें पता लगा कि एक दिन पहले ही इस झील में नहाते समय ऊपर से कूदने से एक लड़के की मौत हो गयी थी। तीन दोस्त यहाँ नहा रहे थे। वैसे झील में पानी ज्यादा नहीं था लेकिन लगता था कि मरने वाली की किस्मत में कीचड़ में धँसकर मरना लिखा था।
झील पर बने बाँध पर टहलते हुए हम पूरा बाँध पार गये। बाँध पार करते समय दिखायी दिया कि बाँध भर जाने के बाद पानी निकलने के लिये दूसरा किनारा खाली रखा गया था। बाँध के दूसरी ओर देखने पर गहरी खाई दिखायी दे रही थी। यहाँ पर काफ़ी मात्रा में पानी रोका जाता है यदि कोशिश की जाये तो थोड़ी बहुत बिजली बनायी जा सकती है। चूंकि यहाँ वर्ष भर भरपूर मात्रा में पानी नही मिल पाता है इसलिये यहाँ बिजली बनाने का यंत्र नहीं लगाया गया होगा। झील का पानी 200-300 मीटर के बाद गहरी घाटी में गिर जाता है। वहाँ से खेती या किसी नदी में मिल जाता होगा। (क्रमश:)
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